अगर आपके बाल झड़ रहे हैं और आप गंजे हो रहे हैं तो डरिए मत. यहां जानिए ऐसे उपायों के बारे में, जिसके इस्तेमाल से आपके झड़ते बाल रुक सकते हैं.
1. खुराक सही करो. अच्छे बाल, अच्छी सेहत पर सजते हैं. प्रोटीन रिच फूड खाओ. दूध, मछली, पनीर वगैरह.
2. गीले बालों को रगड़कर न सुखाएं. कंघी भी सूखने के बाद ही करें.
3. बालों में तेल की मसाज करें. मसाज के दौरान अंगलियों सिर की सतह पर रगड़ें. बालों पर नहीं.
4. पतले बाल हैं तो ऑलिव ऑयल यूज करें. कई लोग सरसों के तेल में मेथी गरम करने को भी लाभप्रद बताते हैं.
5. ऑयल न तो सामान्य तापमान पर हो और न ही बहुत गरम. गुनगुना सा हो.
6. प्याज का रस लगाएं. आधा घंटा बाद धो लें. इससे सिर की सतह बेहतर होगी बाल जमने के लिए.
7. शीर्षासन करें. सिर में रक्त का प्रवाह बेहतर होगा. बाकी एक्सरसाइज भी अच्छी ही है. नुकसान तो नहीं ही करेगी.
8. मुल्तानी मिट्टी लगाएं. बालों का टेकश्चर बेहतर होता है. चमक बढ़ती है.
9. आंवला और शिकाकाई को लोहे की कड़ाही में भिगो दें. दो दिन बाद उसे निकाल कर पीस लें. बीज निकाल दें. फिर इस घोल में कुछ मेंहदी भी मिला लें. सिर पर लगाएं. तीन चार घंटे बाद धो लें.
10. कंडिशनिंग और डैंड्रफ दूर करने के लिए दही लगा सकते हैं.
11. बालों के मान्य प्रॉडक्ट ही इस्तेमाल करें. अखबारों में आने वाले भतेरे ऐड्स के भरम में न आएं.
12. बाबा रामदेव की मानें तो खाली वक्त में हाथ की उंगलिओं के नाखूनों को आपस में रगड़ें.
13. विटामिन ई की गोलियां ले सकते हैं. फिजीशियन से कंसल्ट करके ग्रहण करें.
14. बाल कभी कभी धोएंगे तो कम झड़ेंगे. इस भरम में न रहें. गंदे बाल, रूसी वाले बाल ज्यादा जल्दी अलविदा बोलते हैं.
15. सिर उठाकर और ढंककर चलें. पसीना ज्यादा आता है या कसरत करते हैं, तो सूखने का इंतजार न करें. गीले कपड़े से पोंछ लें.
16. अलसी के बीज खाएं.
17. गरम पानी में तौलिया भिगोकर उसे सिर पर रखें.
18. बालों में घड़ी घड़ी हाथ न घुमाएं. जब तब कंघी को भी तकलीफ न दें.
19. बालों में कंघी जरूर करनी चाहिए. उलझे बाल यानी ज्यादा बाल टूटेंगे.
20. ज्यादा गरम पानी से बाल नहीं धोने चाहिए. खुश्की हो जाती है
मुंह के छाले
मुंह के छाले आमतौर पर गालों के अंदर होते हैं। वैसे तो यह बिना किसी उपचार के एक हफ्ते के अंदर-अंदर अपने आप ठीक हो जाते हैं। लेकिन इनके होने से खाना तो दूर पानी पीना भी मुश्किल हो जाता है। इसलिए इसका इलाज जरूरी हैं। इसका इलाज आपके आस-पास ही मौजूद है। कुछ घरेलू उपायों को अपनाकर आप इससे बच सकते हैं। आइए हम आपको मुंह के छालों से बचने के लिए घरेलू उपचार बताते हैं।
बेकिंग सोडा
मुंह के छालों के लिए बेकिंग सोडा के इस्तेमाल बहुत अच्छा रहता हैं। मुंह में छाले होने पर गुनगुने पानी में एक चम्मच बेकिंग सोडा मिला लें। इस पानी से एक दिन में कई बार कुल्ला करें। छालों में होने वाला दर्द ठीक हो जायेगा।
फिटकरी
फिटकरी के इस्तेमाल से छालों के दर्द से राहत मिलती है। इसके लिए फिटकरी को होंठ के अंदर छाले वाले जगह पर दिन में दो बार लगाएं। लेकिन एक बात का ध्यान रखें कि फिटकरी लगाने से कुछ समय के लिए जलन हो सकती है।
नमक का पानी
नमक के पानी को मुंह के छालों के लिए सबसे असरदार इलाज माना जाता है। साथ ही नमक के अंदर छालों को सूखने की क्षमता भी होती हैं। इसके लिए गुनगुने पानी में एक चम्मच नमक मिलाकर दिन में कई बार कुल्ला करें।
अमरूद के पत्ते
अमरूद के पत्तों को चबाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते है। इसके लिए अमरूद के मुलायम पत्तों में कत्था मिला कर पान की तरह दिन में दो-तीन बार चबाने से मुंह के छाले से राहत मिलती है और छाले ठीक हो जाते हैं।
इलायची
इलायची को पीसकर शहद के साथ मिलाकर मुंह के छालों पर लगाने से लाभ मिलता है। इसके लिए छोटी इलायची के बीच और कत्था को बारीक पीस कर पाउडर बना लें। इस पाउडर को छालों पर लगाएं। इस पाउडर को लगाने से मुंह में जो लार बनती है उससे मुंह की गंदगी खत्म होकर मुंह के छाले समाप्त हो जाते है।
नीम की पत्तियां
नीम की पत्तियां एंटीसेप्टिक होती है, पत्तियों को दिन में तीन से चार बार चबाने से मुंह के छालों में लाभ मिलता है। इसके लिए नीम की पत्तियों को पानी में उबाल लें। इस पानी से दिन में कई बार कुल्ला करने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं। या थोड़ी-सी नीम की पत्तियों को पीसकर देसी घी में मिलाकर मुंह के छालों पर लगाने से छालों में होने वाले दर्द से राहत मिलती हैं।
हल्दी
हल्दी को मुंह के छालों पर लगाने से लाभ होता है। इसके लिए थोड़ी सी हल्दी को पानी में उबालें। इस पानी से रोजाना सुबह-शाम गरारे करने से मुंह के छालों और दर्द में राहत मिलती है।
फेशवॉश और गलतियां
चेहरे की त्वचा को स्वस्थ, साफ और कोमल बनाए रखने के लिए फेशवॉश बहुत जरूरी होता है। लेकिन, आपको इसका सही तरीका भी मालूम होना चाहिये। यदि फेशवॉश का सही तरीका नहीं अपनाया जाए तो इससे चेहरे की त्वचा को नुकसान हो सकता है। तो चलिये जानें फेशवॉश से संबंधित गलतियां और अपने चहरे को बनाएं खिला-खिला और खूबसूरत।
सही प्रोडक्ट चुनना
फेशवॉश के लिए किसी अच्छे फेशवॉश का ही उपयोग करें। अपनी त्वचा के हिसाब से फेसवॉश चुनें क्योंकि यह आपके चेहरे की त्वचा की कुदरती नमी को बनाये रखने में मदद करता है। हर्बल फेशवॉश इसके लिए सबसे अच्छा विकल्प है। इसके साइड इफैक्ट नहीं होते। ऑयली स्किन के लिए आप नीम, ऐलोवेरा और मिंट फैशवॉश भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इन्हें प्रयोग में लिया जा सकता है। ड्राई स्किन के लिए आप केसर, मिल्क एंड हनी फेशवॉश इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं डैड स्किन व टैनिंग के लिए स्क्रब वाला फेशवॉश प्रयोग किया जाता है।
पानी का सही तापमान
फेशवॉश के लिए ज्यादा गरम पानी नहीं इस्तेमाल करना चाहिए, इससे चेहरे की स्किन खराब हो सकती है। साथ ही ज्यादा ठंडा पानी भी त्वचा के लिए सही नहीं। फेशवॉश के लिए गुनगुने या ताजे पानी का इस्तेमाल करना ही बेहतर होता है।
चेहरे को ज्यादा रगड़ें नहीं
कुछ लोग सोचते हैं कि ज्यादा रगड़ने से त्वचा ज्यादा साफ होती है, लेकिन ये सरासर गलत है। बल्कि ऐसा करना चहरे के लिए नुकसानदेह होता है। क्योंकि ऐसा करने से त्वचा की ऊपर की मुलायम परत उतर जाती है और ड्राई स्किन रह जाती है। इसलिए हल्के हाथ से और आराम से त्वचा को साफ करें और इसे रगड़ें नहीं।
फेस वाइपिंग
फेस वाइपिंग अर्थात चेहरे को पोंछना त्वचा को स्वस्थ रखने का एक अच्छा तरीका है। लेकिन ज्यादा फेस वाइपिंग करने से भी त्वचा की ऊपर की परत को नुकसान हो सकता है। ऐसा करने से त्वचा की निचली कमजोर परत सीधा प्रदुषण और धूप के संपर्क में आने लगती है। ब्यूटी एक्सपर्ट के अनुसार एक दिन दो बार से ज्यादा फेस वाइपिंग नहीं करनी चाहिए।
एक्सफोलीएटिंग
त्वचा की ऊपर की परत या पपड़ी न उतारें। यह भी फेशवॉश से जुड़ी एक महत्वपूर्ण बात है जिस पर लोग अक्सर ध्यान नहीं देते। या तो वे ज्यादा परत उतार लेते हैं, जिससे त्वचा को नुकसान होता है और मुंहासे और झाइयां भी हो सकती हैं।
मेकअप हटाना भी जरुरी
अक्सर लोग इस पर ध्यान नहीं देते हैं। लेकिन मेकअप को हटाना सिर्फ पसंद पर निर्भर नहीं है बल्कि यह एक जरूरी बात है। ऐसा करने से आपकी त्वचा ठीक से सांस ले पाती है। मेकअप के आवरण में त्वचा सांस नहीं ले पाती है और उसे क्षति पहुंचती है।
ज्यादा फेशवॉश करना
दिन में सुबह और शाम, दो बार फेशवॉश करना अच्छी आदत है, लेकिन यदि इसे दो से अधिक बार करना शुरू कर दिया जाए तो त्वचा को नुकसान हो सकता है। यदि आप मेक-अप, सनस्क्रीन आदि का उपयोग नहीं करते तो रात को बिना फेशवॉश जैल के, सिर्फ पानी से ही चेहरा धो सकते हैं।
तरह-तरह के प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल
चेहरे की त्वचा बेहद संवेहनशील होती है। इस पर तरह-तरह के प्रोडक्ट्स, जैसे सुगंध, कलरेंट और सिंथैटिक पैक्स का इस्तेमाल करने से यह बेजान होने लगती है। इस लिए कोशिश करें की प्राकृतिक चीजों और नुस्खों की मदद से ही फेशवॉश करें।
एलोवेरा के फायदे
एलोवेरा को घृतकुमारी के नाम से भी जाना जाता है। इसमें एमीनो एसिड और 12 विटामिन भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं। यह शरीर में खून की कमी को दूर करता है और शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। यह जितना आपके स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होता है उतना ही आपके बालों और त्वचा के लिए भी। आइए जानें ऐलोवेरा का हमारे स्वास्थ्य पर कितना अच्छा प्रभाव पड़ता है।
सनबर्न से बचाएं
एलोवेरा का रस सनस्क्रीन का काम करता है। धूप में निकलने से पहले एलोवेरा का रस अच्छी तरह से अपनी त्वचा पर लगाने से सूरज की हानिकारक किरणें आपकी त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचा पातीं।
जलने या चोट में फायदेमंद
एलोवेरा अपने एंटी बैक्टेरिया और एंटी फंगल गुण के कारण घाव को जल्दी भरता है। चोट लगने या जलने पर इसका जेल निकाल कर लगाने से आराम मिलता है। जलने के तुरन्त बाद इसके जेल को लगा लेने से छाले नहीं पड़ते और साथ ही जलन भी समाप्त हो जाती है।
वजन नियंत्रण में सहायक
अगर आप का वजन बढ़ रहा है और इसके कारण आप हमेशा आलस और थकान का अनुभव भी कर रहे हैं तो एलोवेरा जूस का सेवन करें। एलोवेरा जूस को नियमित रूप से पीने से आप भरपूर तंदुरुस्ती का अहसास करते है। इससे एनर्जी लेवल भी बढ़ता है और वजन नियंत्रित रहता है।
पाचन क्रिया बनाएं दुरूस्त
एलोवेरा जूस पीने से पेट की कई रोग दूर होते हैं। यह पाचन तंत्रिका को मजबूत बनाता है। इसके रोजाना उपयोग से अपच और कब्ज जैसी समस्या भी दूर रहती है। पेट में पैदा होने वाले अल्सर को भी यह ठीक करता है।
स्ट्रेच मार्क हटाए
मोटापे और प्रेगनेंसी के कारण हुए स्ट्रेच मार्क में भी एलोवेरा उपयोगी होता है। स्ट्रेच मार्क को हल्का करने के लिए रोज सुबह एलोवेरा जैल से मालिश करें । यह काफी हद तक आपके स्ट्रेच मार्क को कम कर देगा।
झुर्रियों से बचाव
झुर्रियों आपको समय से पहले बूढ़ा बना देती हैं इससे बचने के लिए रोजाना एलोवेरा जॅल से मालिश कीजिये। यह त्वचा को अंदर से मॉइश्चराइज करता है। इसका रस स्किन को टाइट बनाता है और इसमें मौजूद विटामिन सी और ई के कारण त्वचा हाइड्रेट भी बनी रहती है।
दिल की बीमारी में फायदेमंद
एलोवेरा शरीर में रक्त की मात्रा बढ़ाता है और साथ ही रक्त प्रवाह को भी सुचारू बनाये रखने में मदद करता है। एलोवेरा हाई ब्लड प्रेशर को सामान्य करता है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा कम होता है।
बालों की समस्याओं में उपयोगी
बालों के लिए एलोवेरा चमत्कारी रूप से असर दिखाता है। बालों संबंधी जितनी भी समस्याएं हैं एलोवेरा के प्रभाव से दूर हो जाती हैं जैसे- बालों का गिरना, रूखे बाल, बालों में डेंड्रफ आदि। हफ्ते में दो बार शैंपू करने से पहले चमेली, जोजोवा या नारियल तेल में एलोवेरा का यह रस मिलाकर अच्छी तरह से अपने बालों में लगाएं।
बढ़ाए त्वचा की चमक
एलोवेरा शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकाल कर शरीर की अंदर से सफाई करता है। जिससे त्वचा में चमक आती है तथा दाग-धब्बों से भी दूर होते है। इसके अलावा एलोवेरा के जैल को त्वचा पर लगाने से एक्जिमा, पिंपल और सिरोसिस की समस्या भी दूर होती है।
स्वस्थ और स्वच्छ दांत
एलोवेरा, मुंह और मसूड़ों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसके इस्तेमाल से मसूड़ों की तकलीफ और ब्लड आना बंद होता है। साथ ही मुंह में अल्सर की बीमारी भी ठीक होती है। इसे आप अपने दांत के डॉक्टर के रूप में भी अपना सकते हैं।
पुरुषों में बाल झड़ने की समस्या
बालों के झड़ने की समस्या पुरुषों में आम होती जा रही है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। महिलाओं से उलट पुरुषों में फीमेल हार्मोन एस्ट्रोजन नहीं पाया जाता, जो बालों को झड़ने से बचाने में सुरक्षा करता है। पुरुषों के हेयर फलिकल के गायब होने में पुरुष हार्मोन टेस्टोस्टेरॉन की भी अहम भूमिका होती है। बाल झड़ने का एक मुख्य कारण एधिक तनाव से भरा जीवन भी है। गंजेपन को चिकित्सकीय भाषा में एंड्रोजेनेटिक एलोपेसिया कहते हैं। हालांकि कुछ घरेलू उपचारों की मदद से पुरुष बाल झड़ने की समस्या से बच सकते हैं। चलिये जानें कौंन से हैं वे उपचार...
टेस्टोस्टेरॉन और पुरुषों में गंजापन
कई आधुनिक शोधों से यह बात सामने आई है कि टेस्टोस्टेरॉन और गंजेपन में संबंध होता है। गंजे पुरुषों में सामान्यत: टेस्टोस्टेरॉन का स्तर अधिक होता है। हालांकि महिलाओं में भी टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन पाया जाता है, लेकिन उनमें इसका स्तर कम होता है, इसलिये उनमें गंजेपन की समस्या भी पुरुषों के मुकाबले कम होती है।
दही और काली मिर्च
बाल झड़ने की समस्या को रोकने में यह उपाय बहुत कारगर साबित होगा। तीन चम्मच दही के साथ काली मिर्च पाउडर के 2 चम्मच को मिलाएं। मिश्रण को अच्छे से मिलाने के बाद इस पेस्ट की सिर पर हल्के से मसाज करें और फिर एक घंटे छोड़ने के बाद शैम्पू कर लें।
तेल मसाज
एक कप सरसों के तेल को गर्म करे और इसमें चार टेबल स्पून मेहंदी की पत्तियां मिला लें। इस मिश्रण को छानकर बोतल में रख लें। फिर अपने सिर के गंजे हिस्सों पर इस घरेलू उपचार से रोजाना मालिश करें। इसके अलावा आप बदाम, नारियल व ऑलिव ऑयल से से हफ्ते में दो बार मसाज भी कर सकते हैं।
कोकोनट मिल्क
नारियल का दूध (कोकोनट मिल्क) बालों को पोषण देता है और उनके बेहतर विकास में मदद करता है। इसके अलावा, यह बालों को मुलायम बनाने में भी मदद करता है। बस बालों इसे लगाएं और मसाज करें और आधे घंटे बाद धो दें।
एलो वेरा
यदि आप चाहते हैं कि आपके बाल झड़ने कम हो जाएं और बालों को मजबूत मिले तो स्कैल्प पर ऐलो जैल से मसाज करें। सप्ताह में दो बार ऐलोवेरा जैल से मालिश करने से बालों के झड़ने की समस्या से निजात मिलती है और संक्रमण भी दूर होता है।
नीम पेस्ट
चिकित्सकीय गुणों से भरपूर नींम पेस्ट स्काल्प के क्षारीय संतुलन को बहाल करने में मदद करता हैं और बालों को झड़ने से रोकता है। इसे और भी ज्यादा असरदार बनाने के लिए नीम पेस्ट में शहद और जैतून के तेल को भी मिला लें।
अंडे
प्रोटीन उपचार बालों की देखभाल के लिए एक प्राथमिक चरण होता है। तो यदि आप मजबूत और चमकदार बाल चाहते हैं, तो बालों को एक सप्ताह में तीन से चार बार प्रोटीन उपचार दें। इसके लिए बस आपको एक कच्चे अंडे को तोड़कर गीले बालों पर लगाना है और पंद्रह मिनट के बाद गुनगुने पानी से धो देना है।
मेथी के बीज
मेथी के बीज के दो से तीन बड़े चम्मच लेकर पानी में आठ से दस घंटे तक भिगो कर रख दें। अब इसका पेस्ट बना लें और बालों की जड़ों में लगाएं। ये पेस्ट न सिर्फ बालों को झड़ने से रोकता है बल्कि बालों को मजबूत बनाकर डेंड्रफ की समस्या को भी दूर करता है।
10 कारगर घरेलू उपाय, जो किडनी के स्टोन से निजात दिलाएं
किडनी में स्टोन
किडनी में स्टोन की समस्या आजकल आम हो चली है। इसकी बड़ी वजह खान-पान की गलत आदतें होती हैं। किडनी में स्टोन यूरीन सिस्टम का एक रोग है जिसमें किडनी के अन्दर छोटे-छोटे पत्थर जैसी कठोर वस्तुएं बन जाती हैं। आमतौर पर यह ये पथरियां यूरीन के रास्ते शरीर से बाहर निकाल जाती है। बहुत से ऐसे घरेलू उपाय है जिनको अपनाकर इनसे निजात पाई जा सकती है। आइए जाने ऐसे ही कुछ उपायों के बारे में।
करेला
करेला वैसे तो बहुत कड़वा होता है और आमतौर पर लोग इसे कम पसंद करते है। परन्तु पथरी में यह रामबाण की तरह काम करता है। करेले में मैग्नीशियम और फॉस्फोरस नामक तत्व होते हैं, जो पथरी को बनने से रोकते हैं।
अंगूर
अंगूर में एल्ब्यूमिन और सोडियम क्लोराइड बहुत ही कम मात्रा में होता हैं, इसलिए किडनी में स्टोन के उपचार के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है। साथ ही अंगूर प्राकृतिक मूत्रवर्धक के रूप में उत्कृष्ट रूप में कार्य करता है क्योंकि इनमें पोटेशियम नमक और पानी भरपूर मात्रा में होते हैं।
केला
पथरी की समस्या से निपटने के लिए केला खाना चाहिए क्योंकि इसमें विटामिन बी 6 होता है। विटामिन बी 6 ऑक्जेलेट क्रिस्टल को बनने से रोकता और तोड़ता है। साथ ही विटामिन बी-6, विटामिन बी के अन्य विटामिन के साथ सेवन करना किडनी में स्टोन के इलाज में काफी मददगार होता है। एक शोध के मुताबिक विटामिन-बी की 100 से 150 मिलीग्राम दैनिक खुराक गुर्दे की पथरी की चिकित्सीय उपचार में बहुत फायदेमंद हो सकता है।
नींबू का रस और जैतून का तेल
नींबू का रस और जैतून के तेल का मिश्रण, गुर्दे की पथरी के लिए सबसे प्रभावी प्राकृतिक उपचार में से एक है। पत्थरी का पहला लक्षण होता है दर्द का होना। दर्द होने पर 60 मिली लीटर नींबू के रस में उतनी ही मात्रा में आर्गेनिक जैतून का तेल मिला कर सेवन करने से आराम मिलता है। नींबू का रस और जैतून का तेल पूरे स्वास्थ्य के लिए अच्छा रहता है और आसानी से उपलब्ध भी हो जाता हैं।
बथुए का साग
किडनी में स्टोन को निकालने में बथुए का साग बहुत ही कारगर होता है। इसके लिए आप आधा किलो बथुए के साग को उबाल कर छान लें। अब इस पानी में जरा सी काली मिर्च, जीरा और हल्का सा सेंधा नमक मिलाकर, दिन में चार बार पीने से बहुत ही फायदा होता है।
प्याज
प्याज में पथरी नाशक तत्व होते है इसका प्रयोग कर आप किडनी में स्टोन से निजात पा सकते है। लगभग 70 ग्राम प्याज को पीसकर और उसका रस निकाल कर पियें। सुबह खाली पेट प्याज के रस का नियमित सेवन करने से पथरी छोटे-छोटे टुकडे होकर निकल जाती है।
अजवाइन
अजवाइन एक महान यूरीन ऐक्ट्यूऐटर है और किडनी के लिए टॉनिक के रूप में काम करता है। किडनी में स्टोन के गठन को रोकने के लिए अजवाइन का इस्तेमाल मसाले के रूप में या चाय में नियमित रूप से किया जा सकता है।
गाजर
गाजर में पायरोफॉस्फेट अम्ल पाया जाता हैं जो किडनी में स्टोन बनने की प्रक्रिया को रोकता है। साथ ही गाजर में पाया जाने वाला केरोटिन यूरीन की आंतरिक दीवारों को टूटने-फूटने से भी बचाता है।
तुलसी
तुलसी की चाय समग्र किडनी स्वास्थ्य के लिए बहुत ही सफल प्राकृतिक उपचार है। यह किडनी में स्टोन के उपचार के लिए एक आदर्श समाधान है। शुद्ध तुलसी का रस लेने से पथरी को यूरीन के रास्ते निकलने में मदद मिलती है। कम से कम एक महीना तुलसी के पतों के रस के साथ शहद लेने से आप प्रभाव महसूस कर सकते है। साथ ही आप तुलसी के कुछ ताजे पत्तों को रोजाना चबा भी सकते हैं।
अनार का रस
अनार का रस किडनी में स्टोन के खिलाफ एक बहुत ही अद्भुत और सरल घरेलू उपाय है। अनार के कई स्वास्थ्य लाभ के अलावा इसके बीज और रस में खट्टेपन और कसैले गुण के कारण इसे किडनी में स्टोन के लिए एक और प्राकृतिक उपाय के रूप में माना जाता है।
वजन कम करने के नव-रत्न घरेलू उपाय
वजन कम करने के घरेलू उपाय
बढ़ा हुआ वजन न केवल आपके व्यक्तित्व और सेहत को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि यह आपके आत्मविश्वास के लिए भी नुकसानदेह होता है। कई तरीके आजमाने के बाद भी आपका वजन कम नहीं होता। तो, फिर आपको घबराने की जरूरत नहीं है, कुछ ऐसे घरेलू उपाय हैं, जिन्हें आजमाकर अतिरिक्त चर्बी से छुटकारा पा सकते हैं।
हीरा है खीरा
प्राकृतिक रूप से वजन कम करने में खीरे का कोई जवाब नहीं। खीरे में नब्बे फीसदी पानी होता है। इसमें कैलोरी भी बहुत कम होती है, इसलिए वजन कम करने में यह काफी मददगार होता है। यह न केवल वजन कम करने में मदद करता है, बल्कि साथ ही फैट सेल्स को तोड़ता है। इसमें ए, सी और ई जैसे एंटी ऑक्सीडेंट विटामिन होते हैं जो आपके शरीर से टॉक्सिन को बाहर करने में मदद करते हैं।
नींबू और शहद का मेल
शहद और नींबू का रस बहुत गुणकारी होता है। मोटे लोगों के लिए वजन कम करने का यह रामबाण इलाज है। एक गिलास गर्म पानी में तीन चम्मच नींबू का रस और दो चम्मच शहद मिलाकर पीने से बहुत फायदा होता है। बेहतर परिणाम के लिए आप दिन में दो बार भी इसका सेवन कर सकते हैं। इससे आपका हाजमा भी ठीक रहता है औीर शहद आपकी त्वचा को भी लाभ पहुंचाता है।
जुजुबे ऑयल
जुजुबे यानी बेर के तेल में कई पौष्टिक तत्व होते हैं। यह तेल विटामिन ए, सी और बी2 से भरपूर होता है। इसके साथ ही इस ऑयल में कैल्शियम, आयरन और फास्फोरस होता है। बेर के पत्तों को रात भर के लिए पानी में भिगोकर छोड़ दें। सुबह नाश्ते से पहले इस पानी को पी जाएं। देखिये कुछ ही दिनों में आपको चमत्कारी रूप से फायदा होगा।
अदरक और शहद
अदरक के रस में शहद मिलाकर खाने से भी वजन कम करने में काफी मदद मिलती है। दो चम्मच अदरक के रस में दो तीन चम्मच शहद मिलाकर खाने से आपको काफी फायदा होता है। दिन में दो बार इस मिश्रण का सेवन करना आपको बहुत जल्द वजन कम करने में मदद करता है।
गाजर का रस
मोटे लोगों के लिए गाजर भी काफी उपयोगी होती है। सुबह खाली पेट एक गिलास गाजर का जूस पीना आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा। आप गाजर का सेवन काफी तरीकों से कर सकते हैं। आप चाहें तो कच्ची गाजर खा सकते हैं या फिर अन्य सब्जियों अथवा फलों के साथ मिलाकर उसका सलाद भी बना सकते हैं। आप गाजर की सब्जी भी बना सकते हैं।
गोभी है फायदेमंद
पत्ता गोभी में टारटारिक एसिड होता है, जो चीनी और कार्बोहाइड्रेट को वसा में परिवर्तित होने से रोकता है। गोभी में विटामिन ए औ सी भी काफी उच्च मात्रा में होता है, जो वजन कम करने में काफी उपयोगी होता है। गोभी हृदय रोग और कैंसर से लड़ने में भी काफी मदद करती है।
सेब का सिरका
प्राकृतिक रूप से तैयार सेब का सिरका वजन कम करने का उपयोगी घरेलू उपाय है। कई आहार विशेषज्ञ वजन कम करने में इसकी उपयोगिता को स्वीकार करते हैं। करीब 250 मिली पानी में दो चम्मच सिरका मिलाकर पीने से आपको चमात्कारिक लाभ मिलते हैं। आप इसे दिन में तीन बार इस्तेमाल कर सकते हैं।
जादू है आड़ू
आड़ू का नियमित सेवन आपको वजन कम करने में काफी मदद कर सकता है। एक आड़ू में महज 68 कैलोरी होती है और वसा बिलकुल नहीं होती। आड़ू प्राकृतिक रूप से मीठा होता है। आप इसे आसानी से किसी भी मीठे के स्थान पर ले सकते हैं। ऐसे लोग जो वजन कम करने में जुटे हैं, उनके लिए आड़ू काफी लाभप्रद हो सकता है।
अजमोद
अजमोद में लूटेओलिन एंटीऑक्सीडेंट होता है। यह फ्री रेडिकल्स को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है। अजमोद में विटामिन ए और सी के आरडीए होते हैं। आप इसे खाने में स्वाद बढ़ाने के मसाले के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। सलाद पर डाल सकते हैं या फिर जूस में मिलाकर भी पी सकते हैं। इसके अलावा भी इसके अन्य कई स्वास्थ लाभ हैं।
बवासीर का आयुर्वेदिक उपचार
बवासीर बहुत ही पीड़ादायक रोग है। इसका दर्द असहनीय होता है। बवासीर मलाशय के आसपास की नसों की सूजन के कारण विकसित होता है। बवासीर दो तरह की होती है, अंदरूनी और बाहरी। अंदरूनी बवासीर में नसों की सूजन दिखती नहीं पर महसूस होती है, जबकि बाहरी बवासीर में यह सूजन गुदा के बिलकुल बाहर दिखती है। बवासीर को पहचानना बहुत ही आसान है। मलत्याग के समय मलाशय में अत्यधिक पीड़ा और इसके बाद रक्तस्राव, खुजली इसका लक्षण है। इसके कारण गुदे में सूजन हो जाती है। आयुर्वेदिक औषधियों को अपनाकर बवासीर से छुटकारा पाया जा सकता है।
फाइबर युक्त आहार
अच्छे पाचन क्रिया के लिए फाइबर से भरा आहार बहुत जरूरी होता है। इसलिए अपने आहार में रेशयुक्त आहार जैसे साबुत अनाज, ताजे फल और हरी सब्जियों को शामिल करें। साथ ही फलों के रस की जगह फल खाये।
छाछ
बवासीर के मस्सों को दूर करने के लिए मट्ठा बहुत फायदेमंद होता है। इसके लिए करीब दो लीटर छाछ लेकर उसमे 50 ग्राम पिसा हुआ जीरा और स्वादानुसार नमक मिला दें। प्यास लगने पर पानी के स्थान पर इसे पीये। चार दिन तक ऐसा करने से मस्से ठीक हो जायेगें। इसके अलावा हर रोज दही खाने से बवासीर होने की संभावना कम होती है। और बवासीर में फायदा भी होता है।
त्रिफला
आयुर्वेंद की महान देन त्रिफला से हम सभी परिचित है। इसके चूर्ण का नियमित रूप से रात को सोने से पहले 1-2 चम्मच सेवन कब्ज की समस्या दूर करने मेंं मदद करता है। जिससे बवासीर में राहत मिलती है।
जीरा
छोटा सा जीरा पेट की समस्याओं बहुत काम का होता है। जीरे को भूनकर मिश्री के साथ मिलाकर चूसने से फायदा मिलता है। या आधा चम्मच जीरा पाउडर को एक गिलास पानी में डाल कर पियें। इसके साथ जीरे को पीसकर मस्सों पर लगाने से भी फायदा मिलता है।
अंजीर
सूखा अंजीर बवासीर के इलाज के लिए एक और अद्भुत आयुर्वेदिक उपचार हैं। एक या दो सूखे अंजीर को लेकर रात भर के लिए गर्म पानी में भिगों दें। सुबह खाली पेट इसको खाने से फायदा होता है।
तिल
खूनी बवासीर में खून को रोकने के लिए 10 से 12 ग्राम धुले हुए काले तिल को लगभग एक ग्राम ताजा मक्खन के साथ लेना चाहिए। इसे लेने से भी बवासीर में खून आना बंद हो जाता है।
हरीतकी
हरड़ के रूप में लोकप्रिय हरीतकी कब्ज को दूर करने का एक बहुत अच्छा आयुर्वेदिक उपाय है। हरीतकी चूर्ण आधा से एक चम्मच, रात को गुनगुने पानी से लेने से या गुड़ के साथ हरड खाने से बवासीर की समस्या से निजात मिलता है।
बड़ी इलायची
लगभग 50 ग्राम बड़ी इलायची को तवे पर रखकर भूनते हुए जला लीजिए। ठंडी होने के बाद इस इलायची को पीस चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को नियमित रूप से सुबह पानी के साथ खाली पेट लेने से बवासीर की समस्या ठीक हो जाती है।
आंवला
आयुर्वेद में आंवले को बहुत महत्ता प्रदान की गई है, जिससे इसे रसायन माना जाता है। यह शरीर में आरोग्य शक्ति को बढ़ाता है।आंवला पेट के लिए बहुत फायदेमंद होता है। बवासीर की समस्या होने पर आंवले के चूर्ण को सुबह-शाम शहद के साथ पीने से फायदा होता है।
नीम
नीम के छिलके सहित निंबौरी के पाउडर को प्रतिदिन 10 ग्राम रोज सुबह रात में रखे पानी के साथ सेवन कीजिए, इससे बवासीर में फायदा होगा। इसके अलावा नीम का तेल मस्सों पर लगाने और इस तेल की 4-5 बूंद रोज पीने से बवासीर में लाभ होता है।
गुलाब की पंखुडियां
बवासीर में खून की समस्या को दूर करने के लिए बहुत ही अच्छा आयुर्वेदिक उपचार है। इसके लिए थोड़ी सी गुलाब की पंखुडी को 50 मिलीलीटर पानी में कुचल कर तीन 3 दिन खाली पेट लेना चाहिए। लेकिन ध्यान रहें इस उपचार के साथ केले का सेवन न करें।
इसबगोल
इसबगोल की भूसी, गलत खान-पान से उपजी व्याधियों को दूर करने की एक ऐसी ही अचूक, प्राकृतिक और चमत्कारिक औषधि है। इसबगोल भूसी का प्रयोग करने से से अनियमित और कड़े मल से राहत मिलती है। इससे कुछ हद तक पेट भी साफ रहता है और मस्सा ज्यादा दर्द भी नही करता। रात को सोने से पहले एक या दो चम्मच इसकी भूसी को दूध या पानी के साथ लिया जा सकता है।
बहुत फायदेमंद हैं हल्दी वाला दूध
दूध जहां कैल्शियम से भरपूर होता है वहीं दूसरी तरफ हल्दी में एंटीबायोटिक होता है। दोनों ही आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होते हैं। और अगर दोनों को एक साथ मिला लिया जाये तो इनके लाभ दोगुना हो जायेगें। आइए हल्दी वाले दूध के ऐसे फायदों को जानकर आप इसे पीने से खुद को रोक नहीं पायेगें।
सांस संबंधी समस्याओं में लाभकारी
हल्दी में एंटी-माइक्रोबियल गुण होते है, इसलिए इसे गर्म दूध के साथ लेने से दमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों में कफ और साइनस जैसी समस्याओं में आराम होता है। यह मसाला आपके शरीर में गरमाहट लाता है और फेफड़े तथा साइनस में जकड़न से तुरन्त राहत मिलती है। साथ ही यह बैक्टीरियल और वायरल संक्रमणों से लड़ने में मदद करता है।
मोटापा कम करें
हल्दी वाले दूध को पीने से शरीर में जमी अतिरिक्त चर्बी घटती है। इसमें मौजूद कैल्शियम और मिनिरल और अन्य पोषक तत्व वजन घटाने में मदगार होते है।
हडि्डयों को मजबूत बनाये
दूध में कैल्शियम और हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट की मौजूदगी के कारण हल्दी वाला दूध पीने से हडि्डयां मजबूत होती है और साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। हल्दी वाले दूध को पीने से हड्डियों में होने वाले नुकसान और ऑस्टियोपोरेसिस की समस्या में कमी आती है।
खून साफ करें
आयुर्वेदिक परम्परा में हल्दी वाले दूध को एक बेहतरीन रक्त शुद्ध करने वाला माना जाता है। यह रक्त को पतला कर रक्त वाहिकाओं की गन्दगी को साफ करता है। और शरीर में रक्त परिसंचरण को मजबूत बनाता है।
पाचन संबंधी समस्याओं में लाभकारी
हल्दी वाला दूध एक शक्तिशाली एंटी-सेप्टिक होता है। यह आंतों को स्वस्थ बनाने के साथ पेअ के अल्सर और कोलाइटिस के उपचार में भी मदद करता है। इसके सेवन से पाचन बेहतर होता है और अल्सर, डायरिया और अपच की समस्या नहीं होती है।
दर्द कम करें
हल्दी वाले दूध के सेवन से गठिया का निदान होता हैं। साथ ही इसका रियूमेटॉइड गठिया के कारण होने वाली सूजन के उपचार के लिये प्रयोग किया जाता है। यह जोड़ो और मांसपेशियों को लचीला बनाता है जिससे दर्द कम हो जाता है।
गहरी नींद में सहायक
हल्दी शरीर में ट्रीप्टोफन नामक अमीनो अम्ल को बनाता है जो शान्तिपूर्वक और गहरी नींद में सहायक होता है। इसलिए अगर आप रात में ठीक से सो नहीं पा रहें है या आपको बैचेनी हो रही है तो सोने से आधा घंटा पहले हल्दी वाला दूध पीएं। इससे आपको गहरी नींद आएगी और नींद ना आने की समस्या दूर हो जाएगी।
ब्लैक हेड्स
ब्लैक हेड्स एक आम समस्या है जो आमतौर पर ऑयली स्किन पर ज्यादा होती है। ओपन पोर्स में जमा ऑयल जब बाहरी हवा के संपर्क में आता है तो वह ब्लैक हेड्स का रूप ले लेता हैं। इसका एक और कारण त्वचा की सही तरीके से सफाई न करना भी है। यह ब्लैक और वाइट दो रूपों में चेहरे पर दिखाई देता हैं।
ब्लैक हेड्स हटाने के उपाय
अगर आप ब्लैक हेड्स की समस्या से परेशान है तो चिंता न करें। हमारे पास ऐसे पसंदीदा घरेलू उपचार की सूची है जिनको अपनाकर आप त्वचा से जबरदस्ती किये बिना स्वाभाविक रूप से इससे छुटकारा पा सकते हैं। इसके अलावा यह आपकी त्वचा को साफ रखने और ब्लैक हैड्स के मुख्य कारण यानि चेहरे और नाक पर से अत्यधिक तेल को कम करने में बहुत महत्वपूर्ण है।
स्क्रबिंग
स्क्रबिंग ब्लैक हेड्स से छुटकारा पाने का सबसे अच्छा तरीका है। हफ्ते में एक बार जरूर चेहरे पर फेस स्क्रब का इस्तेमाल जरूर करें। चेहरे को स्क्रब करने से त्वचा पर जमी धूल-मिट्टी, अतिरिक्त तेल और मृत कोशिकाएं साफ हो जाती है और त्वचा से ब्लैक हेड्स भी साफ हो जाते हैं।
बेसन और बादाम पेस्ट
बेसन और बादाम के पेस्ट को नाक पर लगाना फायदेमंद होता है और इस पेस्ट का इस्तेमाल ब्लैक हेड्स से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है। इसके लिए बादाम और बेसन पाउडर को मिलाकर स्क्रब तैयार कर लें। इस स्क्रब को अपनी नाक पर लगाएं।
बेकिंग सोडा
पानी और बेकिंग सोडा को मिलाकर पेस्ट बना लें और इस पेस्ट को ब्लैक हेड्स वाले हिस्से पर 25 मिनट के लिए लगाएं। फिर इसे हल्के गर्म पानी से साफ करें। आपको ब्लैक हेड्स से छुटकारा मिल जाएंगा। लेकिन अगर आपकी त्वचा संवेदनशील हे तो एक पैच परीक्षण अवश्य कर लें।
धनिया और हल्दी पाउडर
धनिया की पत्तियों में पानी मिलाकर उसका पेस्ट बना लें। धनिया के इस पेस्ट में थोड़ी सी हल्दी मिला लें। अब इस पेस्ट को अपने चेहरे पर लगा कर 30 मिनट के लिए छोड़ दें। 30 मिनट के बाद चेहरे को गुनगुने पानी से धो लें। इस पेस्ट को नियमित रूप से हर रात अपने चेहरे पर लगाएं, ब्लैक हेड्स निकल जाएंगें।
शहद
त्वचा की देखभाल के लिए इस्तेमाल की जाने वाली चीजों में शहद को सर्वोत्तम माना जाता है। इसके लिए चाहे इसका प्रयोग फेशियल पैक में करें या मास्क में। इसके अलावा शहद ब्लैक हेड्स की समस्या से भी निजात दिलाता है।
नींबू का रस
ब्लैक हेड्स पर दिन में दो-तीन बार नींबू का रस लगाने से ब्लैकहेड्स साफ हो जाते हैं। इसके अलावा नींबू के रस में बादाम का तेल मिलाकर लगाने से यह ना केवल ब्लैकहेड्स की समस्या दूर होती है बल्कि दाग-धब्बे भी साफ हो जाते है। इसके अलावा नींबू के रस में खीरे के रस की कुछ बूंदे भी मिला सकते हैं।
अंगूर
ब्लैक हेड्स को दूर करने में अंगूर भी बहुत उपयोगी होता है। ब्लैक हेड्स होने पर अंगूर को अच्छे से मैश करके पेस्ट बना लें और इस पेस्ट को ब्लैक हेड्स पर लगाएं। 15-20 मिनट तक सूखने दें और बाद में गुनगुने पानी से चेहरा धो लें।
आलू
कच्चे आलू से भी आप ब्लैकहेड्स की समस्या से निजात पा सकते हैं। इसके लिए कच्चे आलू के स्लाइस से ब्लैकहेड्स वाली त्वचा पर हल्की मसाज करें। इससे ब्लैक हेड्स हट जाते हैं और त्वचा साफ रहती है।
केला
अगर आप ब्लैक हेड्स की समस्या से परेशान है तो इसको चेहरे से हटाने के लिये केले और केले के छिलके का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। ब्लैक हेड्स होने पर आप मैश किया हुआ केला या फिर केले के छिलके को चेहरे पर रगड़े।
बेदाग त्वचा पाने उपाय
अक्सर हम इस दुविधा में रहते हैं कि बेदाग त्वचा को हासिल करने के लिए क्या करें। हालांकि, बेदाग त्वचा पाना उतना आसान नहीं, लेकिन फिर भी कुछ प्रयासों के द्धारा हम ऐसा कर सकते हैं। आप रोजाना इन दस कदमों के जरिये एक अच्छी और बेदाग त्वचा पा सकते हैं। चलिये आजमाइये इन कदमों को और पाइये बेदाग और दमकती
पहला कदम : चेहरे की सफाई
त्वचा को बेदाग रखने का सबसे पहला कदम है कि चेहरे को सही तरीके से धोएं। चेहरे की त्वचा शरीर के बाकी हिस्सों की त्वचा से अलग होती है। यह बहुत ही नाजुक और अधिक संवेदनशील होती है। अगर आप अपनी चेहरे की त्वचा को धोने के लिए नियमित रूप से साबुन का उपयोग करते हैं तो त्वचा को नुकसान हो सकता है और आपकी त्वचा ड्राई हो सकती है। इसलिए त्वचा को साफ करने के लिए किसी अच्छे फेस वॉश का इस्तेमाल करें।
दूसरा कदम : मॉइस्चराइजर का इस्तेमाल
मॉइस्चराइजर का इस्तेमाल बेदाग त्वचा पाने की ओर दूसरा कदम है। ड्राई त्वचा को हमेशा अन्हैपी त्वचा माना जाता है। चेहरे की रूखी त्वचा का अर्थ है फटी, झुर्रियों वाली और रंगहीन त्वचा। इन सब से बचने के लिए और चेहरे की त्वचा में चमक को बरकरार रखने के लिए मॉइस्चराइजर का इस्तेमाल करें। अगर आप नहाने के बाद नियमित रूप से त्वचा को मॉइस्चराइजिंग करेगें तो आप सकते हैं बेदाग, तरोताजा और चमकदार त्वचा।
तीसरा कदम : सौंदर्य प्रसाधन के इस्तेमाल से पहले सावधानी
बेदाग त्वचा पाने के लिए आपका तीसरा कदम है सौंदय्र प्रसाधन को लेकर सावधान रहना। कई सौंदर्य प्रसाधन ऐसे होते है वह आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते है। जैसे तेल युक्त सौंदर्य प्रसाधन के इस्तेमाल से रोमछिद्र खुल जाने से त्वचा पर मुहांसे और दाग उत्पन्न हो जाते हैं। इसलिए सौंदर्य प्रसाधन का चयन करते समय ध्यान रखें कि वह तेल मुक्त और एलर्जी रहित हो।
चौथा कदम: सनस्क्रीन लगायें
बेदाग त्वचा पाने की ओर आपका चौथा कदम घर से बाहर निकलते समय सनस्क्रीन का इस्तेमाल है। इसके लिए आपकी सनस्क्रीन 30 से 40 एसपीएफ की होनी चाहिए। बेहतर होगा कि आप वाटर पूफ्र सनस्कीन लगायें। एक साथ बहुत ज्यादा सनस्क्रीन न लगायें। इसके अलावा अधिक धूप के समय सूरज की रोशनी में जाने से बचें। इससे आपकी त्वचा को काफी नुकसान होता है।
पांचवां कदम : आहार हो सही
बेदाग त्वचा पाने के लिए पांचवी और सबसे जरूरी कदम है, अपने आहार में सुधार करना। जंक फूड और फैट वाले खाद्य पदार्थ खाने से त्वचा को नुकसान हो सकता है। जबकि स्वस्थ आहार जिसमें विटामिन बी, सी, ई, ए और के प्रचुर मात्रा में हों त्वचा की पोषक तत्वों की सभी जरूरतों को पूरा करते है और आप पाते हैं स्वस्थ, निखरी और बेदाग त्वचा।
छठा कदम : आहार में विटामिन शमिल करें
बेदाग त्वचा पाने के लिए छंठा कदम है नियमित रूप से मल्टी विटामिन का सेवन। जैसा कि पांचवें कदम में बताया गया है कि त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए स्वस्थ आहार की जरूरत होती है। त्वचा को स्वस्थ रखना कुछ विटामिन और मिनरल पर निर्भर रहता है। इसकी पर्याप्त पूर्ति न होने पर त्वचा अपनी चमक और रंगत खोने लगती है। इसलिए निश्चित करें कि प्रतिदिन अपने शरीर और त्वचा को स्वस्थ और सुंदर बनाएं रखने के लिए विटामिन को अपने आहार में शामिल करें। ओटमील, अंडे, हरी पत्तेदार सब्जियों, फलों, बीजों, मीट और डेरी उत्पादों से मिल सकता है।
सातवां कदम : पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ
सातवां कदम, खूब पानी पियें। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने त्वचा हाइड्रेटेड होती है। पानी आपके शरीर से गंदगी को बाहर करता है और आपकी त्वचा को चमकदार, स्वस्थ और बेदाग बनाने में मदद करता है। इसलिए कोशिश करें कि त्वचा को बेदाग रखने के लिए कम से कम 8-10 गिलास पानी जरूर पीये।
आठवां कदम: चेहरे को भी दे थोड़ा समय
सप्ताह में एक बार अपनी त्वचा को थोड़ा सा समय दें। इसके लिए चेहरे पर मास्क लगायें और स्टीम लें। लेकिन, मास्क लगाने से पहले त्वचा का जरूर खयाल रखें कि त्वचा किस प्रकार की है। केमिकल युक्त उत्पादों के स्थान पर प्राकृतिक उत्पादों का सहारा लें। एक्ने दूर करने के लिए आप टी ट्री ऑयल का इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आपकी त्वचा संवेदनशील और तैलीय है तो आपको अपने चेहरे पर दही नहीं लगाना चाहिए।
नौंवां कदम : सप्ताह में दो बार स्क्रब
त्वचा को सप्ताह में दो बार स्क्रब जरूर करें। इससे आपके चेहरे और त्वचा की मृत कोशिकायें हट जाती हैं। साथ ही एक्ने होने का खतरा भी कम हो जाता है। लेकिन स्क्रब करते समय ध्यान रखें कि बहुत सख्त हाथों से न करें। इससे त्वचा को नुकसान हो सकता है।
दसवां कदम : अक्सर अपने चेहरे को छूने से बचें
दसवां सबसे अखिरी और सबसे महत्वपूर्ण कदम, अपने चेहरे को बार-बार न छुये। अगर आपको अपना चेहरा नहीं धोना है तो चेहरे को छुनें से आपकी हाथों की गंदगी आपके चेहरे पर हस्तांतरित हो सकती है और वह चेहरे को नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए जहां तक संभव हो अपने चेहरे को छूने से बचें।
लगातार बाल झड़ने से अगर इन दिनों आप तनाव में हैं तो आयुर्वेद में आपको इसका प्रभावी उपचार मिलेगा।
ऐसे कई हर्बल चीजें हैं जिनके इस्तेमाल से बालों का झड़ना कम किया जा सकता है। जानिए, आयुर्वेद के आधार पर पांच आसान उपायों का जो बालों का झड़ना कम करने में मददगार हैं।
मजबूत और घने बालों के लिए आयुर्वेद में भृंगराज का काफी महत्व माना गया है। भृंगराज तेल न सिर्फ गंजापन दूर करता है बल्कि समय से पहले बालों को सफेद नहीं होने देता।
ब्राह्मी और दही का पैक बनाकर बालों पर लगाने से बाल झड़ना कम हो जाएंगे। ब्राह्मी के तेल से नियमित मसाज करने पर भी बाल घने होते हैं।
आंवला में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में हैं जो बाल बढ़ने में मदद करते हैं। आंवले को हिना, ब्राह्मी पाउडर व दही में मिलाकर पैक बनाएं और बालों पर लगाएं।
नीम के इस्तेमाल से न केवल बाल घने होते हैं बल्कि रूसी व जूएं जैसी समस्याएं भी दूर होती हैं। नीम का पाउडर तैयार कर लें। इसे दही या नारियल तेल में मिलाकर बालों की जड़ तक मसाज करें।
रीठा के इस्तेमाल से बालों को काला और घना बनाए रखने में मदद मिलती है। रीठा पाउडर तेल में मिलाकर सिर की मसाज करने से बाल झड़ना रुक सकते हैं।
सब्जियों और फलों में ही नहीं, छिलकों में भी हैं जबरदस्त गुण, करते हैं दवा का काम
सब्जियां और फल कई तरह के पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इसीलिए डॉक्टर सेहत बनाने के लिए अधिक मात्रा में इनका सेवन करने को कहते हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि सिर्फ फलों और सब्जियों में ही नहीं बल्कि उनके छिलके भी गुणों से युक्त होते हैं। इन छिलकों का उपयोग करने से कई रोग भी दूर होते हैं। यदि आप भी फलों और सब्जियों के इन गुणों से अनजान हैं तो आइए जानते हैं आज छिलकों के कुछ ऐसे गुणों के बारे में....
- खरबूजे को छिलके सहित खाने से कब्ज दूर होती है।
- यदि आप अलमारियों में कीट से परेशान हैं तो करेले का छिलका रख सकते हैं।
- आलू के छिलके को चेहरे पर रगड़ने से चेहरे पर झुर्रियां नहीं पड़ती।
- जिन महिलाओं को मासिक धर्म के समय अधिक ब्लीडिंग की समस्या होती है। उनके लिए अनार का छिलका एक बेहतरीन दवा है। अनार के छिलके को सुखाकर पीसकर पाउडर बनाकर रख लें। इस पाउडर को एक चम्मच मात्रा में पानी के साथ लें।
- अनार के छिलकों के दो चम्मच पाउडर में दोगुनी मात्रा में गुड़ मिलाकर गोलियां बना लें। कुछ दिन तक सेवन करें। बवासीर से जल्दी आराम मिलेगा।
- अनार के छिलके को मुंह में रखकर चूसने से खांसी खत्म हो जाती है।
- अनार के छिलके को बारीक पीसकर उसमें दही मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बनाकर बालों पर मलें। इससे बाल मुलायम होते हैं।
- बादाम के छिलके व बबूल की फलियों के छिलके और बीजों को जलाकर पीस लें। इस मिश्रण में थोड़ा नमक डालकर मंजन करें। इससे दांतों का दर्द दूर होता है।
- लौकी के छिलके को बारीक पीसकर पानी के साथ पीने से दस्त में लाभ होता है।
- नींबू का छिलका दांत पर मलने से दांत चमकदार बनते हैं।
- नींबू का छिलका जूते पर रगड़े व कुछ देर के लिए धूप में रख दें। जूतों में चमक आ जाएगी।
- नींबू व संतरे के छिलकों को सूखा कर, खूब महीन चूर्ण बनाकर दांत पर घिसे। दांत चमकदार बन जाएंगे।
- पपीते के छिलके को सौंदर्य बढ़ाने वाला माना जाता है। त्वचा पर लगाने से खुश्की दूर होती है। एड़ियों पर लगाने से वे मुलायम होती हैं।
- केले के छिलकों को हल्के हाथों से चेहरे पर पांच मिनट तक घिसने से पिंपल्स दूर हो जाते हैं। इसके छिलके का पेस्ट बनाकर लगाने से चेहरा ग्लो करने लगता है।
- केले का छिलका दांतों पर रगड़ने से दांत चमकने लगते हैं।
- पपीते के छिलके को सौंदर्य बढ़ाने वाला माना जाता है। त्वचा पर लगाने से खुश्की दूर होती है। एड़ियों पर लगाने से वे मुलायम होती हैं।
- केले के छिलकों को हल्के हाथों से चेहरे पर पांच मिनट तक घिसने से पिंपल्स दूर हो जाते हैं। इसके छिलके का पेस्ट बनाकर लगाने से चेहरा ग्लो करने लगता है।
- केले का छिलका दांतों पर रगड़ने से दांत चमकने लगते हैं।
- यदि आप झुर्रियों से परेशान हैं तो अंडे की जर्दी में केले के छिलके को मिलाकर चेहरे पर लगाएं। इससे झुर्रियां खत्म हो जाती हैं। इस पेस्ट को चेहरे पर 5 मिनट के लिए लगाएं। फिर चेहरा धो लें।
- यदि शरीर में कहीं भी दर्द हो तो केले का छिलका उस स्थान पर लगाकर 30 मिनट के लिए छोड़ दें, दर्द से राहत मिलेगी।
- मस्सों पर नियमित रूप से छिलका घिसने से मस्से झड़ जाते हैं।
- संतरे के छिलके में क्लीजिंग, एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो कि पिंपल और एक्ने से लड़ने में सहायक होते हैं। संतरे के छिलके को सुखाकर पीसकर उसे दही मिलाकर स्किन पर लगाने से स्किन ग्लोइंग व स्मूथ बनती है।
- संतरे के छिलकों को बेसन में मिलाकर लगाना तैलीय त्वचा वालों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होता है। यह पिंपल्स को खत्म कर देता है।
- शैंपू नहाने के लिए इस्तेमाल करने वाले शैंपू के झाग से आप पैरों की एड़ियां साफ कर सकती हैं।
- संतरे के रस में बहुत सारा विटामिन सी होता है। अगर आपके पैर सूरज की धूप में जल गए हैं, तो उन पर संतरे का रस लगाइए,15 मिनट के बाद जब रस सूख जाए तब पैरों को साफ पानी से धो लीजिए।
- पैरों को साफ करने के लिए दानेदार नमक का प्रयोग करें।
- पैरों को गीला करके दोनेदार चीनी को 10 मिनट तक के लिए रगड़े। फिर पैरों को गर्म पानी में कुछ देर डूबोकर रखें।
- इसके छिलके में पाचनशक्ति बढ़ाने की क्षमता होती है। यह पाचन में सुधार, गैस, उल्टी, हार्ट बर्न और अम्लीय डकार को दूर करने में मदद करता है। यह भूख बढाता है और मतली से राहत दिलाने का काम करता है।
- संतरे का छिलका कृमि का नाश करने वाला व बुखार को मिटाने वाला भी होता है। इसलिए इन सभी रोगों के रोगियों को संतरे का छिलका पीसकर खिलाने पर फायदा होता है।
- यदि आपके बाल एकदम रफ और बेजान दिखाई देते हैं तो संतरे के छिलके आपके लिए वरदान साबित हो सकते हैं। संतरे के छिलकों को पीसकर बालों में लगाकर कुछ देर रखें और फिर बाल धो लें। बाल चमकीले और मुलायम हो जाएंगे।
- संतरे के छिलकों को पीस कर उसमे गुलाब जल मिलाकर चेहरे पर लगाने से दाग व धब्बे मिटते हैं।
- एक अध्ययन के अनुसार यदि किसी व्यक्ति को कोलेस्ट्रॉल की प्रॉब्लम हो तो ऐसे में संतरे के छिलके उपयोगी साबित हो सकते हैं।
- ये कैंसर व हड्डियों की कमजोरी जैसी समस्याओं में भी विशेष रूप से लाभदायक है।
- नारंगी के छिलके में एक विशेष प्रकार की गंध वाला तेल पाया जाता है। इस तेल का उपयोग तंत्रिकाओं को शांत करने व गहरी नींद के लिए किया जाता है। नहाने के पानी में इसका दो से तीन बूंद तेल डालिए और फिर देखिए कितनी मीठी नींद आती है।
बालों के लिए नहीं नारियल तेल से बेहतर कुछ भी, जानें क्यों?
बालों की सेहत की बात जब भी आती है, आपने अपनी दादी या नानी को नारियल तेल लगाने को कहते सुना होगा। जब बाल ज्यादा गिरने लगे तो मां कहती हैं तेल नहीं लगाते हो ये उसी का परिणाम है। हमारे बड़े लोगों ने नारियल तेल को बालों के लिए ऐसे ही लाभदायक नहीं कहा है इसके पीछे कई कारण हैं।
एक तो नारियल का तेल बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाता है। दूसरा यह बालों के लिए बहुत ही गुणकारी माना जाता है। नारियल का तेल एक ऐसा तेल है जो बालों की हर समस्या का समाधान कर सकता है। यदि आप जानना चाहते हैं कि नारियल तेल आपके बालों के लिए क्यों सबसे अच्छा है तो चलिए आज जानते हैं इसे लगाने से होने वाले फायदों के बारे में...
- यदि आपके बाल ज्यादा घंने और बार-बार उलझते हैं व उलझने के कारण टूटते हैं तो नारियल तेल लगाएं। बाल नहीं उलझेंगे।
- नारियल का तेल बालों की जड़ को मजबूती देता है, जिससे बाल टूटना कम हो जाते हैं।
- रूसी की समस्या आजकल बहुत आम हो गई है। इससे छुटकारा पाने के लिए बालों में हर हफ्ते नारियल तेल लगाया जाना चाहिए। यदि आप नियमित तौर पर इसे लगाएंगे तो आप हफ्ते भर में इसका चमत्कार देख पाएंगे।
- नारियल का तेल बालों में लगाने से उनकी चमक अपने आप ही बढ़ जाती है और उनमें कुदरती शाइन आती है।
- सिर में खुजली की समस्या हो तो नारियल तेल में कपूर मिलाकर लगाएं। यह समस्या खत्म हो जाएगी।
तुलसी और नमक, इन नुस्खों से एकदम पीले दांत भी सफेद हो जाएंगे
कई लोग खुलकर हंसने और मुस्कुराने से डरते हैं। इसलिए नहीं, क्योंकि वो दिल से खुश नहीं है, बल्कि आत्मविश्वास में कमी के कारण। जिन लोगों के दांत पीले होते हैं वे हंसने में संकोच करते हैं। दरअसल, सही ढंग से केयर न करने के कारण दांत पीले हो जाते हैं।
सही ढंग से केयर न करने या प्लाक जमने के कारण दांत पीले हो जाते हैं। इसके अलावा, खाने की कुछ चीजों के लगातार उपयोग, बढ़ती उम्र या अधिक दवाइयों का सेवन भी दांतों के पीलेपन के कारण हो सकते हैं। हममें से अधिकतर लोग चेहरे की खूबसूरती पर बहुत ध्यान देते हैं, लेकिन समय रहते दांतों की खूबसूरती पर ध्यान नहीं देते। ऐसे में, जब दांत बहुत अधिक पीले या बदरंग हो जाते हैं तो ये अच्छा नहीं लगता। यदि आपके साथ भी यह समस्या है तो दांतों को सफेद बनाने के लिए अपनाएं ये दस तरीके....
तुलसी- तुलसी में दांतों का पीलपन दूर करने की अद्भुत क्षमता पाई जाती है। साथ ही, तुलसी मुंह और दांत के रोगों से भी बचाती है। तुलसी के पत्तों को धूप में सुखा लें। इसके पाउडर को टूथपेस्ट में मिलाकर ब्रश करने से दांत चमकने लगते हैं।
नमक- नमक दांतों को साफ करने का सदियों पुराना नुस्खा है। नमक में थोड़ा-सा चारकोल मिलाकर दांत साफ करने से पीलापन दूर हो जाता है और दांत चमकने लगते हैं।
संतरे के छिलके- संतरे के छिलके और तुलसी के पत्तों को सुखाकर पाउडर बना लें। ब्रश करने के बाद इस पाउडर से दांतों पर हल्के से रोजाना मसाज करें। संतरे में मौजूद विटामिन सी और कैल्शियम के कारण दांत मोती जैसे चमकने लगते हैं।
गाजर- रोजाना गाजर खाने से भी दांतों का पीलापन कम हो जाता है। दरअसल, भोजन करने के बाद गाजर खाने से इसमे मौजूद रेशे दांतों की अच्छे से सफाई कर देते हैं।
नीम- नीम का उपयोग प्राचीनकाल से ही दांत साफ करने के लिए किया जाता रहा है। नीम में दांतों को सफेद बनाने व बैक्टीरिया को खत्म करने के गुण पाए जाते हैं। यह नेचुरल एंटीबैक्टिीरियल और एंटीसेप्टिक है। रोजाना नीम के दातून से मुंह धोने पर दांतों के रोग नहीं होते हैं।
बेकिंग सोडा- बेकिंग सोडा पीले दांतों को सफेद बनाने का सबसे अच्छा घरेलू तरीका है। ब्रश करने के बाद थोड़ा-सा बेकिंग सोडा लेकर दांतों को साफ करें। इससे दांतों पर जमी पीली पर्त धीरे-धीरे साफ हो जाती है। बेकिंग सोडा और थोड़ा नमक टूथपेस्ट में मिलाकर ब्रश करने से भी दांत साफ हो जाते हैं।
नींबू- नींबू एक ऐसा फल है जो मुंह की लार में वृद्धि करता है। इसलिए यह दांतों और मसूड़ों की सेहत के लिए फायदेमंद होता है। एक नींबू का रस निकालकर उसमें उतनी ही मात्रा में पानी मिला लें। खाने के बाद इस पानी से कुल्ला करें। इस नुस्खे को अपनाने से दांत सफेद हो जाते हैं और सांसों की दुर्गंध भी दूर हो जाती है।
स्ट्रॉबेरी- स्ट्रॉबेरी दांतों को चमकदार बनाने का सबसे टेस्टी उपाय है। स्ट्रॉबेरी में पाया जाने वाला मैलिक एसिड दांतों को सफेद और चमकदार बनाता है। स्ट्रॉबेरी को पीस लें। इसके पल्प में थोड़ा बेकिंग सोडा मिलाएं। ब्रश करने के बाद इस मिश्रण को उंगली से दांतों पर लगाएं, दांत चमकने लगेंगे।
केला- केला पीस लें। इसके पेस्ट से दांतों को रोज 1 मिनट तक मसाज करें। उसके बाद दांतों को ब्रश करें। रोजाना ये उपाय करने से धीरे-धीरे दांतों का पीलापन खत्म हो जाएगा।
विनेगर- एक चम्मच जैतून के तेल में एप्पल विनेगर मिला लें। इस मिश्रण में अपना टूथब्रश डुबाएं और दांतों पर हल्के-हल्के घुमाएं। ये प्रक्रिया तब तक दोहराएं, जब तक मिश्रण खत्म न हो जाएं। इस नुस्खे को अपनाने से दांतों का पीलापन मिट जाता है। साथ ही, सांसों की दुर्गंध की समस्या भी नहीं रहती है।
टमाटर- टमाटर विटामिन सी से भरपूर होता है। टमाटर का रस दांतों के लिए बहुत अच्छा होता है। टमाटर के रस से दांतों पर मसाज करें। कुछ देर बाद ब्रश करें। दांत चमक ने लगेंगे।
ऐसे करेंगे टमाटर का USE तो चमकने लगेगा चेहरा, जानें आम चीजों के खास गुण
चेहरे को चमकाने के लिए अधिकांश लोग कई तरह के कॉस्मेटिक्स यूज करते हैं। इन कॉस्मेटिक्स से चेहरा चमके या न चमके लेकिन कई बार रिएक्शन जरूर होता है। इसीलिए चेहरे चमकाने के लिए घरेलू चीजों का उपयोग ज्यादा बेहतर है। हिंदुस्तानी परंपरागत ज्ञान के अनुसार अनेक तरह के हर्बल नुस्खे हैं, जिनका इस्तेमाल कर समस्याओं को दूर किया जा सकता है।
चेहरे पर मुंहासे हो या दाग-धब्बे या उम्र के पड़ाव के साथ चेहरे पर आने वाली झुर्रियां, इन सब के लिए परंपरागत स्वदेशी ज्ञान से कई हर्बल नुस्खे तैयार करके समस्या का निवारण किया जा सकता है। चलिए आज जानते है चेहरे के दाग-धब्बे और झुर्रियों को दूर करने के लिए कौन कौन से परंपरागत हर्बल उपाय सुझाए गए हैं।
- टमाटर का रस निकालकर उसमें थोड़ा शहद मिलाकर हल्के हाथों से चेहरे पर मसाज करें। सूखने पर चेहरा धो ले। नियमित रूप से यह नुस्खा अपनाने पर चेहरा चमकने लगेगा।
- सेब को पीस लें और इसमें कुछ मात्रा कच्चे दूध की मिला लें। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं। जब यह सूख जाए तो इसे धो लें। सप्ताह में कम से कम 4 बार ऐसा करने से काफी फायदा होता है।
- पान के एक पत्ते को पीस लें। इसमें एक चम्मच नारियल का तेल मिला लें। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं। किसी भी हिस्से पर बने दाग, काले निशान या धब्बों पर लगाकर कुछ देर रखें और फिर चेहरा धो लें। ऐसा सप्ताह में कम से कम 2 से 3 बार करें। 3 महीने के भीतर निशान मिट जाएंगे।
- एक आलू को बारीक पीस लें। इसमें 2-3 चम्मच कच्चा दूध मिला लें। पेस्ट तैयार हो जाएगा। इस पेस्ट को प्रतिदिन सुबह शाम कुछ देर के लिए काले निशानों पर लगाकर रखें। फिर धो लें, निशान दूर हो जाएंगे।
- रोजाना ग्लिसरीन और नींबू रस की समान मात्रा चेहरे के काले धब्बों पर लगाएं। जबरदस्त फायदा होगा।
- हर्बल वैद्यों की जानकारी के अनुसार 1/2 कप पत्ता गोभी का रस तैयार करें। इसमें 1/2 चम्मच दही और 1 चम्मच शहद मिलाकर चेहरे पर लगाएं। जब यह सूख जाए तो गुनगुने पानी से इसे धो लें, ऐसा करने से चेहरे की त्वचा में प्राकृतिक रूप से खिंचाव आता है और यह झुर्रियों को दूर करने में मदद करता है।
- रात सोने जाने से पहले संतरे के 2 चम्मच रस में 2 चम्मच शहद मिला लें। चेहरे पर 20 मिनिट तक लगाए रखें। इसके बाद दूध में डूबोकर चेहरे की सफाई करें। ऐसा रोज करने से बहुत जल्दी सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।
- एक आलू को बारीक पीस लें। इसमें 2-3 चम्मच कच्चा दूध मिला लें। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं। जल्द ही निशान दूर हो जाएंगे।
- रोजाना ग्लिसरीन और नींबू रसको समान मात्रा में मिलाकर चेहरे के काले धब्बों पर लगाएं तो जबरदस्त फायदा होगा और जल्द ही गहरे काले निशानों की छुट्टी हो जाएगी।
तुरई या तोरी एक सब्जी है जिसे लगभग संपूर्ण भारत में उगाया जाता है। तुरई का वानस्पतिक नाम एक्युटेंगुला है। तुरई को आदिवासी विभिन्न रोगोपचार के लिए उपयोग में लाते है। मध्यभारत के आदिवासी इसे सब्जी के तौर पर बड़े चाव से खाते हैं और हर्बल जानकार इसे कई नुस्खों में इस्तेमाल भी करते हैं चलिए आज जानते हैं ऐसे ही कुछ रोचक हर्बल नुस्खों को..
-आधा किलो तुरई को बारीक काटकर 2 लीटर पानी में उबाल लें।इसके बाद पानी को छानकर उसमें बैंगन को पका लें। बैंगन पक जाने के बाद इसे घी में भूनकर गुड़ के साथ खाने से बवासीर की समस्या खत्म हो जाती है।
- पीलिया होने पर तुरई का रस रोगी की नाक में दो से तीन बूंद डालें। इससे नाक से पीले रंग का द्रव बाहर निकलता है। आदिवासी मानते है कि इस नुस्खे से बहुत जल्दी पीलिया खत्म हो जाता है।
- तुरई के छोटे छोटे टुकड़े काटकर छांव में सुखा लें। सूखे टुकड़ों को नारियल के तेल में मिलाकर 5 दिन तक रखें और बाद में इसे गर्म कर लें। तेल छानकर रोजाना बालों में लगाएं बाल काले हो जाएंगे।
- तुरई में इन्सुलिन की तरह पेप्टाइड्स पाए जाते हैं। इसलिए इसे डायबिटीज नियंत्रण के लिए एक अच्छे उपाय के तौर पर देखा जाता है।
- तुरई की बेल को दूध या पानी में घिसकर 5 दिनों तक सुबह शाम पिएं। इससे पथरी में आराम मिलता है।
- तुरई के पत्तों और बीजों को पानी में पीसकर त्वचा पर लगाएं। इससे दाद-खाज और खुजली जैसे रोगों में आराम मिलता है, यह कुष्ठ रोगों में भी हितकारी है।
- अपच और पेट की समस्याओं के लिए तुरई की सब्जी बेहद कारगर इलाज है। डांगी आदिवासियों के अनुसार अधपकी सब्जी पेट दर्द दूर कर देती है।
- आदिवासी जानकारी के अनुसार लगातार तुरई का सेवन करना सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। तुरई रक्त शुद्धिकरण के लिए बहुत उपयोगी माना जाती है। साथ ही, यह लिवर के लिए भी गुणकारी होती है।
हाइट फिर से बढ़ने लगेगी, एक बार जरूर ट्राय करें ये कारगर देसी नुस्खे
कुछ लोगों की हाइट समय से पहले ही बढ़ना रुक जाती है। इसका मुख्य कारण शरीर को पर्याप्त पोषक तत्व न मिलना और हार्मोन की गड़बड़ी है। दरअसल, हमारी लंबाई बढ़ाने में सबसे बड़ा योगदान ह्यूमन ग्रोथ हार्मोन यानी एचजीएच का होता है। एचजीएच पिट्युटरी ग्लैंड से निकलता है। यही कारण है कि सही प्रोटीन और न्यूट्रिशन न मिलने पर शरीर का विकास रुक जाता है। यदि आपके साथ भी यह समस्या है तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं हाइट बढ़ाने और कर्वी फिगर पाने के कुछ खास नुस्खे....
नुुस्खा- अश्वगंधा और सूखी नागौरी दोनों को ही आयुर्वेद में शारीरिक विकास के लिए महत्वपूर्ण माना गया है।
सामग्री - 20 ग्राम सूखी नागौरी।
- 20 ग्राम अश्वगंधा।
- 20 ग्राम चीनी।
बनाने की विधि- सूखी नागौरी और अश्वगंधा की जड़ को बारीक पीस लें। इस चूर्ण में बराबर मात्रा में चीनी मिला लें। यह मिश्रण कांच की बोतल में भर लें।
ऐसे करें सेवन- रात को सोते समय रोज दो चम्मच चूर्ण लें। फिर गाय का दूध पिएं। इससे हाइट बढ़ने के साथ ही हेल्थ भी बन जाती है। इस चूर्ण को लगातार 40 दिन तक लें। सर्दियों में यह चूर्ण अधिक फायदा करता है।
2. नुस्खा- काले तिल और अश्वगंधा का यह योग नियमित रूप से सेवन करने पर हाइट बढ़ने लगती है।
सामग्री- 1.अश्वगंधा चूर्ण।
2. काले तिल।
3. खजूर।
4. गाय का घी।
बनाने की विधि- 1 से 2 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण और 1 से 2 ग्राम काले तिल को पीसकर चूर्ण बना लें।
ऐसे करें सेवन- इस चूर्ण को 3 से 5 खजूर में मिलाकर 5 से 20 ग्राम गाय के घी में एक महीने तक खाने से लाभ होता है।
3.नुस्खा- केवल अश्वगंधा का पाउडर लेने से भी कद बढ़ने लगता है।
सामग्री- 1. अश्वगंधा की जड़
2. चीनी
3. दूध
बनाने की विधि- थोड़ी सी मात्रा में अश्वगंधा की जड़ लेकर उसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में बराबर मात्रा में चीनी मिलाकर रख लें।
ऐसे करें सेवन- इस मिश्रण को 2 चम्मच मात्रा में एक गिलास दूध में डालकर पिएं। रात को सोने से पहले 45 दिनों तक इस योग का सेवन करने से शरीर सुडौल बनता है और कद बढ़ जाता है।
सावधानियां- फास्ट फूड या जंक फूड का सेवन न करें।
- खटाई न खाएं।
- ज्यादा मिर्च-मसाले से परहेज करें।
- इन दवाओं का सेवन गाय के दूध से करें तो बेहतर है।
ये भी करें-
जिन लोगों का कद नहीं बढ़ रहा हो उन्हें रोज ताड़ आसन और भुजंगासन करना चाहिए।
ताड़ आसन विधि- ताड़ आसन करने के लिए सबसे पहले अपने दोनों हाथ ऊपर उठाएं। हाथ उठाकर सांस अंदर लें। अपने पैर के पंजों पर कुछ समय के लिए खड़े हो जाएं।
दोनों हाथों को मिलाएं और अपने शरीर को ऊपर की तरफ खीचें। कुछ देर उसी अवस्था में रहें। फिर सांस बाहर छोड़ें और दोनों पैर के पंजों को सामान्य अवस्था में ले आएं। यह क्रिया 10 से 15 बार करें।
भुजंगासन विधि- पेट के बल लेट जाएं। दोनों पैरों को मिलाकर रखिए। सिर जमीन पर, आंखें खुली हुई और दोनों बाजू को कोहनी से मोड़ें। हाथों को कंधों के नीचे रखें। कोहनी बाहर की ओर न हो, बल्कि शरीर के साथ लगाकर रखें।
एक ही बार में सांस नहीं भरेंगे, बल्कि आसन करते हुए धीरे-धीरे सांस भरें।
धीरे-धीरे सांस लेना शुरू करें और फिर सिर को उठाएं। गर्दन को पीछे की ओर मोड़ें। पीठ की मांसपेशियों का बल लगाते हुए आप कंधे भी उठाएं। हथेलियों पर थोड़ा दबाव रखते हुए छाती और नाभि तक का भार उठाएं।
हर स्थिति में नाभि को जमीन से 30 सेंटीमीटर ही ऊपर उठाना चाहिए। ज़्यादा नहीं, अन्यथा कमर भी उठ जाएगी। इस स्थिति में कोहनी सीधी नहीं होगी। इसके बाद आकाश की ओर देखें। इस अवस्था में सांस रोंके। कमर के निचले भाग पर खिंचाव आएगा, जिसे आप महसूस कर पाएंगे। इस स्थिति में 3-4 सेकंड तक रहें और फिर सामान्य अवस्था में आ जाएं।
इसके साथ ही अपने डाइट चार्ट में ज्यादा से ज्यादा फल और मेवे शामिल करें। कद बढ़ने लगेगा।
स्त्रियां पायल क्यों पहनती हैं, अधिकतर पुरुष नहीं जानते असली वजह
किसी भी स्त्री के पैरों की सुंदरता में पायल चार चांद लगा देती है। स्त्रियों के सोलह श्रृंगार में पायल का भी महत्वपूर्ण स्थान है। आमतौर पर यही माना जाता है कि पायल स्त्रियों के लिए श्रृंगार की वस्तु है, लेकिन इससे कई अन्य लाभ भी प्राप्त होते हैं। पायल से प्राप्त होने वाले फायदों के विषय में काफी कम लोग जानते हैं।
प्राचीन समय से ही हर स्त्री के लिए पायल पहनना अनिवार्य परंपरा के रूप में प्रचलित है। कई घर-परिवार ऐसे हैं, जहां विवाह के बाद स्त्री को पायल के बिना घर से बाहर जाने की इजाजत भी नहीं दी जाती है। यहां जानिए इस प्राचीन परंपरा के पीछे कौन-कौन से कारण बताए गए हैं...
पायल पहनने के पीछे एक वजह यह है कि प्राचीन काल में महिलाओं को पायल एक विशेष संकेत के लिए पहनाई जाती थी। उस समय में जब घर के सभी सदस्य एक साथ बैठे होते थे, तब यदि पायल की छम-छम की आवाज आती थी तो सभी को अंदाजा हो जाता कि कोई महिला उनकी ओर आ रही है। जिससे सभी सदस्य व्यवस्थित रूप से आने वाली महिला का उचित स्वागत करने के लिए तैयार हो जाते थे।
पायल की आवाज से घर में निर्मित होता है सकारात्मक वातावरण
छम... छम... छम... पायल की ऐसी आवाज किसी का भी मन बरबस ही लुभा लेती है। जब कोई लड़की पायल पहनकर चलती है तो पायल से निकलने वाला मधुर स्वर किसी संगीत से कम प्रतीत नहीं होता। पायल की आवाज से घर में नकारात्मक शक्तियों का असर कम हो जाता है और दैवीय शक्तियां बढ़ती हैं। घर में सकारात्मक वातावरण निर्मित होता है।
पायल पहनने से मिलते हैं कई स्वास्थ्य
पायल पहनने से स्त्रियों को कई स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होते हैं। सोने या चांदी से बनी पायल विशेष स्वास्थ्य लाभ पहुंचाती है। पायल हमेशा पैरों से रगड़ाती रहती है, इसी वजह से पैरों की हड्डियों को सोने या चांदी के तत्व प्राप्त होते हैं, जिनसे हड्डियों को मजबूती मिलती है। आयुर्वेद में कई दवाओं में धातुओं की भस्म का उपयोग किया जाता है। धातुओं की भस्म से जैसे स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं, ठीक वैसे ही लाभ पायल पहनने से पैरों को भी मिलते हैं।
जब पायल की आवाज आए तो ध्यान रखें ये बातें
पायल की आवाज अन्य लोगों के लिए एक इशारा है, इसकी आवाज से सभी को यह एहसास हो जाता है कि कोई महिला उनके आसपास है, अत: ऐसी परिस्थिति में शालीन और सभ्य व्यवहार करना चाहिए। ताकि स्त्री के सामने किसी प्रकार की कोई अभद्रता ना हो जाए।
पुराने समय में स्त्रियों को पति के घर में कहीं आने-जाने के लिए पूरी स्वतंत्रता नहीं रहती थी। साथ ही, वह किसी से खुलकर बात भी नहीं कर पाती थी। ऐसे में जब वह घर में कही आती-जाती तो बिना उसके बताए भी पायल की आवाज से सभी सदस्य समझ जाते थे कि उनकी बहु वहां आ रही है या कहीं जा रही है।
10 चीजें खाने से आंखें हमेशा स्वस्थ रहेंगी और चश्मा भी नहीं लगेगा
आंखें हमारे शरीर का सबसे अनमोल अंग हैं। इसीलिए इसकी देखभाल ठीक से करना बहुत जरूरी है। आंखों को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन और पोषक तत्वों से भरपूर चीजों का सेवन करना चाहिए, क्योंकि सही आहार व सही देखभाल से आंखें उम्र भर स्वस्थ रहती हैं। चलिए आज जानते हैं कुछ ऐसी ही चीजों के बारे में जिनके नियमित सेवन से चश्मा नहीं लगता और आंखें स्वस्थ रहती हैं....
हरी सब्जियां होती है फायदेमंद- आंखों को सेहतमंद बनाए रखने के लिए। फलों और हरे पत्तों वाली सब्जियों का सेवन बहुत जरूरी है। इनके सेवन से शरीर को केरोटीनाइड मिलता है, जो कि आंखों की पुतली को हमेशा स्वस्थ बनाए रखता है।
विटामिन्स से भरपूर चीजें- विटामिन ए, बी, सी और ई युक्त चीजों का सेवन बहुत जरूरी है। इन विटामिन्स का सेवन करने से आंखें स्वस्थ रहती हैं व मोतियाबिंद की बीमारी हमेशा दूर रहती है।
जिंक युक्त चीजों का सेवन- आंखों से जुड़ी समस्याओं से बचने के लिए जिंक युक्त चीजें जरूर खाना चाहिए। मुंगफली, दही, डार्क चॉकलेट, तिल व कोको पाउडर आदि मेें जिंक भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
सल्फर वाली चीजों को खाने में शामिल करें- देखने की क्षमता उम्र भर एक सी बनी रहे। इसके लिए प्याज व लहसुन को अपने खाने में शामिल करना चाहिए। ऐसे ही किसी व्यक्ति को मोतियाबिंद की समस्या हो तो उसे सेलेनियम से भरपूर चीजों का सेवन करना चाहिए।
सोया मिल्क- सोया मिल्क भी आंखों के लिए बहुत लाभकारी है। इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। साथ ही, इससे विटामिन, फैटी एसिड्स और विटामिन ई भी मिलते हैं,जो कि आंखों की कमजोर को तुरंत दूर कर देते हैं।
फल भी होते हैं लाभदायक- आम, पपीते जैसे फलों में करोटिन पाया जाता है। इनके सेवन से आंखों के नीचे के काले घेरे दूर हो जाते हैं। आंखें हमेशा स्वस्थ रहती हैं।
सौंफ से भी मिलता है लाभ- सौंफ कई गुणों से भरपूर होती है। इसमें मौजूद औषधीय गुण आंखों के लिए लाभदायक होते हैं। सौंफ और मिश्री को बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। इसकी एक चम्मच सुबह-शाम दूध के साथ लें। इससे आंखों की कमजोरी दूर होती है और नेत्र ज्योति बढ़ती है।
मछली भी आंखों के लिए गुणकारी है- मछली में ओमेगा 3 फैटी एसिड्स होता है। एक ताजा शोध में ये बात सामने आई है कि मछली खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
बादाम खाने से भी होता है फायदा- बादाम में विटामिन ई पाया जाता है। रोजाना रात को बादाम पानी में भिगोएं और सुबह उसे खाएं। इससे आंखें हमेशा स्वस्थ रहती हैं।
अंडा खाने से भी स्वस्थ रहती हैं आंखें- आंखों के लिए अंडा काफी लाभदायक होता है। ल्यूटिन व जीजेंथिन नामक तत्वों से कैरोटिनायड्स का निर्माण होता है। किसी अन्य पदार्थ की अपेक्षा ये दोनों तत्व अंडे में प्रचुरता में पाए जाते हैं। रोज एक अंडा खाने से केरोटिनाइड्स की कमी के कारण आंखों के सेल्स में होने वाला क्षरण रोका जा सकता है।
ये 15 चीजें खाने से बिना पसीना बहाए ही पेट अंदर हो जाता है
भारत में जड़ी-बूटी और मसालों का उपयोग सैकड़ों सालों से किया जाता रहा है। इन हर्ब और मसालों में कई औषधीय गुण भरपूर मात्रा में होते हैं। साथ ही, ये हमारे खाने को भी अलग फ्लेवर देते हैं। रिसर्च से पता चला है कि इन मसालों में रोग प्रतिरोधक क्षमता और शरीर का मेटॉबालिज्म बढ़ाने की क्षमता होती है। ये खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ ही वजन को भी कंट्रोल करते हैं। अगर आप अपना वजन कम करने का मन बना रहे हैं तो आज हम बता रहे हैं कुछ ऐसे मसालों और हर्ब के बारे में जिनके नियमित सेवन से वजन कम हो जाता है....
- दालचीनी मसाले के रूप में काम मे ली जाती है। यह पेट रोग, इंफ्यूएंजा, टाइफाइड, टीबी और कैंसर जैसे रोगों में उपयोगी है। दालचीनी का तेल बनता है। दालचीनी,साबुन, दांतों के मंजन, पेस्ट, चाकलेट, सुगंध व उत्तेजक के रूप में काम में आती है।
-चाय, कॉफी में दालचीनी डालकर पीने से स्वादिष्ट हो जाती है। वजन कम करने वाले हर्ब में दालचीनी सबसे कारगर है। यह बॉडी के शुगर लेवल को कंट्रोल करती है। साथ ही, इसके सेवन से भूख लगना कम हो जाती है और फैट तेजी से मेटाबॉलाइज हो जाता है।
- साधारण सा दिखने वाला अदरक वाकई गुणों की खान है। आयुर्वेद में भी अदरक का खूब जिक्र है। अब तक आपने महज सर्दी-जुकाम में अदरक के कारगर होने की बात सुनी होगी, लेकिन नए वैज्ञानिक शोध के मुताबिक अदरक डायबिटीज की समस्या में भी कारगर साबित होता है। अदरक पेट साफ करने के लिए काफी अच्छा होता है। यह पाचन तंत्र में फंसे भोजन को हटाता है, जिससे फैट कम जमा होता है और वजन भी नहीं बढ़ता है।
- इलाइची का लैटिन नाम इलेट्टेरिया कार्डियोमम है। इलाइची में टर्पिन, टर्पिनीनोल, सिनिओल, टर्पिनिल एसिटेट नमक रासायनिक तत्त्व पाए जाते हैं। यह शरीर के मेटाबॉलिज्म और फैट बर्न करने की क्षमता को बढ़ाता है।
- हल्दी अपने औषधीय और सौंदर्यवर्धक गुणों के कारण रसोई की शान है। इसके पीले रंग के कारण भारतीय केसर के नाम से भी प्रसिद्ध हल्दी पौष्टिक गुणों से भरपूर होती है। हल्दी में वजन कम करने के गुण भी पाए जाते हैं। यह फैट टिशू के निर्माण को कम करता है। इससे शरीर में फैट कम बनता है, जिससे वजन बढ़ने की समस्या नहीं होती है।
- एकाइ बेरी शोध से पता चलता है कि एकाइ बेरी का जूस या सूखा पाउडर वजन कम करने में काफी असरदार होता है। यह शरीर में फैट बनने से रोकता है। इसमें कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट गुण भी पाए जाते हैं।
- नेटल की पत्तियां कई तरह के गुणों से भरपूर होती हैंं। इसमें विटामिन सी व विटामिन ए के अलावा एंटीऑक्सीडेंट भी पाए जाते हैं। इन पत्तियों के सेवन से खून साफ होने के साथ ही फैट भी बर्न होता है।
- शोधों और आयुर्वेद के अनुसार, लाल मिर्च में सक्सीनिक एसिड, शिकिमिक एसिड, आक्जेलिक एसिड, क्युनिक एसिड, अमीनो एसिड, एस्कार्बिक एसिड, फोलिक एसिड, सिट्रीक एसिड, मैलिक एसिड, मैलोनिक एसिड, आल्फा-एमिरिन, कैप्सीडीना, कैप्सी-कोसीन, कैरोटीन्स , क्रिप्तोकैप्सीन, बाई-फ्लेवोनाईड्स, कैप्सेंथीन, कैप्सोरूबीन डाईएस्टर, आदि तत्व उपस्थित होते हैं। लाल मिर्च में कैप्साइसिन नामक यौगिक भी पाया जाता है, जो मोटापा कम करने के साथ ही भूख के एहसास को भी कम करता है। एक शोध से यह बात सामने आई कि लाल मिर्च मेटाबॉलिज्म को बढ़ाती है, जिससे ज्यादा से ज्यादा कैलोरी बर्न होती है।
- जीरा वैसे तो रसोई में काम आने वाला एक साधारण सा मसाला है, लेकिन यह औषधीय गुणों से भी भरपूर होता है। अपच ,पेट फूलना ,भोजन में अरुचि में जीरे का सेवन लाभदायक होता है। बवासीर में जीरे को मिश्री के साथ खाने से कुछ आराम मिलता है। जीरा हमारे पाचन तंत्र को बेहतर बनाकर हमें ऊर्जावान रखता है। साथ ही, यह हमारे इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाता है। इसके नियमित रूप से सेवन से वजन नियंत्रण में रहता है।
- काली मिर्च आमतौर पर उपयोग किए जाने वाले मसालों में से है। इसमें पाइपरीन पाया जाता है। पाइपरीन शरीर के मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है। काली मिर्च हमारे पाचन तंत्र को बेहतर बनाने के साथ-साथ फैट बर्न की गति को भी बढ़ाती है।
-गुआराना में डाइयूरेटिक गुण पाया जाता है, जो वजन कम करने में मददगार होता है। साथ ही यह नर्वस सिस्टम को भी बेहतर बनाता है। इससे आप तनावमुक्त रहते हैं और खाने पर भी आपका नियंत्रण रहता है।
- जिनसेंग जिनसेंग एनर्जी लेवल को बढ़ाता है। साथ ही, मेटाबॉलिज्म की गति को भी बेहतर बनाता है।
- ग्वार गम यानी ग्वार बीज डायबिटीज के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है और वजन कम करने में भी मददगार होता है। साथ ही, यह आपके पाचन तंत्र को भी बेहतर बनाता है।
- सरसो मेटाबोलिक एक्टिविटी को तेज करता है, जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है।
- फ्लैक्स सीड बल्किंग एजेंट का काम करता है और इसे खाने के बाद पेट भरा-भरा लगने लगता है। इससे आप ज्यादा खाने से बचेंगे, जिससे आपका वजन नहीं बढ़ेगा।
- नारियल तेल भी मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है। इससे ऊर्जा बाहर निकलती है और वजन भी कम होता है।
- सौंफ खाने से पाचन तंत्र में सुधार होता है और भूख भी नियंत्रित रहती है। इसके अलावा लीवर की सफाई भी होतीहै।
- रोज रात को सोने से पहले ईसबगोल लेना वजन कम करने का एक सुरक्षित रास्ता है। इससे शरीर ऊर्जावान बना रहता है। साथ ही, शरीर की कार्र्बोहाइड्रेट सोखने की दर भी कम हो जाती है।
10 साधारण चीजें, जिन्हें खाने से खून की कमी बहुत जल्दी दूर हो जाती है
खून की कमी एक आम समस्या है जो पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक देखी जाती है। जब खून में लाल रक्त कणिकाओं की कमी हो जाती है तो शरीर में हिमोग्लोबिन की कमी हो जाती है। हिमोग्लोबिन एक तरह का प्रोटीन होता है। यह शरीर में ऑक्सीजन के संचरण का काम करता है। इसकी कमी से एनिमिया नाम का रोग हो जाता है। एनिमिया मुख्य रूप से तीन तरह का होता है।
- खून की कमी से होने वाला एनिमिया।
- हेमोलाइसिस एनिमिया।
- लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण में कमी के कारण होने वाला एनिमिया।
एनिमिया के कारण-
- लोहे तत्वों की कमी।
- विटामिन बी 12 की कमी।
- फोलिक एसिड की कमी।
- मां के दूध पिलाने के कारण।
- बहुत ज्यादा खून की कमी होने पर।
- पेट में इंफेक्शन के कारण।
- स्मोकिंग।
- खून की कमी।
- एजिंग
- कुछ दवाईयों के अधिक इस्तेमाल से।
एनिमिया के लक्षण-
1. ज्यादा सुस्ती आना।
2. थकान।
3. अस्वस्थता।
4. सांस लेने में दिक्कत।
5. घबराहट।
6. सर्दी के प्रति ज्यादा संवेदनशील होना।
7. पैरों और हाथों में सूजन।
8. क्रोनिक हार्ट बर्न।
9. ज्यादा पसीना आना।
10. स्टूल में खून आना।
पालक- पालक की सब्जी एनिमिया में दवा की तरह काम करती है। इसमें कैल्शियम, विटामिन ए, बी9, विटामिन ई और विटामिन सी, फाइबर, बीटा केरोटीन पाया जाता है। आधा कप उबले पालक में 3.2 मि.ग्रा. आयरन पाया जाता है। यह एक ही बार में किसी महिला के शरीर में 20 प्रतिशत आयरन की पूर्ति करने में सक्षम है।
कैसे खाएं पालक - हरी सब्जियों में पालक डालें। साथ ही, सलाद के रूप में भी इसका सेवन किया जा सकता है। पालक को उबालकर उसका सूप भी बनाया जा सकता है। इसका सूप पीने से बहुत जल्दी खून बढ़ता है।
चुकंदर- चुकंदर को एनिमिया में एक रामबाण दवा माना जाता है। यह लौह तत्व से भरपूर सब्जी है। चुकंदर ब्लड सेल्स को एक्टिव कर देता है। एक बार जब ये रक्त कणिकाएं एक्टिव हो जाती हैं। ये पूरे शरीर में ऑक्सीजन का संचरण करती हैं। इसीलिए एनिमिया से पेरशान लोगों को अपनी डेली डाइट में थोड़ा चुकंदर जरूर शामिल करना चाहिए।
कैसे खाएं चुकंदर- चुकंदर को शिमला मिर्च, गाजर, टमाटर जैसी सब्जियों में मिलाकर सब्जी बनाई जा सकती है।
- इसके अलावा चुकंदर को सलाद के रूप में या जूस बनाकर लिया जा सकता है।
पीनट बटर- पीनट बटर प्रोटीन का एक अच्छा सोर्स है। इसीलिए पीनट बटर को अपनी डेली डाइट में शामिल करने की कोशिश करें। रोज पचास ग्राम मुंगफली खाने से भी एनिमिया दूर होता है। दो चम्मच पीनट बटर में 0.6 मि.ग्रा. आयरन पाया जाता है।
कैसे खाएं पनीर बटर- रोज सुबह ब्रेड पर पीनट बटर लगाकर खाएं। इसके बाद संतरे का जूस पीने से शरीर आयरन को बहुत जल्दी एब्जार्ब कर लेता है।
- किसी चीज में मिलाकर भी इसका सेवन किया जा सकता है।
टमाटर- टमाटर में भरपूर मात्रा में विटामिन सी और लाइकोपिन पाया जाता है। इसमें उपस्थित विटामिन सी आयरन को एब्जार्ब करने में मदद करता है। साथ ही, इसमें बीटा केरोटीन और विटामिन ई पाया जाता है। इसीलिए ये शरीर के लिए नेचुरल कंडिशनर का भी काम करता है।
कैसे खाएं टमाटर- टमाटर को सलाद के रूप में खाया जा सकता है।
- इसके अलावा जूस या सूप बनाकर पीना भी सेहत के लिए अच्छा होता है।
सोयाबीन- सोयाबीन आयरन और विटामिन से भरपूर होता है। इसे खाने से शरीर को लो फैट के साथ ही भरपूर मात्रा में आयरन मिलता है। इसीलिए यह एनिमिया के पेशेन्ट्स के लिए बहुत लाभदायक होता है।
कैसे खाएं सोयाबीन- सोयाबीन को उपयोग करने से पहले उन्हें रात में गुनगुने पानी में भिगो दें। फिर धूप में सुखा लें।
- इसे चपाती के आटे के साथ पीसवा कर उपयोग में लाना चाहिए।
- इसके अलावा सोयाबीन को उबालकर भी उसका सेवन किया जा सकता है।
शहद- शहद कई बीमारियों में दवा का काम करता है। एनिमिया के रोगियों के लिए भी यह बहुत लाभदायक होता है। 100 ग्राम शहद में 0.42 मि.ग्रा. आयरन होता है। इसीलिए इसके सेवन से खून की कमी दूर हो जाती है।
कैसे लें शहद- एक नींबू के रस को एक गिलास पानी में मिलाएं। इसके बाद एक चम्मच शहद मिलाएं। रोज इस तरह एक गिलास नींबू पानी का सेवन करने से बहुत जल्दी खून बढ़ता है।
गुड़- एक चम्मच गुड़ में 3.2 मि.ग्रा. आयरन होता है। इसीलिए एनिमिया से ग्रस्त लोगों को रोज100 ग्राम गुड़ जरूर खाना चाहिए।
कैसे खाएं गुड़- गुड़ के सेवन में यह बात जरूर ध्यान रखना चाहिए कि गुड़ पुराना हो।
- खाने के बाद थोड़ा सा गुड़ खाने से भी एनिमिया दूर होता है।
साबुत अनाज के ब्रेड- साबुत अनाज ब्रेड की एक स्लाइस से रोजाना शरीर के लिए जरूरी आयरन का 6 प्रतिशत तक मिल जाता है।
कैसे खाएं साबुत अनाज की ब्रेड- रोज नाश्ते में अगर आप साधारण ब्रेड खाते हैं तो उसे साबुत अनाज की ब्रेड से रिप्लेस कर दें।
- आयरन की कमी पूरी करने के लिए रोज कम से कम दो से तीन साबुत अनाज की ब्रेड खाएं।
मेवे- एनिमिया के पेशेन्ट्स को मेवे जरूर खाना चाहिए। मेवों से शरीर में आयरन का लेवल तेजी से बढ़ता है।
कौन से मेवे खाएं- पिस्ता सबसे बेहतरीन ड्रायफ्रूट है, जिससे शरीर को पर्याप्त मात्रा में आयरन मिलता है।
अखरोट- रोज थोड़ा अखरोट खाना भी एनिमिया के रोगियों के लिए बहुत लाभदायक होता है।
सेब और खजूर- सेब और खजूर दोनों में ही पर्याप्त मात्रा में आयरन पाया जाता है।
- सेब के अंदर मौजूद विटामिन सी आयरन को एब्जार्ब करने में शरीर की मदद करता है।
- 100 ग्राम सेब में .12 प्रतिशत आयरन पाया जाता है।
- रोज एक सेब और दस खजूर खाने से एनिमिया दूर हो जाता है।
कम उम्र में आ गई हो सफेदी तो ये नुस्खे अपनाएं, बाल फिर से काले हो जाएंगे
आजकल के फास्ट लाइफ कल्चर में बालों की ठीक से देखभाल न हो पाने और प्रदूषण के कारण बाल सफेद हो जाते हैं। बाल डाई करना या कलर करना इस समस्या का एकमात्र विकल्प नहीं।
कुछ घरेलू नुस्खे आजमा कर भी सफेद बालों को काला किया जा सकता है। हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही सिंपल घरेलू फंडे जिनसे आप कम उम्र में सफेद हुए बालों को फिर से काला बना सकते हैं।
- सूखे आंवले को पानी में भिगोकर उसका पेस्ट बना लें। इस पेस्ट में एक चम्मच युकेलिप्टस का तेल मिलाएं। मिश्रण को एक रात तक लोहे के बर्तन में रखें। सुबह इसमें दही, नींबू का रस व अंडा मिलाकर बालों पर लगाएं। बालों में नई जान आ जाएगी। 15 दिन तक यह प्रयोग करने से सफेद बाल काले होने लगते हैं।
- आंवला जूस, बादाम तेल व नींबू का जूस मिलाकर बालों की जड़ों में लगाएं बालों में चमक आ जाएगी व सफेद भी नहीं होंगे।
- बालों में एलोवेरा जेल लगाने से भी बाल गिरना बंद हो जाते हैं और जल्दी सफेद नहीं होते।
- रोजाना सुबह थोड़ी मात्रा में आंवला जूस लेने से भी बाल लंबी उम्र तक काले बने रहते हैं।
- कम उम्र में सफेद होते बालों पर एक ग्राम काली मिर्च में थोड़ा दही मिलाकर सिर में लगाने से भी लाभ होता है।
- गाय के दूध का मक्खन लेकर हल्के हाथों से बालों की जड़ों में लगाएं। जल्द ही फायदा दिखने लगेगा।
- आपने अपने घर के बुजुर्गों को सिर पर देसी घी से मालिश करते हुए देखा होगा। घी से सिर की त्वचा को पोषण मिलता है। प्रतिदिन घी से सिर की मालिश करके भी बालों के सफेद होने की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
- 2 चम्मच हिना पाउडर, 1 चम्मच दही, 1 चम्मच मेथी, 3 चम्मच कॉफी, 2 चम्मच तुलसी पाउडर, 3 चम्मच पुदीना पेस्ट मिलाकर बालों में लगाएं। तीन घंटे बाद शैम्पू करें। कम उम्र में सफेद हुए बाल फिर काले हो जाएंगे।
- मेहंदी को नारियल तेल में मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को बालों में लगाने से बालों का रंग आकर्षक डार्क-ब्राउन होने लगता है।
- 200 ग्राम आंवला, 200 ग्राम भांगरा, 200 ग्राम मिश्री, 200 ग्राम काले तिल इन सभी का चूर्ण बनाकर रोजाना 10 ग्राम मात्रा में लेने से कम उम्र में सफेद हुए बाल फिर से काले होने लगेंगे।
- बाल धोने में नींबू पानी का उपयोग करें। इससे बाल नेचुरली ब्राउन होने लगते हैं व सफेद नहीं होते हैं।
- नारियल तेल में ताजे आंवला को इतना उबाले कि वह काला हो जाए। इस मिश्रण को ठंडा करके रात को सोने से पहले बालों में लगा लें व सुबह बाल धोएं।
-अदरक को पीसकर उसमें थोड़ा शहद मिलाकर पेस्ट बनाएं और अपने सिर पर लगाएं। इस उपाय को रोजाना अपनाने से सफेद बाल फिर से काले होने लगते हैं।
- बालों में रोजाना सरसों का तेल लगाने से बाल हमेशा काले रहेंगे।
- नारियल तेल में मीठे नीम की पत्तियां को इतना उबाले की पत्तियां काली हो जाएं। इस तेल के हल्के हाथों से बालों की जड़ों पर लगाएं। बाल घने व काले हो जाएंगे।
- रोजाना खाली पेट आंवले का जूस पिएं। बाल लंबी उम्र तक काले रहेंंगे।
- नींबू का रस और नारियल तेल मिलाकर स्कल्प पर नियमित रूप से लगाने पर बाल काले होते हैं।
- आंवला व आम की गुठली को पीसकर उसे सिर में लगाने से सफेद बाल काले हो जाएंगे।
- बालों में नीम का तेल व रोज मेरी तेल का इस्तेमाल करने से बाल सफेद नहीं होते हैं।
- प्याज का रस निकालकर उसे बालों की जड़ों में हल्के हाथों से लगाएं बाल घने व काले होने लगेंगे।
- आंवला पाउडर में नींबू का रस मिलाकर या ताजे हरे आंवले को पीसकर सिर में लगाने से बाल घने व काले हो जाते हैं।
- तुरई को काटकर नारियल तेल में उबालें व जब तुरई काली हो जाए, तब उसे छानकर किसी बोतल में भर लें। रोजाना इस तेल को बालों में लगाएं। धीरे-धीरे बाल काले होने लगेंगे।
- तिल का तेल तो बालों के लिए अच्छा होता ही है। साथ ही, इसका सेवन भी बहुत लाभ पहुंचाता है। अगर आप अपने भोजन में तिल को शामिल कर लें तो आपके बाल लंबे समय तक काले और घने बने रहेंगे।
- सिर धोने के लिए शिकाकाई पाउडर या माइल्ड शैम्पू का इस्तेमाल करें।
- एक कप चाय का पानी उबालकर उसमें एक चम्मच नमक मिलाएं। इस मिश्रण को बाल धोने से एक घंटे पहले बालों में लगाएं। बाल काले होने लगेंगे।
पुरुषों को मसल्स मजबूत बनाने के लिए जरूर खाना चाहिए ये साधारण चीजें
पुरुषों का व्यक्तित्व तभी आकर्षक लगता है। जब उनका शरीर गठीला हो और मसल्स मजबूत हो। मसल्स मजबूत होती हैं तो शरीर शेप में दिखाई देता है। इसके लिए सिर्फ घंटों जिम में बिताना ही काफी नहीं है, बल्कि सही डाइट प्लान भी जरूरी होता है। खानपान पर यदि पूरी तरह से ध्यान दिया जाए तो मसल्स मजबूत होती हैं और शरीर आंतरिक रूप से ताकतवर बन जाता है। आइए आज जानते हैं हम कुछ ऐसी ही चीजों के बारे में जिनके नियमित सेवन से मसल्स मजबूत हो जाती हैं।
फल और सब्जियां-
मसल्स को मजबूत बनाने के लिए फल और सब्जियों का भरपूर मात्रा में सेवन करना चाहिए। इनमें विटामिन, मिनरल्स और कई पोषक तत्व व प्रोटीन पाए जाते हैं, जो कि मसल्स को मजबूत बनाते हैं।
लो फैट डेयरी उत्पाद-
कम फैट वाले डेयरी उत्पादों जैसे दूध, दही, छाछ आदि में प्रोटीन अधिक मात्रा में होता है। इसीलिए पुरुषों को इनका नियमित सेवन करना चाहिए। एक कप दूध से लगभग 8 मि.ग्रा. कार्निटिन मिलता है। दूध से बनी चीजों में कैल्शियम, विटामिन-ए जैसे आवश्यक पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं। इसके अलावा इनमें कार्बोहाइड्रेट और विटामिन डी भी अच्छी मात्रा में मौजूद होते हैं, जिससे मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।
अंडे-
यदि आप अंडे खाते हैं तो इसे अपनी नियमित डाइट में शामिल करें। मसल्स को मजबूत बनाने के लिए अंडा भी एक उपयोगी औषधि की तरह काम करता है। इसमें अमीनो एसिड पाया जाता है। अंडे के पीले भाग में प्रोटीन और ल्यूटेन जैस तत्व होते हैं, जो शरीर को ताकतवर बनाते हैं।
ड्राय फ्रूट्स-
ड्राय फ्रूट्स और नट्स दोनों में ही भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। पुरुषों को ड्रायफ्रूट्स का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए। फिर चाहें तो इन्हें कच्चा खाएं या फिर भूनकर खाएं। इनमें फैट्स रेशे, विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जिनसे मसल्स मजबूत होती हैं।
अंकुरित अनाज-
अंकुरित अनाज पुरुषों की सेहत के लिए बहुत अच्छे होते हैं। यह पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। साथ ही, यह जिंक जैसे पोषक तत्वों का स्रोत हैं, जो पुरुषों में कमजोरी और नपुंसकता की समस्या कम करने में सहायक होते हैं व मसल्स को मजबूत बनाते हैं।
मूंगफली-
मूंगफली में जिंक के साथ ही भरपूर मात्रा में वसीय अम्ल पाए जाते हैं। ये वसीय अम्ल पुरुषों के लिए फायदेमंद होते हैं। इसके सेवन से पुरुषों में कमजोरी की समस्या दूर हो जाती है।
लहसुन-
लहसुन का सेवन भी पुरुषों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होता है। लहसुन में एंटी-बैक्टीरियल और एंटीवायरल तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। साथ ही, इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण भी मौजूद होते हैं। यह परिसंचरण तंत्र को भी स्वस्थ बनाता है।
ब्रॉकली-
ब्रॉकली खाने के भी चमत्कारिक लाभ हैं। इसमें पाया जाने वाला आइसोथायोसाइनेट्स यकृत को उत्तेजित करता है। यह उन एन्जाइम्स के निर्माण में सहायता करता है, जो कैंसर उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं के प्रभाव को कम करते हैं। इसमें विटामिन-सी भी मौजूद होता है। इसीलिए इसे पुरुषों की सेहत के लिए बेहतरीन औषधि माना गया है।
ग्रीन टी-
ग्रीन टी का सेवन भी पुरुषों के लिए बहुत अच्छा होता है। ग्रीन टी में पॉलीफिनॉल प्रचूर मात्रा में पाया जाता है। यह कैंसर होने से रोकता है। ग्रीन टी रोजाना पीने से पेट, फेफड़ों व आंतों की बीमारियां दूर होती हैं।
आम और पपीता-
आम और पपीता, दोनों में ही भरपूर मात्रा में विटामिन ए पाया जाता है। आम में अमीनों अम्ल, विटामिन ए, सी और ई, नियासिन, बिटाकेरोटिन, आयरन, कैल्शियम और पोटैशियम पाया जाता है। वहीं, पपीता में पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी व सी के साथ ही एंटीआक्सीडेंट भी मौजूद होते हैं। इन दोनों फलों के छिलकों में बायोफ्लैवेनॉइड्स पाया जाता है। इसीलिए यह फल पुरुषों को अपनी डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए।
शिमला मिर्च-
शिमला मिर्च भी पुरुषों के लिए फायदेमंद होती है। कुछ शोधों के अनुसार लाल शिमला मिर्च में संतरे के रस के मुकाबले तीन गुना ज्यादा विटामिन सी पाया जाता है। वैज्ञानिकों की मानें तो फ्लैवोनॉइड्स के लिए लाल शिमला मिर्च प्रभावी विकल्प है। फ्लैवोनॉइड्स पुरुषों को सेहतमंद बनाता है।
टमाटर-
टमाटर में लाइकोपीन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। लाइकोपीन पौधों में पाया जाने वाला एक प्राकृतिक रासायनिक पदार्थ है। यह रासायनिक पदार्थ अपने एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए जाना जाता है। यह प्रॉस्ट्रेट, फेफड़े और पेट के कैंसर को खत्म करता है। साथ ही, चेहरे की लालिमा और चमक भी बढ़ाता है
अनार-
पुरुषों को अनार का जूस अपनी डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए। रोजाना एक गिलास अनार का जूस पीने से पुरुषों को प्रोस्टेट की समस्या नहीं होती है।
रागी-
रागी कैल्शियम का सबसे बढिय़ा स्रोत है। यह पुरुषों को ऑस्टियोपोरेसिस से बचाता है। साथ ही, यह जिंक तथा रेशे का भी अच्छा स्रोत है। इसके नियमित सेवन से डिसलिपिडीमिया, डायबिटीज और मोटापे से बचा जा सकता है।
कद्दू-
कद्दू भी पुरुषों के लिए लाभदायक होता है। इसमें रेशे, विटामिन, खनिज और कई स्वास्थ्यवर्धक एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। इसके इन्ही गुणों के कारण इसके नियमित सेवन से ताउम्र स्किन जवां बनी रहती है।
सोया-
सोया में मौजूद आइसोफ्लैवोन्स प्रॉस्ट्रेट की रक्षा करते हैं। यह प्रॉस्ट्रेट कैंसर के खतरे को कम करते हैं। रोजाना 25 ग्राम सोया प्रोटीन के सेवन से कोलेस्ट्रॉल स्तर को भी कम किया जा सकता है।
ये हैं आदिवासियों के खास देसी नुस्खे, इनसे ठीक होते हैं कई रोग
आधुनिक युग में भी काफी लोग ऐसे हैं जो आयुर्वेद और पारंपिरक नुस्खों पर विश्वास रखते हैं। पुराने समय से चले आ रहे इन नुस्खों से कई छोटी-बड़ी बीमारियों का इलाज आसानी से हो जाता है। आज भी शहरों से दूर रहने वाले आदिवासी अंग्रेजी दवाइयों की तुलना में जड़ी-बूटियों और पेड़-पौधों की मदद से कई रोगों का इलाज करते हैं।
यहां जानिए कुछ ऐसे ही नुस्खे जो आदिवासियों द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं...
- पातालकोट के आदिवासी मानते हैं कि बांस के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से स्त्रियों का रुका हुआ मासिक धर्म पुन: शुरू हो जाता है। शहद के साथ बांस के पत्तों का रस मिलाकर लेने से खांसी खत्म हो जाती है।
- आदिवासियों के अनुसार महुआ की छाल का काढ़ा प्रतिदिन 50 मि.ली. लिया जाए तो चेहरे के दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं। यदि इस काढ़े को त्वचा पर लगाया जाए तो फोड़े-फुंसियां खत्म हो जाती हैं। गुजरात में डांग के आदिवासी इसी काढ़े से गठिया रोग का भी इलाज करते हैं। महुआ की छाल का चूर्ण घी या मक्खन के साथ लिया जाए तो यह बलदायक होता है। ऐसा माना जाता है कि यह चूर्ण वीर्य को पुष्ट करता है।
- बुखार की अवस्था में जब सिरदर्द हो तो सिवान की पत्तियों को पीसकर सिर पर लेप करें। ऐसा करने से दर्द और जलन समाप्त हो जाती है। पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार पेटदर्द होने पर सिवान की जड़ के चूर्ण (3 ग्राम) का सेवन करने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
- महुआ की फलियों में टैनिन नामक रसायन पाया जाता है। फलियों को सुखाकर बनाए चूर्ण को घावों पर लगाया जाए तो घाव जल्दी सूख जाते हैं। आदिवासी शीशम के पत्तों से बने तेल को भी घाव पर लगाते हैं। इससे भी घाव जल्दी ठीक होता है।
- पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार शीशम के हरे और कोमल पत्तों को पानी में डालकर रात भर के लिए ढककर रख दें। इसके बाद सुबह इन पत्तों को निचोड़कर छान लेंं। इसे मिश्री के साथ लेने पर ताकत मिलती है और वीर्य गाढ़ा होता है।
- कमर दर्द और जोड़ों के दर्द को दूर करने के लिए यह उपाय करें। सेमल की पत्तियों को अदरक और कर्पूर के साथ समान मात्रा में मिलाएं और कुचलकर लेप बनाएं। इस लेप को कमर और जोड़ों पर लगाने से लाभ होता है।
- शरीर की गर्मी व जलन दूर करने के लिए यह नुस्खा आजमाएं। सिवान के फल का गूदा एकत्र करें और इसका शर्बत बना लें। इस शर्बत को पीने से लू का असर खत्म हो जाता है। शरीर की गर्मी दूर होती है और जलन शांत होती है।
- दस्त लगने पर सेमल की छाल का पाउडर (5-10 ग्राम) चीनी के साथ खाएंगे तो तुंरत आराम मिलता है।
- मुंहासों के उपचार के लिए सेमल के कांटों को गुलाब जल में घिसकर चेहरे पर लगाना चाहिए।
- पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार सेमल की जड़ों का चूर्ण प्रतिदिन 3 बार लेने से संधिवात में आराम मिलता है।
आदिवासियों की जिंदगी और जड़ीबूटियों से जुड़ी कुछ बहुत रोचक बातें -----
रोजमर्रा की जिंदगी में हमारे आसपास पाई जाने वाली जडी-बूटियाँ और हमारा पारंपरिक ज्ञान किस कदर मदद कर सकता है, इसका आकलन भी नहीं किया जा सकता।
आइए जानते है जड़ी-बूटियों और आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान की मदद से हम किस तरह अपनी जिंदगी में आने वाली सामान्य समस्याओं को आसानी से सुलझा सकते हैं...
आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान और कुछ रोचक उपायों का जिक्र कर रहें हैं डॉ दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डाँग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित करने का काम कर रहे हैं....
1. मेंहदी की पत्तियाँ किताबों और कपडों में लगने वाले कीडों को आसपास भी भटकने नहीं देती। मेंहदी की 5-10 सूखी पत्तियों को किताबों और कपडों की अलमारियों में रखिए, कीडे नही पडेंगे।
2. गर्मियों में पातालकोट के हर्रा का छार गाँव में आदिवासी नदी के किनारे पर छोटे गड्ढे करके पीने का पानी प्राप्त करते हैं, ये पानी सामान्यत: मटमैला होता है क्योंकि इसमें मिट्टी आदि के कण पाए जाते है। शुद्ध पानी प्राप्त करने के लिए आदिवासी गड्ढे में एक कप दही डाल देते है।
एक दो घंटे में पानी में घुले मिट्टी के कण तली में बैठ जाते है और आहिस्ता आहिस्ता पानी एकत्र कर लिया जाता है।माना जाता है कि दही सूक्ष्मजीवों को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है, पानी पेय योग्य हो जाता है।
3. पातालकोट घाटी के आदिवासी हर्बल जानकार ज्यादा प्यास लगने से रोकने के लिए कच्चे चावल के दाने चबाने की सलाह देते हैं। कच्चे चावल के दाने (1-2 ग्राम) लेकर चबा लीजिए, बार बार प्यास लगना बंद हो जाएगी।
इन आदिवासियों के अनुसार मधुमेह के रोगियों को बार बार प्यास लगने की समस्या का निवारण इसी फ़ार्मुले से किया जा सकता है। वैसे जब भी आप पहाडों या लंबी पगडंडियों पर सैर सपाटों के लिए जाएं, तो इस फ़ार्मुले को जरूर अपनाएं, प्यास कम लगेगी और थकान भी कम होगी।
4. नमक में आने वाली नमी से परेशान हो? चावल के कच्चे दानों की कुछ मात्रा नमक के डिब्बे में डाल दीजिए, नमक पसीजेगा नहीं यानि नमक में नमी नहीं आएगी।
5.आदिवासी ताजे नींबू के चारों तरफ़ तिल का तेल लेपित कर देते हैं, इनके अनुसार ऐसा करने से नींबू काफ़ी लंबे समय तक ताजे रहते है और इन पर किसी तरह के दाग और सिकुडन पैदा नहीं होती है।
एक बाल्टी पानी में दो चम्मच लहसून का रस और 2 बूंद नीलगिरी का तेल डाल दीजिए और फिऱ पोछा करें, अगले 5-6 घंटों तक मच्छरों का अता पता नहीं रहेगा।
6. नींबू में पाया जाने वाला एसिड आपके कार के काँच की खिडकियों, फ्ऱंट ग्लास और साईड मिरर आदि पर लगे क्षारयुक्त पानी के धब्बों को निकाल मारता है।
कार के काँच वाले हिस्सों की बेहतर सफ़ाई के लिए एक हिस्सा शुद्ध पानी और दो हिस्सा नींबू का रस लिया जाए और इसे अच्छी तरह से मिला लिया जाए।
इस द्रव को कार के काँच वाले हिस्सों पर छिड्ककर साफ़ अखबार या वाईपर से पोछ लिया जाए, काँच बिल्कुल नए की तरह चमचमा उठेंगे।
7. नारंगी (लेण्टाना कैमारा) जिसे लालटेन्या भी कहा जाता है, मच्छरों के लार्वा को नष्ठ करने का देसी उपाय है। नारंगी की पत्तियों को एकत्र कर लिया जाए और साफ़ पानी से धो लिया जाए और फिऱ इसे कुचलकर पेस्ट तैयार कर लिया जाए।
इस पेस्ट को लार्वा पाए जाने वाले संबंधित पानी के श्रोतों जैसे गड्ढे, पोखर, नालियाँ और पानी के खुले टैंक आदि में डाल दिया जाए तो लार्वा कुछ समय में मर जाते है।
आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार, नारंगी के पेस्ट की मात्रा 100 मिली प्रति 15 लीटर होनी चाहिए..आजमाकर देखें, कोई बुराई नहीं।
8. दूध गर्म करते वक्त अक्सर दूध उफऩ जाता है या इसकी मलाई बर्तन की सतह पर चिपक जाती है,ऐसा आप यदि नही चाहते तो इस देसी फ़ार्मुले को आजमाकर देखिए।
दूध उबालने से पहले साफ़ पानी से बर्तन को धो लिया जाए और इस गीले बर्तन में तुरंत दूध डाल दिया जाए और साथ ही बर्तन की ऊपरी सतह पर या किनारे पर चारों तरफ़ घी, मक्खन या किसी भी खाद्य तेल को उंगली की सहायता से लगा दिया जाए, दूध उफऩेगा नहीं और मलाई भी आंतरिक सतह पर नहीं चिपकेगी।
9. नारियल की गिरी अक्सर खुली रहने से संक्रमित हो जाती है, डाँग- गुजरात के हर्बल जानकार आदिवासियों के अनुसार इस गिरी को बेल पत्रों के साथ रख दिया जाए तो किसी तरह का संक्रमण नहीं होता है।
गुलाब का फूल है देसी दवा, ऐसे खाएंगे तो इन रोगों का इलाज हो जाएगा
गुलाब के फूल को कोमलता और सुंदरता का प्रतीक माना जाता है। यह सिर्फ खूबसूरत फूल ही नहीं है, बल्कि कई तरह के औषधिय गुणों से भी भरपूर है। गुलाब की सुगंध ही नहीं इसके आंतरिक गुण भी उतने ही अच्छे हैं। गुलाब के फूल में कई रोगों के उपचार की क्षमता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही उपयोगों के बारे में.....
- नींद न आती हो या तनाव रहता हो तो सिर के पास गुलाब रखकर सोएं, अनिद्रा की समस्या दूर हो जाएगी।
- गुलाब के फूल की पंखुड़ियां खाने से मसूढ़े और दांत मजबूत होते हैं। मुंह की बदबू दूर होती है और पायरिया रोग से भी निजात मिल जाती है।
- गुलाब में विटामिन सी बहुत मात्रा में पाया जाता है। गुलकंद रोज खाने से हड्डियां मजबूत हो जाती है। रोजाना एक गुलाब खाने से टी.बी के रोगी को बहुत जल्दी आराम मिलता है।
- गुलाब की पत्तियों को ग्लिसरीन डालकर पीस लें। इस मिश्रण को होंठों पर लगाएं। इससे होंठ गुलाबी और चिकने हो जाते हैं।
- गुलाब से बने गुलकंद में गुलाब का अर्क होता है। जो शरीर को ठंडक पहुंचाता है। यह शरीर को डीहाइड्रेशन से बचाता है और तरोताजा रखता है। पेट को भी ठंडक पहुंचाता है। गुलकंद स्फूर्ति देने वाला एक शीतल टॉनिक है, जो थकान, आलस्य, मांसपेशियों के दर्द और जलन आदि समस्याओं से बचाता है।
- अर्जुन की छाल और देसी गुलाब मिलाकर पानी में उबाल लें। यह काढ़ा पीने से दिल से जुड़ी बीमारियां दूर रहती है। दिल की धड़कन बढ़ रही हो तो सूखी पंखुड़ियां उबालकर पिएं।
- आंतों में घाव हों तो 100 ग्राम मुलेटी ,50 ग्राम सौंफ ,50 ग्राम गुलाब की सूखी हुई पंखुड़ियां तीनों को मिलाकर पीस लें। रोजाना इस चूर्ण को दस ग्राम की मात्रा में लें।
- गुलकंद में विटामिन सी, ई और बी अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। भोजन के बाद गुलकंद खाने से पाचन से जुड़ी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
- गुलकंद में अच्छी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। त्वचा के लिए भी यह बहुत फायदेमंद है। इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण हैं, जो त्वचा की समस्याएं मिटाते हैं।
- छोटी-छोटी फुंसियां हो रही हों तो गुलकंद का सेवन करें, फुंसियां खत्म हो जाएंगी। बच्चों के पेट में कीड़े होने पर बाइविडिंग का चूर्ण गुलकंद में मिलाकर एक-एक चम्मच सुबह-शाम 15 दिनों तक लें। पेट के कीड़े खत्म हो जाएंगे।
- आंखों में गर्मी के कारण जलन हो या धूल मिट्टी से आंखों में तकलीफ हो तो गुलाबजल से आंखें धोने पर आराम मिलता है। रतौंधी नामक आंखों के रोग के लिए गुलाब जल अचूक दवा का काम करता है।
- गुलाब की पंखुडियां को सूखाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को चेचक के रोगी के बिस्तर पर डालने से उसे ठंडक और आराम मिलता है।
- गुलाब को पीस कर लेप बनाकर सिर पर लगाने से सिर दर्द थोड़ी देर में गायब हो जाता है।
- भोजन के बाद पान में गुलकंद डलवाकर खाना चाहिए। इससे सांस की दुर्गंध दूर हो जाती है और खाना भी हजम हो जाता है।
गूलर एक महाऔषधि
***************
धातुदुर्बलता:
• 1 बताशे में 10 बूंद गूलर का दूध डालकर सुबह-शाम सेवन करने और 1 चम्मच की मात्रा में गूलर के फलों का चूर्ण रात में सोने से पहले लेने से धातु दुर्बलता दूर हो जाती है। इस प्रकार से इसका उपयोग करने से शीघ्रपतन रोग भी ठीक हो जाता है।
मर्दाना शक्तिवर्द्धक
• 1 छुहारे की गुठली निकालकर उसमें गूलर के दूध की 25 बूंद भरकर सुबह रोजाना खाये इससे वीर्य में शुक्राणु बढ़ते हैं तथा संतानोत्पत्ति में शुक्राणुओं की कमी का दोष भी दूर हो जाता है।
• 1 चम्मच गूलर के दूध में 2 बताशे को पीसकर मिला लें और रोजाना सुबह-शाम इसे खाकर उसके ऊपर से गर्म दूध पीएं इससे मर्दाना कमजोरी दूर होती है।
• पका हुआ गूलर सुखाकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में इसी के बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर किसी बोतल में भर कर रख दें। इस चूर्ण में से 2 चम्मच की मात्रा गर्म दूध के साथ सेवन करने से मर्दाना शक्ति बढ़ जाती है। 2-2 घंटे के अन्तराल पर गूलर का दूध या गूलर का यह चूर्ण सेवन करने से दम्पत्ति वैवाहिक सुख को भोगते हुए स्वस्थ संतान को जन्म देते हैं।
बाजीकारक (काम उत्तेजना):
• 4 से 6 ग्राम गूलर के फल का चूर्ण और बिदारी कन्द का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर मिश्री और घी मिले हुए दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से पौरुष शक्ति की वृद्धि होती है व बाजीकरण की शक्ति बढ़ जाती है। यदि इस चूर्ण का उपयोग इस प्रकार से स्त्रियां करें तो उनके सारे रोग ठीक हो जाएंगे।
• गर्मी के मौसम में गूलर के पके फलों का शर्बत बनाकर पीने से मन प्रसन्न होता है और शरीर में शक्ति की वृद्धि होती है तथा कई प्रकार के रोग जैसे- कब्ज तथा खांसी और दमा आदि ठीक हो जाते हैं।
उपदंश (फिरंग):
• 40 ग्राम गूलर की छाल को 1 लीटर पानी में उबालकर काढ़ा बना लें और इसमें मिश्री मिलाकर पीने से उपदंश की बीमारी ठीक हो जाती है।
शरीर को शक्तिशाली बनाना:
• लगभग 100 ग्राम की मात्रा में गूलर के कच्चे फलों का चूर्ण बनाकर इसमें 100 ग्राम मिश्री मिलाकर रख दें। अब इस चूर्ण में से लगभग 10 ग्राम की मात्रा में रोजाना दूध के साथ लेने से शरीर को भरपूर ताकत मिलती है।
प्रदर:
• गूलर के फूलों के चूर्ण को छानकर उसमें शहद एव मिश्री मिलाकर गोली बना लें। रोजाना 1 गोली का सेवन करने से 7 दिन में प्रदर रोग से छुटकार मिल जाता है।
• गूलर के पके फल को छिलके सहित खाकर ऊपर से ताजे पानी पीयें इससे श्वेत प्रदर रोग ठीक हो जाता है।
• गूलर के फलों के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से प्रदर रोग में आराम मिलता है।
रक्तप्रदर :
• रक्तप्रदर में गूलर की छाल 5 से 10 ग्राम की मात्रा में या फल 2 से 4 की मात्रा में सुबह-शाम चीनी मिले दूध के साथ सेवन करने से अधिक लाभ मिलता है तथा रक्तप्रदर रोग ठीक हो जाता है।
• 20 ग्राम गूलर की ताजी छाल को 250 मिलीलीटर पानी में उबालें जब यह 50 मिलीलीटर की मात्रा में बच जाए तो इसमें 25 ग्राम मिश्री और 2 ग्राम सफेद जीरे का चूर्ण मिलाकर सेवन करें इससे रक्तप्रदर रोग में लाभ मिलता है।
• पके गूलर के फलों को सुखाकर इसे कूटे और पीसकर छानकर चूर्ण बना लें। फिर इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर किसी ढक्कनदार बर्तन में भर कर रख दें। इसमें से 6 ग्राम की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम दूध या पानी के साथ सेवन करने से रक्तप्रदर ठीक हो जाता है।
• पके गूलर के फल को लेकर उसके बीज को निकाल कर फेंक दें, जब उसके फल शेष रह जायें तो उसका रस निकाल कर शहद के साथ सेवन करने से रक्त प्रदर में लाभ मिलता है। रोगी इसके सब्जी का सेवन भी कर सकते हैं।
• 1 चम्मच गूलर के फल का रस में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर सुबह-शाम नियमित रूप से सेवन करने से कुछ ही हफ्तों में न केवल रक्त प्रदर ठीक होता है बल्कि मासिकधर्म में खून अधिक आने की तकलीफ भी दूर होती है।
श्वेत प्रदर:
• रोजाना दिन में 3-4 बार गूलर के पके हुए फल खाने से श्वेत प्रदर में लाभ मिलता है।
• गूलर का रस 5 से 10 ग्राम मिश्री के साथ मिलाकर नाभि के निचले हिस्से में पूरे पेट पर इससे लेप करें। इससे श्वेत प्रदर रोग में आराम मिलता है।
• 1 किलो कच्चे गूलर लेकर इसके 3 भाग कर लें। इसमें से कच्चे गूलर 1 भाग उबाल लें और इनकों पीसकर 1 चम्मच सरसों के तेल में फ्राई कर लें तथा इसकी रोटी बना लें। रात को सोते समय रोटी को नाभि के ऊपर रखकर कपड़ा बांध लें। इस प्रकार शेष 2 भागों से इसी प्रकार की क्रिया 2 दिनों तक करें इससे श्वेत प्रदर रोग की अवस्था में आराम मिलता है।
• 10-15 ग्राम गूलर की छाल को पीसकर, 250 मिलीलीटर पानी में डालकर पकाएं। पकने के बाद 125 मिलीलीटर पानी शेष रहने पर इसे छान लें और इसमें मिश्री व लगभग 2 ग्राम सफेद जीरे का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें तथा भोजन में इसके कच्चे फलों का काढ़ा बनाकर सेवन करें श्वेत प्रदर रोग में लाभ मिलता है।
गर्भपात रोकना:
• गर्भावस्था में खून का बहना और गर्भपात होने के लक्षण दिखाई दें तो तुरन्त ही गूलर की छाल 5 से 10 ग्राम की मात्रा में अथवा 2 से 4 गूलर के फल को पीसकर इसमें चीनी मिलाकर दूध के साथ पीएं। जब तक रोग के लक्षण दूर न हो तब तक इसका प्रयोग 4 से 6 घंटे पर उपयोग में लें।
• गूलर की जड़ अथवा जड़ की छाल का काढ़ा बनाकर गर्भवती स्त्री को पिलाने से गर्भस्राव अथवा गर्भपात होना बंद हो जाता है।
भगन्दर:
• गूलर के दूध में रूई का फोहा भिगोंकर इसे नासूर और भगन्दर के ऊपर रखें और इसे प्रतिदिन बदलते रहने से नासूर और भगन्दर ठीक हो जाता है।
खूनी बवासीर:
• गूलर के पत्तों या फलों के दूध की 10 से 20 बूंदे को पानी में मिलाकर रोगी को पिलाने से खूनी बवासीर और रक्तविकार दूर हो जाते हैं। गूलर के दूध का लेप मस्सों पर भी लगाना लाभकारी है।
• 10 से 15 ग्राम गूलर के कोमल पत्तों को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। 250 ग्राम गाय के दूध की दही में थोड़ा सा सेंधानमक तथा इस चूर्ण को मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से खूनी बवासीर के रोग में लाभ मिलता है।
आंव (पेचिश):
• 5 से 10 ग्राम गूलर की जड़ का रस सुबह-शाम चीनी मिले दूध के साथ सेवन करने से आमातिसार (पेचिश) ठीक हो जाता है।
• बताशे में गूलर के दूध की 4-5 बूंदे डालकर रोगी को खिलाने से आमातिसार (आंव) ठीक हो जाता है।
• गूलर के पके फल खायें इससे पेचिश रोग ठीक हो जाता है।
• गूलर को गर्म जल में उबालकर छान लें और इसे पीसकर रोटी बना लें फिर इसे खाएं इससे पेचिश में लाभ होता है |
दस्त:
• दस्त और ग्रहणी के रोग में 3 ग्राम गूलर के पत्तों का चूर्ण और 2 दाने कालीमिर्च के थोड़े से चावल के पानी के साथ बारीक पीसकर, उसमें कालानमक और छाछ मिलाकर फिर इसे छान लें और इसे सुबह-शाम सेवन करें इससे लाभ मिलेगा।
• गूलर की 10 ग्राम पत्तियां को बारीक पीसकर 50 मिलीलीटर पानी में डालकर रोगी को पिलाने से सभी प्रकार के दस्त समाप्त हो जाते हैं।
बच्चों का आंव:
• गूलर के दूध की 5-6 बूंदे चीनी के साथ बच्चे को देने से बच्चों के आंव ठीक हो जाते हैं।
विसूचिका:
• विसूचिका (हैजा) के रोगी को गूलर का रस पिलाने से रोगी को आराम मिलता है।
रक्तपित्त (खूनी पित्त):
• पके हुए हुए गूलर, गुड़ या शहद के साथ खाना चाहिए अथवा गूलर की जड़ को घिसकर चीनी के साथ खाने से लाभ मिलेगा और रक्तपित्त दोष दूर हो जाएगा।
• हर प्रकार के रक्तपित्त में गूलर की छाल 5 ग्राम से 10 ग्राम तथा उसका फल 2 से 4 ग्राम तथा गूलर का दूध 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा के रूप में सेवन करने से लाभ मिलता है।
फोडे़:
• फोड़े पर गूलर का दूध लगाकर उस पर पतला कागज चिपकाने से फोड़ा जल्दी ठीक हो जाता है।
घाव:
• शरीर के अंगों में घाव होने पर गूलर की छाल से घाव को धोएं इससे घाव जल्दी ही भर जाते हैं।
• गूलर के पत्तों को छांया में सूखाकर इसे पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। इसके बाद घाव को साफ करकें इसके ऊपर इस चूर्ण को छिड़के तथा इस चूर्ण में से 5-5 ग्राम की मात्रा सुबह तथा शाम को पानी के साथ सेवन करें इससे लाभ मिलेगा।
• गूलर के दूध में बावची को भिगोंकर इसे पीस लें और 1-2 चम्मच की मात्रा में रोजाना इससे घाव पर लेप करें इससे घाव जल्दी ही ठीक हो जाते हैं।
• गूलर के पत्तों को पानी के साथ पीसकर शर्बत बनाकर पीने से मधुमेह रोग में लाभ मिलता है।
• गूलर के ताजे फल को खाकर ऊपर से ताजे पानी पीये इससे मधुमेह रोग में आराम मिलता है।
शीतला (चेचक):
• गूलर के पत्तों पर उठे हुए कांटों को गाय के ताजे दूध में पीसकर इसमें थोड़ी सी चीनी मिलाकर चेचक से पीड़ित रोगी को पिलाये इससे उसका यह रोग ठीक हो जाएगा।
सूजन:
• भिलावें की धुएं से उत्पन्न हुई सूजन को दूर करने के लिए गूलर की छाल को पीसकर इससे सूजन वाली भाग पर लेप करें।
गांठ:
• शरीर के किसी भी अंग पर गांठ होने की अवस्था में गूलर का दूध उस अंग पर लगाने से लाभ मिलता है।
पेशाब अधिक आना:
• 1 चम्मच गूलर के कच्चे फलों के चूर्ण को 2 चम्मच शहद और दूध के साथ सेवन करने से पेशाब का अधिक मात्रा में आने का रोग दूर हो जाता है।
पेशाब के साथ खून आना:
• पेशाब में खून आने पर गूलर की छाल 5 ग्राम से 10 ग्राम या इसके फल 2 से 4 लेकर पीस लें और इसमें चीनी मिलाकर दूध के साथ खायें इससे यह रोग पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में कष्ट या जलन) होना:
• प्रतिदिन सुबह गूलर के 2-2 पके फल रोगी को सेवन करने से मूत्रकच्छ (पेशाब की जलन) में लाभ मिलता है।
• गूलर के 8-10 बूंद को 2 बताशों में भरकर रोजाना सेवन करने से मूत्ररोग (पेशाब के रोग) तथा पेशाब करने के समय में होने वाले कष्ट तथा जलन दूर हो जाती है।
मधुमेह:
• 1 चम्मच गूलर के फलों के चूर्ण को 1 कप पानी के साथ दोनों समय भोजन के बाद नियमित रूप से सेवन करने से पेशाब में शर्करा आना बंद हो जाता है। इसके साथ ही गूलर के कच्चे फलों की सब्जी नियमित रूप से खाते रहना अधिक लाभकारी होता है। मधुमेह रोग ठीक हो जाने के बाद इसका सेवन करना बंद कर दें।
दांतों की मजबूती के लिए :
• गूलर की छाल के काढे़ से गरारे करते रहने से दांत और मसूड़ों के सारे रोग दूर होकर दांत मजबूत होते हैं।
कंठमाला (गले में गिल्टी होना):
• गूलर के पत्तों पर उठे हुए कांटों को पीसकर इसे मीठे या दही मिला दें और इसमें चीनी मिलाकर रोजाना 1 बार सेवन करें इससे कंठमाला के रोग से मुक्ति मिलती है।
खांसी:
• रोगी को बहुत तेज खांसी आती हो तो गूलर का दूध रोगी के मुंह के तालू पर रगड़ने से आराम मिलता है।
• गूलर के फूल, कालीमिर्च और ढाक की कोमल कली को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में 5 ग्राम शहद में मिलाकर रोजाना 2-3 बार चाटने से खांसी ठीक हो जाती है।
नाक से खून बहना:
• पके गूलर में चीनी भरकर घी में तलें, इसके बाद इस पर काली मिर्च तथा इलायची के दानों का आधा-आधा ग्राम चूर्ण छिड़कर प्रतिदिन सुबह के समय में सेवन करें तथा इसके बाद बैंगन का रस मुंह पर लगाएं इससे नाक से खून गिरना बंद हो जाता है।
• गूलर का पेड़, शाल पेड़, अर्जुन पेड़, और कुड़े के पड़े की पेड़ की छाल को बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ पीसकर चटनी बना लें। इन सब चीजों का काढ़ा भी बनाकर रख लें। इसके बाद इस चटनी तथा इससे 4 गुना ज्यादा घी और घी से 4 गुना ज्यादा काढ़े को कढ़ाही में डालकर पकाएं। पकने पर जब घी के बराबर मात्रा रह तो इसे उतार कर छान लें। अगर नाक पक गई हो तो इस घी को नाक पर लगाने से बहुत जल्दी आराम मिलता है।
रक्तस्राव (खून का बहना):
• नाक से, मुंह से, योनि से, गुदा से होने वाले रक्तस्राव में गूलर के दूध की 15 बूंदे 1 चम्मच पानी के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से लाभ मिलता है।
• शरीर में कहीं से भी किसी कारण से रक्तस्राव (खून बहना) हो रहा हो तो गूलर के पत्तों का रस निकालकर वहां पर लगाएं इससे तुरन्त खून का आना बंद हो जाता है।
• मुंह में छाले हो अथवा खून आता हो या खूनी बवासीर हो तो 1 चम्मच गूलर के दूध में इतनी ही पिसी हुई मिश्री मिलाकर रोजाना खाने से रक्तस्राव (खून बहना) होना बंद हो जाता है तथा इसके सेवन से मुंह के छाले भी ठीक हो जाते हैं।
चोट लगने पर खून का बहना:
• गूलर के पत्तों का रस चोट लगे हुए स्थान पर लगने से खून बहना रुक जाता है।
• गूलर के रस को रूई में भिगोकर इसे चोट पर रखकर पट्टी बांध लें इससे चोट जल्दी भरकर ठीक हो जाएगा।
शिशु का दुबलापन:
• गूलर का दूध कुछ बूंदों की मात्रा में मां या गाय-भैंस के दूध के साथ मिलाकर नियमित रूप से कुछ महीने तक रोजाना 1 बार बच्चों को पिलाने से शरीर हृष्ट-पुष्ट और सुडौल बनाता है लेकिन गूलर के दूध बच्चों उम्र के अनुसार ही उपयोग में लेना चाहिए।
सूखा (रिकेट्स) रोग:
• 5 बूंद गूलर के दूध को 1 बताशे पर डालकर इसका सेवन बच्चों को कराएं इससे सूखा रोग (रिकेटस) ठीक हो जाता है।
बच्चों के गाल पर सूजन होना:
• बच्चों के गाल की सूजन को दूर करने के लिए उनके गाल पर गूलर के दूध का लेप करें इससे लाभ मिलेगा।
बिच्छू का जहर:
• जहां पर बिच्छू ने काटा हो उस स्थान पर गूलर के अंकुरों को पीसकर लगाए इससे जहर चढ़ता नहीं है और दर्द से आराम मिलता है।
आग से जलने पर :
• जलने पर गूलर की हरी पत्तियां पीसकर लेप करने से जलन दूर हो जाती है।
• गूलर के पत्तों को पीसकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से जलन मिट जाती है और छाले के निशान भी नही पड़ते।
दमा:
• गूलर की पेड़ की छाल उतारकर छाया में सुखा लें और फिर इसे पीसकर चूर्ण बना लें और फिर इसे छानकर बोतल में भरकर ढक्कन लगाकर रख दें। इसमें से चूर्ण का सेवन प्रतिदिन करने से दमा रोग में लाभ मिलता है।
• सितम्बर से मार्च तक की हर पूर्णमासी की रात में जितना खीर खा सकें, उतने दूध में चावल (इस खीर में अरबा चावल उत्तम माने जाते हैं) डालकर खीर बनाएं। इस खीर को कांसे की थाली में डालकर फैलाकर, इस पर ढाई चम्मच गूलर की छाल का चूर्ण चारो और छिड़क दें। खीर रात को नौ बजे तक तैयार कर लें। इसे रात को नौ बजे से सुबह के चार बजे तक खुले स्थान पर चांदनी में रखें। सुबह चार बजे के तुरन्त बाद इसे भर पेट खा लें। खीर खाने से पहले मंजन करके मुंह को साफ कर लें। आम के हरे पत्ते से खीर खाएं। इसके बाद धीरे-धीरे थकान नहीं हो तब तक घूमते रहें। इससे दमा रोग में लाभ मिलता है।
जिगर का रोग:
• 10 ग्राम की मात्रा में जंगली गुलर की जड़ की छाल पीसकर गाय के मूत्र में मिला लें और इसे छानकर 25 ग्राम की मात्रा में रोजाना पीने से से यकृत वृद्धि खत्म जाती है।
वमन (उल्टी):
• गूलर के दूध की 10 बूंदे सुबह और शाम दूध में मिलाकर बच्चों को पिलाने से बच्चों को उल्टी आना बंद हो जाता है।