Ayurveda

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Tuesday 27 October 2015

कलौंजी लगाएं, सर पर लहलहाते बाल वापस पाएं

महिलाएं ही क्या पुरुष भी आम तौर पर अपने बालों को लेकर काफी चिंतित रहते हैं, आज की आधुनिक शैली और आधुनिक प्रोडक्ट्स ने हमारे शरीर को फायदा पहुंचाने के बजाय नुक्सान ही पहुंचाया है. बहुत कम लोग जानते हैं कि हमारे आसपास ऐसी बहुत सारी चीजें हैं, जिन्हें सही तरीके से खाकर सुन्दर त्वचा, बालों से लेकर अच्छी सेहत का फायदा उठाया जा सकता है.
इन्हीं में शामिल है कलौंजी जिसमें बहुत सारे मिनरल्स और न्यूट्रिएंट्स होते हैं. आयरन, सोडियम, कैल्शियम, पोटैशियम और फाइबर से भरपूर कलौंजी कई प्रकार के रोगों का घर बैठे इलाज है. लगभग 15 एमीनो एसिड वाला कलौंजी शरीर के लिए जरूरी प्रोटीन की कमी भी पूरी करता है.

बालों को लाभ

कलौंजी के लाभ में से सबसे बड़ा लाभ बालों को होता है. अनहेल्दी लाइफस्टाइल, स्ट्रेस जैसी कई समस्याओं से महिला हो या पुरुष, दोनों के ही साथ बालों के गिरने की समस्या आम हो चुकी है. इसके लिए तमाम तरह के ट्रीटमेंट कराने पर भी फायदा नहीं होता. लेकिन घर में मौजूद कलौंजी इस समस्या के निपटारे में बहुत ही कारगर उपाय है. सिर पर 20 मिनट तक नींबू के रस से मसाज करें और फिर अच्छे से धो लें. इसके बाद कलौंजी का तेल बालों में लगाकर उसे अच्छे से सूखने दें. लगातार 15 दिनों तक इसका इस्तेमाल बालों के गिरने की समस्या को दूर करता है.

कलौंजी ऑयल, ऑलिव ऑयल और मेहंदी पाउडर को मिलाकर हल्का गर्म करें. ठंडा होने दें और हफ्ते में एक बार इसका इस्तेमाल करें. इससे गंजेपन की समस्या भी दूर होती है.
कलौंजी की राख को तेल में मिलाकर गंजे अपने सर पर मालिश करें कुछ दिनों में नए बाल पैदा होने लगेंगे. इस प्रयोग में धैर्य महत्वपूर्ण है.

कलौंजी के अन्य लाभ

डायबिटीज से बचाता है, पिंपल की समस्या दूर, मेमोरी पावर बढ़ाता है, सिरदर्द करे दूर, अस्थमा का इलाज, जोड़ों के दर्द में आराम, आंखों की रोशनी, कैंसर से बचाव, ब्लड प्रेशर करे कंट्रोल.
कलौंजी एक बेहद उपयोगी मसाला है. इसका प्रयोग विभिन्न व्यंजनों जैसे दालों, सब्जियों, नान, ब्रेड, केक और आचार आदि में किया जाता है.
कलौंजी की सब्जी भी बनाई जाती है.


कलौंजी में एंटी-आक्सीडेंट भी मौजूद होता है जो कैंसर जैसी बीमारी से बचाता है.


कलौंजी का तेल कफ को नष्ट करने वाला और रक्तवाहिनी नाड़ियों को साफ़ करने वाला होता है. इसके अलावा यह खून में मौजूद दूषित व


अनावश्यक द्रव्य को भी दूर रखता है. कलौंजी का तेल सुबह ख़ाली पेट और रात को सोते समय लेने से बहुत से रोग समाप्त होते हैं. गर्भावस्था के समय स्त्री को कलौंजी के तेल का उपयोग नहीं कराना चाहिए इससे गर्भपात होने की सम्भावना रहती है.


कलौंजी का तेल बनाने के लिए 50 ग्राम कलौंजी पीसकर ढाई किलो पानी में उबालें. उबलते-उबलते जब यह केवल एक किलो पानी रह जाए तो इसे ठंडा होने दें. कलौंजी को पानी में गर्म करने पर इसका तेल निकलकर पानी के ऊपर तैरने लगता है. इस तेल पर हाथ फेरकर तब तक कटोरी में पोछें जब तक पानी के ऊपर तैरता हुआ तेल खत्म न हो जाए. फिर इस तेल को छानकर शीशी में भर लें और इसका प्रयोग औषधि के रूप में करें.

आयुर्वेद कहता है कि इसके बीजों की ताकत सात साल तक नष्ट नहीं होती. दमा, खांसी, एलर्जीः एक कप गर्म पानी में एक चम्मच शहद तथा आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह निराहार (भोजन से पूर्व) पी लेना चाहिए, फिर रात में भोजन के बाद उसी प्रकार आधा चम्मच कलौंजी और एक चम्मच शहद गर्म पानी में मिलाकर इस मिश्रण का सेवन कर लेना चाहिए. इस प्रकार 40 दिनों तक प्रतिदिन दो बार पिया जाए. सर्दी के ठंडे पदार्थ वर्जित हैं.

मधुमेहः 

एक कप काली चाय में आधा चाय का चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह नाश्ते से पहले पी लेना चाहिए. फिर रात को भोजन के पश्चात सोने से पहले एक कप चाय में एक चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर पी लेना चाहिए. चिकनाई वाले पदार्थों के उपयोग से बचें. इस इलाज के साथ अंगे्रजी दवा का उपयोग होता है तो उसे जारी रखें और बीस दिनों के पश्चात शर्करा की जांच करा लें. यदि शक्कर नार्मल हो गई हो तो अंग्रेजी दवा बंद कर दें, किंतु कलौंजी का सेवन करते रहें.

हृदय रोगः 

एक कप दूध में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर प्रतिदिन दो बार प्रयोग करें. इस तरह दस दिनों तक उपचार चलता रहे. चिकनाई वाले पदार्थों का सेवन न करें.

नेत्र रोगों की चिकित्साः 

नेत्रों की लाली, मोतियाबिंद, आंखों से पानी का जाना, आंखों की तकलीफ और आंखों की नसों का कमजोर होना आदि में एक कप गाजर के जूस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल दो चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो बार सुबह (निराहार) और रात में सोते समय लेना चाहिए. इस प्रकार 40 दिनों तक इलाज जारी रखें. नेत्रों को धूप की गर्मी से बचाएं.

अपच या पेट दर्द में आप कलौंजी का काढा बनाइये फिर उसमे काला नमक मिलाकर सुबह शाम पीजिये. दो दिन में ही आराम देखिये.
 

कैंसर के उपचार में कलौजी के तेल की आधी बड़ी चम्मच को एक ग्लास अंगूर के रस में मिलाकर दिन में तीन बार लें.

हृदय रोग, ब्लड प्रेशर और हृदय की धमनियों का अवरोध के लिए जब भी कोई गर्म पेय लें, उसमें एक छोटी चम्मच तेल मिला कर लें.

सफेद दाग और लेप्रोसीः 15 दिन तक रोज पहले सेब का सिरका मलें, फिर कलौंजी का तेल मलें.

एक चाय की प्याली में एक बड़ी चम्मच कलौंजी का तेल डाल कर लेने से मन शांत हो जाता है और तनाव के सारे लक्षण ठीक हो जाते हैं.

कलौंजी के तेल को हल्का गर्म करके जहां दर्द हो वहां मालिश करें और एक बड़ी चम्मच तेल दिन में तीन बार लें. 15 दिन में बहुत आराम मिलेगा.

एक बड़ी चम्मच कलौंजी के तेल को एक बड़ी चम्मच शहद के साथ रोज सुबह लें, आप तंदुरूस्त रहेंगे और कभी बीमार नहीं होंगे; स्वस्थ और निरोग रहेंगे .

याददाश्त बढाने के लिए और मानसिक चेतना के लिए एक छोटी चम्मच कलौंजी का तेल 100 ग्राम उबले हुए पुदीने के साथ सेवन करें.

पथरी हो तो कलौंजी को पीस कर पानी में मिलाइए फिर उसमे शहद मिलाकर पीजिये, १०-११ दिन प्रयोग करके टेस्ट करा लीजिये.कम न हुई हो तो फिर १०-११ दिन पीजिये.

अगर गर्भवती के पेट में बच्चा मर गया है तो उसे कलौंजी उबाल कर पिला दीजिये, बच्चा निकल जायेगा.और गर्भाशय भी साफ़ हो जाएगा.

किसी को बार-बार हिचकी आ रही हो तो कलौंजी के चुटकी भर पावडर को ज़रा से शहद में मिलकर चटा दीजिये.

अगर किसी को पागल कुत्ते ने काट लिया हो तो आधा चम्मच से थोडा कम करीब तीन ग्राम कलौंजी को पानी में पीस कर पिला दीजिये, एक दिन
में एक ही बार ३-४ दिन करे.


जुकाम परेशान कर रहा हो तो इसके बीजों को गरम कीजिए ,मलमल के कपडे में बांधिए और सूंघते रहिये. दो दिन में ही जुकाम और सर दर्द दोनों गायब . कलौंजी की राख को पानी से निगलने से बवासीर में बहुत लाभ होता है.

कलौंजी का उपयोग चर्म रोग की दवा बनाने में भी होता है. कलौंजी को पीस कर सिरके में मिलकर पेस्ट बनाए और मस्सों पर लगा लीजिये. मस्से कट जायेंगे. मुंहासे दूर करने के लिए कलौंजी और सिरके का पेस्ट रात में मुंह पर लगा कर सो जाएँ.

जब सर्दी के मौसम में सर दर्द सताए तो कलौंजी और जीरे की चटनी पीसिये और मस्तक पर लेप कर लीजिये.

घर में कुछ ज्यादा ही कीड़े-मकोड़े निकल रहे हों तो कलौंजी के बीजों का धुँआ कर दीजिये.

गैस/पेट फूलने की समस्या --50 ग्राम जीरा, 25 ग्राम अजवायन, 15 ग्राम कलौंजी अलग-अलग भून कर पीस लें और उन्हें एक साथ मिला दें. अब 1 से 2 चम्मच मीठा सोडा, 1 चम्मच सेंधा नमक तथा 2 ग्राम हींग शुद्ध घी में पका कर पीस लें. सबका मिश्रण तैयार कर लें. गुनगुने पानी की सहायता से 1 या आधा चम्मच खाएं.

महिलाओं को अपने यूट्रस (बच्चेदानी) को सेहतमंद बनाने के लिए डिलीवरी के बाद कलौंजी का काढा ४ दिनों तक जरूर पी लेना चाहिए. काढ़ा बनाने के लिए दस ग्राम कलौंजी के दाने एक गिलास पानी में भिगायें, फिर २४ घंटे बाद उसे धीमी आंच पर उबाल कर आधा कर लीजिये. फिर उसको ठंडा करके पी जाइये, साथ ही नाश्ते में पचीस ग्राम मक्खन जरूर खा लीजियेगा. जितने दिन ये काढ़ा पीना है उतने दिन मक्खन जरूर खाना है.

आपको अगर बार बार बुखार आ रहा है अर्थात दवा खाने से उतर जा रहा है फिर चढ़ जा रहा है तो कलौंजी को पीस कर चूर्ण बना लीजिये फिर उसमे गुड मिला कर सामान्य लड्डू के आकार के लड्डू बना लीजिये. रोज एक लड्डू खाना है ५ दिनों तक , बुखार तो पहले दिन के बाद दुबारा चढ़ने का नाम नहीं लेगा पर आप ५ दिन तक लड्डू खाते रहिएगा, यही काम मलेरिया बुखार में भी कर सकते हैं.

ऊनी कपड़ों को रखते समय उसमें कुछ दाने कलौंजी के डाल दीजिये,कीड़े नहीं लगेंगे.

भैषज्य रत्नावली कहती है कि अगर कलौंजी को जैतून के तेल के साथ सुबह सवेरे खाएं तो रंग एकदम लाल सुर्ख हो जाता है. चेहरे को सुन्दर व आकर्षक बनाने के लिए कलौंजी के तेल में थोड़ा सा जैतून का तेल मिलाकर चेहरे पर लगाएं और थोड़ी देर बाद चेहरा धो लें. इससे चेहरे के दाग़-धब्बे दूर होते हैं.

नोट : यूं तो ये सारे उपाय आयुर्वेद की किताब से लिए गए हैं और नुक्सान होने की आशंका नगण्य है फिर भी कोई भी उपचार अपनाने से पहले घर के बुजुर्गों की सलाह अवश्य लें, क्योंकि हर शरीर की तासीर अलग होती है, जिससे शरीर कोई विपरीत प्रतिक्रया भी दे सकता है.

Thursday 15 October 2015

लकवा का आयुर्वेदिक उपचार!

लकवा को आयुर्वेद में पक्षाघात रोग भी कहते हैं। इस रोग में रोगी के एक तरफ के सभी अंग काम करना बंद कर देते हैं जैसे बांए पैर या बाएं हाथ का कार्य न कर पाना। साथ ही इन अंगों की दिमाग तक चेतना पहुंचाना भी निष्क्रिय हो जाता है। और इस रोग की वजह से अंगों का टेढापन, शरीर में गरमी की कमी, और कुछ याद रखने की क्रिया भी नष्ट हो जाती है। आयुर्वेद में लकवा के प्रभाव को कम करने के अनेक उपाय दिए गए हैं।

लकवा से बचने के आयुवेर्दिक उपचार :

1. कुछ दिनों तो रोज छुहारों को दूध में भिगोकर रोगी को देते रहने से लकवा ठीक होने लगता है।

2. सौंठ और उड़द को पानी में मिलाकर हल्की आंच में गरम करके रोगी को नित्य पिलाने से लकावा ठीक हो जाता है।

3. नाशपाती, सेब और अंगूर का रस बराबर मात्रा में एक ग्लिास में मिला लें। और रोगी को देते रहें। कुछ समय तक यह उपाय नित्य करना है तभी फायदा मिलेगा।

4. 1 चम्मच काली मिर्च को पीसकर उसे 3 चम्मच देशी घी में मिलाकर लेप बना लें और लकवाग्रसित अंगों पर इसकी मालिश करें। एैसा करने से लकवा ग्रस्त अंगों का रोग दूर हो जाएगा।

5. करेले की सब्जी या करेले का रस को नित्य खाने अथवा पीने से लकवा से प्रभावित अंगों में सुधार होने लगता है। यह उपाय रोज करना है।

6. प्याज खाते रहने से और प्याज का रस का सेवन करते रहने से लकवा रोगी ठीक हो जाता है।

7. 6 कली लहसुन को पीसकर उसे 1 चम्मच मक्खन में मिला लें और रोज इसका सेवन करें। लकवा ठीक हो जाएगा।

8. तुलसी के पत्तों, दही और सेंधा नमक को अच्छे से मिलाकर उसका लेप करने से लकावा ठीक हो जाता है। ये उपाय लंबे समय तक करना होगा।

9. गरम पानी में तुलसी के पत्तों को उबालें और उसका भाप लकवा ग्रस्ति अंगों को देते रहने से लकवा ठीक होने लगता है।

10. आधा लीटर सरसों के तेल में 50 ग्राम लहसुन डालकर लोहे की कड़ाही में पका लें। जब पानी जल जाए उसे ठंडा होने दें फिर इस तेल को छानकर किसी डिब्बे में डाल लें। और इस तेल से लकवा वाले अंगों पर मालिश करें।

लकवा का सही समय पर इलाज न होने से रोगी एक अपाहिज की जिंदगी जीने को मजबूर हो जाता है इसलिए समय रहते लकवा का उपचार कराना जरूरी है। आयुवेर्दिक तरीकों से लकवा पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। ये उपाय लंबे समय तक लगातार करने से ही फायदा देगें। इसलिए धैर्य जरूर रखें।

सर दर्द से राहत के लिए आयुर्वेदिक उपाय



सर दर्द ,रुसी और बदहजमी दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय

सर दर्द से राहत के लिए

१. तेज़ पत्ती की काली चाय में निम्बू का रस निचोड़ कर पीने से सर दर्द में अत्यधिक लाभ होता है.

२ .नारियल पानी में या चावल धुले पानी में सौंठ पावडर का लेप बनाकर उसे सर पर लेप करने भी सर दर्द में आराम पहुंचेगा.

३. सफ़ेद चन्दन पावडर को चावल धुले पानी में घिसकर उसका लेप लगाने से भी फायेदा होगा.

४. सफ़ेद सूती का कपडा पानी में भिगोकर माथे पर रखने से भी आराम मिलता है.

५. लहसुन पानी में पीसकर उसका लेप भी सर दर्द में आरामदायक होता है.

६. लाल तुलसी के पत्तों को कुचल कर उसका रस दिन में माथे पर २ , ३ बार लगाने से भी दर्द में राहत देगा.

७. चावल धुले पानी में जायेफल घिसकर उसका लेप लगाने से भी सर दर्द में आराम देगा.

८. हरा धनिया कुचलकर उसका लेप लगाने से भी बहुत आराम मिलेगा.

९ .सफ़ेद  सूती कपडे को सिरके में भिगोकर माथे पर रखने से भी दर्द में राहत मिलेगी.

बालों की रूसी दूर करने के लिए

१. नारियल के तेल में निम्बू का रस पकाकर रोजाना सर की मालिश करें.

२. पानी में भीगी मूंग को पीसकर नहाते समय शेम्पू की जगह प्रयोग करें.

३. मूंग पावडर में दही मिक्स करके सर पर एक घंटा लगाकर धो दें.

४ रीठा पानी में मसलकर उससे सर धोएं.

५. मछली, मीट अर्थात nonveg त्यागकर केवल पूर्ण शाकाहारी भोजन का प्रयोग भी आपकी सर की रूसी दूर करने में सहायक होगा.

गैस व् बदहजमी दूर करने के लिए


१. भोजन हमेशा समय पर करें.

२. प्रतिदिन सुबह देसी शहद में निम्बू रस मिलाकर चाट लें.

३. हींग, लहसुन, चद गुप्पा ये तीनो बूटियाँ पीसकर गोली बनाकर छाँव में सुखा लें, व् प्रतिदिन एक गोली खाएं.

४. भोजन के समय सादे पानी के बजाये अजवायन का उबला पानी प्रयोग करें.

५. लहसुन, जीरा १० ग्राम घी में भुनकर भोजन से पहले खाएं.

६. सौंठ पावडर शहद ये गर्म पानी से खाएं.

७. लौंग का उबला पानी रोजाना पियें.

८. जीरा, सौंफ, अजवायन इनको सुखाकर पावडर बना लें,शहद के साथ भोजन से पहले प्रयोग करें.

वजन कम करना चाहते हैं तो खाइए देसी घी



घी का नाम सुनते ही मोटे होने का डर सताने लगता है। ऐसा लगता है कि घी खाने से मोटे हो जाएंगे।  इसीलिए लोग इसे सेहत के लिए नुकसानदेह मानते हैं और खाना बंद कर देते हैं, जबकि घी कई मायनों में हमारे शरीर के लिए फायदेमंद है। सीमित मात्रा में इसका सेवन करने से शरीर को कई पौष्टिक तत्व मिलते हैं।

लेकिन आपको यह जानकर बेहद हैरानी होगी कि घी सेहत के साथ-साथ वजन कम करने में भी मदद करता है। घी में कैलोरीज़ के साथ शॉर्ट चेन फैटी एसिड भी होते हैं, जिसके कारण यह पचाने में आसान होता है। इसके अलावा इसमें कई पोषक तत्व भी शामिल होते हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं और अगर आप अपना वजन जल्‍द कम करना चाहते हैं, तो अपने भोजन में घी को जरूर शामिल करें।

घी सिर्फ वजन घटाने में ही मदद नहीं करता है बल्कि कैंसर के खतरे को भी कम करता है। हाइड्रोजनीकरण से न बनने के कारण इससे शरीर में एक्स्ट्रा फैट नहीं बनता। इसके अलावा सीएलए इंसुलिन की मात्रा कम होने के कारण इससे वजन बढ़ने और शुगर जैसी दिक्कतें होने का खतरा बहुत कम रहता है।

घी की मात्रा
किसी भी आहार का सेवन संतुलित मात्रा में ही करना अच्‍छा रहता है और यह नियम घी पर भी लागू होता है। इसलिए न्यूट्रीशनिस्ट रोजाना दो चम्मच घी का सेवन करने की सलाह देते हैं।

घी खाने के अन्य फायदे-
1. यह इम्यून सिस्टम को स्ट्रॉन्ग करता है। जिससे इंफेक्शन और बीमारियों का खतरा कम होता है।
2. देसी घी में सूक्ष्म जीवाणु, एंटी-कैंसर और एंटी-वायरल गुण मौजूद होते हैं जो कई प्रकार की बीमारियों से    लड़ने में आपकी मदद करते हैं।
3. देसी घी एनर्जी बढ़ाने का एक अच्छा स्त्रोत है।
4. देसी घी खाने से जोड़ों का दर्द भी नहीं सताता।

Tuesday 6 October 2015

थायराइड के लक्षण और घरेलू उपचार

थायराइड की समस्या आजकल एक गंभीर समस्या बनी हुई है। थाइराइड गर्दन के सामने और स्वर तंत्र के दोनों तरफ होती है। ये तितली के आकार की होती है।

थायराइड दो तरह का होता है। हाइपरथायराइडिज्म और हाइपोथायराइड। पुरूषों में आजकल थायराइड की दिक्कत बढ़ती जा रही है। थायराइड में वजन अचानक से बढ़ जाता है या कभी अचानक से कम हो जाता है। इस रोग में काफी दिक्कत होती है।

आयुर्वेद में थायराइड को बढ़ने से रोकने के बेहद सफल प्रयोग बताएं गए हैं।

पुरूषों में थायराइड के लक्षण ( Thyriod Symptoms for men ) :

सामान्यत पुरूषों में थायराइड की समस्या के कुछ लक्षणों में सबसे पहला लक्षण है अचानक से वजन का बढ़ना या फिर अचानक से वजन का कम होना।
    
दूसरा मुख्य लक्षण है जल्दी ही थकान का लगना।
तीसरा लक्षण गर्दन में दर्द या सूजन का होना।
चौथा लक्षण है भूख न लगना और पसीना अधिक आना आदि।

थायराइड की समस्या को ठीक करने के प्राचीन आयुवेर्दिक उपाय :

अदरक

अदरक में मौजूद गुण जैसे पोटेशियम, मैग्नीश्यिम आदि थायराइड की समस्या से निजात दिलवाते हैं। अदरक में एंटी-इंफलेमेटरी गुण थायराइड को बढ़ने से रोकता है और उसकी कार्यप्रणाली में सुधार लाता है।

दही और दूध का सेवन

थायराइड की समस्या वाले लोगों को दही और दूध का इस्तेमाल अधिक से अधिक करना चाहिए। दूध और दही में मौजूद कैल्शियम, मिनरल्स और विटामिन्स थायराइड से ग्रसित पुरूषों को स्वस्थ बनाए रखने का काम करते हैं।

मुलेठी का सेवन

थायराइड के मरीजों को थकान बड़ी जल्दी लगने लगती है और वे जल्दी ही थक जाते हैं। एैसे में मुलेठी का सेवन करना बेहद फायदेमंद होता है। मुलेठी में मौजूद तत्व थायराइड ग्रंथी को संतुलित बनाते हैं। और थकान को उर्जा में बदल देते हैं। मुलेठी थायराइड में कैंसर को बढ़ने से भी रोकता है।

गेहूं और ज्वार का इस्तेमाल

थायराइड ग्रंथी को बढ़ने से रोकने के लिए आप गेहूं के ज्वार का सेवन कर सकते हो। गेहूं का ज्वार आयुर्वेद में थायराइड की समस्या को दूर करने का बेहतर और सरल प्राकृतिक उपाय है। इसके अलावा यह साइनस, उच्च रक्तचाप और खून की कमी जैसी समस्याओं को रोकने में भी प्रभावी रूप से काम करता है।

साबुत अनाज

जौ, पास्ता और ब्रेड़ आदि साबुत अनाज का सेवन करने से थायराइड की समस्या नहीं होती है क्योंकि साबुत अनाज में फाइबर, प्रोटीन और विटामिन्स आदि भरपूर मात्रा होता  है जो थायराइड को बढ़ने से रोकता है।

 फलों और सब्जियों का सेवन

थायराइड की परेशानी में जितना हो सके फलों  और सब्जियों का इस्तेमाल करना चाहिए। फल और सब्जियों में एंटीआक्सिडेंटस होता है। जो थायराइड को कभी बढ़ने नहीं देता है। सब्जियों में टमाटर, हरि मिर्च आदि का सेवन करें।

आयोडीन का प्रयोग

हाल ही में हुए नए शोध में यह बात सामने आई है कि आयोडिन में मौजूद पोषक तत्व थायराइड ग्रंथी की कार्यप्रणाली को ठीक रखता है।

थायराइड एक गंभीर समस्या है सही समय पर पता चलने से इसका बचाव किया जा सकता है। पुरूषों के पास समय का आभाव कम होता है लेकिन वे थायराइड के लक्षणों को नजरअंदाज न करें। समय पर जांच करवाते रहें और अपने खान पान में ध्यान दें।

वायरल फीवर का घरेलू उपचार



















मौसम के बदलने के समय वायरल फीवर होता है। जब भी मौसम बदलता है तब तापमान के उतार-चढ़ाव के कारण शरीर का इम्यून सिस्टम थोड़ा कमजोर हो जाता है। इस फीवर से बचने और निजात पाने के लिए दवाईयों के अलावा कई घरेलू उपाय हैं, जिससे जल्द राहत मिल जाती है।

सूखे अदरक का मिश्रण- अदरक के अनगिनत स्वास्थ्य संबंधी गुण होते हैं। इसका एन्टी- इन्फ्लैमटोरी और एन्टी-ऑक्सिडेंट गुण बुखार के लक्षणों से राहत दिलाने में सहायता करते हैं। सूखा अदरक, एक छोटा चम्मच हल्दी और एक छोटा चम्मच काली मिर्च का पावडर और थोड़ा-सा चीनी एक कप पानी में डालकर तब तक उबालें जब तक कि सुखकर आधा न हो जाये। दिन में चार बार इस काढ़े को पीने से बुखार से राहत मिलता है।

तुलसी- तुलसी का एन्टी बायोटीक और एन्टी बैक्टिरीअल गुण वायरल फीवर के लक्षणों से राहत दिलाने में बहुत मदद करते हैं। बीस ताजा तुलसी के पत्तों को एक लीटर पानी में एक चम्मच लौंग पावडर डालकर तब तक उबालें जब तक कि वह सुख कर आधा न हो जाये। उसके बाद उसको छानकर हल्का ठंडा करके दो घंटा के अंतराल में पीयें।

मेथी का जल- मेथी में बहुत सारे औषधिय गुण होते हैं जो वायरल फीवर के कष्टों से राहत दिलाने में सहायता करते हैं। एक कप पानी में एक बड़ा चम्मच मेथी के दाने रात भर भिगोकर रखें। अगले दिन सुबह इसको छानकर निश्चित अंतराल में इसका सेवन करें। सुबह मेथी के दाने, नींबू का रस और शहद के मिश्रण का सेवन करने से भी कुछ हद तक बुखार से राहत मिलता है।

धनिया चाय- धनिया में फाइटोनूट्रीअन्ट और विटामिन होता है जो प्रतिरक्षी तंत्र को उन्नत करने में बहुत सहायता करता है। धनिया प्राकृतिक तरीके से वायरल फीवर से लड़ने में मदद करता है। एक गिलास पानी में एक बड़ा चम्मच धनिया के दाने डालें और उसको थोड़ा उबाल लें। उसके बाद कप में छानकर स्वाद के अनुसार थोड़ा-सा दूध और चीनी डालकर पीने से बुखार से राहत मिलता है।

सोआ का काढ़ा- यह शरीर के प्रतिरक्षी तंत्र को तो उन्नत करता ही है साथ ही बुखार को कम करने में भी सहायता करता है। फल्वेनॉयड  और मोनोटर्पीन के गुण होने के कारण यह फीवर से राहत दिलाने में मदद कर पाता है। एक कप पानी में एक बड़ा चम्मच सोआ के दाने, एक छोटा चम्मच काली मिर्च और एक छोटा चम्मच कलौंजी डालकर दस मिनट तक उबालें। उबालने के बाद एक कप में छान लें और उसमें एक चुटकी दालचीनी का पावडर डालकर अच्छी तरह से मिला लें। काढ़ा को पीने से बुखार से राहत मिलेगी।

राइस स्टार्च- उपचार का यह तरीका बहुत पुराना है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थ को निकालने में बहुत मदद करता है। जिससे प्रतिरक्षी तंत्र को वायरस से लड़ने में शक्ति मिलती है। राइस स्टार्च पौष्टिकता से भरपूर होता है इसलिए इसके सेवन से रोगी को शक्ति मिलती है।

खाये आप अमरुद ये भी अौषिधि भी है .....!

* यह फल सभी के लिए निरापद है । मधुमेह का रोग हो या किडनी की परेशानी ; सभी बीमारियों में इसका सेवन बेझिझक किया जा सकता है ।

* यह त्रिदोष नाशक है । अर्थात वात पित्त और कफ का नाश करता है । विभिन्न प्रकार के रोग मात्र अमरुद से ही ठीक किए जा सकते हैं । यह हृदय को शक्ति प्रदान करता है और घबराहट और बेचैनी को दूर करता है ।

* यह फल मस्तिष्क को तुरन्त ताकत देता है । एक दो फल खाने के बाद पुन: शरीर और मस्तिष्क में स्फूर्ति वापिस आ जाती है । यह दाह नाशक है । हाथ , पैरों की जलन को समाप्त करता है । यह फल , कमजोरी और मूर्छा को ठीक कर देता है ।

* खाँसी होने पर , इसके कम पके फल के टुकड़े करके उनमे नमक लगाएँ और आग पर भूनें । फिर उस अमरुद को चबा चबाकर खाएँ । इस प्रकार करने से पुरानी से पुरानी खाँसी भी दूर हो जाती है ।

* लीवर Damage हो गया हो या भूख कम लगती हो ; तब भी अमरुद‬ को इसी प्रकार खाना चाहिए । खाना खाने से कुछ देर पहले इस फल को खाया जाए तो यह आँतों और liver के लिए बहुत अच्छा रहता है । खाने के बाद इस फल को खाया जाए तो विरेचन काफी अच्छा होता है परन्तु इसके लिए भोजन कम मात्रा में खाना होगा ।

* मसूढ़ों के दर्द के लिए इसके पत्तों का प्रयोग किया जा सकता है ।इसके पत्तों को कूटकर उसमें नमक और लौंग मिलाकर उबाल लें । इस पानी से गरारे और कुल्ले करें । इससे मुख की दुर्गन्ध भी दूर होगी और मुँह के छाले भी ठीक हो जायेंगे ।

* मुंह में छाले हो गए हों तो इसकी कोमल पत्तियाँ चबाएँ । इन्हें निगल भी सकते हैं । तब भी यह लाभ ही करेंगी ।
* खाँसी या कफ होने पर इसके पत्तों का काढ़ा पीएँ । सूखे पत्तों का काढ़ा भी खांसी को ठीक करता है । यह काढ़ा बुखार को भी ठीक करता है ।

* अपचन होने पर इसकी छाल , पत्तियां और सौंठ मिलाकर काढ़ा बनाएँ और सवेरे शाम पीएँ ।

* संग्रहणी या अतिसार की समस्या से भी यह काढ़ा मुक्ति दिलाता है ।

* इसके ताज़े या सूखे पत्तों में तुलसी मिलाकर चाय भी बनाई जा सकती है । यह बहुत लाभप्रद होती है । 

* छोटे बच्चों को colitis की समस्या हो तो इसकी जड़ का छिलका 2 ग्राम लेकर उसका काढ़ा बनाकर दे सकते हैं ।

* अमरुद के सेवन से पुराने से पुरानी अतिसार की समस्या ठीक हो जाती है ।

* पेट में कीड़े हों तो नमक के साथ #अमरुद का सेवन करें ।

* भांग का नशा चढ़ गया हो तो इसके पत्तों का रस पिला दें या फिर अमरुद खिलाने से भी भाँग का नशा उतर जाता है ।

किशमिश खाने के फायदे

अंगूर को जब विशेषरूप से सुखाया जाता है तब उसे किशमिश कहते हैं। अंगूर के लगभग सभी गुण किशमिश में होते हैं। यह दो प्रकार का होता हैं। लाल और काला। किशमिश खाने से खून बनता है, वायु दोष दूर होता हैं। पित्त दूर होता है, कफ दूर होता, और हृदय के लिये बड़ा हितकारी तथा हार्ट अटैक को दूर रखने में मदद करता है।
 
किशमिश के स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक गुड:-
 
 1. कब्‍ज - 

जब किशमिश को खाई जाती है तो यह पेट में जा कर पानी को सोख लेती हैं। जिस वजह से यह फूल जाती है और कब्‍ज में राहत दिलाती है।

2. वजन बढाए- 

हर मेवे की तरह किशमिश भी वजन बढाने में मददगार साबित होती है क्‍योंकि इसमें फ्रकटोज़ और ग्‍लूकोज़ पाया जाता है जिससे एनर्जी मिलती है। अगर आपको भी अपना वजन बढाना है और वो भी कोलेस्‍ट्रॉल बढाए बिना तो आज से ही किशमिश खाना शुरु कर दें।

3. अम्लरक्तता- 

जब खून में एसिड बढ जाता है तो यह परेशानी पैदा हो जाती है। इसकी वजह से स्‍किन डिज़ीज, फोडे़, गठिया, गाउट, गुर्दे की पथरी, बाल झड़ने, हृदय रोग, ट्यूमर और यहां तक कि कैंसर होने की संभावना पैदा हो जाती है। किशमिश में अच्‍छी मात्रा में पोटैशियम और मैगनीशियम पाया जाता है जिसको खाने से अम्लरक्तता की परेशानी दूर हो जाती है।

4. एनीमिया- 

किशमिश में भारी मात्रा में आयरन होता है जो कि सीधे एनीमिया से लड़ने की शक्‍ति रखता है। खून को बनाने के लिये विटामिन बी कॉमप्‍लेक्‍स की जरुरत को भी यही किशमिश पूरी करती है। कॉपर भी खून में लाल रक्‍त कोशिका को बनाने का काम करता है।

5. बुखार- 

किशमिश में मौजूद फिनॉलिक पायथोन्‍यूट्रियंट जो कि जर्मीसाइडल, एंटी बॉयटिक और एंटी ऑक्‍सीडेंट तत्‍वों की वजह से जाने जाते हैं, बैक्‍टीरियल इंफेक्‍शन तथा वाइरल से लड़ कर बुखार को जल्‍द ठीक कर देते हैं।

6. शराब के नशे से छुटकारा- 

शराब पीने की इच्छा हो तब शराब की जगह 10 से 12 ग्राम किशमिश चबा-चबाकर खाते रहें या किशमिश का शरबत पियें। शराब पीने से ज्ञानतंतु सुस्त हो जाते हैं परंतु किशमिश के सेवन से शीघ्र ही पोषण मिलने से मनुष्य उत्साह, शक्ति और प्रसन्नता का अनुभव करने लगता है। यह प्रयोग प्रयत्नपूर्वक करते रहने से कुछ ही दिनों में शराब छूट जायेगी।

7. यौन दुर्बलता- 

इस समस्‍या के लिये रोजाना किशमिश खाएं क्‍योंकि यह कामेच्छा को प्रोत्साहित करती है। इसमें मौजूद अमीनो एसिड, यौन दुर्बलता को दूर करता है। इसीलिये तो शादी-शुदा जोडों को पहली रात दूध का गिलास दिया जाता है जिसमें किशमिश और केसर होता है।

8. हड्डी की मजबूती- 

किशमिश में बोरोन नामक माइक्रो न्‍यूट्रियंट पाया जाता है जो कि हड्डी को कैल्‍शियम सोखने में मदद करता है। बोरोन की वजह से ऑस्‍टियोप्रोसिस से बडी़ राहत मिलती है साथ ही किशमिश खाने से घुटनों की भी समस्‍या नहीं पैदा होती।

9. आंखों के लिये- 

इसमें एंटी ऑक्‍सीडेंट प्रोपर्टी पाई जाती है, जो कि आंखों की फ्री रैडिकल्‍स से लड़ने में मदद करता है। किशमिश खाने से कैटरैक, उम्र बढने की वजह से आंखों की कमजोरी, मसल्‍स डैमेज आदि नहीं होता। इसमें विटामिन ए, ए-बीटा कैरोटीन और ए-कैरोटीनॉइड आदि होता है, जो कि आंखों के लिये अच्‍छा होता है।

सफ़ेद दाग

सफ़ेद दाग White skin Patch (Vitiligo) के लिए घरेलू उपचार :-
एलोवेरा जेल आधा कप मात्रा में रोज सुबह लेते रहने से सफ़ेद दाग नियंत्रण में आ जाते हैं।
गोभी के पत्तो का रस निकालकर उसे प्रभावित जगहो पर लगाए
1 चम्मच चावल का पाउडर के प्रत्येक, चंदन पाउडर और हल्दी पाउडर के साथ मिश्रण शहद के 2 tablespoons. 

यह आपके चेहरे पर लगाए और 10 मिनट के बाद धो डालें. यह एक सफाई एजेंट के रूप में कार्य और सफेद धब्बे की उपस्थिति को रोकेगा.

सर्जरी के बिना तिल को हटाने के घरेलू उपाय

तिलों को हटाने के लिए सर्जरी की सलाह दी जाती है लेकिन आप घबराइए नहीं क्‍योंकि कुछ घरेलू उपायों को अपनाकर भी इस समस्‍या को दूर किया जा सकता है।
1
तिल को दूर करने के उपाय

चेहरे पर एक छोटा सा तिल किसी की भी खूबसूरती में चार चांद लगा सकता है। लेकिन तिल का बहुत अधिक संख्‍या में या बड़ा-बड़ा होना खूबसूरती को कम करने के अलावा परेशानी का सबब भी हो सकता है। अक्‍सर तिलों को हटाने के लिए सर्जरी की सलाह दी जाती है लेकिन आप घबराइए नहीं क्‍योंकि कुछ घरेलू उपायों को अपनाकर भी इस समस्‍या को दूर किया जा सकता है
2
लहसुन


लहसुन के पेस्‍ट को रोज रात को सोने से पहले तिल पर लगाकर किसी बैंडेज से बांध कर छोड़ दें। सुबह त्‍वचा को हल्‍के गर्म पानी से धो लें। कुछ दिनों तक इस प्रक्रिया को दोहराने से चेहरे के तिल निकल जाते हैं।

3
केला


तिलों को हटाने के लिए केले का छिलका बहुत फायदेमंद होता है। इसके लिए केले के छिलके को छिली हुई तरफ से तिल पर रखकर बांध लें। कुछ ही दिनों के इस्‍तेमाल के बाद तिल सूखकर निकल जाएगा।

4
बेकिंग सोड़ा


एक चुटकी बेकिंग सोड़ा में कुछ बूंदें अरंडी के तेल की मिलाकर पेस्‍ट बना लें। इस पेस्‍ट को तिलों पर लगाकर रातभर के लिए छोड़ दें। और सुबह होते ही साफ करें। इस प्रक्रिया को कुछ दिन करने से ही आपको फर्क दिखने लगेगा।

5
फूलगोभी


फूलगोभी खाने में स्‍वादिष्ट और स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक होने के अलावा तिल को साफ करने में भी काफी कारगर होती है। घर में इसका रस बनाकर, नियमित रूप से तिल वाले स्‍थान पर लगाए। इससे कुछ ही दिनों में धीरे-धीरे तिल गायब हो जाएंगें।

6
हरा धनिया


धनिये की पत्तियों का पेस्‍ट बना कर उसे अपने तिल पर लगाए। इससे तिल को दूर होने में थोडा समय जरूर लगेगा। लेकिन यह आपके तिल को हमेशा के लिए मिटा देगा।

7
स्ट्रॉबेरी


स्ट्रॉबेरी आइस‍क्रीम और शेक को स्‍वादिष्‍ट बनाने के अलावा तिल को दूर करने में भी मदद करती है। तिल को दूर करने के लिए स्ट्रॉबेरी को बीच से काटें और तिल पर लगाएं। कुछ दिनों तक इसे दोहराएं, फिर देखें कैसे आपके तिल निकलने लगते हैं।

8
सेब साइडर सिरका


सेब के सिरके का उपयोग कर बिना किसी निशान के तिल से मुक्ति पाई जा सकती है। इसके लिए रूई के एक फोहे पर कुछ बूंद सेब साइडर सिरका डालें। अब इस फोहे को तरल के चारों तरफ लगाएं और पट्टी बांध दें। अब इसे लगभग एक घंटे के लिए ऐसे ही छोड़ दें। ऐसा तब तक करें जब तक कि तिल गायब नहीं हो जाते।

9
अंगूर


ताजा अंगूर लेकर उसका रस निकाल लें। अब कई दिनों तक दिन में कई बार जूस को निकालकर तिलों पर लगाएं। दो हफ्तों से एक महीने के भीतर तिल जाने लगते हैं।

10

थोडा सा शहद और सनबीज के तेल लेकर मिला लें। इस मिश्रण को नियमित रूप से 5 मिनट तिल पर रगड़ने से त्‍वचा के चमकने के साथ-साथ तिल भी गायब हो जाएगें।

लहसुन के इतने सारे फायदे, आप भी जान जाइए........

 


कोलेस्ट्रॉल बढ़ रहा हो या डायबिटीज के मरीज हों, डाइट में लहसुन का सेवन न सिर्फ सर्दियों बल्कि हर मौसम में बेहद फायदेमंद है। लहसुन के फायदे के बारे में आयुर्वेद के साथ-साथ अब एलोपैथिक विशेषज्ञ भी समझते हैं। यही वजह है कि चिकित्सक अक्सर डाइट में लहसुन के सेवन को फायदेमंद बताते हैं। आइए जानें क्या हैं 

लहसुन खाने के फायदे।

दिल की सेहत के लिए खाएं लहसुन

लहसुन खाने से न सिर्फ बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है ‌बल्कि आबपका दिल भी हमेशा फिट रहता है। इसमें ऐसे तत्व होते हैं जो शरीर में गुड कॉलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाते हैं जिनसे बैड कोलेस्ट्रॉल को खत्म करने में आसानी होती है। हाइपरटेंशन और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को प्रतिदिन कम से कम लहसुन के दो जवे जरूर खाने चाहिए। इसमें मौजूद एलिसिन नामक तत्व हाई बीपी को सामान्य करने में मददगार है।

ब्लड क्लॉटिंग से बचाता है लहसुन

लहसुन का सेवन उन लोगों के लिए भी बहुत फायदेमंद हैं जिनका खून अधिक गाढ़ा होता है। यह ब्लड क्लॉटिंग को रोकता है, खून पतला करता है और रक्त प्रवाह सुचारू करता है।

कैंसर से लड़ने में मददगार है लहसुन

लहसुन शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाता है और कैंसर जैसे गंभीर रोग से लड़ने में शरीर की मदद करता है। चिकित्सिक पैनिक्रयाज, कोलोक्टोरल, ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर में लहसुन के कच्चे जवे खाने की सलाह देते हैं।

संक्रमण से बचाता है लहसुन

लहसुन के सेवन से शरीर में टी-सेल्स, फैगोसाइट्स, लिंफोसाइट्स आदि प्रतिरोधी तत्व बढ़ते हैं और शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ जाती है। इससे किसी भी प्रकार के संक्रमण का प्रभाव शरीर को तुरंत नहीं होता।

ठंड से छुटकारे के लिए नैचुरल एंटीबायोटिक

कई शोधों में अब यह बात पूरी तरह प्रमाणित हो चुकी है कि ठंड के दिनों में लहसुन के सेवन से सर्दी नहीं लगती। ठंड के दिनों में गाजर, अदरक और लहसुन का जूस बनाकर पीने से शरीर को एंटीबायोटिक्स मिलते हैं और ठंड कम लगती है।

दांतों के दर्द में फायदेमंद

आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन लहसुन के सेवन से दांतों के दर्द में आराम मिलता है। लहसुन को लौंग के साथ पीसकर दांतों के दर्द वाले हिस्से पर लगाने से दर्द से तुरंत राहत मिलती है।

गर्भावस्था में फायदेमंद

गर्भावस्था के दौरान लहसुन का नियमित सेवन मां और शिशु, दोनों के स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है। यह गर्भ के भीतर शिशु के वजन को बढ़ाने में सहायक है।

सीने में जलन हो तो ये घरेलू इलाज करे




अनियमित दिनचर्या व खानपान के कारण कई लोगों को सीने में जलन या एसिडिटी की समस्या सताने लगती है। अगर आपको भी एसिडिटी के कारण होने वाली जलन परेशान कर रही है तो अपनाइए नीचे लिखे घरेलू उपाय...

ये आपको सीने की जलन से जल्द ही राहत दिलवा देंगे।
 

-ताजा पुदीने के रस का रोज सेवन करना है।

-एक ग्लास पानी में दो चम्मच सेब का सिरका तथा दो चम्मच शहद मिलाकर खाने से पहले सेवन करें, यह भी एक बेहतरीन उपाय है ।

-खाना के बाद आधा चम्मच सौंफ चबाएं।

-भोजन के पहले अलोवेरा जूस का सेवन करें ।

-अदरक का प्रयोग भरपूर मात्रा में करें। पीसी हुई अदरक चाय में प्रयोग करने से भी सीने की जलन कम होती है।

-मुहं में एक लौंग रखकर धीरे धीरे चूसें।

-तुलसी के पत्ते चबाने से भी काफी लाभ मिलता है ।

-खाने से एक दो घंटे पहले नींबू के रस में काला नमक मिलाकर पीने से भी सीने की जलन में लाभ मिलता है।

नींबू का प्रयोग भोजन में ज्यादा करें।

-मूली का सेवन करने से भी लाभ मिलता है।

-मूली का रस पीने से भी लाभ मिलता है।

-हरड़ का टुकड़ा चबाना भी एक बहुत ही पुराना उपाय है।

-नारियल पानी का सेवन करें।

अगर आपको नींद नहीं आती है तो अपनाएं ये उपाय

क्या आपको रात में नींद ठीक से नहीं आती? या फिर एक बार नींद खुल जाने के बाद दोबारा नींद ही नहीं आती? कहते हैं मेहनत करने के बाद नींद अच्छी आती है लेकिन बदलती जीवनशैली में भागदौड़ और तनाव भरी दिनचर्या के बाद भी कई बार हमें नींद नहीं आने की शिकायत होती है फिर भी हम इसकी अनदेखी करते हैं। कई बार नींद न आने की समस्या इतनी गंभीर हो जाती है कि यह हमारी मानसिक सेहत को प्रभावित कर सकती है। ऐसे में अगर आप भी नींद से संबंधित ऐसी ही किसी समस्या से जूझ रहे हैं तो ये उपाय जरूर अपनाएं।

समय निर्धारित करें

भले ही आपका रुटीन कितना भी व्यस्त क्यों न हो लेकिन अच्छी नींद आए इसके लिए सबसे जरूरी है कि आप अपने सोने का एक समय तय करें। इससे आपके शरीर के सोने और उठने का चक्र संतुलित हो जाता है। शुरुआत में भले ही आपको थोड़ी दिक्कत होगी लेकिन नियमित रूप से एक निर्धारित समय पर अगर आप सोने की कोशिश करेंगे तो यह आपकी दिनचर्या में शामिल हो जाएगा।

बेडरूम साफ रखें

अच्छी नींद और सुकून के बीच बहुत गहरा संबंध है। अगर आपके सोने का कमरा स्वच्छ होगा तो मन शांत रहेगा और नींद आसानी से आएगी। गहरी नींद के लिए आप बेडरूम में हल्का इंस्ट्रयूमेंटल म्यूजिक भी चला सकते हैं जिससे मानसिक शांति मिलेगी और नींद जल्दी आएगी।

इनसे बरतें दूरी

दिन भर काम करने के बाद अगर आप अपने आराम के क्षणों में भी कंप्यूटर या टीवी से चिपके रहते हैं तो इनसे थोड़ी दूरी बना लें। कम से कम सोने के पहले कंप्यूटर पर काम करने से तो परहेज करना शुरू ही कर दें। इसके अलावा, चाय और कॉफी जैसे पेय भी रात में न लें। बहुत अधिक मसालेदार और हैवी भोजन रात में करें।

फायदेमंद डाइट

सोने से पहले एक ग्लास गर्म दूध लें। अनिद्रा से छुटकारे के लिए यह नुस्खा बहुत कारगर है। इसके अलावा, आप चेरी, खसखस, मेवे आदि का भी सेवन कर सकते हैं। आयुर्वेदिक उपचार भी इस दिशा में कारगर है। आयुर्वेद बबूने के सूखे फूल (कैमोमाइल फ्लॉवर), लैवेंडर आदि के उपयोग की सलाह देता है, लेकिन इसके लिए पहले चिकित्सक से परामर्श लें। सोने से पहले ढेर सारा पानी पीएं।

तलवे की मसाज

सोने से पहले हाथ-पैर साफ करें और फिर अपने तलवों की मसाज करें। इससे शरीर का रक्त प्रवाह सही रहता है और थकान दूर होती है। अच्छी नींद के लिए रोज सोने से पहले इस मसाज से आपकी अनिद्रा की समस्या दूर हो जाएगी।

योग भी मददगार

वैसे तो सेहतमंद शरीर के लिए योग और व्यायाम कारगर माना ही जाता है पर कुछ ऐसे भी योग हैं जिन्हें करने से नींद अच्छी आती है। जैसे शवासन, वज्रासन, भ्रामरी प्राणायम आदि। इन्हें नियमित रूप से करने से अनिद्रा की समस्या से भी छुटकारा मिलेगा और थकान पूरी तरह दूर होगी।

आंवला

 

आंवले को आयुर्वेद में गुणों की खान माना गया है। यह कई बीमारियों को दूर करता है। इसका अपना पौष्टिक महत्व भी है। संतरे से बीस गुना ज्यादा विटामिन सी इसमें पाया जाता हैं। आंवले को गूजबेरी के नाम से भी जाना जाता हैं। आंवले का सबसे बड़ा गुण यह है कि इसे पकाने के बाद भी इसमें मौजूद विटामिन सी खत्म नहीं होता।आज हम आपको बताने जा रहे हैं आंवले के कुछ ऐसे ही पौष्टिक गुणों के बारे में......

-आंवला मोतियाबिंद की परेशानी में फायदेमंद रहता है।

- सुबह नाश्ते में आंवले का मुरब्बा खाने से आप स्वस्थ बने रह सकते हैं।

- आंवला हमारी आंखों के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है।

- आंवला हमारे पाचन तन्त्र और हमारी किडनी को स्वस्थ रखता है।

- आंवला अर्थराइटिस के दर्द को कम करने में भी सहायक होता है।

- आंवला खाने से सर्दी, खांसी, जुकाम जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है।

- दिल को सेहतमंद रखने के लिए रोजा आंवला खाने की आदत डालें। इससे आपके दिल की मांसपेशियां मजबूत होंगी।

- आंवला बालों को मजबूत बनाता है, इनकी जड़ों को मजबूत करता है और बालों का झडऩा भी काफी हद तक रोकता है।

- आंवला खाने से कब्ज दूर होती है। यह डायरिया जैसी परेशानियों को दूर करने में बहुत फायदेमंद है।

- एसीडिटी की समस्या है, तो एक ग्राम आंवला पाउडर और थोड़ी-सी चीनी को एक गिलास पानी या दूध में मिलाकर लें।

- आंवला खाने को अच्छी तरह पचाने में मदद करता है, जिससे आपको खाने के तमाम न्यूट्रिएंट्स मिलते हैं।

डायबिटीज की एक महाखोज





अश्वगंधा के फायदे

अश्वगंधा

यह पौधा तुम्हें आसानी से किसी भी आसपास की नर्सरी से मिल जाएगा। यह झाड़ीधार पौधा होता है।  अश्वगंधा के बीज, फल और छाल का उपयोग कई तरह की बीमारियों के इलाज में किया जाता है।

अश्वगंधा के फायदे

इसे पीसकर लेप बनाकर लगाने से शरीर की सूजन और फुंसी-फोड़े कम होते हैं।

इसकी पत्तियों को पीसकर उसे घी, शहद के साथ मिलाकर खाने से तुम्हें कोई भी बीमारी नहीं होगी।

अगर किसी को स्किन की बीमारी है तो उसके लिए यह पेड़ बहुत फायदेमंद है।

अगर तुम्हारे घर में किसी को हाई ब्लडप्रेशर की समस्या है तो उसे तुम दूध में अश्वगंधा का चूर्ण मिलाकर देने के लिए मम्मी को कहो, ऐसा करने से बीपी यानी ब्लड प्रेशर नॉर्मल हो जाता है।

इसके तेल से मालिश करने से ताकत आती है।

अगर तुम्हारे घर में कोई बुजुर्ग रहते हैं तो उनके लिए भी अश्वगंधा काफी लाभदायक है।

अश्वगंधा चूर्ण को रोज दूध के साथ लेना चाहिए। इससे दिमाग तेज होता है।

एलोवेरा

यह एक ऐसा पेड़ है, जो अभी पिछले कुछ सालों से बड़ा प्रसिद्ध हो गया है। तुम्हें इसके बने प्रोडक्ट हर मॉल, शॉप में खूब देखने को मिलेंगे। दरअसल एलोवेरा बड़ा अच्छा पौधा है। इसकी पत्तियां काफी मोटी-मोटी होती हैं। पत्तियों के ऊपर का छिलका हटाने पर इसमें से गूदा निकलता है, जिसका इस्तेमाल दवाएं बनाने में खासतौर पर किया जाता है। तुम्हें जानकर हैरानी होगी कि एलोवेरा का यह पौधा तुम्हारी चोट को ठीक कर सकता है। अब तुम पूछोगे कैसे? अरे भई, इसके गूदे को घाव भरने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। अगर तुम अपनी चोट पर इसे पीसकर लगा लो, तो वो दर्द नहीं करेगी और कुछ ही दिनों में ठीक भी हो जाएगी। इसके गूदे को आंखों के ऊपर लगाओगे तो आंखों को आराम मिलता है और कमजोर भी नहीं होतीं। इसकी पत्तियों के किनारों पर कांटे होते हैं। इन कांटों को चाकू से छीलकर निकाल देने के बाद पत्तियों को सलाद के रूप में भी खा सकते हो।

एलोवेरा के फायदे

सर्दी में पत्तियों को गर्म करके उसका रस निकालकर शहद के साथ खाओगे तो खांसी में खूब आराम मिलता है।

अगर कोई जल जाता है तो इसके पत्तों को पीसकर लगाने से ठंडक मिलती है और जले का निशान भी मिट जाता है।

चेहरे के कील, मुहांसे हटाता है। एलोवेरा का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है।

नीम के फायदे

हरियाली सबको भाती है, तुमको भी। जिस पार्क में खूब पेड़-पौधे लगे होते हैं, वहां खेलने में खूब मजा आता है। है ना! लेकिन अनेक पौधे ऐसे भी होते हैं, जिनका अलग-अलग ढंग से प्रयोग करके तुम सेहत भी चुस्त-दुरुस्त रख सकते हो। ऐसे ही पौधों को इस बार लगाओ भी। ये कौन से पौधे हैं, बता रहे हैं विजय मिश्र

नीम

इस पेड़ से तो तुम वाकिफ हो। इसे जादुई पेड़ भी कहा जाता है। भारत में इसे कहीं-कहीं निंबा के नाम से भी जाना जाता है। यह पेड़ 100 फीट तक लंबा हो सकता है। यूं तो नीम का पेड़ पूरे भारत में पाया जाता है, लेकिन यह देश के कुछ जाने-माने पार्को में भी बहुतायत में मिलते हैं, जिनमें रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान, बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान, मृगवानी राष्ट्रीय उद्यान, बानेरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान, ग्विन्डी राष्ट्रीय उद्यान और सरिस्का वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी प्रमुख हैं।

नीम के बारे में कहा जाता है कि ‘एक नीम और सौ हकीम’ दोनों बराबर हैं। इसमें कई तरह के कड़वे परन्तु स्वास्थ्यवर्धक पदार्थ होते हैं, जिनमे मागरेसिन, निम्बिडीन, निम्बेस्टेरोल प्रमुख हैं। इनका साबुन, क्रीम, पेस्ट आदि में प्रयोग किया जाता है।

नीम की छाल में ऐसे गुण होते हैं, जो दांतों और मसूढ़ों में लगने वाले तरह-तरह के बैक्टीरिया को पनपने नहीं देते हैं, जिससे दांत स्वस्थ व मजबूत रहते हैं। यह पेड़ बीमारियों से आजाद होता है और उस पर कोई कीड़ा-मकौड़ा नहीं लगता, इसलिए नीम को आजाद पेड़ भी कहा जाता है। नीम के तेल से मालिश करने से कई तरह के त्वचा रोग ठीक हो जाते हैं। चेचक होने पर रोगी को नीम की पत्तियां बिछाकर उस पर लिटाने से काफी लाभ होता है।

कितने सारे नीम के फायदे

नीम की दातुन करने से दांत व मसूढ़े मजबूत होते हैं और दांतों में कीड़ा नहीं लगता। यही नहीं, मुंह से बदबू आना भी बंद हो जाती है।

नीम के पत्ते जलाकर रात को धुआं करने से मच्छर मर जाते हैं और मलेरिया नहीं होता।

नीम के फल और उसकी पत्तियों से निकाले गये तेल से मालिश की जाये तो तुम बॉडी बिल्डर बन जाओगे।

नीम से बनाया गया लेप बालों में लगाने से बाल स्वस्थ रहते हैं और कम झड़ते हैं।

नीम की पत्तियों का रस आंख लाल होने की बीमारी में काम आता है।

नीम के तेल की 5-10 बूंदों को सोते समय दूध में डालकर पीने से ज्यादा पसीना नहीं आता।

नीम की जड़ को पानी में उबालकर पीने से बुखार दूर हो जाता है।

नीम की छाल के काढ़े में धनिया और सौंठ का चूर्ण मिलाकर पीने से मलेरिया में फायदा होता है।

तुलसी

हमारे देश में तुलसी का खास स्थान है। तुमने अपने घरों में तुलसी की पूजा भी होते देखी होगी। तुलसी का पौधा हमारे आसपास की हवा को शुद्ध बनाता है। बैक्टीरिया को नष्ट करता है। तुम्हारी नानी कहती होंगी न कि तुलसी की एक पत्ती रोज खाने से कभी बुखार नहीं होता और सभी रोग दूर रहते हैं। यह सच है। तुलसी हमारी रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाती है। भारत के हर भाग में तुलसी के पौधे पाये जाते हैं। इसका पौधा बड़ा पेड़ नहीं बनता, बल्कि डेढ़ या दो फुट तक ही बढ़ता है। इसकी जड़ें धरती की गहराई तक जाकर पानी खींच नहीं सकतीं। तुलसी की लगभग 60 प्रजातियां एशिया, अफ्रीका, अमेरिका तथा अन्य देशों मे उगाई जाती हैं। तुलसी को तुम मार्च से जून महीने के बीच में लगा सकते हो। सितम्बर और अक्टूबर में यह बढ़ती है। तुलसी कई तरह की होती है, जैसे काली तुलसी, मीठी तुलसी, सफेद तुलसी, कपूर तुलसी, श्याम तुलसी, जंगली तुलसी। तुम्हें जानकर हैरानी होगी कि तुलसी का तेल कई तरह से फायदेमंद होता है। तुलसी का इस्तेमाल खुशबू बनाने के लिए, खांसी और कफ की दवा बनाने में होता है।

क्या हैं तुलसी के फायदे

तुम रोज सुबह जो टूथपेस्ट करते हो न, उसमें तुलसी का प्रयोग होता है। इसके अलावा माउथवाश में इसे डाला जाता है।

तुलसी के पत्ते हर तरह की बीमारी की दवा बनाने में काम आते हैं।

तुलसी का इस्तेमाल करने से लर्निंग पावर बढ़ती है।

यह तुम्हारी याद रखने की शक्ति, दिल की बीमारियों, कफ, सांस के रोग, खून की कमी को ठीक करने में लाभदायी है।

खांसी, जुकाम में राहत देती है।

सर्दियों में बादाम से ज्यादा असरदार है चना, रोज खाएंगे तो होंगे ये ढेरों फायदे

सर्दियों में रोजाना 50 ग्राम चना खाना शरीर के लिए बहुत लाभकारी होता है। आयुर्वेद मे माना गया है कि चना और चने की दाल दोनों के सेवन से शरीर स्वस्थ रहता है। चना खाने से अनेक रोगों की चिकित्सा हो जाती है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, नमी, चिकनाई, रेशे, कैल्शियम, आयरन व विटामिन्स पाए जाते हैं। चने का गरीबों का बादाम कहा जाता है, क्योंकि ये सस्ता होता है लेकिन इसी सस्ती चीज में बड़ी से बड़ी बीमारियों की लड़ने की क्षमता है। चने के सेवन से सुंदरता बढ़ती है साथ ही दिमाग भी तेज हो जाता है। मोटापा घटाने के लिए रोजाना नाश्ते में चना लें। अंकुरित चना 3 साल तक खाते रहने से कुष्ट रोग में लाभ होता है। गर्भवती को उल्टी हो तो भुने हुए चने का सत्तू पिलाएं। चना पाचन शक्ति को संतुलित और दिमागी शक्ति को भी बढ़ाता है। चने से खून साफ होता है जिससे त्वचा निखरती है।

सर्दियों में चने के आटे का हलवा कुछ दिनों तक नियमित रूप से सेवन करना चाहिए। यह हलवा वात से होने वाले रोगों में व अस्थमा में फायदेमंद होता है।

रात को चने की दाल भिगों दें सुबह पीसकर चीनी व पानी मिलाकर पीएं। इससे मानसिक तनाव व उन्माद की स्थिति में राहत मिलती है। 50 ग्राम चने उबालकर मसल लें। यह जल गर्म-गर्म लगभग एक महीने तक सेवन करने से जलोदर रोग दूर हो जाता है।

चने के आटे की की नमक रहित रोटी 40 से 60 दिनों तक खाने से त्वचा संबंधित बीमारियां जैसे-दाद, खाज, खुजली आदि नहीं होती हैं। भुने हुए चने रात में सोते समय चबाकर गर्म दूध पीने से सांस नली के अनेक रोग व कफ दूर हो जाता हैं।

25 ग्राम काले चने रात में भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करने से डायबिटीज दूर हो जाती है। यदि समान मात्रा में जौ चने की रोटी भी दोनों समय खाई जाए तो जल्दी फायदा होगा।

चने को पानी में भिगो दें उसके बाद चना निकालकर पानी को पी जाएं। शहद मिलाकर पीने से किन्हीं भी कारणों से उत्पन्न नपुंसकता समाप्त हो जाती है।

हिचकी की समस्या ज्यादा परेशान कर रही हो तो चने के पौधे के सूखे पत्तों का धुम्रपान करने से शीत के कारण आने वाली हिचकी तथा आमाशय की बीमारियों में लाभ होता है।

पीलिया में चने की दाल लगभग 100 ग्राम को दो गिलास जल में भिगोकर उसके बाद दाल पानी में से निकलाकर 100 ग्राम गुड़ मिलाकर 4-5 दिन तक खाएं राहत मिलेगी।

देसी काले चने 25-30 ग्राम लेकर उनमें 10 ग्राम त्रिफला चूर्ण मिला लें चने को कुछ घंटों के लिए भिगो दें। उसके बाद चने को किसी कपड़े में बांध कर अंकुरित कर लें। सुबह नाश्ते के रूप में इन्हे खूब चबा चबाकर खाएं।

बुखार में ज्यादा पसीना आए तो भूने को पीसकर अजवायन और वच का चूर्ण मिलाकर मालिश करनी चाहिए।

चीनी के बर्तन में रात को चने भिगोकर रख दे। सुबह उठकर खूब चबा-चबाकर खाएं इसके लगातार सेवन करने से वीर्य में बढ़ोतरी होती है व पुरुषों की कमजोरी से जुड़ी समस्याएं खत्म हो जाती हैं। भीगे हुए चने खाकर दूध पीते रहने से वीर्य का पतलापन दूर हो जाता है।

दस ग्राम चने की भीगी दाल और 10 ग्राम शक्कर दोनों मिलाकर 40 दिनों तक खाने से धातु पुष्ट हो जाती है।

गर्म चने रूमाल या किसी साफ कपड़े में बांधकर सूंघने से जुकाम ठीक हो जाता है। बार-बार पेशाब जाने की बीमारी में भुने हूए चनों का सेवन करना चाहिए। गुड़ व चना खाने से भी मूत्र से संबंधित समस्या में राहत मिलती है। रोजाना भुने चनों के सेवन से बवासीर ठीक हो जाता है।

Saturday 3 October 2015

अगर आपके बाल झड़ रहे हैं

अगर आपके बाल झड़ रहे हैं और आप गंजे हो रहे हैं तो डरिए मत. यहां जानिए ऐसे उपायों के बारे में, जिसके इस्तेमाल से आपके झड़ते बाल रुक सकते हैं.

1. खुराक सही करो. अच्छे बाल, अच्छी सेहत पर सजते हैं. प्रोटीन रिच फूड खाओ. दूध, मछली, पनीर वगैरह.

2. गीले बालों को रगड़कर न सुखाएं. कंघी भी सूखने के बाद ही करें.

3. बालों में तेल की मसाज करें. मसाज के दौरान अंगलियों सिर की सतह पर रगड़ें. बालों पर नहीं.

4. पतले बाल हैं तो ऑलिव ऑयल यूज करें. कई लोग सरसों के तेल में मेथी गरम करने को भी लाभप्रद बताते हैं.

5. ऑयल न तो सामान्य तापमान पर हो और न ही बहुत गरम. गुनगुना सा हो.

6. प्याज का रस लगाएं. आधा घंटा बाद धो लें. इससे सिर की सतह बेहतर होगी बाल जमने के लिए.

7. शीर्षासन करें. सिर में रक्त का प्रवाह बेहतर होगा. बाकी एक्सरसाइज भी अच्छी ही है. नुकसान तो नहीं ही करेगी.

8. मुल्तानी मिट्टी लगाएं. बालों का टेकश्चर बेहतर होता है. चमक बढ़ती है.

9. आंवला और शिकाकाई को लोहे की कड़ाही में भिगो दें. दो दिन बाद उसे निकाल कर पीस लें. बीज निकाल दें. फिर इस घोल में कुछ मेंहदी भी मिला लें. सिर पर लगाएं. तीन चार घंटे बाद धो लें.

10. कंडिशनिंग और डैंड्रफ दूर करने के लिए दही लगा सकते हैं.

11. बालों के मान्य प्रॉडक्ट ही इस्तेमाल करें. अखबारों में आने वाले भतेरे ऐड्स के भरम में न आएं.

12. बाबा रामदेव की मानें तो खाली वक्त में हाथ की उंगलि‍ओं के नाखूनों को आपस में रगड़ें.

13. विटामिन ई की गोलियां ले सकते हैं. फिजीशियन से कंसल्ट करके ग्रहण करें.

14. बाल कभी कभी धोएंगे तो कम झड़ेंगे. इस भरम में न रहें. गंदे बाल, रूसी वाले बाल ज्यादा जल्दी अलविदा बोलते हैं.

15. सिर उठाकर और ढंककर चलें. पसीना ज्यादा आता है या कसरत करते हैं, तो सूखने का इंतजार न करें. गीले कपड़े से पोंछ लें.

16. अलसी के बीज खाएं.

17. गरम पानी में तौलिया भिगोकर उसे सिर पर रखें.

18. बालों में घड़ी घड़ी हाथ न घुमाएं. जब तब कंघी को भी तकलीफ न दें.

19. बालों में कंघी जरूर करनी चाहिए. उलझे बाल यानी ज्यादा बाल टूटेंगे.

20. ज्यादा गरम पानी से बाल नहीं धोने चाहिए. खुश्की हो जाती है

मुंह के छाले

मुंह के छाले आमतौर पर गालों के अंदर होते हैं। वैसे तो यह बिना किसी उपचार के एक हफ्ते के अंदर-अंदर अपने आप ठीक हो जाते हैं। लेकिन इनके होने से खाना तो दूर पानी पीना भी मुश्किल हो जाता है। इसलिए इसका इलाज जरूरी हैं। इसका इलाज आपके आस-पास ही मौजूद है। कुछ घरेलू उपायों को अपनाकर आप इससे बच सकते हैं। आइए हम आपको मुंह के छालों से बचने के लिए घरेलू उपचार बताते हैं।

बेकिंग सोडा

मुंह के छालों के लिए बेकिंग सोडा के इस्‍तेमाल बहुत अच्‍छा रहता हैं। मुंह में छाले होने पर गुनगुने पानी में एक चम्‍मच बेकिंग सोडा मिला लें। इस पानी से एक दिन में कई बार कुल्‍ला करें। छालों में होने वाला दर्द ठीक हो जायेगा।

फिटकरी

फिटकरी के इस्‍तेमाल से छालों के दर्द से राहत मिलती है। इसके लिए फिटकरी को होंठ के अंदर छाले वाले जगह पर दिन में दो बार लगाएं। लेकिन एक बात का ध्‍यान रखें कि फिटकरी लगाने से कुछ समय के लिए जलन हो सकती है।

नमक का पानी

नमक के पानी को मुंह के छालों के लिए सबसे असरदार इलाज माना जाता है। साथ ही नमक के अंदर छालों को सूखने की क्षमता भी होती हैं। इसके लिए गुनगुने पानी में एक चम्‍मच नमक मिलाकर दिन में कई बार कुल्‍ला करें।

अमरूद के पत्ते

अमरूद के पत्तों को चबाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते है। इसके लिए अमरूद के मुलायम पत्तों में कत्था मिला कर पान की तरह दिन में दो-तीन बार चबाने से मुंह के छाले से राहत मिलती है और छाले ठीक हो जाते हैं।

इलायची

इलायची को पीसकर शहद के साथ मिलाकर मुंह के छालों पर लगाने से लाभ मिलता है। इसके लिए छोटी इलायची के बीच और कत्‍था को बारीक पीस कर पाउडर बना लें। इस पाउडर को छालों पर लगाएं। इस पाउडर को लगाने से मुंह में जो लार बनती है उससे मुंह की गंदगी खत्‍म होकर मुंह के छाले समाप्‍त हो जाते है।

नीम की पत्तियां

नीम की पत्तियां एंटीसेप्टिक होती है, पत्तियों को दिन में तीन से चार बार चबाने से मुंह के छालों में लाभ मिलता है। इसके लिए नीम की पत्तियों को पानी में उबाल लें। इस पानी से दिन में कई बार कुल्‍ला करने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं। या थोड़ी-सी नीम की पत्तियों को पीसकर देसी घी में मिलाकर मुंह के छालों पर लगाने से छालों में होने वाले दर्द से राहत मिलती हैं।

हल्‍दी

हल्‍दी को मुंह के छालों पर लगाने से लाभ होता है। इसके लिए थोड़ी सी हल्‍दी को पानी में उबालें। इस पानी से रोजाना सुबह-शाम गरारे करने से मुंह के छालों और दर्द में राहत मिलती है।


फेशवॉश और गलतियां

चेहरे की त्वचा को स्वस्थ, साफ और कोमल बनाए रखने के लिए फेशवॉश बहुत जरूरी होता है। लेकिन, आपको इसका सही तरीका भी मालूम होना चाहिये। यदि फेशवॉश का सही तरीका नहीं अपनाया जाए तो इससे चेहरे की त्वचा को नुकसान हो सकता है। तो चलिये जानें फेशवॉश से संबंधित गलतियां और अपने चहरे को बनाएं खिला-खिला और खूबसूरत।

सही प्रोडक्ट चुनना

फेशवॉश के लिए किसी अच्छे फेशवॉश का ही उपयोग करें। अपनी त्‍वचा के हिसाब से फेसवॉश चुनें क्‍योंकि यह आपके चेहरे की त्‍वचा की कुदरती नमी को बनाये रखने में मदद करता है। हर्बल फेशवॉश इसके लिए सबसे अच्‍छा विकल्‍प है। इसके साइड इफैक्ट नहीं होते। ऑयली स्किन के लिए आप नीम, ऐलोवेरा और मिंट फैशवॉश भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इन्हें प्रयोग में लिया जा सकता है। ड्राई स्किन के लिए आप केसर, मिल्क एंड हनी फेशवॉश इस्‍तेमाल किया जा सकता है। वहीं डैड स्किन व टैनिंग के लिए स्क्रब वाला फेशवॉश प्रयोग किया जाता है।

पानी का सही तापमान

फेशवॉश के लिए ज्यादा गरम पानी नहीं इस्तेमाल करना चाहिए, इससे चेहरे की स्किन खराब हो सकती है। साथ ही ज्यादा ठंडा पानी भी त्वचा के लिए सही नहीं। फेशवॉश के लिए गुनगुने या ताजे पानी का इस्तेमाल करना ही बेहतर होता है।

चेहरे को ज्यादा रगड़ें नहीं

कुछ लोग सोचते हैं कि ज्यादा रगड़ने से त्वचा ज्यादा साफ होती है, लेकिन ये सरासर गलत है। बल्कि ऐसा करना चहरे के लिए नुकसानदेह होता है। क्योंकि ऐसा करने से त्वचा की ऊपर की मुलायम परत उतर जाती है और ड्राई स्किन रह जाती है। इसलिए हल्के हाथ से और आराम से त्वचा को साफ करें और इसे रगड़ें नहीं।

फेस वाइपिंग

फेस वाइपिंग अर्थात चेहरे को पोंछना त्वचा को स्वस्थ रखने का एक अच्छा तरीका है। लेकिन ज्यादा फेस वाइपिंग करने से भी त्वचा की ऊपर की परत को नुकसान हो सकता है। ऐसा करने से त्वचा की निचली कमजोर परत सीधा प्रदुषण और धूप के संपर्क में आने लगती है। ब्यूटी एक्सपर्ट के अनुसार एक दिन दो बार से ज्यादा फेस वाइपिंग नहीं करनी चाहिए।

एक्सफोलीएटिंग

त्वचा की ऊपर की परत या पपड़ी न उतारें। यह भी फेशवॉश से जुड़ी एक महत्वपूर्ण बात है जिस पर लोग अक्सर ध्यान नहीं देते। या तो वे ज्यादा परत उतार लेते हैं, जिससे त्वचा को नुकसान होता है और मुंहासे और झाइयां भी हो सकती हैं।

मेकअप हटाना भी जरुरी

अक्सर लोग इस पर ध्यान नहीं देते हैं। लेकिन मेकअप को हटाना सिर्फ पसंद पर निर्भर नहीं है बल्कि यह एक जरूरी बात है। ऐसा करने से आपकी त्वचा ठीक से सांस ले पाती है। मेकअप के आवरण में त्वचा सांस नहीं ले पाती है और उसे क्षति पहुंचती है।

ज्यादा फेशवॉश करना

दिन में सुबह और शाम, दो बार फेशवॉश करना अच्छी आदत है, लेकिन यदि इसे दो से अधिक बार करना शुरू कर दिया जाए तो त्वचा को नुकसान हो सकता है। यदि आप मेक-अप, सनस्क्रीन आदि का उपयोग नहीं करते तो रात को बिना फेशवॉश जैल के, सिर्फ पानी से ही चेहरा धो सकते हैं।

तरह-तरह के प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल

चेहरे की त्वचा बेहद संवेहनशील होती है। इस पर तरह-तरह के प्रोडक्ट्स, जैसे सुगंध, कलरेंट और सिंथैटिक पैक्स का इस्तेमाल करने से यह बेजान होने लगती है। इस लिए कोशिश करें की प्राकृतिक चीजों और नुस्खों की मदद से ही फेशवॉश करें।

एलोवेरा के फायदे

एलोवेरा को घृतकुमारी के नाम से भी जाना जाता है। इसमें एमीनो एसिड और 12 विटामिन भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं। यह शरीर में खून की कमी को दूर करता है और शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। यह जितना आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए लाभप्रद होता है उतना ही आपके बालों और त्वचा के लिए भी। आइए जानें ऐलोवेरा का हमारे स्‍वास्‍थ्‍य पर कितना अच्‍छा प्रभाव पड़ता है।

सनबर्न से बचाएं

एलोवेरा का रस सनस्‍क्रीन का काम करता है। धूप में निकलने से पहले एलोवेरा का रस अच्छी तरह से अपनी त्वचा पर लगाने से सूरज की हानिकारक किरणें आपकी त्‍वचा को नुकसान नहीं पहुंचा पातीं।

जलने या चोट में फायदेमंद

एलोवेरा अपने एंटी बैक्टेरिया और एंटी फंगल गुण के कारण घाव को जल्दी भरता है। चोट लगने या जलने पर इसका जेल निकाल कर लगाने से आराम मिलता है। जलने के तुरन्‍त बाद इसके जेल को लगा लेने से छाले नहीं पड़ते और साथ ही जलन भी समाप्‍त हो जाती है।

वजन नियंत्रण में सहायक

अगर आप का वजन बढ़ रहा है और इसके कारण आप हमेशा आलस और थकान का अनुभव भी कर रहे हैं तो एलोवेरा जूस का सेवन करें। एलोवेरा जूस को नियमित रूप से पीने से आप भरपूर तंदुरुस्ती का अहसास करते है। इससे एनर्जी लेवल भी बढ़ता है और वजन नियंत्रित रहता है।

पाचन क्रिया बनाएं दुरूस्‍त

एलोवेरा जूस पीने से पेट की कई रोग दूर होते हैं। यह पाचन तंत्रिका को मजबूत बनाता है। इसके रोजाना उपयोग से अपच और कब्‍ज जैसी समस्‍या भी दूर रहती है। पेट में पैदा होने वाले अल्‍सर को भी यह ठीक करता है।

स्‍ट्रेच मार्क हटाए

मोटापे और प्रेगनेंसी के कारण हुए स्‍ट्रेच मार्क में भी एलोवेरा उपयोगी होता है। स्‍ट्रेच मार्क को हल्‍का करने के लिए रोज सुबह एलोवेरा जैल से मालिश करें । यह काफी हद तक आपके स्‍ट्रेच मार्क को कम कर देगा।

झुर्रियों से बचाव

झुर्रियों आपको समय से पहले बूढ़ा बना देती हैं इससे बचने के लिए रोजाना एलोवेरा जॅल से मालिश कीजिये। यह त्‍वचा को अंदर से मॉइश्‍चराइज करता है। इसका रस स्‍किन को टाइट बनाता है और इसमें मौजूद विटामिन सी और ई के कारण त्‍वचा हाइड्रेट भी बनी रहती है।

दिल की बीमारी में फायदेमंद

एलोवेरा शरीर में रक्‍त की मात्रा बढ़ाता है और साथ ही रक्‍त प्रवाह को भी सुचारू बनाये रखने में मदद करता है। एलोवेरा हाई ब्‍लड प्रेशर को सामान्‍य करता है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा कम होता है।

बालों की समस्‍याओं में उपयोगी

बालों के लिए एलोवेरा चमत्‍कारी रूप से असर दिखाता है। बालों संबंधी जितनी भी समस्याएं हैं एलोवेरा के प्रभाव से दूर हो जाती हैं जैसे- बालों का गिरना, रूखे बाल, बालों में डेंड्रफ आदि। हफ्ते में दो बार शैंपू करने से पहले चमेली, जोजोवा या नारियल तेल में एलोवेरा का यह रस मिलाकर अच्छी तरह से अपने बालों में लगाएं।

बढ़ाए त्‍वचा की चमक

एलोवेरा शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकाल कर शरीर की अंदर से सफाई करता है। जिससे त्‍वचा में चमक आती है तथा दाग-धब्‍बों से भी दूर होते है। इसके अलावा एलोवेरा के जैल को त्‍वचा पर लगाने से एक्‍जिमा, पिंपल और सिरोसिस की समस्‍या भी दूर होती है।

स्वस्थ और स्वच्छ दांत

एलोवेरा, मुंह और मसूड़ों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसके इस्‍तेमाल से मसूड़ों की तकलीफ और ब्‍लड आना बंद होता है। साथ ही मुंह में अल्‍सर की बीमारी भी ठीक होती है। इसे आप अपने दांत के डॉक्टर के रूप में भी अपना सकते हैं।

पुरुषों में बाल झड़ने की समस्या

बालों के झड़ने की समस्या पुरुषों में आम होती जा रही है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। महिलाओं से उलट पुरुषों में फीमेल हार्मोन एस्ट्रोजन नहीं पाया जाता, जो बालों को झड़ने से बचाने में सुरक्षा करता है। पुरुषों के हेयर फलिकल के गायब होने में पुरुष हार्मोन टेस्टोस्टेरॉन की भी अहम भूमिका होती है। बाल झड़ने का एक मुख्य कारण एधिक तनाव से भरा जीवन भी है। गंजेपन को चिकित्सकीय भाषा में एंड्रोजेनेटिक एलोपेसिया कहते हैं। हालांकि कुछ घरेलू उपचारों की मदद से पुरुष बाल झड़ने की समस्या से बच सकते हैं। चलिये जानें कौंन से हैं वे उपचार...
टेस्टोस्टेरॉन और पुरुषों में गंजापन
कई आधुनिक शोधों से यह बात सामने आई है कि टेस्टोस्टेरॉन और गंजेपन में संबंध होता है। गंजे पुरुषों में सामान्यत: टेस्टोस्टेरॉन का स्तर अधिक होता है। हालांकि महिलाओं में भी टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन पाया जाता है, लेकिन उनमें इसका स्तर कम होता है, इसलिये उनमें गंजेपन की समस्या भी पुरुषों के मुकाबले कम होती है।


दही और काली मिर्च

बाल झड़ने की समस्या को रोकने में यह उपाय बहुत कारगर साबित होगा। तीन चम्मच दही के साथ काली मिर्च पाउडर के 2 चम्मच को मिलाएं। मिश्रण को अच्छे से मिलाने के बाद इस पेस्ट की सिर पर हल्के से मसाज करें और फिर एक घंटे छोड़ने के बाद शैम्पू कर लें।
तेल मसाज
एक कप सरसों के तेल को गर्म करे और इसमें चार टेबल स्पून मेहंदी की पत्तियां मिला लें। इस मिश्रण को छानकर बोतल में रख लें। फिर अपने सिर के गंजे हिस्सों पर इस घरेलू उपचार से रोजाना मालिश करें। इसके अलावा आप बदाम, नारियल व ऑलिव ऑयल से से हफ्ते में दो बार मसाज भी कर सकते हैं।

कोकोनट मिल्क

नारियल का दूध (कोकोनट मिल्क) बालों को पोषण देता है और उनके बेहतर विकास में मदद करता है। इसके अलावा, यह बालों को मुलायम बनाने में भी मदद करता है। बस बालों इसे लगाएं और मसाज करें और आधे घंटे बाद धो दें।

एलो वेरा

यदि आप चाहते हैं कि आपके बाल झड़ने कम हो जाएं और बालों को मजबूत मिले तो स्कैल्प पर ऐलो जैल से मसाज करें। सप्ताह में दो बार ऐलोवेरा जैल से मालिश करने से बालों के झड़ने की समस्या से निजात मिलती है और संक्रमण भी दूर होता है।
नीम पेस्ट
चिकित्सकीय गुणों से भरपूर नींम पेस्ट स्काल्प के क्षारीय संतुलन को बहाल करने में मदद करता हैं और बालों को झड़ने से रोकता है। इसे और भी ज्यादा असरदार बनाने के लिए नीम पेस्ट में शहद और जैतून के तेल को भी मिला लें।

अंडे

प्रोटीन उपचार बालों की देखभाल के लिए एक प्राथमिक चरण होता है। तो यदि आप मजबूत और चमकदार बाल चाहते हैं, तो बालों को एक सप्ताह में तीन से चार बार प्रोटीन उपचार दें। इसके लिए बस आपको एक कच्चे अंडे को तोड़कर गीले बालों पर लगाना है और पंद्रह मिनट के बाद गुनगुने पानी से धो देना है।
मेथी के बीज
मेथी के बीज के दो से तीन बड़े चम्मच लेकर पानी में आठ से दस घंटे तक भिगो कर रख दें। अब इसका पेस्ट बना लें और बालों की जड़ों में लगाएं। ये पेस्ट न सिर्फ बालों को झड़ने से रोकता है बल्कि बालों को मजबूत बनाकर डेंड्रफ की समस्या को भी दूर करता है।

10 कारगर घरेलू उपाय, जो किडनी के स्‍टोन से निजात दिलाएं

किडनी में स्‍टोन

किडनी में स्‍टोन की समस्‍या आजकल आम हो चली है। इसकी बड़ी वजह खान-पान की गलत आदतें होती हैं। किडनी में स्‍टोन यूरीन सिस्टम का एक रोग है जिसमें किडनी के अन्दर छोटे-छोटे पत्थर जैसी कठोर वस्तुएं बन जाती हैं। आमतौर पर यह ये पथरियां यूरीन के रास्ते शरीर से बाहर निकाल जाती है। बहुत से ऐसे घरेलू उपाय है जिनको अपनाकर इनसे निजात पाई जा सकती है। आइए जाने ऐसे ही कुछ उपायों के बारे में।

करेला

करेला वैसे तो बहुत कड़वा होता है और आमतौर पर लोग इसे कम पसंद करते है। परन्‍तु पथरी में यह रामबाण की तरह काम करता है। करेले में मैग्‍नीशियम और फॉस्‍फोरस नामक तत्‍व होते हैं, जो पथरी को बनने से रोकते हैं।

अंगूर

अंगूर में एल्ब्यूमिन और सोडियम क्लोराइड बहुत ही कम मात्रा में होता हैं, इसलिए किडनी में स्‍टोन के उपचार के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है। साथ ही अंगूर प्राकृतिक मूत्रवर्धक के रूप में उत्कृष्ट रूप में कार्य करता है क्योंकि इनमें पोटेशियम नमक और पानी भरपूर मात्रा में होते हैं।

केला

पथरी की समस्‍या से निपटने के लिए केला खाना चाहिए क्‍योंकि इसमें विटामिन बी 6 होता है। विटामिन बी 6 ऑक्जेलेट क्रिस्टल को बनने से रोकता और तोड़ता है। साथ ही विटामिन बी-6, विटामिन बी के अन्य विटामिन के साथ सेवन करना किडनी में स्‍टोन के इलाज में काफी मददगार होता है। एक शोध के मुताबिक विटामिन-बी की 100 से 150 मिलीग्राम दैनिक खुराक गुर्दे की पथरी की चिकित्सीय उपचार में बहुत फायदेमंद हो सकता है।

नींबू का रस और जैतून का तेल

नींबू का रस और जैतून के तेल का मिश्रण, गुर्दे की पथरी के लिए सबसे प्रभावी प्राकृतिक उपचार में से एक है। पत्‍थरी का पहला लक्षण होता है दर्द का होना। दर्द होने पर 60 मिली लीटर नींबू के रस में उतनी ही मात्रा में आर्गेनिक जैतून का तेल मिला कर सेवन करने से आराम मिलता है। नींबू का रस और जैतून का तेल पूरे स्वास्थ्य के लिए अच्छा रहता है और आसानी से उपलब्ध भी हो जाता हैं।

बथुए का साग

किडनी में स्‍टोन को निकालने में बथुए का साग बहुत ही कारगर होता है। इसके लिए आप आधा किलो बथुए के साग को उबाल कर छान लें। अब इस पानी में जरा सी काली मिर्च, जीरा और हल्‍का सा सेंधा नमक मिलाकर, दिन में चार बार पीने से बहुत ही फायदा होता है।

प्‍याज

प्‍याज में पथरी नाशक तत्‍व होते है इसका प्रयोग कर आप किडनी में स्‍टोन से निजात पा सकते है। लगभग 70 ग्राम प्‍याज को पीसकर और उसका रस निकाल कर पियें। सुबह खाली पेट प्‍याज के रस का नियमित सेवन करने से पथरी छोटे-छोटे टुकडे होकर निकल जाती है।

अजवाइन

अजवाइन एक महान यूरीन ऐक्ट्यूऐटर है और किडनी के लिए टॉनिक के रूप में काम करता है। किडनी में स्‍टोन के गठन को रोकने के लिए अजवाइन का इस्‍तेमाल मसाले के रूप में या चाय में नियमित रूप से किया जा सकता है।

गाजर

गाजर में पायरोफॉस्फेट अम्ल पाया जाता हैं जो किडनी में स्‍टोन बनने की प्रक्रिया को रोकता है। साथ ही गाजर में पाया जाने वाला केरोटिन यूरीन की आंतरिक दीवारों को टूटने-फूटने से भी बचाता है।

तुलसी

तुलसी की चाय समग्र किडनी स्वास्थ्य के लिए बहुत ही सफल प्राकृतिक उपचार है। यह किडनी में स्‍टोन के उपचार के लिए एक आदर्श समाधान है। शुद्ध तुलसी का रस लेने से पथरी को यूरीन के रास्‍ते निकलने में मदद मिलती है। कम से कम एक म‍हीना तुलसी के पतों के रस के साथ शहद लेने से आप प्रभाव महसूस कर सकते है। साथ ही आप तुलसी के कुछ ताजे पत्तों को रोजाना चबा भी सकते हैं।

अनार का रस

अनार का रस किडनी में स्‍टोन के खिलाफ एक बहुत ही अद्भुत और सरल घरेलू उपाय है। अनार के कई स्‍वास्‍थ्‍य लाभ के अलावा इसके बीज और रस में खट्टेपन और कसैले गुण के कारण इसे किडनी में स्‍टोन के लिए एक और प्राकृतिक उपाय के रूप में माना जाता है।

वजन कम करने के नव-रत्‍न घरेलू उपाय

वजन कम करने के घरेलू उपाय
बढ़ा हुआ वजन न केवल आपके व्‍यक्तित्‍व और सेहत को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि यह आपके आत्‍मविश्‍वास के लिए भी नुकसानदेह होता है। कई तरीके आजमाने के बाद भी आपका वजन कम नहीं होता। तो, फिर आपको घबराने की जरूरत नहीं है, कुछ ऐसे घरेलू उपाय हैं, जिन्‍हें आजमाकर अतिरिक्‍त चर्बी से छुटकारा पा सकते हैं।

हीरा है खीरा

प्राकृतिक रूप से वजन कम करने में खीरे का कोई जवाब नहीं। खीरे में नब्‍बे फीसदी पानी होता है। इसमें कैलोरी भी बहुत कम होती है, इसलिए वजन कम करने में यह काफी मददगार होता है। यह न केवल वजन कम करने में मदद करता है, बल्कि साथ ही फैट सेल्‍स को तोड़ता है। इसमें ए, सी और ई जैसे एंटी ऑक्‍सीडेंट विटामिन होते हैं जो आपके शरीर से टॉक्सिन को बाहर करने में मदद करते हैं।

नींबू और शहद का मेल

शहद और नींबू का रस बहुत गुणकारी होता है। मोटे लोगों के लिए वजन कम करने का यह रामबाण इलाज है। एक गिलास गर्म पानी में तीन चम्‍मच नींबू का रस और दो चम्‍मच शहद मिलाकर पीने से बहुत फायदा होता है। बेहतर परिणाम के लिए आप दिन में दो बार भी इसका सेवन कर सकते हैं। इससे आपका हाजमा भी ठीक रहता है औीर शहद आपकी त्‍वचा को भी लाभ पहुंचाता है।

जुजुबे ऑयल

जुजुबे यानी बेर के तेल में कई पौष्टिक तत्‍व होते हैं। यह तेल विटामिन ए, सी और बी2 से भरपूर होता है। इसके साथ ही इस ऑयल में कैल्शियम, आयरन और फास्‍फोरस होता है। बेर के पत्‍तों को रात भर के लिए पानी में भिगोकर छोड़ दें। सुबह नाश्‍ते से पहले इस पानी को पी जाएं। देखिये कुछ ही दिनों में आपको चमत्‍कारी रूप से फायदा होगा।

अदरक और शहद

अदरक के रस में शहद मिलाकर खाने से भी वजन कम करने में काफी मदद मिलती है। दो चम्‍मच अदरक के रस में दो तीन चम्‍मच शहद मिलाकर खाने से आपको काफी फायदा होता है। दिन में दो बार इस मिश्रण का सेवन करना आपको बहुत जल्‍द वजन कम करने में मदद करता है।

गाजर का रस

मोटे लोगों के लिए गाजर भी काफी उपयोगी होती है। सुबह खाली पेट एक गिलास गाजर का जूस पीना आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा। आप गाजर का सेवन काफी तरीकों से कर सकते हैं। आप चाहें तो कच्‍ची गाजर खा सकते हैं या फिर अन्‍य सब्जियों अथवा फलों के साथ मिलाकर उसका सलाद भी बना सकते हैं। आप गाजर की सब्‍जी भी बना सकते हैं।

गोभी है फायदेमंद

पत्‍ता गोभी में टारटारिक एसिड होता है, जो चीनी और कार्बोहाइड्रेट को वसा में परिवर्तित होने से रोकता है। गोभी में विटामिन ए औ सी भी काफी उच्‍च मात्रा में होता है, जो वजन कम करने में काफी उपयोगी होता है। गोभी हृदय रोग और कैंसर से लड़ने में भी काफी मदद करती है।

सेब का सिरका

प्राकृतिक रूप से तैयार सेब का सिरका वजन कम करने का उपयोगी घरेलू उपाय है। कई आहार विशेषज्ञ वजन कम करने में इसकी उपयोगिता को स्‍वीकार करते हैं। करीब 250 मिली पानी में दो चम्‍मच सिरका मिलाकर पीने से आपको चमात्‍कारिक लाभ मिलते हैं। आप इसे दिन में तीन बार इस्‍तेमाल कर सकते हैं।

जादू है आड़ू

आड़ू का नियमित सेवन आपको वजन कम करने में काफी मदद कर सकता है। एक आड़ू में महज 68 कैलोरी होती है और वसा बिलकुल नहीं होती। आड़ू प्राकृतिक रूप से मीठा होता है। आप इसे आसानी से किसी भी मीठे के स्‍थान पर ले सकते हैं। ऐसे लोग जो वजन कम करने में जुटे हैं, उनके लिए आड़ू काफी लाभप्रद हो सकता है।

अजमोद

अजमोद में लूटेओलिन एंटीऑक्‍सीडेंट होता है। यह फ्री रेडिकल्‍स को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है। अजमोद में विटामिन ए और सी के आरडीए होते हैं। आप इसे खाने में स्‍वाद बढ़ाने के मसाले के तौर पर इस्‍तेमाल कर सकते हैं। सलाद पर डाल सकते हैं या फिर जूस में मिलाकर भी पी सकते हैं। इसके अलावा भी इसके अन्‍य कई स्‍वास्‍थ लाभ हैं।



बवासीर का आयुर्वेदिक उपचार

बवासीर बहुत ही पीड़ादायक रोग है। इसका दर्द असहनीय होता है। बवासीर मलाशय के आसपास की नसों की सूजन के कारण विकसित होता है। बवासीर दो तरह की होती है, अंदरूनी और बाहरी। अंदरूनी बवासीर में नसों की सूजन दिखती नहीं पर महसूस होती है, जबकि बाहरी बवासीर में यह सूजन गुदा के बिलकुल बाहर दिखती है। बवासीर को पहचानना बहुत ही आसान है। मलत्याग के समय मलाशय में अत्यधिक पीड़ा और इसके बाद रक्तस्राव, खुजली इसका लक्षण है। इसके कारण गुदे में सूजन हो जाती है। आयुर्वेदिक औषधियों को अपनाकर बवासीर से छुटकारा पाया जा सकता है।

फाइबर युक्त आहार

अच्‍छे पाचन क्रिया के लिए फाइबर से भरा आहार बहुत जरूरी होता है। इसलिए अपने आहार में रेशयुक्त आहार जैसे साबुत अनाज, ताजे फल और हरी सब्जियों को शामिल करें। साथ ही फलों के रस की जगह फल खाये।

छाछ

बवासीर के मस्‍सों को दूर करने के लिए मट्ठा बहुत फायदेमंद होता है। इसके लिए करीब दो लीटर छाछ लेकर उसमे 50 ग्राम पिसा हुआ जीरा और स्‍वादानुसार नमक मिला दें। प्यास लगने पर पानी के स्‍थान पर इसे पीये। चार दिन तक ऐसा करने से मस्‍से ठीक हो जायेगें। इसके अलावा हर रोज दही खाने से बवासीर होने की संभावना कम होती है। और बवासीर में फायदा भी होता है।

त्रिफला

आयुर्वेंद की महान देन त्रिफला से हम सभी परिचित है। इसके चूर्ण का नियमित रूप से रात को सोने से पहले 1-2 चम्‍मच सेवन कब्‍ज की समस्‍या दूर करने मेंं मदद करता है। जिससे बवासीर में राहत मिलती है।

जीरा

छोटा सा जीरा पेट की समस्‍याओं बहुत काम का होता है। जीरे को भूनकर मिश्री के साथ मिलाकर चूसने से फायदा मिलता है। या आधा चम्‍मच जीरा पाउडर को एक गिलास पानी में डाल कर पियें। इसके साथ जीरे को पीसकर मस्‍सों पर लगाने से भी फायदा मिलता है।

अंजीर

सूखा अंजीर बवासीर के इलाज के लिए एक और अद्भुत आयुर्वेदिक उपचार हैं। एक या दो सूखे अंजीर को लेकर रात भर के लिए गर्म पानी में भिगों दें। सुबह खाली पेट इसको खाने से फायदा होता है।

तिल

खूनी बवासीर में खून को रोकने के लिए 10 से 12 ग्राम धुले हुए काले तिल को लगभग एक ग्राम ताजा मक्खन के साथ लेना च‍ाहिए। इसे लेने से भी बवासीर में खून आना बंद हो जाता है।

हरीतकी

हरड़ के रूप में लोकप्रिय हरीतकी कब्‍ज को दूर करने का एक बहुत अच्‍छा आयुर्वेदिक उपाय है। हरीतकी चूर्ण आधा से एक चम्मच, रात को गुनगुने पानी से लेने से या गुड़ के साथ हरड खाने से बवासीर की समस्‍या से निजात मिलता है।

बड़ी इलायची

लगभग 50 ग्राम बड़ी इलायची को तवे पर रखकर भूनते हुए जला लीजिए। ठंडी होने के बाद इस इलायची को पीस चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को नियमित रूप से सुबह पानी के साथ खाली पेट लेने से बवासीर की समस्‍या ठीक हो जाती है।

आंवला

आयुर्वेद में आंवले को बहुत महत्ता प्रदान की गई है, जिससे इसे रसायन माना जाता है। यह शरीर में आरोग्य शक्ति को बढ़ाता है।आंवला पेट के लिए बहुत फायदेमंद होता है। बवासीर की समस्‍या होने पर आंवले के चूर्ण को सुबह-शाम शहद के साथ पीने से फायदा होता है।

नीम

नीम के छिलके सहित निंबौरी के पाउडर को प्रतिदिन 10 ग्राम रोज सुबह रात में रखे पानी के साथ सेवन कीजिए, इससे बवासीर में फायदा होगा। इसके अलावा नीम का तेल मस्सों पर लगाने और इस तेल की 4-5 बूंद रोज पीने से बवासीर में लाभ होता है।

गुलाब की पंखुडियां

बवासीर में खून की समस्‍या को दूर करने के लिए बहुत ही अच्‍छा आयुर्वेदिक उपचार है। इसके लिए थोड़ी सी गुलाब की पंखुडी को 50 मिलीलीटर पानी में कुचल कर तीन 3 दिन खाली पेट लेना चाहिए। लेकिन ध्‍यान रहें इस उपचार के साथ केले का सेवन न करें।

इसबगोल

इसबगोल की भूसी, गलत खान-पान से उपजी व्याधियों को दूर करने की एक ऐसी ही अचूक, प्राकृतिक और चमत्कारिक औषधि है। इसबगोल भूसी का प्रयोग करने से से अनियमित और कड़े मल से राहत मिलती है। इससे कुछ हद तक पेट भी साफ रहता है और मस्‍सा ज्‍यादा दर्द भी नही करता। रात को सोने से पहले एक या दो चम्‍मच इसकी भूसी को दूध या पानी के साथ लिया जा सकता है।


बहुत फायदेमंद हैं हल्‍दी वाला दूध

दूध जहां कैल्शियम से भरपूर होता है वहीं दूसरी तरफ हल्‍दी में एंटीबायोटिक होता है। दोनों ही आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत लाभकारी होते हैं। और अगर दोनों को एक साथ मिला लिया जाये तो इनके लाभ दोगुना हो जायेगें। आइए हल्‍दी वाले दूध के ऐसे फायदों को जानकर आप इसे पीने से खुद को रोक नहीं पायेगें।

सांस संबंधी समस्‍याओं में लाभकारी

हल्दी में एंटी-माइक्रोबियल गुण होते है, इसलिए इसे गर्म दूध के साथ लेने से दमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों में कफ और साइनस जैसी समस्याओं में आराम होता है। यह मसाला आपके शरीर में गरमाहट लाता है और फेफड़े तथा साइनस में जकड़न से तुरन्त राहत मिलती है। साथ ही यह बैक्टीरियल और वायरल संक्रमणों से लड़ने में मदद करता है।

मोटापा कम करें

हल्दी वाले दूध को पीने से शरीर में जमी अतिरिक्त चर्बी घटती है। इसमें मौजूद कैल्शियम और मिनिरल और अन्‍य पोषक तत्व वजन घटाने में मदगार होते है।

हडि्डयों को मजबूत बनाये

दूध में कैल्शियम और हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट की मौजूदगी के कारण हल्दी वाला दूध पीने से हडि्डयां मजबूत होती है और साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। हल्दी वाले दूध को पीने से हड्डियों में होने वाले नुकसान और ऑस्टियोपोरेसिस की समस्‍या में कमी आती है।

खून साफ करें

आयुर्वेदिक परम्‍परा में हल्‍दी वाले दूध को एक बेहतरीन रक्त शुद्ध करने वाला माना जाता है। यह रक्त को पतला कर रक्त वाहिकाओं की गन्दगी को साफ करता है। और शरीर में रक्त परिसंचरण को मजबूत बनाता है।

पाचन संबंधी समस्‍याओं में लाभकारी

हल्‍दी वाला दूध एक शक्तिशाली एंटी-सेप्टिक होता है। यह आंतों को स्‍वस्‍थ बनाने के साथ पेअ के अल्‍सर और कोलाइटिस के उपचार में भी मदद करता है। इसके सेवन से पाचन बेहतर होता है और अल्‍सर, डायरिया और अपच की समस्‍या नहीं होती है।

दर्द कम करें

हल्दी वाले दूध के सेवन से गठिया का निदान होता हैं। साथ ही इसका रियूमेटॉइड गठिया के कारण होने वाली सूजन के उपचार के लिये प्रयोग किया जाता है। यह जोड़ो और मांसपेशियों को लचीला बनाता है जिससे दर्द कम हो जाता है।

गहरी नींद में सहायक

हल्‍दी शरीर में ट्रीप्टोफन नामक अमीनो अम्ल को बनाता है जो शान्तिपूर्वक और गहरी नींद में सहायक होता है। इसलिए अगर आप रात में ठीक से सो नहीं पा रहें है या आपको बैचेनी हो रही है तो सोने से आधा घंटा पहले हल्दी वाला दूध पीएं। इससे आपको गहरी नींद आएगी और नींद ना आने की समस्या दूर हो जाएगी।

ब्लैक हेड्स

ब्‍लैक हेड्स एक आम समस्‍या है जो आमतौर पर ऑयली स्किन पर ज्‍यादा होती है। ओपन पोर्स में जमा ऑयल जब बाहरी हवा के संपर्क में आता है तो वह ब्लैक हेड्स का रूप ले लेता हैं। इसका एक और कारण त्‍वचा की सही तरीके से सफाई न करना भी है। यह ब्‍लैक और वाइट दो रूपों में चेहरे पर दिखाई देता हैं।

ब्लैक हेड्स हटाने के उपाय

अगर आप ब्लैक हेड्स की समस्‍या से परेशान है तो चिंता न करें। हमारे पास ऐसे पसंदीदा घरेलू उपचार की सूची है जिनको अपनाकर आप त्‍वचा से जबरदस्‍ती किये बिना स्‍वाभाविक रूप से इससे छुटकारा पा सकते हैं। इसके अलावा यह आपकी त्‍वचा को साफ रखने और ब्‍लैक हैड्स के मुख्‍य कारण यानि चेहरे और नाक पर से अत्‍यधिक तेल को कम करने में बहुत महत्‍वपूर्ण है।


स्‍क्रबिंग

स्‍क्रबिंग ब्‍लैक हेड्स से छुटकारा पाने का सबसे अच्‍छा तरीका है। हफ्ते में एक बार जरूर चेहरे पर फेस स्क्रब का इस्तेमाल जरूर करें। चेहरे को स्क्रब करने से त्वचा पर जमी धूल-मिट्टी, अतिरिक्‍त तेल और मृत कोशिकाएं साफ हो जाती है और त्वचा से ब्लैक हेड्स भी साफ हो जाते हैं।

बेसन और बादाम पेस्ट

बेसन और बादाम के पेस्‍ट को नाक पर लगाना फायदेमंद होता है और इस पेस्‍ट का इस्‍तेमाल ब्‍लैक हेड्स से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है। इसके लिए बादाम और बेसन पाउडर को मिलाकर स्‍क्रब तैयार कर लें। इस स्‍क्रब को अपनी नाक पर लगाएं।

बेकिंग सोडा

पानी और बेकिंग सोडा को मिलाकर पेस्‍ट बना लें और इस पेस्‍ट को ब्‍लैक हेड्स वाले हिस्‍से पर 25 मिनट के लिए लगाएं। फिर इसे हल्‍के गर्म पानी से साफ करें। आपको ब्‍लैक हेड्स से छुटकारा मिल जाएंगा। लेकिन अगर आपकी त्‍वचा संवेदनशील हे तो एक पैच परीक्षण अवश्‍य कर लें।

धनिया और हल्दी पाउडर

धनिया की पत्तियों में पानी मिलाकर उसका पेस्‍ट बना लें। धनिया के इस पेस्‍ट में थोड़ी सी हल्‍दी मिला लें। अब इस पेस्‍ट को अपने चेहरे पर लगा कर 30 मिनट के लिए छोड़ दें। 30 मिनट के बाद चेहरे को गुनगुने पानी से धो लें। इस पेस्‍ट को नियमित रूप से हर रात अपने चेहरे पर लगाएं, ब्‍लैक हेड्स निकल जाएंगें।

शहद

त्‍वचा की देखभाल के लिए इस्‍तेमाल की जाने वाली चीजों में शहद को सर्वोत्तम माना जाता है। इसके लिए चाहे इसका प्रयोग फेशियल पैक में करें या मास्‍क में। इसके अलावा शहद ब्‍लैक हेड्स की समस्‍या से भी निजात दिलाता है।

नींबू का रस

ब्‍लैक हेड्स पर दिन में दो-तीन बार नींबू का रस लगाने से ब्लैकहेड्स साफ हो जाते हैं। इसके अलावा नींबू के रस में बादाम का तेल मिलाकर लगाने से यह ना केवल ब्‍लैकहेड्स की समस्‍या दूर होती है बल्कि दाग-धब्‍बे भी साफ हो जाते है। इसके अलावा नींबू के रस में खीरे के रस की कुछ बूंदे भी मिला सकते हैं।

अंगूर

ब्‍लैक हेड्स को दूर करने में अंगूर भी बहुत उपयोगी होता है। ब्‍लैक हेड्स होने पर अंगूर को अच्छे से मैश करके पेस्ट बना लें और इस पेस्‍ट को ब्लैक हेड्स पर लगाएं। 15-20 मिनट तक सूखने दें और बाद में गुनगुने पानी से चेहरा धो लें।

आलू

कच्‍चे आलू से भी आप ब्‍लैकहेड्स की समस्‍या से निजात पा सकते हैं। इसके लिए कच्चे आलू के स्लाइस से ब्लैकहेड्स वाली त्वचा पर हल्की मसाज करें। इससे ब्लैक हेड्स हट जाते हैं और त्वचा साफ रहती है।

केला

अगर आप ब्‍लैक हेड्स की समस्‍या से परेशान है तो इसको चेहरे से हटाने के लिये केले और केले के छिलके का भी इस्‍तेमाल कर सकते हैं। ब्‍लैक हेड्स होने पर आप मैश किया हुआ केला या फिर केले के छिलके को चेहरे पर रगड़े।


बेदाग त्‍वचा पाने उपाय

अक्‍सर हम इस दुविधा में रहते हैं कि बेदाग त्‍वचा को हासिल करने के लिए क्‍या करें। हालांकि, बेदाग त्‍वचा पाना उतना आसान नहीं, लेकिन फिर भी कुछ प्रयासों के द्धारा हम ऐसा कर सकते हैं। आप रोजाना इन दस कदमों के जरिये एक अच्‍छी और बेदाग त्‍वचा पा सकते हैं। चलिये आजमाइये इन कदमों को और पाइये बेदाग और दमकती

पहला कदम : चेहरे की सफाई

त्‍वचा को बेदाग रखने का सबसे पहला कदम है कि चेहरे को सही तरीके से धोएं। चेहरे की त्‍वचा शरीर के बाकी हिस्‍सों की त्‍वचा से अलग होती है। यह बहुत ही नाजुक और अधिक संवेदनशील होती है। अगर आप अपनी चेहरे की त्‍वचा को धोने के लिए नियमित रूप से साबुन का उपयोग करते हैं तो त्‍वचा को नुकसान हो सकता है और आपकी त्‍वचा ड्राई हो सकती है। इसलिए त्‍वचा को साफ करने के लिए किसी अच्‍छे फेस वॉश का इस्‍तेमाल करें।

दूसरा कदम : मॉइस्चराइजर का इस्‍तेमाल

मॉइस्चराइजर का इस्‍तेमाल बेदाग त्‍वचा पाने की ओर दूसरा कदम है। ड्राई त्‍वचा को हमेशा अन्हैपी त्‍वचा माना जाता है। चेहरे की रूखी त्‍वचा का अर्थ है फटी, झुर्रियों वाली और रंगहीन त्‍वचा। इन सब से बचने के लिए और चेहरे की त्‍वचा में चमक को बरकरार रखने के लिए मॉइस्चराइजर का इस्‍तेमाल करें। अगर आप नहाने के बाद नियमित रूप से त्‍वचा को मॉइस्चराइजिंग करेगें तो आप सकते हैं बेदाग, तरोताजा और चमकदार त्‍वचा।

तीसरा कदम : सौंदर्य प्रसाधन के इस्‍तेमाल से पहले सावधानी

बेदाग त्‍वचा पाने के लिए आपका तीसरा कदम है सौंदय्र प्रसाधन को लेकर सावधान रहना। कई सौंदर्य प्रसाधन ऐसे होते है वह आपकी त्‍वचा को नुकसान पहुंचा सकते है। जैसे तेल युक्त सौंदर्य प्रसाधन के इस्‍तेमाल से रोमछिद्र खुल जाने से त्‍वचा पर मुहांसे और दाग उत्‍पन्‍न हो जाते हैं। इसलिए सौंदर्य प्रसाधन का चयन करते समय ध्‍यान रखें कि वह तेल मुक्त और एलर्जी रहित हो।

चौथा कदम: सनस्‍क्रीन लगायें

बेदाग त्‍वचा पाने की ओर आपका चौथा कदम घर से बाहर निकलते समय सनस्‍क्रीन का इस्‍तेमाल है। इसके लिए आपकी सनस्‍क्रीन 30 से 40 एसपीएफ की होनी चाहिए। बेहतर होगा कि आप वाटर पूफ्र सनस्‍कीन लगायें। एक साथ बहुत ज्‍यादा सनस्‍क्रीन न लगायें। इसके अलावा अधिक धूप के समय सूरज की रोशनी में जाने से बचें। इससे आपकी त्‍वचा को काफी नुकसान होता है।

पांचवां कदम : आहार हो सही

बेदाग त्‍वचा पाने के लिए पांचवी और सबसे जरूरी कदम है, अपने आहार में सुधार करना। जंक फूड और फैट वाले खाद्य पदार्थ खाने से त्‍वचा को नुकसान हो सकता है। जबकि स्‍वस्‍थ आहार जिसमें विटामिन बी, सी, ई, ए और के प्रचुर मात्रा में हों त्‍वचा की पोषक तत्‍वों की सभी जरूरतों को पूरा करते है और आप पाते हैं स्‍वस्‍थ, निखरी और बेदाग त्‍वचा।

छठा कदम : आहार में विटामिन शमिल करें

बेदाग त्‍वचा पाने के लिए छंठा कदम है नियमित रूप से मल्‍टी विटामिन का सेवन। जैसा कि पांचवें कदम में बताया गया है कि त्‍वचा को स्‍वस्‍थ रखने के लिए स्‍वस्‍थ आहार की जरूरत होती है। त्‍वचा को स्‍वस्‍थ रखना कुछ विटामिन और मिनरल पर निर्भर रहता है। इसकी पर्याप्‍त पूर्ति न होने पर त्‍वचा अपनी चमक और रंगत खोने लगती है। इसलिए निश्चित करें कि प्रतिदिन अपने शरीर और त्‍वचा को स्‍वस्‍थ और सुंदर बनाएं रखने के लिए विटामिन को अपने आहार में शामिल करें। ओटमील, अंडे, हरी पत्तेदार सब्जियों, फलों, बीजों, मीट और डेरी उत्‍पादों से मिल सकता है।

सातवां कदम : पर्याप्‍त मात्रा में तरल पदार्थ

सातवां कदम, खूब पानी पियें। पर्याप्‍त मात्रा में पानी पीने त्‍वचा हाइड्रेटेड होती है। पानी आपके शरीर से गंदगी को बाहर करता है और आपकी त्‍वचा को चमकदार, स्‍वस्‍थ और बेदाग बनाने में मदद करता है। इसलिए कोशिश करें कि त्‍वचा को बेदाग रखने के लिए कम से कम 8-10 गिलास पानी जरूर पीये।

आठवां कदम: चेहरे को भी दे थोड़ा समय

सप्‍ताह में एक बार अपनी त्‍वचा को थोड़ा सा समय दें। इसके लिए चेहरे पर मास्‍क लगायें और स्‍टीम लें। लेकिन, मास्‍क लगाने से पहले त्‍वचा का जरूर खयाल रखें कि त्‍वचा किस प्रकार की है। केमिकल युक्‍त उत्‍पादों के स्‍थान पर प्राकृतिक उत्‍पादों का सहारा लें। एक्‍ने दूर करने के लिए आप टी ट्री ऑयल का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। अगर आपकी त्‍वचा संवेदनशील और तैलीय है तो आपको अपने चेहरे पर दही नहीं लगाना चाहिए।

नौंवां कदम : सप्‍ताह में दो बार स्‍क्रब

त्‍वचा को सप्‍ताह में दो बार स्‍क्रब जरूर करें। इससे आपके चेहरे और त्‍वचा की मृत कोशिकायें हट जाती हैं। साथ ही एक्‍ने होने का खतरा भी कम हो जाता है। लेकिन स्‍क्रब करते समय ध्‍यान रखें‍ कि बहुत सख्‍त हाथों से न करें। इससे त्‍वचा को नुकसान हो सकता है।

दसवां कदम : अक्सर अपने चेहरे को छूने से बचें

दसवां सबसे अखिरी और सबसे महत्‍वपूर्ण कदम, अपने चेहरे को बार-बार न छुये। अगर आपको अपना चेहरा नहीं धोना है तो चेहरे को छुनें से आपकी हाथों की गंदगी आपके चेहरे पर हस्‍तांतरित हो सकती है और वह चेहरे को नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए जहां तक संभव हो अपने चेहरे को छूने से बचें।

लगातार बाल झड़ने से अगर इन दिनों आप तनाव में हैं तो आयुर्वेद में आपको इसका प्रभावी उपचार मिलेगा।

ऐसे कई हर्बल चीजें हैं जिनके इस्तेमाल से बालों का झड़ना कम किया जा सकता है। जान‌िए, आयुर्वेद के आधार पर पांच आसान उपायों का जो बालों का झड़ना कम करने में मददगार हैं।

मजबूत और घने बालों के लिए आयुर्वेद में भृंगराज का काफी महत्व माना गया है। भृंगराज तेल न स‌िर्फ गंजापन दूर करता है बल्क‌ि समय से पहले बालों को सफेद नहीं होने देता।

ब्राह्मी और दही का पैक बनाकर बालों पर लगाने से बाल झड़ना कम हो जाएंगे। ब्राह्मी के तेल से न‌ियम‌ित मसाज करने पर भी बाल घने होते हैं।

आंवला में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में हैं जो बाल बढ़ने में मदद करते हैं। आंवले को हिना, ब्राह्मी पाउडर व दही में मिलाकर पैक बनाएं और बालों पर लगाएं।

नीम के इस्तेमाल से न केवल बाल घने होते हैं बल्कि रूसी व जूएं जैसी समस्याएं भी दूर होती हैं। नीम का पाउडर तैयार कर लें। इसे दही या नार‌ियल तेल में मिलाकर बालों की जड़ तक मसाज करें।

रीठा के इस्तेमाल से बालों को काला और घना बनाए रखने में मदद मिलती है। रीठा पाउडर तेल में मिलाकर स‌िर की मसाज करने से बाल झड़ना रुक सकते हैं।

सब्जियों और फलों में ही नहीं, छिलकों में भी हैं जबरदस्त गुण, करते हैं दवा का काम
सब्जियां और फल कई तरह के पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इसीलिए डॉक्टर सेहत बनाने के लिए अधिक मात्रा में इनका सेवन करने को कहते हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि सिर्फ फलों और सब्जियों में ही नहीं बल्कि उनके छिलके भी गुणों से युक्त होते हैं। इन छिलकों का उपयोग करने से कई रोग भी दूर होते हैं। यदि आप भी फलों और सब्जियों के इन गुणों से अनजान हैं तो आइए जानते हैं आज छिलकों के कुछ ऐसे गुणों के बारे में....

- खरबूजे को छिलके सहित खाने से कब्ज दूर होती है।

- यदि आप अलमारियों में कीट से परेशान हैं तो करेले का छिलका रख सकते हैं।

- आलू के छिलके को चेहरे पर रगड़ने से चेहरे पर झुर्रियां नहीं पड़ती।

- जिन महिलाओं को मासिक धर्म के समय अधिक ब्लीडिंग की समस्या होती है। उनके लिए अनार का छिलका एक बेहतरीन दवा है। अनार के छिलके को सुखाकर पीसकर पाउडर बनाकर रख लें। इस पाउडर को एक चम्मच मात्रा में पानी के साथ लें।

- अनार के छिलकों के दो चम्मच पाउडर में दोगुनी मात्रा में गुड़ मिलाकर गोलियां बना लें। कुछ दिन तक सेवन करें। बवासीर से जल्दी आराम मिलेगा।

- अनार के छिलके को मुंह में रखकर चूसने से खांसी खत्म हो जाती है।

- अनार के छिलके को बारीक पीसकर उसमें दही मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बनाकर बालों पर मलें। इससे बाल मुलायम होते हैं।

- बादाम के छिलके व बबूल की फलियों के छिलके और बीजों को जलाकर पीस लें। इस मिश्रण में थोड़ा नमक डालकर मंजन करें। इससे दांतों का दर्द दूर होता है।

- लौकी के छिलके को बारीक पीसकर पानी के साथ पीने से दस्त में लाभ होता है।

- नींबू का छिलका दांत पर मलने से दांत चमकदार बनते हैं।

- नींबू का छिलका जूते पर रगड़े व कुछ देर के लिए धूप में रख दें। जूतों में चमक आ जाएगी।

- नींबू व संतरे के छिलकों को सूखा कर, खूब महीन चूर्ण बनाकर दांत पर घिसे। दांत चमकदार बन जाएंगे।

- पपीते के छिलके को सौंदर्य बढ़ाने वाला माना जाता है। त्वचा पर लगाने से खुश्की दूर होती है। एड़ियों पर लगाने से वे मुलायम होती हैं।

- केले के छिलकों को हल्के हाथों से चेहरे पर पांच मिनट तक घिसने से पिंपल्स दूर हो जाते हैं। इसके छिलके का पेस्ट बनाकर लगाने से चेहरा ग्लो करने लगता है।

- केले का छिलका दांतों पर रगड़ने से दांत चमकने लगते हैं।

- पपीते के छिलके को सौंदर्य बढ़ाने वाला माना जाता है। त्वचा पर लगाने से खुश्की दूर होती है। एड़ियों पर लगाने से वे मुलायम होती हैं।

- केले के छिलकों को हल्के हाथों से चेहरे पर पांच मिनट तक घिसने से पिंपल्स दूर हो जाते हैं। इसके छिलके का पेस्ट बनाकर लगाने से चेहरा ग्लो करने लगता है।

- केले का छिलका दांतों पर रगड़ने से दांत चमकने लगते हैं।

- यदि आप झुर्रियों से परेशान हैं तो अंडे की जर्दी में केले के छिलके को मिलाकर चेहरे पर लगाएं। इससे झुर्रियां खत्म हो जाती हैं। इस पेस्ट को चेहरे पर 5 मिनट के लिए लगाएं। फिर चेहरा धो लें।

- यदि शरीर में कहीं भी दर्द हो तो केले का छिलका उस स्थान पर लगाकर 30 मिनट के लिए छोड़ दें, दर्द से राहत मिलेगी।

- मस्सों पर नियमित रूप से छिलका घिसने से मस्से झड़ जाते हैं।

- संतरे के छिलके में क्लीजिंग, एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो कि पिंपल और एक्ने से लड़ने में सहायक होते हैं। संतरे के छिलके को सुखाकर पीसकर उसे दही मिलाकर स्किन पर लगाने से स्किन ग्लोइंग व स्मूथ बनती है।

- संतरे के छिलकों को बेसन में मिलाकर लगाना तैलीय त्वचा वालों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होता है। यह पिंपल्स को खत्म कर देता है।

- शैंपू नहाने के लिए इस्तेमाल करने वाले शैंपू के झाग से आप पैरों की एड़ियां साफ कर सकती हैं।

- संतरे के रस में बहुत सारा विटामिन सी होता है। अगर आपके पैर सूरज की धूप में जल गए हैं, तो उन पर संतरे का रस लगाइए,15 मिनट के बाद जब रस सूख जाए तब पैरों को साफ पानी से धो लीजिए।

- पैरों को साफ करने के लिए दानेदार नमक का प्रयोग करें।

- पैरों को गीला करके दोनेदार चीनी को 10 मिनट तक के लिए रगड़े। फिर पैरों को गर्म पानी में कुछ देर डूबोकर रखें।

- इसके छिलके में पाचनशक्ति बढ़ाने की क्षमता होती है। यह पाचन में सुधार, गैस, उल्टी, हार्ट बर्न और अम्लीय डकार को दूर करने में मदद करता है। यह भूख बढाता है और मतली से राहत दिलाने का काम करता है।

- संतरे का छिलका कृमि का नाश करने वाला व बुखार को मिटाने वाला भी होता है। इसलिए इन सभी रोगों के रोगियों को संतरे का छिलका पीसकर खिलाने पर फायदा होता है।

- यदि आपके बाल एकदम रफ और बेजान दिखाई देते हैं तो संतरे के छिलके आपके लिए वरदान साबित हो सकते हैं। संतरे के छिलकों को पीसकर बालों में लगाकर कुछ देर रखें और फिर बाल धो लें। बाल चमकीले और मुलायम हो जाएंगे।

- संतरे के छिलकों को पीस कर उसमे गुलाब जल मिलाकर चेहरे पर लगाने से दाग व धब्बे मिटते हैं।

- एक अध्ययन के अनुसार यदि किसी व्यक्ति को कोलेस्ट्रॉल की प्रॉब्लम हो तो ऐसे में संतरे के छिलके उपयोगी साबित हो सकते हैं।

- ये कैंसर व हड्डियों की कमजोरी जैसी समस्याओं में भी विशेष रूप से लाभदायक है।

- नारंगी के छिलके में एक विशेष प्रकार की गंध वाला तेल पाया जाता है। इस तेल का उपयोग तंत्रिकाओं को शांत करने व गहरी नींद के लिए किया जाता है। नहाने के पानी में इसका दो से तीन बूंद तेल डालिए और फिर देखिए कितनी मीठी नींद आती है।


बालों के लिए नहीं नारियल तेल से बेहतर कुछ भी, जानें क्यों?

बालों की सेहत की बात जब भी आती है, आपने अपनी दादी या नानी को नारियल तेल लगाने को कहते सुना होगा। जब बाल ज्यादा गिरने लगे तो मां कहती हैं तेल नहीं लगाते हो ये उसी का परिणाम है। हमारे बड़े लोगों ने नारियल तेल को बालों के लिए ऐसे ही लाभदायक नहीं कहा है इसके पीछे कई कारण हैं।

एक तो नारियल का तेल बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाता है। दूसरा यह बालों के लिए बहुत ही गुणकारी माना जाता है। नारियल का तेल एक ऐसा तेल है जो बालों की हर समस्या का समाधान कर सकता है। यदि आप जानना चाहते हैं कि नारियल तेल आपके बालों के लिए क्यों सबसे अच्छा है तो चलिए आज जानते हैं इसे लगाने से होने वाले फायदों के बारे में...

- यदि आपके बाल ज्यादा घंने और बार-बार उलझते हैं व उलझने के कारण टूटते हैं तो नारियल तेल लगाएं। बाल नहीं उलझेंगे।

- नारियल का तेल बालों की जड़ को मजबूती देता है, जिससे बाल टूटना कम हो जाते हैं।
- रूसी की समस्या आजकल बहुत आम हो गई है। इससे छुटकारा पाने के लिए बालों में हर हफ्ते नारियल तेल लगाया जाना चाहिए। यदि आप नियमित तौर पर इसे लगाएंगे तो आप हफ्ते भर में इसका चमत्कार देख पाएंगे।

- नारियल का तेल बालों में लगाने से उनकी चमक अपने आप ही बढ़ जाती है और उनमें कुदरती शाइन आती है।

- सिर में खुजली की समस्या हो तो नारियल तेल में कपूर मिलाकर लगाएं। यह समस्या खत्म हो जाएगी।


तुलसी और नमक, इन नुस्खों से एकदम पीले दांत भी सफेद हो जाएंगे
कई लोग खुलकर हंसने और मुस्कुराने से डरते हैं। इसलिए नहीं, क्योंकि वो दिल से खुश नहीं है, बल्कि आत्मविश्वास में कमी के कारण। जिन लोगों के दांत पीले होते हैं वे हंसने में संकोच करते हैं। दरअसल, सही ढंग से केयर न करने के कारण दांत पीले हो जाते हैं।

सही ढंग से केयर न करने या प्लाक जमने के कारण दांत पीले हो जाते हैं। इसके अलावा, खाने की कुछ चीजों के लगातार उपयोग, बढ़ती उम्र या अधिक दवाइयों का सेवन भी दांतों के पीलेपन के कारण हो सकते हैं। हममें से अधिकतर लोग चेहरे की खूबसूरती पर बहुत ध्यान देते हैं, लेकिन समय रहते दांतों की खूबसूरती पर ध्यान नहीं देते। ऐसे में, जब दांत बहुत अधिक पीले या बदरंग हो जाते हैं तो ये अच्छा नहीं लगता। यदि आपके साथ भी यह समस्या है तो दांतों को सफेद बनाने के लिए अपनाएं ये दस तरीके....
तुलसी- तुलसी में दांतों का पीलपन दूर करने की अद्भुत क्षमता पाई जाती है। साथ ही, तुलसी मुंह और दांत के रोगों से भी बचाती है। तुलसी के पत्तों को धूप में सुखा लें। इसके पाउडर को टूथपेस्ट में मिलाकर ब्रश करने से दांत चमकने लगते हैं।

नमक- नमक दांतों को साफ करने का सदियों पुराना नुस्खा है। नमक में थोड़ा-सा चारकोल मिलाकर दांत साफ करने से पीलापन दूर हो जाता है और दांत चमकने लगते हैं।

संतरे के छिलके- संतरे के छिलके और तुलसी के पत्तों को सुखाकर पाउडर बना लें। ब्रश करने के बाद इस पाउडर से दांतों पर हल्के से रोजाना मसाज करें। संतरे में मौजूद विटामिन सी और कैल्शियम के कारण दांत मोती जैसे चमकने लगते हैं।

गाजर- रोजाना गाजर खाने से भी दांतों का पीलापन कम हो जाता है। दरअसल, भोजन करने के बाद गाजर खाने से इसमे मौजूद रेशे दांतों की अच्छे से सफाई कर देते हैं।

नीम- नीम का उपयोग प्राचीनकाल से ही दांत साफ करने के लिए किया जाता रहा है। नीम में दांतों को सफेद बनाने व बैक्टीरिया को खत्म करने के गुण पाए जाते हैं। यह नेचुरल एंटीबैक्टिीरियल और एंटीसेप्टिक है। रोजाना नीम के दातून से मुंह धोने पर दांतों के रोग नहीं होते हैं।

बेकिंग सोडा- बेकिंग सोडा पीले दांतों को सफेद बनाने का सबसे अच्छा घरेलू तरीका है। ब्रश करने के बाद थोड़ा-सा बेकिंग सोडा लेकर दांतों को साफ करें। इससे दांतों पर जमी पीली पर्त धीरे-धीरे साफ हो जाती है। बेकिंग सोडा और थोड़ा नमक टूथपेस्ट में मिलाकर ब्रश करने से भी दांत साफ हो जाते हैं।
नींबू- नींबू एक ऐसा फल है जो मुंह की लार में वृद्धि करता है। इसलिए यह दांतों और मसूड़ों की सेहत के लिए फायदेमंद होता है। एक नींबू का रस निकालकर उसमें उतनी ही मात्रा में पानी मिला लें। खाने के बाद इस पानी से कुल्ला करें। इस नुस्खे को अपनाने से दांत सफेद हो जाते हैं और सांसों की दुर्गंध भी दूर हो जाती है।

स्ट्रॉबेरी- स्ट्रॉबेरी दांतों को चमकदार बनाने का सबसे टेस्टी उपाय है। स्ट्रॉबेरी में पाया जाने वाला मैलिक एसिड दांतों को सफेद और चमकदार बनाता है। स्ट्रॉबेरी को पीस लें। इसके पल्प में थोड़ा बेकिंग सोडा मिलाएं। ब्रश करने के बाद इस मिश्रण को उंगली से दांतों पर लगाएं, दांत चमकने लगेंगे।
केला- केला पीस लें। इसके पेस्ट से दांतों को रोज 1 मिनट तक मसाज करें। उसके बाद दांतों को ब्रश करें। रोजाना ये उपाय करने से धीरे-धीरे दांतों का पीलापन खत्म हो जाएगा।

विनेगर- एक चम्मच जैतून के तेल में एप्पल विनेगर मिला लें। इस मिश्रण में अपना टूथब्रश डुबाएं और दांतों पर हल्के-हल्के घुमाएं। ये प्रक्रिया तब तक दोहराएं, जब तक मिश्रण खत्म न हो जाएं। इस नुस्खे को अपनाने से दांतों का पीलापन मिट जाता है। साथ ही, सांसों की दुर्गंध की समस्या भी नहीं रहती है।
टमाटर- टमाटर विटामिन सी से भरपूर होता है। टमाटर का रस दांतों के लिए बहुत अच्छा होता है। टमाटर के रस से दांतों पर मसाज करें। कुछ देर बाद ब्रश करें। दांत चमक ने लगेंगे।

ऐसे करेंगे टमाटर का USE तो चमकने लगेगा चेहरा, जानें आम चीजों के खास गुण

चेहरे को चमकाने के लिए अधिकांश लोग कई तरह के कॉस्मेटिक्स यूज करते हैं। इन कॉस्मेटिक्स से चेहरा चमके या न चमके लेकिन कई बार रिएक्शन जरूर होता है। इसीलिए चेहरे चमकाने के लिए घरेलू चीजों का उपयोग ज्यादा बेहतर है। हिंदुस्तानी परंपरागत ज्ञान के अनुसार अनेक तरह के हर्बल नुस्खे हैं, जिनका इस्तेमाल कर समस्याओं को दूर किया जा सकता है।
चेहरे पर मुंहासे हो या दाग-धब्बे या उम्र के पड़ाव के साथ चेहरे पर आने वाली झुर्रियां, इन सब के लिए परंपरागत स्वदेशी ज्ञान से कई हर्बल नुस्खे तैयार करके समस्या का निवारण किया जा सकता है। चलिए आज जानते है चेहरे के दाग-धब्बे और झुर्रियों को दूर करने के लिए कौन कौन से परंपरागत हर्बल उपाय सुझाए गए हैं।

- टमाटर का रस निकालकर उसमें थोड़ा शहद मिलाकर हल्के हाथों से चेहरे पर मसाज करें। सूखने पर चेहरा धो ले। नियमित रूप से यह नुस्खा अपनाने पर चेहरा चमकने लगेगा।

- सेब को पीस लें और इसमें कुछ मात्रा कच्चे दूध की मिला लें। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं। जब यह सूख जाए तो इसे धो लें। सप्ताह में कम से कम 4 बार ऐसा करने से काफी फायदा होता है।

- पान के एक पत्ते को पीस लें। इसमें एक चम्मच नारियल का तेल मिला लें। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं। किसी भी हिस्से पर बने दाग, काले निशान या धब्बों पर लगाकर कुछ देर रखें और फिर चेहरा धो लें। ऐसा सप्ताह में कम से कम 2 से 3 बार करें। 3 महीने के भीतर निशान मिट जाएंगे।

- एक आलू को बारीक पीस लें। इसमें 2-3 चम्मच कच्चा दूध मिला लें। पेस्ट तैयार हो जाएगा। इस पेस्ट को प्रतिदिन सुबह शाम कुछ देर के लिए काले निशानों पर लगाकर रखें। फिर धो लें, निशान दूर हो जाएंगे।
- रोजाना ग्लिसरीन और नींबू रस की समान मात्रा चेहरे के काले धब्बों पर लगाएं। जबरदस्त फायदा होगा।

- हर्बल वैद्यों की जानकारी के अनुसार 1/2 कप पत्ता गोभी का रस तैयार करें। इसमें 1/2 चम्मच दही और 1 चम्मच शहद मिलाकर चेहरे पर लगाएं। जब यह सूख जाए तो गुनगुने पानी से इसे धो लें, ऐसा करने से चेहरे की त्वचा में प्राकृतिक रूप से खिंचाव आता है और यह झुर्रियों को दूर करने में मदद करता है।

- रात सोने जाने से पहले संतरे के 2 चम्मच रस में 2 चम्मच शहद मिला लें। चेहरे पर 20 मिनिट तक लगाए रखें। इसके बाद दूध में डूबोकर चेहरे की सफाई करें। ऐसा रोज करने से बहुत जल्दी सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।

- एक आलू को बारीक पीस लें। इसमें 2-3 चम्मच कच्चा दूध मिला लें। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं। जल्द ही निशान दूर हो जाएंगे।

- रोजाना ग्लिसरीन और नींबू रसको समान मात्रा में मिलाकर चेहरे के काले धब्बों पर लगाएं तो जबरदस्त फायदा होगा और जल्द ही गहरे काले निशानों की छुट्टी हो जाएगी।

तुरई या तोरी एक सब्जी है जिसे लगभग संपूर्ण भारत में उगाया जाता है। तुरई का वानस्पतिक नाम एक्युटेंगुला है। तुरई को आदिवासी विभिन्न रोगोपचार के लिए उपयोग में लाते है। मध्यभारत के आदिवासी इसे सब्जी के तौर पर बड़े चाव से खाते हैं और हर्बल जानकार इसे कई नुस्खों में इस्तेमाल भी करते हैं चलिए आज जानते हैं ऐसे ही कुछ रोचक हर्बल नुस्खों को..

-आधा किलो तुरई को बारीक काटकर 2 लीटर पानी में उबाल लें।इसके बाद पानी को छानकर उसमें बैंगन को पका लें। बैंगन पक जाने के बाद इसे घी में भूनकर गुड़ के साथ खाने से बवासीर की समस्या खत्म हो जाती है।

- पीलिया होने पर तुरई का रस रोगी की नाक में दो से तीन बूंद डालें। इससे नाक से पीले रंग का द्रव बाहर निकलता है। आदिवासी मानते है कि इस नुस्खे से बहुत जल्दी पीलिया खत्म हो जाता है।

- तुरई के छोटे छोटे टुकड़े काटकर छांव में सुखा लें। सूखे टुकड़ों को नारियल के तेल में मिलाकर 5 दिन तक रखें और बाद में इसे गर्म कर लें। तेल छानकर रोजाना बालों में लगाएं बाल काले हो जाएंगे।

- तुरई में इन्सुलिन की तरह पेप्टाइड्स पाए जाते हैं। इसलिए इसे डायबिटीज नियंत्रण के लिए एक अच्छे उपाय के तौर पर देखा जाता है।

- तुरई की बेल को दूध या पानी में घिसकर 5 दिनों तक सुबह शाम पिएं। इससे पथरी में आराम मिलता है।

- तुरई के पत्तों और बीजों को पानी में पीसकर त्वचा पर लगाएं। इससे दाद-खाज और खुजली जैसे रोगों में आराम मिलता है, यह कुष्ठ रोगों में भी हितकारी है।

- अपच और पेट की समस्याओं के लिए तुरई की सब्जी बेहद कारगर इलाज है। डांगी आदिवासियों के अनुसार अधपकी सब्जी पेट दर्द दूर कर देती है।

- आदिवासी जानकारी के अनुसार लगातार तुरई का सेवन करना सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। तुरई रक्त शुद्धिकरण के लिए बहुत उपयोगी माना जाती है। साथ ही, यह लिवर के लिए भी गुणकारी होती है।

हाइट फिर से बढ़ने लगेगी, एक बार जरूर ट्राय करें ये कारगर देसी नुस्खे
कुछ लोगों की हाइट समय से पहले ही बढ़ना रुक जाती है। इसका मुख्य कारण शरीर को पर्याप्त पोषक तत्व न मिलना और हार्मोन की गड़बड़ी है। दरअसल, हमारी लंबाई बढ़ाने में सबसे बड़ा योगदान ह्यूमन ग्रोथ हार्मोन यानी एचजीएच का होता है। एचजीएच पिट्युटरी ग्लैंड से निकलता है। यही कारण है कि सही प्रोटीन और न्यूट्रिशन न मिलने पर शरीर का विकास रुक जाता है। यदि आपके साथ भी यह समस्या है तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं हाइट बढ़ाने और कर्वी फिगर पाने के कुछ खास नुस्खे....

नुुस्खा- अश्वगंधा और सूखी नागौरी दोनों को ही आयुर्वेद में शारीरिक विकास के लिए महत्वपूर्ण माना गया है।

सामग्री - 20 ग्राम सूखी नागौरी।
- 20 ग्राम अश्वगंधा।
- 20 ग्राम चीनी।
बनाने की विधि- सूखी नागौरी और अश्वगंधा की जड़ को बारीक पीस लें। इस चूर्ण में बराबर मात्रा में चीनी मिला लें। यह मिश्रण कांच की बोतल में भर लें।
ऐसे करें सेवन- रात को सोते समय रोज दो चम्मच चूर्ण लें। फिर गाय का दूध पिएं। इससे हाइट बढ़ने के साथ ही हेल्थ भी बन जाती है। इस चूर्ण को लगातार 40 दिन तक लें। सर्दियों में यह चूर्ण अधिक फायदा करता है।

2. नुस्खा- काले तिल और अश्वगंधा का यह योग नियमित रूप से सेवन करने पर हाइट बढ़ने लगती है।
सामग्री- 1.अश्वगंधा चूर्ण।
2. काले तिल।
3. खजूर।
4. गाय का घी।
बनाने की विधि- 1 से 2 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण और 1 से 2 ग्राम काले तिल को पीसकर चूर्ण बना लें।
ऐसे करें सेवन- इस चूर्ण को 3 से 5 खजूर में मिलाकर 5 से 20 ग्राम गाय के घी में एक महीने तक खाने से लाभ होता है।

3.नुस्खा- केवल अश्वगंधा का पाउडर लेने से भी कद बढ़ने लगता है।

सामग्री- 1. अश्वगंधा की जड़
2. चीनी
3. दूध
बनाने की विधि- थोड़ी सी मात्रा में अश्वगंधा की जड़ लेकर उसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में बराबर मात्रा में चीनी मिलाकर रख लें।

ऐसे करें सेवन- इस मिश्रण को 2 चम्मच मात्रा में एक गिलास दूध में डालकर पिएं। रात को सोने से पहले 45 दिनों तक इस योग का सेवन करने से शरीर सुडौल बनता है और कद बढ़ जाता है।
सावधानियां- फास्ट फूड या जंक फूड का सेवन न करें।
- खटाई न खाएं।
- ज्यादा मिर्च-मसाले से परहेज करें।
- इन दवाओं का सेवन गाय के दूध से करें तो बेहतर है।

ये भी करें-

जिन लोगों का कद नहीं बढ़ रहा हो उन्हें रोज ताड़ आसन और भुजंगासन करना चाहिए।
ताड़ आसन विधि- ताड़ आसन करने के लिए सबसे पहले अपने दोनों हाथ ऊपर उठाएं। हाथ उठाकर सांस अंदर लें। अपने पैर के पंजों पर कुछ समय के लिए खड़े हो जाएं।

दोनों हाथों को मिलाएं और अपने शरीर को ऊपर की तरफ खीचें। कुछ देर उसी अवस्था में रहें। फिर सांस बाहर छोड़ें और दोनों पैर के पंजों को सामान्य अवस्था में ले आएं। यह क्रिया 10 से 15 बार करें।

भुजंगासन विधि- पेट के बल लेट जाएं। दोनों पैरों को मिलाकर रखिए। सिर जमीन पर, आंखें खुली हुई और दोनों बाजू को कोहनी से मोड़ें। हाथों को कंधों के नीचे रखें। कोहनी बाहर की ओर न हो, बल्कि शरीर के साथ लगाकर रखें।

एक ही बार में सांस नहीं भरेंगे, बल्कि आसन करते हुए धीरे-धीरे सांस भरें।
धीरे-धीरे सांस लेना शुरू करें और फिर सिर को उठाएं। गर्दन को पीछे की ओर मोड़ें। पीठ की मांसपेशियों का बल लगाते हुए आप कंधे भी उठाएं। हथेलियों पर थोड़ा दबाव रखते हुए छाती और नाभि तक का भार उठाएं।

हर स्थिति में नाभि को जमीन से 30 सेंटीमीटर ही ऊपर उठाना चाहिए। ज़्यादा नहीं, अन्यथा कमर भी उठ जाएगी। इस स्थिति में कोहनी सीधी नहीं होगी। इसके बाद आकाश की ओर देखें। इस अवस्था में सांस रोंके। कमर के निचले भाग पर खिंचाव आएगा, जिसे आप महसूस कर पाएंगे। इस स्थिति में 3-4 सेकंड तक रहें और फिर सामान्य अवस्था में आ जाएं।

इसके साथ ही अपने डाइट चार्ट में ज्यादा से ज्यादा फल और मेवे शामिल करें। कद बढ़ने लगेगा।


स्त्रियां पायल क्यों पहनती हैं, अधिकतर पुरुष नहीं जानते असली वजह

किसी भी स्त्री के पैरों की सुंदरता में पायल चार चांद लगा देती है। स्त्रियों के सोलह श्रृंगार में पायल का भी महत्वपूर्ण स्थान है। आमतौर पर यही माना जाता है कि पायल स्त्रियों के लिए श्रृंगार की वस्तु है, लेकिन इससे कई अन्य लाभ भी प्राप्त होते हैं। पायल से प्राप्त होने वाले फायदों के विषय में काफी कम लोग जानते हैं।

प्राचीन समय से ही हर स्त्री के लिए पायल पहनना अनिवार्य परंपरा के रूप में प्रचलित है। कई घर-परिवार ऐसे हैं, जहां विवाह के बाद स्त्री को पायल के बिना घर से बाहर जाने की इजाजत भी नहीं दी जाती है। यहां जानिए इस प्राचीन परंपरा के पीछे कौन-कौन से कारण बताए गए हैं...

पायल पहनने के पीछे एक वजह यह है कि प्राचीन काल में महिलाओं को पायल एक विशेष संकेत के लिए पहनाई जाती थी। उस समय में जब घर के सभी सदस्य एक साथ बैठे होते थे, तब यदि पायल की छम-छम की आवाज आती थी तो सभी को अंदाजा हो जाता कि कोई महिला उनकी ओर आ रही है। जिससे सभी सदस्य व्यवस्थित रूप से आने वाली महिला का उचित स्वागत करने के लिए तैयार हो जाते थे।

पायल की आवाज से घर में निर्मित होता है सकारात्मक वातावरण

छम... छम... छम... पायल की ऐसी आवाज किसी का भी मन बरबस ही लुभा लेती है। जब कोई लड़की पायल पहनकर चलती है तो पायल से निकलने वाला मधुर स्वर किसी संगीत से कम प्रतीत नहीं होता। पायल की आवाज से घर में नकारात्मक शक्तियों का असर कम हो जाता है और दैवीय शक्तियां बढ़ती हैं। घर में सकारात्मक वातावरण निर्मित होता है।

पायल पहनने से मिलते हैं कई स्वास्थ्य

पायल पहनने से स्त्रियों को कई स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होते हैं। सोने या चांदी से बनी पायल विशेष स्वास्थ्य लाभ पहुंचाती है। पायल हमेशा पैरों से रगड़ाती रहती है, इसी वजह से पैरों की हड्डियों को सोने या चांदी के तत्व प्राप्त होते हैं, जिनसे हड्डियों को मजबूती मिलती है। आयुर्वेद में कई दवाओं में धातुओं की भस्म का उपयोग किया जाता है। धातुओं की भस्म से जैसे स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं, ठीक वैसे ही लाभ पायल पहनने से पैरों को भी मिलते हैं।

जब पायल की आवाज आए तो ध्यान रखें ये बातें

पायल की आवाज अन्य लोगों के लिए एक इशारा है, इसकी आवाज से सभी को यह एहसास हो जाता है कि कोई महिला उनके आसपास है, अत: ऐसी परिस्थिति में शालीन और सभ्य व्यवहार करना चाहिए। ताकि स्त्री के सामने किसी प्रकार की कोई अभद्रता ना हो जाए।

पुराने समय में स्त्रियों को पति के घर में कहीं आने-जाने के लिए पूरी स्वतंत्रता नहीं रहती थी। साथ ही, वह किसी से खुलकर बात भी नहीं कर पाती थी। ऐसे में जब वह घर में कही आती-जाती तो बिना उसके बताए भी पायल की आवाज से सभी सदस्य समझ जाते थे कि उनकी बहु वहां आ रही है या कहीं जा रही है।
10 चीजें खाने से आंखें हमेशा स्वस्थ रहेंगी और चश्मा भी नहीं लगेगा
आंखें हमारे शरीर का सबसे अनमोल अंग हैं। इसीलिए इसकी देखभाल ठीक से करना बहुत जरूरी है। आंखों को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन और पोषक तत्वों से भरपूर चीजों का सेवन करना चाहिए, क्योंकि सही आहार व सही देखभाल से आंखें उम्र भर स्वस्थ रहती हैं। चलिए आज जानते हैं कुछ ऐसी ही चीजों के बारे में जिनके नियमित सेवन से चश्मा नहीं लगता और आंखें स्वस्थ रहती हैं....
हरी सब्जियां होती है फायदेमंद- आंखों को सेहतमंद बनाए रखने के लिए। फलों और हरे पत्तों वाली सब्जियों का सेवन बहुत जरूरी है। इनके सेवन से शरीर को केरोटीनाइड मिलता है, जो कि आंखों की पुतली को हमेशा स्वस्थ बनाए रखता है।

विटामिन्स से भरपूर चीजें- विटामिन ए, बी, सी और ई युक्त चीजों का सेवन बहुत जरूरी है। इन विटामिन्स का सेवन करने से आंखें स्वस्थ रहती हैं व मोतियाबिंद की बीमारी हमेशा दूर रहती है।
जिंक युक्त चीजों का सेवन- आंखों से जुड़ी समस्याओं से बचने के लिए जिंक युक्त चीजें जरूर खाना चाहिए। मुंगफली, दही, डार्क चॉकलेट, तिल व कोको पाउडर आदि मेें जिंक भरपूर मात्रा में पाया जाता है।

सल्फर वाली चीजों को खाने में शामिल करें- देखने की क्षमता उम्र भर एक सी बनी रहे। इसके लिए प्याज व लहसुन को अपने खाने में शामिल करना चाहिए। ऐसे ही किसी व्यक्ति को मोतियाबिंद की समस्या हो तो उसे सेलेनियम से भरपूर चीजों का सेवन करना चाहिए।
सोया मिल्क- सोया मिल्क भी आंखों के लिए बहुत लाभकारी है। इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। साथ ही, इससे विटामिन, फैटी एसिड्स और विटामिन ई भी मिलते हैं,जो कि आंखों की कमजोर को तुरंत दूर कर देते हैं।

फल भी होते हैं लाभदायक- आम, पपीते जैसे फलों में करोटिन पाया जाता है। इनके सेवन से आंखों के नीचे के काले घेरे दूर हो जाते हैं। आंखें हमेशा स्वस्थ रहती हैं।
सौंफ से भी मिलता है लाभ- सौंफ कई गुणों से भरपूर होती है। इसमें मौजूद औषधीय गुण आंखों के लिए लाभदायक होते हैं। सौंफ और मिश्री को बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। इसकी एक चम्मच सुबह-शाम दूध के साथ लें। इससे आंखों की कमजोरी दूर होती है और नेत्र ज्योति बढ़ती है।

मछली भी आंखों के लिए गुणकारी है- मछली में ओमेगा 3 फैटी एसिड्स होता है। एक ताजा शोध में ये बात सामने आई है कि मछली खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
बादाम खाने से भी होता है फायदा- बादाम में विटामिन ई पाया जाता है। रोजाना रात को बादाम पानी में भिगोएं और सुबह उसे खाएं। इससे आंखें हमेशा स्वस्थ रहती हैं।

अंडा खाने से भी स्वस्थ रहती हैं आंखें- आंखों के लिए अंडा काफी लाभदायक होता है। ल्यूटिन व जीजेंथिन नामक तत्वों से कैरोटिनायड्स का निर्माण होता है। किसी अन्य पदार्थ की अपेक्षा ये दोनों तत्व अंडे में प्रचुरता में पाए जाते हैं। रोज एक अंडा खाने से केरोटिनाइड्स की कमी के कारण आंखों के सेल्स में होने वाला क्षरण रोका जा सकता है।

ये 15 चीजें खाने से बिना पसीना बहाए ही पेट अंदर हो जाता है

भारत में जड़ी-बूटी और मसालों का उपयोग सैकड़ों सालों से किया जाता रहा है। इन हर्ब और मसालों में कई औषधीय गुण भरपूर मात्रा में होते हैं। साथ ही, ये हमारे खाने को भी अलग फ्लेवर देते हैं। रिसर्च से पता चला है कि इन मसालों में रोग प्रतिरोधक क्षमता और शरीर का मेटॉबालिज्म बढ़ाने की क्षमता होती है। ये खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ ही वजन को भी कंट्रोल करते हैं। अगर आप अपना वजन कम करने का मन बना रहे हैं तो आज हम बता रहे हैं कुछ ऐसे मसालों और हर्ब के बारे में जिनके नियमित सेवन से वजन कम हो जाता है....

- दालचीनी मसाले के रूप में काम मे ली जाती है। यह पेट रोग, इंफ्यूएंजा, टाइफाइड, टीबी और कैंसर जैसे रोगों में उपयोगी है। दालचीनी का तेल बनता है। दालचीनी,साबुन, दांतों के मंजन, पेस्ट, चाकलेट, सुगंध व उत्तेजक के रूप में काम में आती है।

-चाय, कॉफी में दालचीनी डालकर पीने से स्वादिष्ट हो जाती है। वजन कम करने वाले हर्ब में दालचीनी सबसे कारगर है। यह बॉडी के शुगर लेवल को कंट्रोल करती है। साथ ही, इसके सेवन से भूख लगना कम हो जाती है और फैट तेजी से मेटाबॉलाइज हो जाता है।

- साधारण सा दिखने वाला अदरक वाकई गुणों की खान है। आयुर्वेद में भी अदरक का खूब जिक्र है। अब तक आपने महज सर्दी-जुकाम में अदरक के कारगर होने की बात सुनी होगी, लेकिन नए वैज्ञानिक शोध के मुताबिक अदरक डायबिटीज की समस्या में भी कारगर साबित होता है। अदरक पेट साफ करने के लिए काफी अच्छा होता है। यह पाचन तंत्र में फंसे भोजन को हटाता है, जिससे फैट कम जमा होता है और वजन भी नहीं बढ़ता है।

- इलाइची का लैटिन नाम इलेट्टेरिया कार्डियोमम है। इलाइची में टर्पिन, टर्पिनीनोल, सिनिओल, टर्पिनिल एसिटेट नमक रासायनिक तत्त्व पाए जाते हैं। यह शरीर के मेटाबॉलिज्म और फैट बर्न करने की क्षमता को बढ़ाता है।

- हल्दी अपने औषधीय और सौंदर्यवर्धक गुणों के कारण रसोई की शान है। इसके पीले रंग के कारण भारतीय केसर के नाम से भी प्रसिद्ध हल्दी पौष्टिक गुणों से भरपूर होती है। हल्दी में वजन कम करने के गुण भी पाए जाते हैं। यह फैट टिशू के निर्माण को कम करता है। इससे शरीर में फैट कम बनता है, जिससे वजन बढ़ने की समस्या नहीं होती है।

- एकाइ बेरी शोध से पता चलता है कि एकाइ बेरी का जूस या सूखा पाउडर वजन कम करने में काफी असरदार होता है। यह शरीर में फैट बनने से रोकता है। इसमें कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट गुण भी पाए जाते हैं।

- नेटल की पत्तियां कई तरह के गुणों से भरपूर होती हैंं। इसमें विटामिन सी व विटामिन ए के अलावा एंटीऑक्सीडेंट भी पाए जाते हैं। इन पत्तियों के सेवन से खून साफ होने के साथ ही फैट भी बर्न होता है।

- शोधों और आयुर्वेद के अनुसार, लाल मिर्च में सक्सीनिक एसिड, शिकिमिक एसिड, आक्जेलिक एसिड, क्युनिक एसिड, अमीनो एसिड, एस्कार्बिक एसिड, फोलिक एसिड, सिट्रीक एसिड, मैलिक एसिड, मैलोनिक एसिड, आल्फा-एमिरिन, कैप्सीडीना, कैप्सी-कोसीन, कैरोटीन्स , क्रिप्तोकैप्सीन, बाई-फ्लेवोनाईड्स, कैप्सेंथीन, कैप्सोरूबीन डाईएस्टर, आदि तत्व उपस्थित होते हैं। लाल मिर्च में कैप्साइसिन नामक यौगिक भी पाया जाता है, जो मोटापा कम करने के साथ ही भूख के एहसास को भी कम करता है। एक शोध से यह बात सामने आई कि लाल मिर्च मेटाबॉलिज्म को बढ़ाती है, जिससे ज्यादा से ज्यादा कैलोरी बर्न होती है।

- जीरा वैसे तो रसोई में काम आने वाला एक साधारण सा मसाला है, लेकिन यह औषधीय गुणों से भी भरपूर होता है। अपच ,पेट फूलना ,भोजन में अरुचि में जीरे का सेवन लाभदायक होता है। बवासीर में जीरे को मिश्री के साथ खाने से कुछ आराम मिलता है। जीरा हमारे पाचन तंत्र को बेहतर बनाकर हमें ऊर्जावान रखता है। साथ ही, यह हमारे इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाता है। इसके नियमित रूप से सेवन से वजन नियंत्रण में रहता है।

- काली मिर्च आमतौर पर उपयोग किए जाने वाले मसालों में से है। इसमें पाइपरीन पाया जाता है। पाइपरीन शरीर के मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है। काली मिर्च हमारे पाचन तंत्र को बेहतर बनाने के साथ-साथ फैट बर्न की गति को भी बढ़ाती है।

-गुआराना में डाइयूरेटिक गुण पाया जाता है, जो वजन कम करने में मददगार होता है। साथ ही यह नर्वस सिस्टम को भी बेहतर बनाता है। इससे आप तनावमुक्त रहते हैं और खाने पर भी आपका नियंत्रण रहता है।

- जिनसेंग जिनसेंग एनर्जी लेवल को बढ़ाता है। साथ ही, मेटाबॉलिज्म की गति को भी बेहतर बनाता है।

- ग्वार गम यानी ग्वार बीज डायबिटीज के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है और वजन कम करने में भी मददगार होता है। साथ ही, यह आपके पाचन तंत्र को भी बेहतर बनाता है।

- सरसो मेटाबोलिक एक्टिविटी को तेज करता है, जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है।

- फ्लैक्स सीड बल्किंग एजेंट का काम करता है और इसे खाने के बाद पेट भरा-भरा लगने लगता है। इससे आप ज्यादा खाने से बचेंगे, जिससे आपका वजन नहीं बढ़ेगा।

- नारियल तेल भी मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है। इससे ऊर्जा बाहर निकलती है और वजन भी कम होता है।

- सौंफ खाने से पाचन तंत्र में सुधार होता है और भूख भी नियंत्रित रहती है। इसके अलावा लीवर की सफाई भी होतीहै।

- रोज रात को सोने से पहले ईसबगोल लेना वजन कम करने का एक सुरक्षित रास्ता है। इससे शरीर ऊर्जावान बना रहता है। साथ ही, शरीर की कार्र्बोहाइड्रेट सोखने की दर भी कम हो जाती है।

10 साधारण चीजें, जिन्हें खाने से खून की कमी बहुत जल्दी दूर हो जाती है
खून की कमी एक आम समस्या है जो पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक देखी जाती है। जब खून में लाल रक्त कणिकाओं की कमी हो जाती है तो शरीर में हिमोग्लोबिन की कमी हो जाती है। हिमोग्लोबिन एक तरह का प्रोटीन होता है। यह शरीर में ऑक्सीजन के संचरण का काम करता है। इसकी कमी से एनिमिया नाम का रोग हो जाता है। एनिमिया मुख्य रूप से तीन तरह का होता है।

- खून की कमी से होने वाला एनिमिया।

- हेमोलाइसिस एनिमिया।

- लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण में कमी के कारण होने वाला एनिमिया।
एनिमिया के कारण-

- लोहे तत्वों की कमी।
- विटामिन बी 12 की कमी।
- फोलिक एसिड की कमी।
- मां के दूध पिलाने के कारण।
- बहुत ज्यादा खून की कमी होने पर।
- पेट में इंफेक्शन के कारण।
- स्मोकिंग।
- खून की कमी।
- एजिंग
- कुछ दवाईयों के अधिक इस्तेमाल से।
एनिमिया के लक्षण-

1. ज्यादा सुस्ती आना।
2. थकान।
3. अस्वस्थता।
4. सांस लेने में दिक्कत।
5. घबराहट।
6. सर्दी के प्रति ज्यादा संवेदनशील होना।
7. पैरों और हाथों में सूजन।
8. क्रोनिक हार्ट बर्न।
9. ज्यादा पसीना आना।
10. स्टूल में खून आना।

पालक- पालक की सब्जी एनिमिया में दवा की तरह काम करती है। इसमें कैल्शियम, विटामिन ए, बी9, विटामिन ई और विटामिन सी, फाइबर, बीटा केरोटीन पाया जाता है। आधा कप उबले पालक में 3.2 मि.ग्रा. आयरन पाया जाता है। यह एक ही बार में किसी महिला के शरीर में 20 प्रतिशत आयरन की पूर्ति करने में सक्षम है।

कैसे खाएं पालक - हरी सब्जियों में पालक डालें। साथ ही, सलाद के रूप में भी इसका सेवन किया जा सकता है। पालक को उबालकर उसका सूप भी बनाया जा सकता है। इसका सूप पीने से बहुत जल्दी खून बढ़ता है।

चुकंदर- चुकंदर को एनिमिया में एक रामबाण दवा माना जाता है। यह लौह तत्व से भरपूर सब्जी है। चुकंदर ब्लड सेल्स को एक्टिव कर देता है। एक बार जब ये रक्त कणिकाएं एक्टिव हो जाती हैं। ये पूरे शरीर में ऑक्सीजन का संचरण करती हैं। इसीलिए एनिमिया से पेरशान लोगों को अपनी डेली डाइट में थोड़ा चुकंदर जरूर शामिल करना चाहिए।

कैसे खाएं चुकंदर- चुकंदर को शिमला मिर्च, गाजर, टमाटर जैसी सब्जियों में मिलाकर सब्जी बनाई जा सकती है।

- इसके अलावा चुकंदर को सलाद के रूप में या जूस बनाकर लिया जा सकता है।

पीनट बटर- पीनट बटर प्रोटीन का एक अच्छा सोर्स है। इसीलिए पीनट बटर को अपनी डेली डाइट में शामिल करने की कोशिश करें। रोज पचास ग्राम मुंगफली खाने से भी एनिमिया दूर होता है। दो चम्मच पीनट बटर में 0.6 मि.ग्रा. आयरन पाया जाता है।

कैसे खाएं पनीर बटर- रोज सुबह ब्रेड पर पीनट बटर लगाकर खाएं। इसके बाद संतरे का जूस पीने से शरीर आयरन को बहुत जल्दी एब्जार्ब कर लेता है।

- किसी चीज में मिलाकर भी इसका सेवन किया जा सकता है।

टमाटर- टमाटर में भरपूर मात्रा में विटामिन सी और लाइकोपिन पाया जाता है। इसमें उपस्थित विटामिन सी आयरन को एब्जार्ब करने में मदद करता है। साथ ही, इसमें बीटा केरोटीन और विटामिन ई पाया जाता है। इसीलिए ये शरीर के लिए नेचुरल कंडिशनर का भी काम करता है।
कैसे खाएं टमाटर- टमाटर को सलाद के रूप में खाया जा सकता है।

- इसके अलावा जूस या सूप बनाकर पीना भी सेहत के लिए अच्छा होता है।
सोयाबीन- सोयाबीन आयरन और विटामिन से भरपूर होता है। इसे खाने से शरीर को लो फैट के साथ ही भरपूर मात्रा में आयरन मिलता है। इसीलिए यह एनिमिया के पेशेन्ट्स के लिए बहुत लाभदायक होता है।

कैसे खाएं सोयाबीन- सोयाबीन को उपयोग करने से पहले उन्हें रात में गुनगुने पानी में भिगो दें। फिर धूप में सुखा लें।

- इसे चपाती के आटे के साथ पीसवा कर उपयोग में लाना चाहिए।

- इसके अलावा सोयाबीन को उबालकर भी उसका सेवन किया जा सकता है।
शहद- शहद कई बीमारियों में दवा का काम करता है। एनिमिया के रोगियों के लिए भी यह बहुत लाभदायक होता है। 100 ग्राम शहद में 0.42 मि.ग्रा. आयरन होता है। इसीलिए इसके सेवन से खून की कमी दूर हो जाती है।

कैसे लें शहद- एक नींबू के रस को एक गिलास पानी में मिलाएं। इसके बाद एक चम्मच शहद मिलाएं। रोज इस तरह एक गिलास नींबू पानी का सेवन करने से बहुत जल्दी खून बढ़ता है।

गुड़- एक चम्मच गुड़ में 3.2 मि.ग्रा. आयरन होता है। इसीलिए एनिमिया से ग्रस्त लोगों को रोज100 ग्राम गुड़ जरूर खाना चाहिए।

कैसे खाएं गुड़- गुड़ के सेवन में यह बात जरूर ध्यान रखना चाहिए कि गुड़ पुराना हो।

- खाने के बाद थोड़ा सा गुड़ खाने से भी एनिमिया दूर होता है।

साबुत अनाज के ब्रेड- साबुत अनाज ब्रेड की एक स्लाइस से रोजाना शरीर के लिए जरूरी आयरन का 6 प्रतिशत तक मिल जाता है।

कैसे खाएं साबुत अनाज की ब्रेड- रोज नाश्ते में अगर आप साधारण ब्रेड खाते हैं तो उसे साबुत अनाज की ब्रेड से रिप्लेस कर दें।

- आयरन की कमी पूरी करने के लिए रोज कम से कम दो से तीन साबुत अनाज की ब्रेड खाएं।
मेवे- एनिमिया के पेशेन्ट्स को मेवे जरूर खाना चाहिए। मेवों से शरीर में आयरन का लेवल तेजी से बढ़ता है।

कौन से मेवे खाएं- पिस्ता सबसे बेहतरीन ड्रायफ्रूट है, जिससे शरीर को पर्याप्त मात्रा में आयरन मिलता है।

अखरोट- रोज थोड़ा अखरोट खाना भी एनिमिया के रोगियों के लिए बहुत लाभदायक होता है।

सेब और खजूर- सेब और खजूर दोनों में ही पर्याप्त मात्रा में आयरन पाया जाता है।

- सेब के अंदर मौजूद विटामिन सी आयरन को एब्जार्ब करने में शरीर की मदद करता है।

- 100 ग्राम सेब में .12 प्रतिशत आयरन पाया जाता है।

- रोज एक सेब और दस खजूर खाने से एनिमिया दूर हो जाता है।

कम उम्र में आ गई हो सफेदी तो ये नुस्खे अपनाएं, बाल फिर से काले हो जाएंगे

आजकल के फास्ट लाइफ कल्चर में बालों की ठीक से देखभाल न हो पाने और प्रदूषण के कारण बाल सफेद हो जाते हैं। बाल डाई करना या कलर करना इस समस्या का एकमात्र विकल्प नहीं।

कुछ घरेलू नुस्खे आजमा कर भी सफेद बालों को काला किया जा सकता है। हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही सिंपल घरेलू फंडे जिनसे आप कम उम्र में सफेद हुए बालों को फिर से काला बना सकते हैं।

- सूखे आंवले को पानी में भिगोकर उसका पेस्ट बना लें। इस पेस्ट में एक चम्मच युकेलिप्टस का तेल मिलाएं। मिश्रण को एक रात तक लोहे के बर्तन में रखें। सुबह इसमें दही, नींबू का रस व अंडा मिलाकर बालों पर लगाएं। बालों में नई जान आ जाएगी। 15 दिन तक यह प्रयोग करने से सफेद बाल काले होने लगते हैं।

- आंवला जूस, बादाम तेल व नींबू का जूस मिलाकर बालों की जड़ों में लगाएं बालों में चमक आ जाएगी व सफेद भी नहीं होंगे।

- बालों में एलोवेरा जेल लगाने से भी बाल गिरना बंद हो जाते हैं और जल्दी सफेद नहीं होते।

- रोजाना सुबह थोड़ी मात्रा में आंवला जूस लेने से भी बाल लंबी उम्र तक काले बने रहते हैं।

- कम उम्र में सफेद होते बालों पर एक ग्राम काली मिर्च में थोड़ा दही मिलाकर सिर में लगाने से भी लाभ होता है।

- गाय के दूध का मक्खन लेकर हल्के हाथों से बालों की जड़ों में लगाएं। जल्द ही फायदा दिखने लगेगा।

- आपने अपने घर के बुजुर्गों को सिर पर देसी घी से मालिश करते हुए देखा होगा। घी से सिर की त्वचा को पोषण मिलता है। प्रतिदिन घी से सिर की मालिश करके भी बालों के सफेद होने की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।

- 2 चम्मच हिना पाउडर, 1 चम्मच दही, 1 चम्मच मेथी, 3 चम्मच कॉफी, 2 चम्मच तुलसी पाउडर, 3 चम्मच पुदीना पेस्ट मिलाकर बालों में लगाएं। तीन घंटे बाद शैम्पू करें। कम उम्र में सफेद हुए बाल फिर काले हो जाएंगे।

- मेहंदी को नारियल तेल में मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को बालों में लगाने से बालों का रंग आकर्षक डार्क-ब्राउन होने लगता है।

- 200 ग्राम आंवला, 200 ग्राम भांगरा, 200 ग्राम मिश्री, 200 ग्राम काले तिल इन सभी का चूर्ण बनाकर रोजाना 10 ग्राम मात्रा में लेने से कम उम्र में सफेद हुए बाल फिर से काले होने लगेंगे।

- बाल धोने में नींबू पानी का उपयोग करें। इससे बाल नेचुरली ब्राउन होने लगते हैं व सफेद नहीं होते हैं।

- नारियल तेल में ताजे आंवला को इतना उबाले कि वह काला हो जाए। इस मिश्रण को ठंडा करके रात को सोने से पहले बालों में लगा लें व सुबह बाल धोएं।

-अदरक को पीसकर उसमें थोड़ा शहद मिलाकर पेस्ट बनाएं और अपने सिर पर लगाएं। इस उपाय को रोजाना अपनाने से सफेद बाल फिर से काले होने लगते हैं।

- बालों में रोजाना सरसों का तेल लगाने से बाल हमेशा काले रहेंगे।

- नारियल तेल में मीठे नीम की पत्तियां को इतना उबाले की पत्तियां काली हो जाएं। इस तेल के हल्के हाथों से बालों की जड़ों पर लगाएं। बाल घने व काले हो जाएंगे।

- रोजाना खाली पेट आंवले का जूस पिएं। बाल लंबी उम्र तक काले रहेंंगे।

- नींबू का रस और नारियल तेल मिलाकर स्कल्प पर नियमित रूप से लगाने पर बाल काले होते हैं।

- आंवला व आम की गुठली को पीसकर उसे सिर में लगाने से सफेद बाल काले हो जाएंगे।

- बालों में नीम का तेल व रोज मेरी तेल का इस्तेमाल करने से बाल सफेद नहीं होते हैं।

- प्याज का रस निकालकर उसे बालों की जड़ों में हल्के हाथों से लगाएं बाल घने व काले होने लगेंगे।

- आंवला पाउडर में नींबू का रस मिलाकर या ताजे हरे आंवले को पीसकर सिर में लगाने से बाल घने व काले हो जाते हैं।

- तुरई को काटकर नारियल तेल में उबालें व जब तुरई काली हो जाए, तब उसे छानकर किसी बोतल में भर लें। रोजाना इस तेल को बालों में लगाएं। धीरे-धीरे बाल काले होने लगेंगे।

- तिल का तेल तो बालों के लिए अच्छा होता ही है। साथ ही, इसका सेवन भी बहुत लाभ पहुंचाता है। अगर आप अपने भोजन में तिल को शामिल कर लें तो आपके बाल लंबे समय तक काले और घने बने रहेंगे।

- सिर धोने के लिए शिकाकाई पाउडर या माइल्ड शैम्पू का इस्तेमाल करें।

- एक कप चाय का पानी उबालकर उसमें एक चम्मच नमक मिलाएं। इस मिश्रण को बाल धोने से एक घंटे पहले बालों में लगाएं। बाल काले होने लगेंगे।
पुरुषों को मसल्स मजबूत बनाने के लिए जरूर खाना चाहिए ये साधारण चीजें
पुरुषों का व्यक्तित्व तभी आकर्षक लगता है। जब उनका शरीर गठीला हो और मसल्स मजबूत हो। मसल्स मजबूत होती हैं तो शरीर शेप में दिखाई देता है। इसके लिए सिर्फ घंटों जिम में बिताना ही काफी नहीं है, बल्कि सही डाइट प्लान भी जरूरी होता है। खानपान पर यदि पूरी तरह से ध्यान दिया जाए तो मसल्स मजबूत होती हैं और शरीर आंतरिक रूप से ताकतवर बन जाता है। आइए आज जानते हैं हम कुछ ऐसी ही चीजों के बारे में जिनके नियमित सेवन से मसल्स मजबूत हो जाती हैं।

फल और सब्जियां-

मसल्स को मजबूत बनाने के लिए फल और सब्जियों का भरपूर मात्रा में सेवन करना चाहिए। इनमें विटामिन, मिनरल्स और कई पोषक तत्व व प्रोटीन पाए जाते हैं, जो कि मसल्स को मजबूत बनाते हैं।

लो फैट डेयरी उत्पाद-

कम फैट वाले डेयरी उत्पादों जैसे दूध, दही, छाछ आदि में प्रोटीन अधिक मात्रा में होता है। इसीलिए पुरुषों को इनका नियमित सेवन करना चाहिए। एक कप दूध से लगभग 8 मि.ग्रा. कार्निटिन मिलता है। दूध से बनी चीजों में कैल्शियम, विटामिन-ए जैसे आवश्यक पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं। इसके अलावा इनमें कार्बोहाइड्रेट और विटामिन डी भी अच्छी मात्रा में मौजूद होते हैं, जिससे मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।

अंडे-

यदि आप अंडे खाते हैं तो इसे अपनी नियमित डाइट में शामिल करें। मसल्स को मजबूत बनाने के लिए अंडा भी एक उपयोगी औषधि की तरह काम करता है। इसमें अमीनो एसिड पाया जाता है। अंडे के पीले भाग में प्रोटीन और ल्यूटेन जैस तत्व होते हैं, जो शरीर को ताकतवर बनाते हैं।

ड्राय फ्रूट्स-

ड्राय फ्रूट्स और नट्स दोनों में ही भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। पुरुषों को ड्रायफ्रूट्स का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए। फिर चाहें तो इन्हें कच्चा खाएं या फिर भूनकर खाएं। इनमें फैट्स रेशे, विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जिनसे मसल्स मजबूत होती हैं।

अंकुरित अनाज-

अंकुरित अनाज पुरुषों की सेहत के लिए बहुत अच्छे होते हैं। यह पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। साथ ही, यह जिंक जैसे पोषक तत्वों का स्रोत हैं, जो पुरुषों में कमजोरी और नपुंसकता की समस्या कम करने में सहायक होते हैं व मसल्स को मजबूत बनाते हैं।

मूंगफली-

मूंगफली में जिंक के साथ ही भरपूर मात्रा में वसीय अम्ल पाए जाते हैं। ये वसीय अम्ल पुरुषों के लिए फायदेमंद होते हैं। इसके सेवन से पुरुषों में कमजोरी की समस्या दूर हो जाती है।
लहसुन-
लहसुन का सेवन भी पुरुषों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होता है। लहसुन में एंटी-बैक्टीरियल और एंटीवायरल तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। साथ ही, इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण भी मौजूद होते हैं। यह परिसंचरण तंत्र को भी स्वस्थ बनाता है।

ब्रॉकली-

ब्रॉकली खाने के भी चमत्कारिक लाभ हैं। इसमें पाया जाने वाला आइसोथायोसाइनेट्स यकृत को उत्तेजित करता है। यह उन एन्जाइम्स के निर्माण में सहायता करता है, जो कैंसर उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं के प्रभाव को कम करते हैं। इसमें विटामिन-सी भी मौजूद होता है। इसीलिए इसे पुरुषों की सेहत के लिए बेहतरीन औषधि माना गया है।

ग्रीन टी-

ग्रीन टी का सेवन भी पुरुषों के लिए बहुत अच्छा होता है। ग्रीन टी में पॉलीफिनॉल प्रचूर मात्रा में पाया जाता है। यह कैंसर होने से रोकता है। ग्रीन टी रोजाना पीने से पेट, फेफड़ों व आंतों की बीमारियां दूर होती हैं।

आम और पपीता-

आम और पपीता, दोनों में ही भरपूर मात्रा में विटामिन ए पाया जाता है। आम में अमीनों अम्ल, विटामिन ए, सी और ई, नियासिन, बिटाकेरोटिन, आयरन, कैल्शियम और पोटैशियम पाया जाता है। वहीं, पपीता में पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी व सी के साथ ही एंटीआक्सीडेंट भी मौजूद होते हैं। इन दोनों फलों के छिलकों में बायोफ्लैवेनॉइड्स पाया जाता है। इसीलिए यह फल पुरुषों को अपनी डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए।

शिमला मिर्च-

शिमला मिर्च भी पुरुषों के लिए फायदेमंद होती है। कुछ शोधों के अनुसार लाल शिमला मिर्च में संतरे के रस के मुकाबले तीन गुना ज्यादा विटामिन सी पाया जाता है। वैज्ञानिकों की मानें तो फ्लैवोनॉइड्स के लिए लाल शिमला मिर्च प्रभावी विकल्प है। फ्लैवोनॉइड्स पुरुषों को सेहतमंद बनाता है।

टमाटर-

टमाटर में लाइकोपीन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। लाइकोपीन पौधों में पाया जाने वाला एक प्राकृतिक रासायनिक पदार्थ है। यह रासायनिक पदार्थ अपने एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए जाना जाता है। यह प्रॉस्ट्रेट, फेफड़े और पेट के कैंसर को खत्म करता है। साथ ही, चेहरे की लालिमा और चमक भी बढ़ाता है

अनार-

पुरुषों को अनार का जूस अपनी डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए। रोजाना एक गिलास अनार का जूस पीने से पुरुषों को प्रोस्टेट की समस्या नहीं होती है।
रागी-
रागी कैल्शियम का सबसे बढिय़ा स्रोत है। यह पुरुषों को ऑस्टियोपोरेसिस से बचाता है। साथ ही, यह जिंक तथा रेशे का भी अच्छा स्रोत है। इसके नियमित सेवन से डिसलिपिडीमिया, डायबिटीज और मोटापे से बचा जा सकता है।

कद्दू-

कद्दू भी पुरुषों के लिए लाभदायक होता है। इसमें रेशे, विटामिन, खनिज और कई स्वास्थ्यवर्धक एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। इसके इन्ही गुणों के कारण इसके नियमित सेवन से ताउम्र स्किन जवां बनी रहती है।

सोया-

सोया में मौजूद आइसोफ्लैवोन्स प्रॉस्ट्रेट की रक्षा करते हैं। यह प्रॉस्ट्रेट कैंसर के खतरे को कम करते हैं। रोजाना 25 ग्राम सोया प्रोटीन के सेवन से कोलेस्ट्रॉल स्तर को भी कम किया जा सकता है।
ये हैं आदिवासियों के खास देसी नुस्खे, इनसे ठीक होते हैं कई रोग

आधुनिक युग में भी काफी लोग ऐसे हैं जो आयुर्वेद और पारंपिरक नुस्खों पर विश्वास रखते हैं। पुराने समय से चले आ रहे इन नुस्खों से कई छोटी-बड़ी बीमारियों का इलाज आसानी से हो जाता है। आज भी शहरों से दूर रहने वाले आदिवासी अंग्रेजी दवाइयों की तुलना में जड़ी-बूटियों और पेड़-पौधों की मदद से कई रोगों का इलाज करते हैं।

यहां जानिए कुछ ऐसे ही नुस्खे जो आदिवासियों द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं...

- पातालकोट के आदिवासी मानते हैं कि बांस के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से स्त्रियों का रुका हुआ मासिक धर्म पुन: शुरू हो जाता है। शहद के साथ बांस के पत्तों का रस मिलाकर लेने से खांसी खत्म हो जाती है।

- आदिवासियों के अनुसार महुआ की छाल का काढ़ा प्रतिदिन 50 मि.ली. लिया जाए तो चेहरे के दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं। यदि इस काढ़े को त्वचा पर लगाया जाए तो फोड़े-फुंसियां खत्म हो जाती हैं। गुजरात में डांग के आदिवासी इसी काढ़े से गठिया रोग का भी इलाज करते हैं। महुआ की छाल का चूर्ण घी या मक्खन के साथ लिया जाए तो यह बलदायक होता है। ऐसा माना जाता है कि यह चूर्ण वीर्य को पुष्ट करता है।

- बुखार की अवस्था में जब सिरदर्द हो तो सिवान की पत्तियों को पीसकर सिर पर लेप करें। ऐसा करने से दर्द और जलन समाप्त हो जाती है। पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार पेटदर्द होने पर सिवान की जड़ के चूर्ण (3 ग्राम) का सेवन करने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है।

- महुआ की फलियों में टैनिन नामक रसायन पाया जाता है। फलियों को सुखाकर बनाए चूर्ण को घावों पर लगाया जाए तो घाव जल्दी सूख जाते हैं। आदिवासी शीशम के पत्तों से बने तेल को भी घाव पर लगाते हैं। इससे भी घाव जल्दी ठीक होता है।

- पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार शीशम के हरे और कोमल पत्तों को पानी में डालकर रात भर के लिए ढककर रख दें। इसके बाद सुबह इन पत्तों को निचोड़कर छान लेंं। इसे मिश्री के साथ लेने पर ताकत मिलती है और वीर्य गाढ़ा होता है।

- कमर दर्द और जोड़ों के दर्द को दूर करने के लिए यह उपाय करें। सेमल की पत्तियों को अदरक और कर्पूर के साथ समान मात्रा में मिलाएं और कुचलकर लेप बनाएं। इस लेप को कमर और जोड़ों पर लगाने से लाभ होता है।

- शरीर की गर्मी व जलन दूर करने के लिए यह नुस्खा आजमाएं। सिवान के फल का गूदा एकत्र करें और इसका शर्बत बना लें। इस शर्बत को पीने से लू का असर खत्म हो जाता है। शरीर की गर्मी दूर होती है और जलन शांत होती है।

- दस्त लगने पर सेमल की छाल का पाउडर (5-10 ग्राम) चीनी के साथ खाएंगे तो तुंरत आराम मिलता है।

- मुंहासों के उपचार के लिए सेमल के कांटों को गुलाब जल में घिसकर चेहरे पर लगाना चाहिए।

- पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार सेमल की जड़ों का चूर्ण प्रतिदिन 3 बार लेने से संधिवात में आराम मिलता है।

आदिवासियों की जिंदगी और जड़ीबूटियों से जुड़ी कुछ बहुत रोचक बातें -----

रोजमर्रा की जिंदगी में हमारे आसपास पाई जाने वाली जडी-बूटियाँ और हमारा पारंपरिक ज्ञान किस कदर मदद कर सकता है, इसका आकलन भी नहीं किया जा सकता।

आइए जानते है जड़ी-बूटियों और आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान की मदद से हम किस तरह अपनी जिंदगी में आने वाली सामान्य समस्याओं को आसानी से सुलझा सकते हैं...

आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान और कुछ रोचक उपायों का जिक्र कर रहें हैं डॉ दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डाँग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित करने का काम कर रहे हैं....

1. मेंहदी की पत्तियाँ किताबों और कपडों में लगने वाले कीडों को आसपास भी भटकने नहीं देती। मेंहदी की 5-10 सूखी पत्तियों को किताबों और कपडों की अलमारियों में रखिए, कीडे नही पडेंगे।

2. गर्मियों में पातालकोट के हर्रा का छार गाँव में आदिवासी नदी के किनारे पर छोटे गड्ढे करके पीने का पानी प्राप्त करते हैं, ये पानी सामान्यत: मटमैला होता है क्योंकि इसमें मिट्टी आदि के कण पाए जाते है। शुद्ध पानी प्राप्त करने के लिए आदिवासी गड्ढे में एक कप दही डाल देते है।
एक दो घंटे में पानी में घुले मिट्टी के कण तली में बैठ जाते है और आहिस्ता आहिस्ता पानी एकत्र कर लिया जाता है।माना जाता है कि दही सूक्ष्मजीवों को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है, पानी पेय योग्य हो जाता है।

3. पातालकोट घाटी के आदिवासी हर्बल जानकार ज्यादा प्यास लगने से रोकने के लिए कच्चे चावल के दाने चबाने की सलाह देते हैं। कच्चे चावल के दाने (1-2 ग्राम) लेकर चबा लीजिए, बार बार प्यास लगना बंद हो जाएगी।

इन आदिवासियों के अनुसार मधुमेह के रोगियों को बार बार प्यास लगने की समस्या का निवारण इसी फ़ार्मुले से किया जा सकता है। वैसे जब भी आप पहाडों या लंबी पगडंडियों पर सैर सपाटों के लिए जाएं, तो इस फ़ार्मुले को जरूर अपनाएं, प्यास कम लगेगी और थकान भी कम होगी।

4. नमक में आने वाली नमी से परेशान हो? चावल के कच्चे दानों की कुछ मात्रा नमक के डिब्बे में डाल दीजिए, नमक पसीजेगा नहीं यानि नमक में नमी नहीं आएगी।

5.आदिवासी ताजे नींबू के चारों तरफ़ तिल का तेल लेपित कर देते हैं, इनके अनुसार ऐसा करने से नींबू काफ़ी लंबे समय तक ताजे रहते है और इन पर किसी तरह के दाग और सिकुडन पैदा नहीं होती है।

एक बाल्टी पानी में दो चम्मच लहसून का रस और 2 बूंद नीलगिरी का तेल डाल दीजिए और फिऱ पोछा करें, अगले 5-6 घंटों तक मच्छरों का अता पता नहीं रहेगा।

6. नींबू में पाया जाने वाला एसिड आपके कार के काँच की खिडकियों, फ्ऱंट ग्लास और साईड मिरर आदि पर लगे क्षारयुक्त पानी के धब्बों को निकाल मारता है।

कार के काँच वाले हिस्सों की बेहतर सफ़ाई के लिए एक हिस्सा शुद्ध पानी और दो हिस्सा नींबू का रस लिया जाए और इसे अच्छी तरह से मिला लिया जाए।

इस द्रव को कार के काँच वाले हिस्सों पर छिड्ककर साफ़ अखबार या वाईपर से पोछ लिया जाए, काँच बिल्कुल नए की तरह चमचमा उठेंगे।

7. नारंगी (लेण्टाना कैमारा) जिसे लालटेन्या भी कहा जाता है, मच्छरों के लार्वा को नष्ठ करने का देसी उपाय है। नारंगी की पत्तियों को एकत्र कर लिया जाए और साफ़ पानी से धो लिया जाए और फिऱ इसे कुचलकर पेस्ट तैयार कर लिया जाए।
इस पेस्ट को लार्वा पाए जाने वाले संबंधित पानी के श्रोतों जैसे गड्ढे, पोखर, नालियाँ और पानी के खुले टैंक आदि में डाल दिया जाए तो लार्वा कुछ समय में मर जाते है।

आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार, नारंगी के पेस्ट की मात्रा 100 मिली प्रति 15 लीटर होनी चाहिए..आजमाकर देखें, कोई बुराई नहीं।

8. दूध गर्म करते वक्त अक्सर दूध उफऩ जाता है या इसकी मलाई बर्तन की सतह पर चिपक जाती है,ऐसा आप यदि नही चाहते तो इस देसी फ़ार्मुले को आजमाकर देखिए।

दूध उबालने से पहले साफ़ पानी से बर्तन को धो लिया जाए और इस गीले बर्तन में तुरंत दूध डाल दिया जाए और साथ ही बर्तन की ऊपरी सतह पर या किनारे पर चारों तरफ़ घी, मक्खन या किसी भी खाद्य तेल को उंगली की सहायता से लगा दिया जाए, दूध उफऩेगा नहीं और मलाई भी आंतरिक सतह पर नहीं चिपकेगी।

9. नारियल की गिरी अक्सर खुली रहने से संक्रमित हो जाती है, डाँग- गुजरात के हर्बल जानकार आदिवासियों के अनुसार इस गिरी को बेल पत्रों के साथ रख दिया जाए तो किसी तरह का संक्रमण नहीं होता है।

गुलाब का फूल है देसी दवा, ऐसे खाएंगे तो इन रोगों का इलाज हो जाएगा

गुलाब के फूल को कोमलता और सुंदरता का प्रतीक माना जाता है। यह सिर्फ खूबसूरत फूल ही नहीं है, बल्कि कई तरह के औषधिय गुणों से भी भरपूर है। गुलाब की सुगंध ही नहीं इसके आंतरिक गुण भी उतने ही अच्छे हैं। गुलाब के फूल में कई रोगों के उपचार की क्षमता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही उपयोगों के बारे में.....

- नींद न आती हो या तनाव रहता हो तो सिर के पास गुलाब रखकर सोएं, अनिद्रा की समस्या दूर हो जाएगी।

- गुलाब के फूल की पंखुड़ियां खाने से मसूढ़े और दांत मजबूत होते हैं। मुंह की बदबू दूर होती है और पायरिया रोग से भी निजात मिल जाती है।

- गुलाब में विटामिन सी बहुत मात्रा में पाया जाता है। गुलकंद रोज खाने से हड्डियां मजबूत हो जाती है। रोजाना एक गुलाब खाने से टी.बी के रोगी को बहुत जल्दी आराम मिलता है।

- गुलाब की पत्तियों को ग्लिसरीन डालकर पीस लें। इस मिश्रण को होंठों पर लगाएं। इससे होंठ गुलाबी और चिकने हो जाते हैं।

- गुलाब से बने गुलकंद में गुलाब का अर्क होता है। जो शरीर को ठंडक पहुंचाता है। यह शरीर को डीहाइड्रेशन से बचाता है और तरोताजा रखता है। पेट को भी ठंडक पहुंचाता है। गुलकंद स्फूर्ति देने वाला एक शीतल टॉनिक है, जो थकान, आलस्य, मांसपेशियों के दर्द और जलन आदि समस्याओं से बचाता है।

- अर्जुन की छाल और देसी गुलाब मिलाकर पानी में उबाल लें। यह काढ़ा पीने से दिल से जुड़ी बीमारियां दूर रहती है। दिल की धड़कन बढ़ रही हो तो सूखी पंखुड़ियां उबालकर पिएं।

- आंतों में घाव हों तो 100 ग्राम मुलेटी ,50 ग्राम सौंफ ,50 ग्राम गुलाब की सूखी हुई पंखुड़ियां तीनों को मिलाकर पीस लें। रोजाना इस चूर्ण को दस ग्राम की मात्रा में लें।

- गुलकंद में विटामिन सी, ई और बी अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। भोजन के बाद गुलकंद खाने से पाचन से जुड़ी समस्याएं दूर हो जाती हैं।

- गुलकंद में अच्छी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। त्वचा के लिए भी यह बहुत फायदेमंद है। इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण हैं, जो त्वचा की समस्याएं मिटाते हैं।

- छोटी-छोटी फुंसियां हो रही हों तो गुलकंद का सेवन करें, फुंसियां खत्म हो जाएंगी। बच्चों के पेट में कीड़े होने पर बाइविडिंग का चूर्ण गुलकंद में मिलाकर एक-एक चम्मच सुबह-शाम 15 दिनों तक लें। पेट के कीड़े खत्म हो जाएंगे।

- आंखों में गर्मी के कारण जलन हो या धूल मिट्टी से आंखों में तकलीफ हो तो गुलाबजल से आंखें धोने पर आराम मिलता है। रतौंधी नामक आंखों के रोग के लिए गुलाब जल अचूक दवा का काम करता है।

- गुलाब की पंखुडियां को सूखाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को चेचक के रोगी के बिस्तर पर डालने से उसे ठंडक और आराम मिलता है।

- गुलाब को पीस कर लेप बनाकर सिर पर लगाने से सिर दर्द थोड़ी देर में गायब हो जाता है।

- भोजन के बाद पान में गुलकंद डलवाकर खाना चाहिए। इससे सांस की दुर्गंध दूर हो जाती है और खाना भी हजम हो जाता है।

गूलर एक महाऔषधि
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धातुदुर्बलता:

• 1 बताशे में 10 बूंद गूलर का दूध डालकर सुबह-शाम सेवन करने और 1 चम्मच की मात्रा में गूलर के फलों का चूर्ण रात में सोने से पहले लेने से धातु दुर्बलता दूर हो जाती है। इस प्रकार से इसका उपयोग करने से शीघ्रपतन रोग भी ठीक हो जाता है।

मर्दाना शक्तिवर्द्धक

• 1 छुहारे की गुठली निकालकर उसमें गूलर के दूध की 25 बूंद भरकर सुबह रोजाना खाये इससे वीर्य में शुक्राणु बढ़ते हैं तथा संतानोत्पत्ति में शुक्राणुओं की कमी का दोष भी दूर हो जाता है।
• 1 चम्मच गूलर के दूध में 2 बताशे को पीसकर मिला लें और रोजाना सुबह-शाम इसे खाकर उसके ऊपर से गर्म दूध पीएं इससे मर्दाना कमजोरी दूर होती है।
• पका हुआ गूलर सुखाकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में इसी के बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर किसी बोतल में भर कर रख दें। इस चूर्ण में से 2 चम्मच की मात्रा गर्म दूध के साथ सेवन करने से मर्दाना शक्ति बढ़ जाती है। 2-2 घंटे के अन्तराल पर गूलर का दूध या गूलर का यह चूर्ण सेवन करने से दम्पत्ति वैवाहिक सुख को भोगते हुए स्वस्थ संतान को जन्म देते हैं।

बाजीकारक (काम उत्तेजना):

• 4 से 6 ग्राम गूलर के फल का चूर्ण और बिदारी कन्द का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर मिश्री और घी मिले हुए दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से पौरुष शक्ति की वृद्धि होती है व बाजीकरण की शक्ति बढ़ जाती है। यदि इस चूर्ण का उपयोग इस प्रकार से स्त्रियां करें तो उनके सारे रोग ठीक हो जाएंगे।
• गर्मी के मौसम में गूलर के पके फलों का शर्बत बनाकर पीने से मन प्रसन्न होता है और शरीर में शक्ति की वृद्धि होती है तथा कई प्रकार के रोग जैसे- कब्ज तथा खांसी और दमा आदि ठीक हो जाते हैं।

उपदंश (फिरंग):

• 40 ग्राम गूलर की छाल को 1 लीटर पानी में उबालकर काढ़ा बना लें और इसमें मिश्री मिलाकर पीने से उपदंश की बीमारी ठीक हो जाती है।

शरीर को शक्तिशाली बनाना:

• लगभग 100 ग्राम की मात्रा में गूलर के कच्चे फलों का चूर्ण बनाकर इसमें 100 ग्राम मिश्री मिलाकर रख दें। अब इस चूर्ण में से लगभग 10 ग्राम की मात्रा में रोजाना दूध के साथ लेने से शरीर को भरपूर ताकत मिलती है।

प्रदर:

• गूलर के फूलों के चूर्ण को छानकर उसमें शहद एव मिश्री मिलाकर गोली बना लें। रोजाना 1 गोली का सेवन करने से 7 दिन में प्रदर रोग से छुटकार मिल जाता है।
• गूलर के पके फल को छिलके सहित खाकर ऊपर से ताजे पानी पीयें इससे श्वेत प्रदर रोग ठीक हो जाता है।
• गूलर के फलों के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से प्रदर रोग में आराम मिलता है।

रक्तप्रदर :

• रक्तप्रदर में गूलर की छाल 5 से 10 ग्राम की मात्रा में या फल 2 से 4 की मात्रा में सुबह-शाम चीनी मिले दूध के साथ सेवन करने से अधिक लाभ मिलता है तथा रक्तप्रदर रोग ठीक हो जाता है।
• 20 ग्राम गूलर की ताजी छाल को 250 मिलीलीटर पानी में उबालें जब यह 50 मिलीलीटर की मात्रा में बच जाए तो इसमें 25 ग्राम मिश्री और 2 ग्राम सफेद जीरे का चूर्ण मिलाकर सेवन करें इससे रक्तप्रदर रोग में लाभ मिलता है।
• पके गूलर के फलों को सुखाकर इसे कूटे और पीसकर छानकर चूर्ण बना लें। फिर इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर किसी ढक्कनदार बर्तन में भर कर रख दें। इसमें से 6 ग्राम की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम दूध या पानी के साथ सेवन करने से रक्तप्रदर ठीक हो जाता है।
• पके गूलर के फल को लेकर उसके बीज को निकाल कर फेंक दें, जब उसके फल शेष रह जायें तो उसका रस निकाल कर शहद के साथ सेवन करने से रक्त प्रदर में लाभ मिलता है। रोगी इसके सब्जी का सेवन भी कर सकते हैं।
• 1 चम्मच गूलर के फल का रस में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर सुबह-शाम नियमित रूप से सेवन करने से कुछ ही हफ्तों में न केवल रक्त प्रदर ठीक होता है बल्कि मासिकधर्म में खून अधिक आने की तकलीफ भी दूर होती है।

श्वेत प्रदर:

• रोजाना दिन में 3-4 बार गूलर के पके हुए फल खाने से श्वेत प्रदर में लाभ मिलता है।
• गूलर का रस 5 से 10 ग्राम मिश्री के साथ मिलाकर नाभि के निचले हिस्से में पूरे पेट पर इससे लेप करें। इससे श्वेत प्रदर रोग में आराम मिलता है।
• 1 किलो कच्चे गूलर लेकर इसके 3 भाग कर लें। इसमें से कच्चे गूलर 1 भाग उबाल लें और इनकों पीसकर 1 चम्मच सरसों के तेल में फ्राई कर लें तथा इसकी रोटी बना लें। रात को सोते समय रोटी को नाभि के ऊपर रखकर कपड़ा बांध लें। इस प्रकार शेष 2 भागों से इसी प्रकार की क्रिया 2 दिनों तक करें इससे श्वेत प्रदर रोग की अवस्था में आराम मिलता है।
• 10-15 ग्राम गूलर की छाल को पीसकर, 250 मिलीलीटर पानी में डालकर पकाएं। पकने के बाद 125 मिलीलीटर पानी शेष रहने पर इसे छान लें और इसमें मिश्री व लगभग 2 ग्राम सफेद जीरे का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें तथा भोजन में इसके कच्चे फलों का काढ़ा बनाकर सेवन करें श्वेत प्रदर रोग में लाभ मिलता है।

गर्भपात रोकना:

• गर्भावस्था में खून का बहना और गर्भपात होने के लक्षण दिखाई दें तो तुरन्त ही गूलर की छाल 5 से 10 ग्राम की मात्रा में अथवा 2 से 4 गूलर के फल को पीसकर इसमें चीनी मिलाकर दूध के साथ पीएं। जब तक रोग के लक्षण दूर न हो तब तक इसका प्रयोग 4 से 6 घंटे पर उपयोग में लें।
• गूलर की जड़ अथवा जड़ की छाल का काढ़ा बनाकर गर्भवती स्त्री को पिलाने से गर्भस्राव अथवा गर्भपात होना बंद हो जाता है।

भगन्दर:

• गूलर के दूध में रूई का फोहा भिगोंकर इसे नासूर और भगन्दर के ऊपर रखें और इसे प्रतिदिन बदलते रहने से नासूर और भगन्दर ठीक हो जाता है।

खूनी बवासीर:

• गूलर के पत्तों या फलों के दूध की 10 से 20 बूंदे को पानी में मिलाकर रोगी को पिलाने से खूनी बवासीर और रक्तविकार दूर हो जाते हैं। गूलर के दूध का लेप मस्सों पर भी लगाना लाभकारी है।
• 10 से 15 ग्राम गूलर के कोमल पत्तों को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। 250 ग्राम गाय के दूध की दही में थोड़ा सा सेंधानमक तथा इस चूर्ण को मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से खूनी बवासीर के रोग में लाभ मिलता है।

आंव (पेचिश):

• 5 से 10 ग्राम गूलर की जड़ का रस सुबह-शाम चीनी मिले दूध के साथ सेवन करने से आमातिसार (पेचिश) ठीक हो जाता है।
• बताशे में गूलर के दूध की 4-5 बूंदे डालकर रोगी को खिलाने से आमातिसार (आंव) ठीक हो जाता है।
• गूलर के पके फल खायें इससे पेचिश रोग ठीक हो जाता है।
• गूलर को गर्म जल में उबालकर छान लें और इसे पीसकर रोटी बना लें फिर इसे खाएं इससे पेचिश में लाभ होता है |

दस्त:

• दस्त और ग्रहणी के रोग में 3 ग्राम गूलर के पत्तों का चूर्ण और 2 दाने कालीमिर्च के थोड़े से चावल के पानी के साथ बारीक पीसकर, उसमें कालानमक और छाछ मिलाकर फिर इसे छान लें और इसे सुबह-शाम सेवन करें इससे लाभ मिलेगा।
• गूलर की 10 ग्राम पत्तियां को बारीक पीसकर 50 मिलीलीटर पानी में डालकर रोगी को पिलाने से सभी प्रकार के दस्त समाप्त हो जाते हैं।

बच्चों का आंव:

• गूलर के दूध की 5-6 बूंदे चीनी के साथ बच्चे को देने से बच्चों के आंव ठीक हो जाते हैं।

विसूचिका:

• विसूचिका (हैजा) के रोगी को गूलर का रस पिलाने से रोगी को आराम मिलता है।

रक्तपित्त (खूनी पित्त):

• पके हुए हुए गूलर, गुड़ या शहद के साथ खाना चाहिए अथवा गूलर की जड़ को घिसकर चीनी के साथ खाने से लाभ मिलेगा और रक्तपित्त दोष दूर हो जाएगा।
• हर प्रकार के रक्तपित्त में गूलर की छाल 5 ग्राम से 10 ग्राम तथा उसका फल 2 से 4 ग्राम तथा गूलर का दूध 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा के रूप में सेवन करने से लाभ मिलता है।

फोडे़:

• फोड़े पर गूलर का दूध लगाकर उस पर पतला कागज चिपकाने से फोड़ा जल्दी ठीक हो जाता है।

घाव:

• शरीर के अंगों में घाव होने पर गूलर की छाल से घाव को धोएं इससे घाव जल्दी ही भर जाते हैं।

• गूलर के पत्तों को छांया में सूखाकर इसे पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। इसके बाद घाव को साफ करकें इसके ऊपर इस चूर्ण को छिड़के तथा इस चूर्ण में से 5-5 ग्राम की मात्रा सुबह तथा शाम को पानी के साथ सेवन करें इससे लाभ मिलेगा।

• गूलर के दूध में बावची को भिगोंकर इसे पीस लें और 1-2 चम्मच की मात्रा में रोजाना इससे घाव पर लेप करें इससे घाव जल्दी ही ठीक हो जाते हैं।

• गूलर के पत्तों को पानी के साथ पीसकर शर्बत बनाकर पीने से मधुमेह रोग में लाभ मिलता है।

• गूलर के ताजे फल को खाकर ऊपर से ताजे पानी पीये इससे मधुमेह रोग में आराम मिलता है।

शीतला (चेचक):

• गूलर के पत्तों पर उठे हुए कांटों को गाय के ताजे दूध में पीसकर इसमें थोड़ी सी चीनी मिलाकर चेचक से पीड़ित रोगी को पिलाये इससे उसका यह रोग ठीक हो जाएगा।

सूजन:

• भिलावें की धुएं से उत्पन्न हुई सूजन को दूर करने के लिए गूलर की छाल को पीसकर इससे सूजन वाली भाग पर लेप करें।

गांठ:

• शरीर के किसी भी अंग पर गांठ होने की अवस्था में गूलर का दूध उस अंग पर लगाने से लाभ मिलता है।

पेशाब अधिक आना:

• 1 चम्मच गूलर के कच्चे फलों के चूर्ण को 2 चम्मच शहद और दूध के साथ सेवन करने से पेशाब का अधिक मात्रा में आने का रोग दूर हो जाता है।

पेशाब के साथ खून आना:

• पेशाब में खून आने पर गूलर की छाल 5 ग्राम से 10 ग्राम या इसके फल 2 से 4 लेकर पीस लें और इसमें चीनी मिलाकर दूध के साथ खायें इससे यह रोग पूरी तरह से ठीक हो जाता है।

मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में कष्ट या जलन) होना:

• प्रतिदिन सुबह गूलर के 2-2 पके फल रोगी को सेवन करने से मूत्रकच्छ (पेशाब की जलन) में लाभ मिलता है।

• गूलर के 8-10 बूंद को 2 बताशों में भरकर रोजाना सेवन करने से मूत्ररोग (पेशाब के रोग) तथा पेशाब करने के समय में होने वाले कष्ट तथा जलन दूर हो जाती है।

मधुमेह:

• 1 चम्मच गूलर के फलों के चूर्ण को 1 कप पानी के साथ दोनों समय भोजन के बाद नियमित रूप से सेवन करने से पेशाब में शर्करा आना बंद हो जाता है। इसके साथ ही गूलर के कच्चे फलों की सब्जी नियमित रूप से खाते रहना अधिक लाभकारी होता है। मधुमेह रोग ठीक हो जाने के बाद इसका सेवन करना बंद कर दें।

दांतों की मजबूती के लिए :

• गूलर की छाल के काढे़ से गरारे करते रहने से दांत और मसूड़ों के सारे रोग दूर होकर दांत मजबूत होते हैं।

कंठमाला (गले में गिल्टी होना):

• गूलर के पत्तों पर उठे हुए कांटों को पीसकर इसे मीठे या दही मिला दें और इसमें चीनी मिलाकर रोजाना 1 बार सेवन करें इससे कंठमाला के रोग से मुक्ति मिलती है।

खांसी:

• रोगी को बहुत तेज खांसी आती हो तो गूलर का दूध रोगी के मुंह के तालू पर रगड़ने से आराम मिलता है।
• गूलर के फूल, कालीमिर्च और ढाक की कोमल कली को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में 5 ग्राम शहद में मिलाकर रोजाना 2-3 बार चाटने से खांसी ठीक हो जाती है।

नाक से खून बहना:

• पके गूलर में चीनी भरकर घी में तलें, इसके बाद इस पर काली मिर्च तथा इलायची के दानों का आधा-आधा ग्राम चूर्ण छिड़कर प्रतिदिन सुबह के समय में सेवन करें तथा इसके बाद बैंगन का रस मुंह पर लगाएं इससे नाक से खून गिरना बंद हो जाता है।

• गूलर का पेड़, शाल पेड़, अर्जुन पेड़, और कुड़े के पड़े की पेड़ की छाल को बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ पीसकर चटनी बना लें। इन सब चीजों का काढ़ा भी बनाकर रख लें। इसके बाद इस चटनी तथा इससे 4 गुना ज्यादा घी और घी से 4 गुना ज्यादा काढ़े को कढ़ाही में डालकर पकाएं। पकने पर जब घी के बराबर मात्रा रह तो इसे उतार कर छान लें। अगर नाक पक गई हो तो इस घी को नाक पर लगाने से बहुत जल्दी आराम मिलता है।

रक्तस्राव (खून का बहना):

• नाक से, मुंह से, योनि से, गुदा से होने वाले रक्तस्राव में गूलर के दूध की 15 बूंदे 1 चम्मच पानी के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से लाभ मिलता है।

• शरीर में कहीं से भी किसी कारण से रक्तस्राव (खून बहना) हो रहा हो तो गूलर के पत्तों का रस निकालकर वहां पर लगाएं इससे तुरन्त खून का आना बंद हो जाता है।

• मुंह में छाले हो अथवा खून आता हो या खूनी बवासीर हो तो 1 चम्मच गूलर के दूध में इतनी ही पिसी हुई मिश्री मिलाकर रोजाना खाने से रक्तस्राव (खून बहना) होना बंद हो जाता है तथा इसके सेवन से मुंह के छाले भी ठीक हो जाते हैं।

चोट लगने पर खून का बहना:

• गूलर के पत्तों का रस चोट लगे हुए स्थान पर लगने से खून बहना रुक जाता है।

• गूलर के रस को रूई में भिगोकर इसे चोट पर रखकर पट्टी बांध लें इससे चोट जल्दी भरकर ठीक हो जाएगा।

शिशु का दुबलापन:

• गूलर का दूध कुछ बूंदों की मात्रा में मां या गाय-भैंस के दूध के साथ मिलाकर नियमित रूप से कुछ महीने तक रोजाना 1 बार बच्चों को पिलाने से शरीर हृष्ट-पुष्ट और सुडौल बनाता है लेकिन गूलर के दूध बच्चों उम्र के अनुसार ही उपयोग में लेना चाहिए।

सूखा (रिकेट्स) रोग:

• 5 बूंद गूलर के दूध को 1 बताशे पर डालकर इसका सेवन बच्चों को कराएं इससे सूखा रोग (रिकेटस) ठीक हो जाता है।

बच्चों के गाल पर सूजन होना:

• बच्चों के गाल की सूजन को दूर करने के लिए उनके गाल पर गूलर के दूध का लेप करें इससे लाभ मिलेगा।

बिच्छू का जहर:

• जहां पर बिच्छू ने काटा हो उस स्थान पर गूलर के अंकुरों को पीसकर लगाए इससे जहर चढ़ता नहीं है और दर्द से आराम मिलता है।

आग से जलने पर :

• जलने पर गूलर की हरी पत्तियां पीसकर लेप करने से जलन दूर हो जाती है।
• गूलर के पत्तों को पीसकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से जलन मिट जाती है और छाले के निशान भी नही पड़ते।

दमा:

• गूलर की पेड़ की छाल उतारकर छाया में सुखा लें और फिर इसे पीसकर चूर्ण बना लें और फिर इसे छानकर बोतल में भरकर ढक्कन लगाकर रख दें। इसमें से चूर्ण का सेवन प्रतिदिन करने से दमा रोग में लाभ मिलता है।

• सितम्बर से मार्च तक की हर पूर्णमासी की रात में जितना खीर खा सकें, उतने दूध में चावल (इस खीर में अरबा चावल उत्तम माने जाते हैं) डालकर खीर बनाएं। इस खीर को कांसे की थाली में डालकर फैलाकर, इस पर ढाई चम्मच गूलर की छाल का चूर्ण चारो और छिड़क दें। खीर रात को नौ बजे तक तैयार कर लें। इसे रात को नौ बजे से सुबह के चार बजे तक खुले स्थान पर चांदनी में रखें। सुबह चार बजे के तुरन्त बाद इसे भर पेट खा लें। खीर खाने से पहले मंजन करके मुंह को साफ कर लें। आम के हरे पत्ते से खीर खाएं। इसके बाद धीरे-धीरे थकान नहीं हो तब तक घूमते रहें। इससे दमा रोग में लाभ मिलता है।

जिगर का रोग:

• 10 ग्राम की मात्रा में जंगली गुलर की जड़ की छाल पीसकर गाय के मूत्र में मिला लें और इसे छानकर 25 ग्राम की मात्रा में रोजाना पीने से से यकृत वृद्धि खत्म जाती है।

वमन (उल्टी):

• गूलर के दूध की 10 बूंदे सुबह और शाम दूध में मिलाकर बच्चों को पिलाने से बच्चों को उल्टी आना बंद हो जाता है।