Ayurveda

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Tuesday 6 October 2015

नीम के फायदे

हरियाली सबको भाती है, तुमको भी। जिस पार्क में खूब पेड़-पौधे लगे होते हैं, वहां खेलने में खूब मजा आता है। है ना! लेकिन अनेक पौधे ऐसे भी होते हैं, जिनका अलग-अलग ढंग से प्रयोग करके तुम सेहत भी चुस्त-दुरुस्त रख सकते हो। ऐसे ही पौधों को इस बार लगाओ भी। ये कौन से पौधे हैं, बता रहे हैं विजय मिश्र

नीम

इस पेड़ से तो तुम वाकिफ हो। इसे जादुई पेड़ भी कहा जाता है। भारत में इसे कहीं-कहीं निंबा के नाम से भी जाना जाता है। यह पेड़ 100 फीट तक लंबा हो सकता है। यूं तो नीम का पेड़ पूरे भारत में पाया जाता है, लेकिन यह देश के कुछ जाने-माने पार्को में भी बहुतायत में मिलते हैं, जिनमें रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान, बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान, मृगवानी राष्ट्रीय उद्यान, बानेरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान, ग्विन्डी राष्ट्रीय उद्यान और सरिस्का वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी प्रमुख हैं।

नीम के बारे में कहा जाता है कि ‘एक नीम और सौ हकीम’ दोनों बराबर हैं। इसमें कई तरह के कड़वे परन्तु स्वास्थ्यवर्धक पदार्थ होते हैं, जिनमे मागरेसिन, निम्बिडीन, निम्बेस्टेरोल प्रमुख हैं। इनका साबुन, क्रीम, पेस्ट आदि में प्रयोग किया जाता है।

नीम की छाल में ऐसे गुण होते हैं, जो दांतों और मसूढ़ों में लगने वाले तरह-तरह के बैक्टीरिया को पनपने नहीं देते हैं, जिससे दांत स्वस्थ व मजबूत रहते हैं। यह पेड़ बीमारियों से आजाद होता है और उस पर कोई कीड़ा-मकौड़ा नहीं लगता, इसलिए नीम को आजाद पेड़ भी कहा जाता है। नीम के तेल से मालिश करने से कई तरह के त्वचा रोग ठीक हो जाते हैं। चेचक होने पर रोगी को नीम की पत्तियां बिछाकर उस पर लिटाने से काफी लाभ होता है।

कितने सारे नीम के फायदे

नीम की दातुन करने से दांत व मसूढ़े मजबूत होते हैं और दांतों में कीड़ा नहीं लगता। यही नहीं, मुंह से बदबू आना भी बंद हो जाती है।

नीम के पत्ते जलाकर रात को धुआं करने से मच्छर मर जाते हैं और मलेरिया नहीं होता।

नीम के फल और उसकी पत्तियों से निकाले गये तेल से मालिश की जाये तो तुम बॉडी बिल्डर बन जाओगे।

नीम से बनाया गया लेप बालों में लगाने से बाल स्वस्थ रहते हैं और कम झड़ते हैं।

नीम की पत्तियों का रस आंख लाल होने की बीमारी में काम आता है।

नीम के तेल की 5-10 बूंदों को सोते समय दूध में डालकर पीने से ज्यादा पसीना नहीं आता।

नीम की जड़ को पानी में उबालकर पीने से बुखार दूर हो जाता है।

नीम की छाल के काढ़े में धनिया और सौंठ का चूर्ण मिलाकर पीने से मलेरिया में फायदा होता है।

तुलसी

हमारे देश में तुलसी का खास स्थान है। तुमने अपने घरों में तुलसी की पूजा भी होते देखी होगी। तुलसी का पौधा हमारे आसपास की हवा को शुद्ध बनाता है। बैक्टीरिया को नष्ट करता है। तुम्हारी नानी कहती होंगी न कि तुलसी की एक पत्ती रोज खाने से कभी बुखार नहीं होता और सभी रोग दूर रहते हैं। यह सच है। तुलसी हमारी रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाती है। भारत के हर भाग में तुलसी के पौधे पाये जाते हैं। इसका पौधा बड़ा पेड़ नहीं बनता, बल्कि डेढ़ या दो फुट तक ही बढ़ता है। इसकी जड़ें धरती की गहराई तक जाकर पानी खींच नहीं सकतीं। तुलसी की लगभग 60 प्रजातियां एशिया, अफ्रीका, अमेरिका तथा अन्य देशों मे उगाई जाती हैं। तुलसी को तुम मार्च से जून महीने के बीच में लगा सकते हो। सितम्बर और अक्टूबर में यह बढ़ती है। तुलसी कई तरह की होती है, जैसे काली तुलसी, मीठी तुलसी, सफेद तुलसी, कपूर तुलसी, श्याम तुलसी, जंगली तुलसी। तुम्हें जानकर हैरानी होगी कि तुलसी का तेल कई तरह से फायदेमंद होता है। तुलसी का इस्तेमाल खुशबू बनाने के लिए, खांसी और कफ की दवा बनाने में होता है।

क्या हैं तुलसी के फायदे

तुम रोज सुबह जो टूथपेस्ट करते हो न, उसमें तुलसी का प्रयोग होता है। इसके अलावा माउथवाश में इसे डाला जाता है।

तुलसी के पत्ते हर तरह की बीमारी की दवा बनाने में काम आते हैं।

तुलसी का इस्तेमाल करने से लर्निंग पावर बढ़ती है।

यह तुम्हारी याद रखने की शक्ति, दिल की बीमारियों, कफ, सांस के रोग, खून की कमी को ठीक करने में लाभदायी है।

खांसी, जुकाम में राहत देती है।

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