Ayurveda

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Tuesday 29 September 2015

गर्दन, कंधें, जोड़ों का दर्द व साइटिका में लाभदायक नुस्‍खे।

 गर्दन, कंधें, जोड़ों व साइटिका का दर्द


गर्दन, कंधें व जोड़ों का दर्द भी हमें बहुत परेशान करता है। गर्दन व कंधें के दर्द में हमारी रातों की नींद हराम हो जाती है, तो जोड़ों के दर्द में हमारा चलना फिरना दूभर हो जाता है। बढ़ती उम्र के साथ जोड़ों का दर्द ऐसी पीड़ा देता है कि इसके बारे में सोचकर ही दिल बैठ जाता है। पर चिंता न करें और नीचे दिए गए नुस्‍खों को अजमाकर लाभ उठाएं।


गर्दन व कंधें में दर्द होने पर


१ * शोभांजन की जड़ की छाल, फिटकरी, पुराना गुड़ व कटकरंज की भुनी भींगी। इन सभी को बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ पीसकर दर्द वाले स्‍थान पर लेप करने से कंधे के दर्द में आराम मिलता है।

२ * अरंडी के तेल में लहसुन डालकर खूब अच्‍छी तरह पकाएं। जब लहसुन जल जाए तो उतार कर शीशी में रख लें। इस तेल से कंधे के दर्द में मालिश करें।

३ * दशमूल काढ़ा १५ – ३० मि.ली. की मात्रा में दिन में दो तीन बार पीने से आराम मिलता है।

४ * सौ ग्राम पीली सरसों के तेल को खूब गर्म करके उसमें पांच ग्राम ढेला कपूर, दो ग्राम अजवायन का सत्‍व व दो ग्राम पिपरमेंट मिलाकर दर्द वाले स्‍थान पर लगाने से राहत मिलती है।

५ * तारपीन का तेल तथा तिल का तेल बराबर मात्रा में लेकर कंधें की मालिश करें। रोगी को दर्द से छुटकारा मिल जाएगा।

६ * अजवायन सत्‍व, पुदीने का सत्‍व व कपूर तीनों १० – १० ग्राम, तारपीन का तेल २० बूंद, लौंग का तेल पांच बूंद सभी को मिलाकर बोतल में रख लें। जब सारी चीजें गल कर तरल हो जाएं, तो इसे कंधे व गर्दन पर दिन में तीन चार बार लगाएं। दर्द छू मंतर हो जाएगा।


साइटिका का दर्द होने पर


१ * निर्गुण्‍डी के पत्‍तों का क्‍वाथ बनाकर दस ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह शाम पीने से साइटिका का दर्द खत्‍म हो जाता है।

२ * तेल, घी, अदरक का रस तथा बिजों नींबू का रस एक साथ मिलाकर। चारों चीजें इतनी लें कि १५ – २५ मि.ली. मात्रा हो जाए। फिर इसमें गुड़ डालकर सुबह शाम पीने से साइटिका के दर्द में आराम मिलता है साथ ही दर्द भी गायब हो जाता है।

३ * अडूसा, चिरायता तथा दंती का क्‍वाथ बनाकर पीने से साइटिका दर्द दूर हो जाता है।

४ * छिलके रहित अरंड के १० – १५ बीज पीस कर ढाई सौ ग्राम दूध में पका कर पीने से साइटिका में आराम मिलता है।

५ * लहसुन का कल्‍क बीस ग्राम, पानी दो सौ मि.ली. दूध बीस मि.ली. सबको एक साथ मिलाकर पकाएं। जब केवल दूध शेष रह जाए तो उसे उतार लें और छानकर पीएं।


जोड़ों में दर्द होने पर इन नुस्‍खों को अजमाएं


१ * दस मि.ली. अरंड के तेल को सोंठ के काढ़े में मिलाकर सुबह शाम पीने से रोगी को लाभ होता है।

२ * सोंठ, बायविडंग, काली मिर्च और सेंधा नमक का चूर्ण बनाकर रख लें इस चूर्ण को तीन – तीन ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चाटें आपको आराम मिलेगा।

३ * अजवायन को पानी में डालकर पकाएं। फिर उस पानी की भाप दर्द वाले स्‍थान पर दें। आराम मिलेगा।

४ * अजवायन के तेल की मालिश से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।

५ * बथुआ के ताज़े पत्‍तों का रस १५ ग्राम प्रतिदिन पीने से जोड़ों का दर्द दूर होता है। इस रस में आप नमक, चीनी वगैरह कतई न मिलाएं। केवल रस रोज सुबह शाम खाली पेट पिएं। आपको दो घंटे पहले व बाद में भी कुछ नहीं खाना है। दो तीन महीने तक सेवन करने से रोगी को जोड़ों के दर्द में बहुत आराम मिलेगा।

६ * नीम के तेल की मालिश भी बहुत लाभ पहुंचाती है।

७ – लहसुन की दो तीन कलियां कुचलकर तिल के तेल में डालकर अच्‍छी तरह गर्म कर लें और जोड़ों की मालिश करें। बहुत फाएदा होगा।

८ * कड़वा तेल (सरसों का तेल) में अजवायन और लहसुन जलाकर, तैयार हुए तेल से जोड़ों की मालिश करने से आराम मिलेगा।

९ * लहसुन पीसकर लगाने से शरीर के हर अंग का दर्द ठीक हो जाता है। पर फफोले पड़ने का डर रहता है। इसलिए इसे ज्‍यादा देर तक शरीर पर न लगाएं।

१० * कनेर की पत्तियां उबालकर पीस लें और मीठे तेल में मिलाकर जोड़ों पर लेप करें। आराम मिलेगा।

११ * दिन में चार पांच बार टमाटर खाने से या एक ग्‍लास टमाटर का जूस पीने से भी जोड़ों के दर्द में लाभ होता है।

१२ * हरड़, अजवायन और सोंठ बराबर मात्रा में लेकर महीन चूर्ण बना लें और सुबह शाम एक – एक चम्‍मच दूध के साथ खाएं।


१३ * १०० ग्राम मेथी दाने को भूनकर चूर्ण बना लें। फिर ५० ग्राम सोंठ, २५० ग्राम मिश्री, २५ ग्राम हल्‍दी, इन सभी को पीस कर मेथी दाने के चूर्ण में अच्‍छी तरह मिला लें और फिर एक एक चम्‍मच दूध के साथ खाएं। जोड़ों के दर्द में निश्चित आराम मिलेगा।

स्‍वाइन फलू से बचाव व इलाज

स्‍वाइन फलू से बचाव व इलाज, देश में फैली इस भयानक बीमारी से छुटकारा पाने के कुछ आसान असर कारक उपाय।

स्‍वाइन फलू से बचाव व इलाज


स्‍वाइन फलू ‘ए’ टाइप के इन्‍फलुएंजा वायरस से होती है। इस वायरस को H-1 N-1 के नाम से जाना जाता है। इस वायरस से होने वाला स्‍वाइन फलू, साधारण मौसमी जुकाम, खांसी, बुखार जैसा ही होता है। इसलिए यह पहचानना मुश्किल है, कि रोगी को स्‍वाइन फलू हुआ है अथवा साधारण खांसी, जुकाम और बुखार। पर कहते हैं न, सावधानी ही बचाव है।

इसलिए साधारण खांसी, जुकाम, बुखार व गले में खराश हो, तो उसे अनदेखा न करें। यह स्‍वाइन फलू भी हो सकता है।

स्‍वाइन फलू का वायरस पीडि़त व्‍यक्ति के छींकने, खांसने, हाथ मिलाने, दरवाजों को छूने, की-बोर्ड माउस, व रिमोट इत्‍यादि को इस्‍तेमाल करने से फैल सकता है। इसलिए संक्रमित व्‍यक्ति से दूर रहने और उसके द्धारा प्रयोग की गई चीजों से दूर रहने में ही भलाई है।


स्‍वाइन फलू के लक्षण


१ * नाक लगातार बहना, छींक आना व नाक का जाम हो जाना।

२ * मसल्‍स में दर्द या अकड़न महसूस करना।

३ * सिरदर्द।

४ * गले में खराश होना, गला लाल होना।

५ * बुखार व दवा के इस्‍तेमाल के बावजूद बुखार कम होने के बजाए, बढ़ जाना।

६ * नींद रहना और थकान ज्‍यादा महसूस करना।

स्‍वाइन फलू का वायरस कैसे खत्‍म होता है?

यह वायरस प्‍लास्टिक व स्‍टील में २४ से ४८ घंटे तक जीवित रहता है। कपड़ों और कागज में ८ से १२ घंटे तक जीवित रहता है। टिश्‍यू पेपर में १५ मिनट तक तथा हाथों में ३० मिनट तक जीवित रहता है।

इस वायरस को खत्‍म करने के लिए आप डिटर्जेंट, ब्‍लीच, एल्‍कोहल तथा साबुन का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। यदि रोगी में स्‍वाइन फलू के लक्षण दिखने शुरू हो गए हैं, तो वायरस फैलने का खतरा बढ़ जाता है।


आयुर्वेद में स्‍वाइन का उपचार मौजूद है।


महत्‍वपूर्णं उपचार

आप थोड़ा कपूर, छोटी इलायची, पुदीने की सूखीं पत्तियां व हल्‍दी का चूर्णं मिलाकर एक पोटली बना लें। इसके बाद दिन भर बार बार इस पोटली को सूंघने से स्‍वाइन फलू जैसी भयानक बीमारी से बचा जा सकता है। (यदि स्‍वाइन फलू हो ही गया है, तो अंग्रेजी इलाज भी कराएं, क्‍योंकि यह जानलेवा बीमारी है।

अन्‍य उपचार


१ * गिलोय सत्‍व २ रत्‍ती पौन ग्लिास पानी के साथ लें।

२ * ५ – ६ तुलसी के पत्‍ते और काली मिर्च के २ – ३ दाने पीसकर चाय में डाल कर दिन तीन चार बार पीएं। आराम मिलेगा साथ ही बचाव भी संभव होगा।

३ * चार पांच तुलसी के पत्‍ते, ५ ग्राम अदरक, एक चुटकी काली मिर्च और इतनी ही हल्‍दी का चूर्णं एक कप पानी या चाय में उबालकर दिन में दो तीन बार पीएं।

४ * आधा चम्‍मच हल्‍दी एक ग्‍लास दूध में उबालकर पीएं।

५ * आधा चम्‍मच हल्‍दी गरम पानी अथवा शहद में मिलाकर भी ली जा सकती है।

६ * गिलोय, कालमेध, भुईं आंवला, चिरायता, वासा, सरपुंखा इत्‍यादि जड़ी बूटियां भी बहुत लाभदायक हैं।

७ * आधा चम्‍मच आंवला पाउडर को आधा कप पानी में मिलाकर दिन में दो तीन बार पीने से बहुत लाभ होता है।

८ * जरांकुश (आज्ञाघास) व तुलसी के पत्‍ते उबालकर पीने से फाएदा होगा।

९ * दालचीनी का चूर्णं शहद के साथ या दालचीनी की चाय पीना भी लाभदायक होता है।


तो यह तो थे स्‍वाइन फलू के घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपचार। साथ ही मैं फिर से कहना चाहूंगी कि इस संबंध में वैध, हकीम व डाक्‍टर की सलाह जरूर लें। साथ ही अंग्रेजी इलाज कराना बेहतर है। मैंने जो आयुर्वेदिक उपचार बताए हैं, उन्‍हें आप प्राथमिक चिकित्‍सा के तौर पर प्रयोग कर सकते हैं। इस बीमारी का इलाज हौम्‍योपैथी में भी मौजूद है। इसके लिए आप हौम्‍योपैथिक डॉक्‍टर से मिल सकते हैं। साथ बचाव जितना कर सकें जरूर करें।

आप थ्री लेयर सर्जिकल मास्‍क को इस्‍तेमाल कर सकते हैं। यह मास्‍क चार घंटों तक तथा N-95 मास्‍क आठ घंटों तक सुरक्षा करता है। सिर्फ ये दो ही मास्‍क ऐसे हैं, जो स्‍वाइन फलू को वायरस को रोकने में सक्षम हैं। इसलिए सस्‍ते मास्‍क पर भूलकर भी भरोसा न करें। थ्री लेयर मास्‍क बाजार में १० – १२ रूपए तथा N-95 मास्‍क १०० से १५० रूपए में उपलब्‍ध है। ये मंहगें जरूर हैं। पर पैसा जान से बढ़कर नहीं होता। इसलिए इन्‍हें इस्‍तेमाल करने में संकोच न करें।

सांप, बिच्‍छू, कुत्‍ते, चूहे व अन्‍य विषैले जीव जंतुओं के काटे जाने पर प्राथमिक उपचार घर पर मौजूद चीजों से कर सकते हैं।

कीड़े मकौड़े व अन्‍य जीव जंतुओ के काटने पर

हम जाने अनजाने कई बार कीड़े – मकौड़ों, जहरीले सांप, बिच्‍छू, कुत्‍ते मधुमक्‍खी आदि के शिकार के शिकार होते ही रहते हैं। वैसे तो इसका सबसे उत्‍तम इलाज यह है कि इन विषैले जीव जंतुओं का शिकार व्‍यक्ति जल्‍दी से जल्‍दी स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र पहुंच जाए, क्‍योंकि वहां इन जीवों के एंटी वेनम उपलब्‍ध होते हैं। आधुनिक चिकित्‍सा पद्धति में बहुत ही अच्‍छा इलाज उपलब्‍ध है।

पर यदि हम बात करें अपने देश भारत की तो यहां ऐसी सुविधाएं हमारे अस्‍पतालों में मिल भी सकती हैं और नहीं भी। मैं यह इसलिए यह बात उठा रही हूं कि हमारे प्राथमिक चिकित्‍सालयों व जिला अस्‍पतालों की क्‍या हालत है? यह बात किसी से छुपी हुई नहीं है। हमारे जिला अस्‍पतालों में रैबीज के इंजेक्‍शन अस्‍पताल में ढूंढ़े नहीं मिलते। हां अस्‍पतालों के बाहर मौजूद मेडिकल स्‍टोरों पर ऊंची कीमत पर आसानी से मिल जाते हैं। इतना सब होने के बावजूद हमें इन अस्‍पतालों में ही जाना चाहिए। क्‍या पता वहां एंटी वेनम या रैबीज के इंजेक्‍शन मौजूद हों और वह पीडि़त व्‍यक्ति को आसानी से मिल जाए।

एक महत्‍वपूर्ण बात और सांप बिच्‍छू के काटने पर बहुत से लोग झाड़ फूंक करने वाले ओझा के पास चले जाते हैं और सही इलाज न मिल पाने की वजह से दम तोड़ देते हैं। इसलिए मेरी विनती है कि आप यदि जहरीले जीव जंतुओं के विष का शिकार हुए हैं, तो प्‍लीज इन पाखंडी ओझाओं के चक्‍कर में मत पड़ें।

किसी ओझा के पास जाने से बेहतर है कि आप दादी, नानी के अचूक नुस्‍खों का इस्‍तेमाल करें। वह भी जब तक मरीज अस्‍पताल नहीं पहुंच जाता। यदि मरीज को अस्‍पताल पहुंचाने में किसी प्रकार दिक्‍कत आ रही है, तो तब तक अपने घर में मौजूद चीजों से जहर उतारने की कोशिश कर सकते हैं। मैं इस संदर्भ में एक बार फिर कह रही हूं कि बेहतर इलाज आधुनिक चिकित्‍सा पद्धति में ही है। इसलिए जैसे ही संभव हो मरीज को तुरंत अस्‍पताल में भर्ती कराएं।


यदि बिच्‍छू डंक मारे तो....

१ * प्‍याज के रस में नौसादर मिलाकर बिच्‍छू के डंक पर लगाने से विष उतरता है।

२ * हल्‍दी की बुकनी अंगों पर डालकर उसका धुआं बिच्‍छू के डंक वाले स्‍थान पर देने से जहर उतरता है।

३ * इमली का बीज कच्‍चा या गर्म करके सेंका गया हो। फिर आप उस बीज को तब तक घिसें जब तक उसका सफेद भाग न दिखाई देने लगे। आप इमली के इस बीज को खूब घिसें, घिसने से उस पर चढ़ी काली महरून परत हट जाएगी और उसका सफेद भाग दिखने लगेगा। घिसने से बीज अत्‍याधिक गर्म हो जाएगा। आपको यही गर्म सफेद भाग बिच्‍छू के डंक पर चिपकाना है। इमली का यह बीज बिच्‍छू का सारा जहर खींचकर स्‍वत: नींचे गिर जाएगा।

४ * पुदीने का रस पीने अथवा उसके पत्‍ते खाने से बिच्‍छू के काटने से होने वाली पीड़ा में आराम मिलता है।

५ * रतालू के रस में नौसादर मिलाकर बिच्‍छू के डंक पर लगाने से बिच्‍छू का जहर उतरता है। रतालू सूखा हो तो भी चलेगा। आप सूखे रतालू को भी घिस कर लगा सकते हैं। लाभ होगा।


चूहे के काटने पर....

१ * चौलाई के मूल का तीन ग्राम चूर्ण दिन में तीन चार बार शहद के साथ खाने से चूहे का जहर दूर होता है।

२ * चूहे के काटने पर खराब हुए खोपरे को मूली के रस के साथ घिस कर घाव पर लेप करें। आपको फाएदा होगा।


यदि कुत्‍ता काट ले तो.....

१ * जंगली चौलाई की जड़ १२५ ग्राम लेकर पीस लें और पानी के साथ बार बार रोगी को पिलाएं। इससे कुत्‍ते के काटने से पागल हुए रोगी को बचाया जा सकता है।

२ * प्‍याज का रस और शहद मिलाकर पागल कुत्‍ते के काटने से हुए घाव पर लगाने से जहर उतरता है।

३ * लाल मिर्च पीसकर तुरंत घाव में भर दें। इससे कुत्‍ते का जहर जल जाता है और घाव भी जल्‍दी ठीक हो जाता है।

४ * हींग को पानी में पीस कर लगाने से पागल कुत्‍ते के काटने से हुए घाव का जहर उतर जाता है।


यदि सांप ने काटा हो तो....

१ * हींग को अरंड की कोपलों के साथ पीसकर चने के बराबर गोलियां बनाइए तथा सांप के काटने पर दो – दो गोली आधे – आधे घंटे पर गर्म पानी के साथ देने पर लाभ होता है।

२ * सांप के काटने पर सौ से दो सौ ग्राम शुद्ध घी पिलाकर उल्‍टी कराने से सांप के विष का असर कम होता है। घी पिलाने के १५ मिनट बाद कुनकुना पानी अधिक से अधिक पिलाएं इससे तुरंत उल्टियां होने लगेंगीं और सांप का विष भी बाहर निकलता जाएगा।

३ * सांप के काटने पर ५० ग्राम घी में १ ग्राम फिटकरी पीसकर लगाने से भी जहर दूर होता है।

४ * अरहर की जड़ को चबा – चबा कर खाने से सांप का जहर कम हो जाता है।


यदि ततैया काटे....

१ * ततैया या बर्रे ने काटा हो तो उस स्‍थान पर खटटा अचार या खटाई मल दें। जलन खत्‍म हो जाएगी।

२ * काटे हुए स्‍थान पर फौरन मिटटी का तेल लगाएं। जलन शांत हो जाएगी।

३ * ततैया के काटने पर उस स्‍थान पर नींबू का रस लगाएं। सूजन और दर्द चला जाएगा।


कुछ अन्‍य जीवों के काटने पर क्‍या करें.....?

१ * मधुमक्‍खी के डंक पर सोआ और सेंधा नमक को चटनी बनाकर लेप करने से दर्द दूर हो जाता है।

२ * मकड़ी के काटने पर अमचुर को पानी में मिलाकर घाव पर लगाएं। आराम मिलेगा।

३ * कनखजूरे के काटने पर प्‍याज और लहसुन पीसकर लगाने से उसका जहर उतर जाता है।

४ * छिपकली के काटने पर सरसों का तेल राख के साथ मिलाकर घाव पर लगाने से जहर दूर होता है।


एक और उपयोगी टिप्‍स... चींटी, मधुमक्‍खी व ततैया काटने पर...


१ * यदि आपको किसी चींटी, मधुमक्‍खी या ततैया ने काटा हो, तो आप घर में मौजूद कोलगेट या कोलगेट जैसा अन्‍य कोई पेस्‍ट (जिसमें मिंट की मात्रा ज्‍यादा हो) लगाएं। आपको तुरंत आराम मिलेगा। इससे जलन व सूजन दोनों ही ठीक हो जाते हैं।   

कमर, पीठ, पसली व घुटनों के दर्द का इलाज।

 कमर, पीठ, पसली व घुटने का दर्द


हमारा सामना अक्‍सर तरह तरह के दर्द से होता है। दर्द शरीर के किसी भी हिस्‍से में हो, पर होता बड़ा ही असहनीय है। दर्द होने पर हम छटपटाते रहते हैं। पर दर्द में कभी भी जल्‍दी आराम नहीं मिलता। जल्‍दी आराम पाने के चक्‍कर में कई बार हम जरूरत से ज्‍यादा पेनकिलर टेबलेटस खाते हैं। जिनके साइड इफेक्‍ट बहुत ही घातक होते हैं। अंग्रेजी दवाएं भी बहुत जरूरी होती हैं क्‍योंकि आधुनिक चिकित्‍सा पद्धति में ऐसा कुछ है, जो हमें तुरंत आराम पहुंचाता है। पर बदले में हमें तरह तरह के साइड इफेक्‍टस दे जाता है। विशेष रूप से पेनकिलर्स हमारे महत्‍वपूर्ण अंगों जैसे दिल, लीवर व किडनी को जरूरत से ज्‍यादा नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए जितना हो सके हमें पेनकिलर्स टैबलेटस से बचना चाहिए। अंग्रेजी दवाएं प्रेम से खाएं पर जरूरत से ज्‍यादा नहीं और हां बिना डाक्‍टर की सलाह के तो कतई न खाएं। नीचे कुछ होम रेमेडीज से नुस्‍खे आपकी सेवा में प्रस्‍तुत कर रही हूं। आशा करती हूं कि ये सभी नुस्‍खे कभी न कभी आपके काम आएंगें।


कमर दर्द होने पर इन नुस्‍खों को अजमाएं


१ * ४०० ग्राम धतूरे के पत्‍तों का रस, १० ग्राम अफीम और ३ ग्राम सेंधा नमक। इन तीनों चीजों को एक साथ मिलाकर गाढ़ा गाढ़ा कर लें। दिन में तीन चार बार इसकी मालिश करने से कमर दर्द में बहुत आराम मिलता है।

२ * कमल ककड़ी के चूर्ण को दूध में उबालकर पीने से भयंकर से भयंकर दर्द में भी आराम मिलता है।

३ * सोंठ और गोखरू बराबर मात्रा में लेकर उसका क्‍वाथ बनाकर सुबह शाम पीने से कमर दर्द में आराम मिलता है।

४ * सोंठ व अरंड मूल का क्‍वाथ बनाकर उसमें पिसी हुई हींग और काला नमक मिलाकर पीने से आराम मिलता है।

५ * सौ ग्राम अजवायन का चूर्ण और सौ ग्राम गुड़ एक साथ मिलाकर किसी डिब्‍बे में रख लें और ५ – ५ ग्राम सुबह शाम खाएं। इससे कमर दर्द में आराम मिलता है तथा दर्द भी दूर हो जाता है।

६ * पांच ग्राम खजूर को उबालकर उसमें २ ग्राम मेथी का चूर्ण डालकर रोज पीने से कमर दर्द में राहत मिलती है।


पीठ दर्द होने पर इन नुस्‍खों को अजमाएं


१ * बीस ग्राम तिल, तीन ग्राम सोंठ व चालीस ग्राम गुड़ को एक साथ मिलाकर पीस लें। फिर इसे दूध में मिलाकर दिन में तीन चार बार चाटने से पीठ दर्द ठीक हो जाता है।

२ * नीम की कोंपल या नरम पत्तियों को तोड़कर काढ़ा बनाएं। फिर साफ कपड़ा हल्‍के गर्म काढ़े में भिगोकर दर्द वाले स्‍थन को सेंकें। इससे पीठ दर्द में आराम मिलता है।


घुटने में दर्द होने पर इन नुस्‍खों को अजमाएं


१ * नारियल के तेल में सेंधा नमक मिलाकर उसे गरम करके लेप करें और ऊपर से पटटी रखकर बांध दें। दर्द में आराम मिलेगा।

२ * गुडूची, आंवला, हरड़ तथा बहेड़ा, इन तीनों चीजों को चालीस – चालीस ग्राम मात्रा में लेकर कूट लें। फिर इसे साढ़े छह: सौ ग्राम पानी में मिलाकर पकाएं। जब आठवां हिस्‍सा पानी रह जाए, तो उतार कर छान लें। फिर इस क्‍वाथ में दस ग्राम गुग्‍गुल मिलाकर पिएं। यह घुटने के दर्द में इस्‍तेमाल होने वाला अचूक नुस्‍खा है।

३ * निशोथ की छाल का चूर्ण घी के साथ दिन में तीन चार बार सेवन करने से घुटने के दर्द में आराम मिलता है।

४ * पचास मिली. लीटर गाय के दूध में दस मिली लीटर अरंड का तेल मिलाकर पीने से दर्द में आराम मिलता है।

५ * १५ ग्राम विधारे का चूर्ण दो सौ मि.ली. गाय के दूध में मिलाकर सुबह शाम पीने से घुटने का दर्द ठीक हो जाता है।


पसलियों में दर्द होने पर इन नुस्‍खों को अजमाएं


१ * एक ग्राम शुद्ध हींग महीन पीसकर अंडे की जर्दी में मिलाकर पसली पर लेप करें। आराम मिलेगा।

२ * गेहूं की रोटी एक तरफ सेंक कर दूसरी ओर कच्‍ची रखें। फिर कच्‍चे भाग पर सरसों का गर्म तेल मल कर दर्द वाले स्‍थान पर बांध दें। इससे रोगी को बहुत आराम मिलेगा।

३ * चूना व शहद मिलाकर लेप करने से भी पसलियों के दर्द में आराम मिलता है।

४ * एक ग्‍लास पानी में २ चम्‍मच जीरा डालकर गरम करें। फिर इस गरम पानी में साफ कपड़ा भिगोकर अच्‍छी तरह निचोड़ें और उसकी भाप से सेंक करें। रोगी को जल्‍दी ही आराम मिलेगा।

५ * राई के दानों को महीन पीस कर गर्म करके दर्द वाले स्‍थान पर बार बार उसका लेप करें। आराम मिलेगा।

६ * गरम दूध में तीन चार छोटी इलायची पीस कर मिला लें। फिर एक चुटकी हल्‍दी डालकर रात में सोते समय पिएं। आराम मिलेगा।


७ * सौ ग्राम मेथी दाना हल्‍का सा भून लें और फिर हल्‍का सा कूट कर इसमे चौथाई भाग काला नमक मिला लें और सुबह शाम एक – एक चम्‍मच खाएं। १५ – २० दिन खाने से आराम मिलेगा।

अपने दिल का ऐसे रखें ख्‍याल

हमारे शरीर में एक ही दिल होता है। इसलिए हमें इसका बहुत ख्‍याल रखना चाहिए। दिल की बीमारियां बहुत ही घातक होती हैं। लो ब्‍लड प्रेशर, हाई ब्‍लड प्रेशर, दिल की कमजोरी, धड़कन तेज होना या धीमा होना, दिल में दर्द, हार्ट अटैक आदि ऐसी बीमारियां हैं। जो किसी भी व्‍यक्ति हो सकती हैं। इन बीमारियों से रोगी अकाल मृत्‍यू का शिकार भी हो सकता है। तमाम चिकित्‍सा पद्धितियों में दिल की बीमारियों के अच्‍छे इलाज मौजूद हैं, जो बहुत ही कारगर हैं। पर यदि हम शुरू से ही दिल को लेकर संवेदनशील रहें, तो इसकी अच्‍छी देखभाल कर सकते हैं और इन बीमारियों के चंगुल में आने से भी बच सकते हैं। मैं आपको आपके किचन में मौजूद कुछ नुस्‍खे बताने जा रही हूं, जिनकी सहायता से आप अपने दिल का ख्‍याल अच्‍छी तरह रख सकते हैं। पर इन नुस्‍खों को अजमाने से पहले किसी रजिस्‍टर्ड वैध अथवा डॉक्‍टर से राय अवश्‍य ले लें।


दिल की कमजोरी ऐसे दूर करें :


(1) आप रोज एक चम्‍मच शुद्ध शहद का सेवन करें, इससे दिल मजबूत होता है।

(2) आप आंवला और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर चूर्णं बनाएं। फिर इस चूर्णं को 5 ग्राम की मात्रा में लेकर रोज खाएं। ऐसा करने से दिल के बहुत से रोग दूर हो जाते हैं।

(3) अगर का चूर्णं शहद के साथ मिलाकर खाने से दिल की कमजोरी दूर होती है।

(4) गिलोय और काली मिर्च को बराबर मात्रा में लेकर चूर्णं बनाएं और फिर 3-4 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार खाएं। इससे दिल की कमजोरी दूर होती है।

(5) अर्जुन की छाल का चूर्णं 10 ग्राम, गुड़ 10 ग्राम तथा 500 मिली. दूध को एक साथ मिलाकर पकाएं। फिर इसमें गुड़ मिलाकर पीने से दिल की कमजोरी दूर होती है।

(6) गुड़ व देशी घी मिलाकर खाने से भी दिल को ताकत मिलती है।


दिल का दर्द :


(1) अनार के 10 मिली. रस में 10 ग्राम मिश्री डालकर, रोज सुबह पीने से दिल की जकड़न और दर्द दूर हो जाता है।

(2) यदि छाती के बाईं ओर दर्द उठता है और सांस लेने में दिक्‍कत महसूस होती है। साथ ही पसीना भी आता है, तो आप दूध में लहसुन पकाकर पीएं। कुछ दिन लहसुन पका दूध पीने से यह शिकायत दूर हो सकती है।

(3) आप लौकी को उबालकर, उसमें नमक, धनिया, हल्‍दी, जीरा और हरा धनिया डालकर पकाएं। यदि आप इसका सेवन करेंगें तो बहुत लाभ होगा।

(4) दिल में दर्द होने पर या दिल का दौरा पड़ने पर 2 टेबलस्‍पून शुद्ध देशी घी में 2 ग्राम बेल का रस मिलाएं और पिएं। इससे फौरन आराम मिलेगा।

(5) 10 मिली. अदरक के रस में थोड़ा सा शहद मिलाकर चाटने से भी दिल के दर्द में आराम मिलता है।


यदि हाई ब्‍लड प्रेशर हो तो :


(1) आप 2 टेबलस्‍पून शहद में एक टेबलस्‍पून नींबू का रस मिलाकर सुबह शाम पिएं, ऐसा करने से ब्‍लड प्रेशर कम हो जाता है।

(2) 5 ग्राम त्रिफला का चूर्णं रात को सोने से पहले गर्म पानी के साथ रोजाना खाएं। आराम मिलेगा।

(3) आंवले का रस नियमित रूप से पीने से हाई ब्‍लड प्रेशर का खतरा न के बराबर रहता है।

(4) सौंफ, मिश्री और जीरा को बराबर मात्रा में लेकर चूर्णं बनाएं। फिर इस चूर्णं को सुबह शाम खाने से ब्‍लड प्रेशर नियंत्रण में रहता है।

(5) हाई ब्‍लड प्रेशर के रोगी 2-3 दिन सिर्फ नारंगी का रस पीएं और दूसरा कोई भी अन्‍न या जूस अथवा पेय पदार्थ न पीएं, तो ब्‍लड प्रेशर नियंत्रण में आ जाता है।

(6) आप सुबह शाम खाली पेट थोड़ा सा पपीता खाने से भी ब्‍लड प्रेशर को कंट्रोल में रख सकते हैं।


ब्‍लड प्रेशर लो हो जाने पर :


(1) आप दस पन्‍द्रह तुलसी के पत्‍ते को अच्‍छी तरह मसल कर 4 चम्‍मच शहद मिलाकर खाएं। इससे ब्‍लड प्रेशर नियत्रंण में रहेगा।

(2) आप तीस से पैंतीस किशमिश को सिरेमिक बर्तन में रात भर भिगोकर रख दें और सुबह उठ कर खाली पेट खाएं। इससे लो ब्‍लड प्रेशर की शिकायत दूर हो जाएगी।

(3) आप 6-7 बादाम रात भर पानी में भिगोकर रख दें। फिर सुबह उन्‍हें छीलकर पीस लें। फिर एक गिलास दूध में मिलाकर उबालें और गुनगुना करके पीएं। आपको बहुत आराम मिलेगा।


धड़कन तेज हो जाने पर इन्‍हें अजमाएं :


(1) आप धड़कन तेज होने पर आलूबुखारा खाएं या मीठा अनार खाएं, ऐसा करने से धड़कन नियंत्रण में आ जाएगी।

(2) आप 10 मिली. अनार के ताजे पत्‍तों को 100 मिली. पानी में पीस लें। फिर इसे छानकर पीने से दिल मजबूत होता है और दिल की धड़कन नार्मल हो जाती है।

(3) आप 200 मिली. ताजे गाजर के रस में 100 मिली. पालक का रस मिलाकर रोज सुबह पीने से दिल की सारी तकलीफ दूर हो जाती हैं।

(4) दिल के मरीज रोज एक ग्‍लास मक्‍खन रहित छाछ पिएं तो ब्‍लडबेसल्‍स पर जमा हुआ फैट कम हो जाता है। इससे तेज धड़कन और घबराहट की समस्‍या का निदान हो जाता है।



पीलिया, अस्‍थमा, डायबिटीज़ आदि का निदान


पीलिया, अस्‍थमा, हैजा, मलेरिया, टायफाइड, पेशाब का रूक जाना, डायबिटीज, बुखार, डिप्रेशन, मोटापा, बहुमूत्र रोग जैसी खतरनाक बीमारियों से हमारा अक्‍सर सामना होता है। हम इन बीमारियों का डट कर मुकाबला भी करते हैं। यदि हमें होम रेमेडीज की थोड़ी भी जानकारी हो तो इन रोगों को घातक और जानलेवा रोग बनने से रोका भी जा सकता है। पर बहुतायत में लोगों को होम रेमेडीज की जानकारी नहीं होती है। हम में से हर कोई किसी न किसी बीमारी के लिए, दूसरों से घरेलू उपायों की पूछतांछ और जानकारी हासिल करने में जुटा रहता है। आपकी इसी समस्‍या को देखते हुए मैंनें अपना (Blog) आप सबको स‍मर्पित किया है। इसे पढ़कर आप जरूर स्‍वास्‍थ्‍य लाभ हासिल करेंगें, ऐसी मेरी कामना है। पर ध्‍यान रहे मेरे बताए नुस्‍खों को अजमाने से पहले आप रजिस्‍टर्ड वैध अथवा डॉक्‍टर से सलाह जरूर ले लें।


हैजा हो जाने पर...


१ * १० रत्‍ती घी में भुनी हुई हींग, १० रत्‍ती काली मिर्च, अफीम ८ रत्‍ती को एक साथ मिलाकर १२ गोलियां बना लें और दिन में ३ – ४ बार एक-एक गोली पानी के साथ लेने से बहुत फाएदा होता है।

२ * अजमोद के पत्‍तों को अच्‍छी तरह धोकर पीस लें और उसका रस निकाल कर रोगी को एक-एक घंटे के अंतराल पर दें। ध्‍यान रहे पहली बार चार बड़े चम्‍मच भर कर दें और बाद में २ – २ चम्‍मच। हैजे में बहुत आराम मिलेगा।

३ * लौंग के तेल की २ – ३ बूंद चीनी या बताशे में देने से हैजे में बहुत लाभ होता है।

४ * हींग ५ ग्राम, कपूर १० ग्राम, कत्‍था १० ग्राम और नीम के १० – १२ कोमल पत्तियां लेक तुलसी के रस में पीस कर मटर के आकार की गोलियां बना लें और १ – १ गोली दिन में ३ – ४ बार गुलाब (Rose)  के अर्क में देने से हैजे में बहुत लाभ होता है।

५ * हैजे की शुरूआत में ही १ – १ रत्‍ती हींग (Heeng) मिलाया हुआ प्‍याज का रस आधे आधे घंटे के अंतराल पर देने से हैजा दूर होता है।

६ * जायफल का चूर्णं १० ग्राम की मात्रा में गुड़ के साथ मिलाकर ३ – ४ ग्राम की गोलियां बनाइए। फिर एक – एक गोली आधे आधे घंटे पर देने से और ऊपर से थोड़ा सा गर्म पानी पीने से हैजे के दस्‍त बंद हो जाते हैं।


मोटापा दूर करने का उपाय...


१ * सुबह उठते ही एक गिलास गुनगुने पानी में एक नींबू का रस एक चम्‍मच शहद के साथ मिलाकर पिएं। मोटापा दूर करने का यह अजमाया और जाना माना नुस्‍खा है।

२ * तीन – चार महीने तक रोजाना सुबह दस से बारह करीपत्‍ता खाएं। यह फैट गलाने में सहायक होता है।

३ * तीन चम्‍मच नींबू के रस में आधा ग्राम काली मिर्च का पाउडर और थोड़ा सा शहद मिलाकर तीन से चार माह तक पीएं। मोटापे से राहत मिलेगी।

४ * रोजाना सुबह नाश्‍ते में दो टमाटर खाएं। यह आपकी कैलोरी लेने की क्षमता को कम करता है। पर टमाटर की एक खासियत यह है कि चमड़ी का रंग भी काला करता है। इसलिए लड़कियों को टमाटर सोच समझ कर खाना चाहिए। अधिक मात्रा में टमाटर खाने से उनका रंग काला हो सकता है।

५ * ग्रीन टी वजन कम करने में बहुत सहायक होती है। आप रोजाना तीन से चार कप ग्रीन टी अवश्‍य पिएं। इससे मोटापा दूर होता है।


मलेरिया का बुखार हो जाने पर इन्‍हें अजमाएं...


१ * पिप्‍पली, अतीस ५० ग्राम, तुलसी के सूखे पत्‍ते ५० ग्राम, सोंठ व लौंग १० – १० ग्राम लेकर चूर्णं बना लें। फिर एक ग्राम चूर्णं को दिन में चार बार गर्म दूध के साथ देने से मलेरिया के बुखार में आराम मिलता है।

२ * एक गिलास ठंडे पानी में खांड या पीली शक्‍कर डालकर अच्‍छी तरह मिलाएं और एक दो नींबू का रस उसमें निचोड़ दें। यह शर्बत मलेरिया के बुखार के लिए बहुत फाएदेमंद है।

३ * तुलसी के ६ – ७ पत्‍ते, एक काली मिर्च और १ पिप्‍पली को पीस कर शक्‍कर के साथ मिलाकर पानी के साथ देने से बुखार कम होता है।

४ * २५ ग्राम पिप्‍पली, को ४०० मिली. पानी में धीमी आंच पर पकाएं। आधा पानी रह जाने पर छानकर शीशी में भर लें। फिर २ – २ टी स्‍पून की मात्रा में दिन तीन चार बार पिलाने पर मलेरिया बुखार में बहुत आराम मिलता है।

(मलेरिया बहुत घातक बीमारी होती है। इसमें पीडि़त व्‍यक्ति को बहुत तेज सर्दी लगती है। यह जानलेवा भी होता है। इसलिए आप मलेरिया का शक होते ही, मलेरिया की जांच कराएं और अंग्रेजी इलाज हेतू फौरन अस्‍पताल जाएं। होम रेमेडीज आपकी मदद कर सकती हैं पर अंग्रेजी इलाज सर्वोत्‍तम है)


डिप्रेशन का सटीक निदान...


१ * आप मुठठी भर ताजी गुलाब की पत्तियों को पानी में डालकर उबालें और फिर डिप्रेशन महसूस होने पर इसे पिएं। आपको डिप्रेशन से निजात अवश्‍य मिलेगी।

२ * दूध या शहद के साथ एक सेब खाने से खराब मूड भी अच्‍छा हो जाता है।

३ * २ – ३ छोटी इलायची को पीस कर पाउडर बना लीजिए और फिर एक कप गुनगुने पानी में चीनी के साथ मिलाकर दिन में दो तीन बार पिएं। डिप्रेशन भाग जाएगा।


टायफाइड हो जाने पर इन्‍हें अजमाएं...


१ * सुबह शाम दूध से मलाई निकाल कर उसमें तुलसी की २ – ३ पत्तियां डालकर चाय बना कर पिएं आपको लाभ होगा।

२ * टायफाइड में बार बार करवट बदलने से बहुत राहत मिलती है।

३ * शरीर को गुनगुने पानी से लगातार पोंछते रहें, पोंछे हुए कपड़े को गर्म पानी में उबालकर साफ करें।

४ * हर दूसरे तीसरे दिन एनिमा लें।

५ * यदि आप मांसाहारी हैं, तो बकरे के फेफड़ो का सेवन करें। बकरे के फेफड़े प्‍याज में स्‍टू की तरह पकाएं (टू प्‍याजा) यह अंग्रेजी अथवा हर्बल इलाज के बीच दी जाने वाली अचूक औषधि है।

६ * एक गिलास मलाई रहित दूध में मोसम्‍मी का रस धीरे धीरे मिलाएं। जब दूध फटने लगे तो रस मिलाना बंद कर दें। फिर इस रस में थोड़ी सी शक्‍कर या पिसी हुई मिश्री मिलाकर रोगी को पिलाएं। रोगी को बहुत लाभ होगा।


डायबिटीज के कुछ घरेलू उपचार...


१ * तेजपत्‍ते को कूट कर कपड़े से छन जाने योग्‍य चूर्णं बनाएं। फिर सुबह उठते ही पांच ग्राम की मात्रा में यह चूर्णं गुनगुने पानी के साथ लें। १० दिन के अंदर ही डायबिटीज में लाभ होगा।

२ * लगातार तीन महीने तक करेले की सब्‍जी देशी घी में बनाकर खाने से डायबिटीज में बहुत लाभ होता है।

३ * आंवला, मेथी और हल्‍दी तीनों को बराबर मात्रा मे लेकर अच्‍छी तरह पीस लें। फिर इस चूर्णं को सुबह, दोपहर, शाम को पानी के साथ एक चम्‍मच की मात्रा में लें। २ माह में आराम मिलेगा।

४ * जामुन के कोमल हरे पत्‍तों को पीसकर नियमित रूप से २५ दिन तक सुबह पानी के साथ पीने से पेशाब में शुगर जाना बंद हो जाती है।

५ * रात में मेथी के दाने भिगोकर रख दें। फिर सुबह उठ कर मेथी के दानों का पानी पीकर धीरे धीरे मेथी चबा लें। डायबिटीज धीरे धीरे ठीक हो जाएगी।

६ * सुबह टमाटर, संतरा और जामुन का नाश्‍ता करें। यह फल डायबिटीज विरोधी हैं।

७ * रात को काली किशमिश भिगोकर रख दें और फिर सुबह उठकर उसका पानी छानकर पी जाएं। आपको बहुत लाभ होगा।

८ * केले का रस पीने से भी डायबिटीज में फाएदा होता है।

९ * आंवले के चूर्णं को भिगोकर कुछ देर रख दें। फिर उसे छानकर, नींबू का रस मिलाकर सुबह उठते ही पी लें।

१० * आम और जामुन का रस समान मात्रा में मिला कर दिन में तीन चार बार लगातार एक महीने तक लें। आपको बहुत लाभ होगा।


सामान्‍य बुखार होने पर...


१ * आप खूब पानी पिएं।

२ * रात को त्रिफला चूर्णं खाएं।

३ * बुखार कम करने के लिए आप रोज ८ – १० तुलसी की पत्तियां और ३ – ४ काली मिर्च चबाएं।

४ * सोंठ, गुड़, तुलसी और काली मिर्च का ५० मि.ली. काढ़ा बनाकर उसमें आधा नींबू का रस मिलाकर पीने से भी बुखार दूर हो जाता है।

५ * पेट साफ रखें।

६ * तुलसी की चाय का सेवन भी बुखार में लाभकारी है।

७ * भोजन के बाद शहद में अदरक के रस की ३ – ४ बूंदें मिलाकर चाटें। आपको लाभ होगा।

८ * चाय में आधा टी-स्‍पून दालचीनी, २ चुटकी सोंठ और २ बड़ी इलायची का चूर्णं बनाकर दिन में तीन चार बार पिएं।


पेशाब रूक जाने पर...


१ * अरंडी का तेल ५० ग्राम की मात्रा में लेकर, गर्म पानी में डाल कर रोगी को पिलाने से लाभ होता है।

२ * फिटकरी ५० ग्राम, कलमीशोरा ५० ग्राम, सफेद चंदन का चूरा २५ ग्राम लेकर कपड़े से छन जाने योग्‍य चूर्णं बनाएं। फिर इसे ३ ग्राम की मात्रा में दिन में ३ बार ताजे पानी से लें। इसके प्रयोग से मूत्र संबंधी सभी बीमारियां दूर हो जाती हैं।

३ * आंवलों को पीसकर नाभि के नीचे लेप करने से पेशाब उतरता है।

४ * बारहसिंगा के सींग को पत्‍थर पर चंदन की भांति घिस कर नाभि के चारों ओर लेप करने से १५ मिनट में ही पेशाब उतरने लगती है।


अस्‍थमा दूर करने के कुछ उपाय...


१ * सोंठ और बड़ी हरड़ को पीस कर ५ – ५ ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ ३ – ३ घंटे के अंतराल पर लेते रहें। यह प्रयोग १० से १२ दिनों तक करें। आपको लाभ होगा।

२ * सांस फूलने की शिकायत होने पर तुलसी के पत्‍ते काले नमक के साथ खाने से आराम मिलता है।

३ * एक पके केले को दीपक की लौ में या गैस चूल्‍हे की धीमी आंच पर गर्म करें। फिर इसे छील कर उस पर पिसी हुई काली मिर्च बुरक कर रोगी को खिलाएं। इससे रोगी को आराम मिलेगा।

४ * काली तुलसी के पत्‍तों को छोटी मधुमक्खियों के शहद के साथ खाने से बहुत लाभ होता है। आप १३ ग्राम शहद में २० मि.ली. तुलसी की पत्तियों का रस निकाल कर मिलाएं और इसे चाटें। रोगी को दमा से राहत मिलेगी।

५ * रात को सोने से पहले भुने चने खाकर ऊपर से गर्म दूध पी‍एं। इससे सांस की नली साफ होती है और दमा की शिकायत भी दूर हो जाती है।

६ * सोने से पहले २ – ३ काली मिर्च चबाएं। तुलसी के पत्‍तों में काली मिर्च मिलाकर खाने से भी बहुत लाभ होता है।

७ * आप रोज २५ – ३० ग्राम आंवले का मुरब्‍बा, ५ ग्राम पिप्‍पली का पाउडर और ५ ग्राम शहद एक साथ मिलाकर सेवन करने से भी दमे में बहुत आराम मिलता है।

८ * पुरानी हल्‍दी की गांठ को पीस कर चूर्णं बना लें। फिर आधा बड़ा चम्‍मच चूर्णं २ चम्‍मच पुराने शहद के साथ शहद में मिलाकर लेने से बहुत फाएदा होता है।

९ * नींबू का रस अदरक के साथ लेने से दमा रोग में बहुत लाभ होता है।


यदि बच्‍चे को अस्‍थमा है, तो उसे मूंगफली न खिलााएं

अस्‍थमा से ग्रस्‍त बचचों को मूंगफली से एलर्जी हो सकती है। अमेरिका में ओहियो स्थित मर्सी चिल्‍ड्रंस अस्‍पताल से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता रॉबर्ट कॉन के अनुसार सांस लेते वक्‍त घरघराहट, कफ या फिर तेज सांस चलना इसके लक्षण हो सकते हैं। इस ताजा रिसर्च के मुताबिक इस बारे में लोगों को जानकारी नहीं है, क्‍योंकि इसके लक्षणों का पता ही नहीं चलता है। विशेषज्ञों का कहना है कि पेरेंटस को अस्‍थमा से पीडि़त बच्‍चों का मूंगफली से होने वाली एलर्जी (पीनट एलर्जी) का टेस्‍ट जरूर कराना चाहिए। पीनट एलर्जी से जुड़े सांस संबंधी दिक्‍कतों के लक्षण अस्‍थमा अटैक का कारण भी बन सकते हैं। अस्‍पताल के पीडिएट्रिक क्‍लीनिक में 1500 से अधिक बच्‍चों पर किए गए अध्‍ययन के बाद शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे हैं। इनमें से 11% बच्‍चों को जानकारी ही नहीं थी, कि उन्‍हें मूंगफली से एलर्जी है। इसलिए आप भी मूंगफली का इस्‍तेमाल सावधानी से करें। क्‍योंकि सावधानी में ही सुरक्षा है।


बहुमूत्र रोग के निदान हेतू कुछ उपाय...


१ * अजवायन २० ग्राम, काला तिल ४० ग्राम को एक साथ मिलाकर पीस लें और फिर इसमें ६० ग्राम गुड़ मिलाएं। इस नुस्‍खे को ५ – ६ ग्राम की मात्रा में खाने से बहुमूत्र रोग में बहुत लाभ होता है। (जो बच्‍चे बिस्‍तर में पेशाब कर देते हैं, उनके लिए य‍ह बहुत उपयोगी है)

२ – दालचीनी, शक्‍कर, रूमी मस्‍तंगी इन तीनों चीजों को समान मात्रा में लेकर चूर्णं बना लें और फिर ३ ग्राम की मात्रा में सुबह शाम गर्म पानी के साथ लें। ७ दिन में ही बहुमूत्र की शिकायत दूर हो जाती है।

३ * रीठे की गुठली का चूर्णं आधा आधा ग्राम सुबह शाम ताजे पानी के साथ सेवन करने से बहुमूत्र रोग एक सप्‍ताह में ही ठीक हो जाता है।

४ * खसखस २० ग्राम व गुड़ २० ग्राम मिलाकर रख लें। फिर इसे एक – एक ग्राम सुबह शाम पानी के साथ खाएं। ऐसा करने से बहूमूत्र रोग ठीक हो जाता है।

५ * काले तिल व पुराना गुड़ बराबर मात्रा में लेकर एक – एक ग्राम की गोलियां बना लें। फिर एक – एक गोली दिन में तीन बार खाएं। बहुमूत्र में लाभ होगा।

६ * मिश्री ४० ग्राम, काली‍ मिर्च २० ग्राम, मुलहठी ३० ग्राम लेकर सभी को अच्‍छी तरह पीस कर चूर्णं बनाएं। फिर इस चूर्णं को ४ – ५ ग्राम की मात्रा में घी के साथ मिलाकर चाटें। ऐसा करने से एक सप्‍ताह में ही बहूमूत्र ठीक हो जाएगा।


पीलिया हो जाने पर...


१ * पीपल और लसोढ़े के ७ – ७ या ११ – ११ पत्‍ते घोंट कर या पीस कर नमक मिला लें। फिर खाली पेट ११ दिन तक पिएं।

२ * पीपल की छाल का नर्म गूदा पचास ग्राम जौकुट करके २५० मि.ली. पानी में मिटटी के कुल्‍हड़ में भिगो दें। सुबह पानी निथार कर पिएं। पीलिया में आराम मिलेगा।

३ * एक ग्राम पीपल की छाल की राख खाकर एक या दो गिलास छाछ पिएं। इससे सारा पीला पन निकल जाएगा।

४ * आप रोज बेल के १५ पत्‍ते पानी के साथ पीस कर एक सप्‍ताह तक पीने से पीलिया जाता रहता है।

५ * गन्‍ना चूसने या गन्‍ने का रस पीने से पीलिया दूर हो जाता है।

६ * १० ग्राम सोंठ के चूर्णं में गुड़ मिलाकर सुबह शाम दो बार गुनगुने पानी के साथ एक सप्‍ताह तक लें। पीलिया दूर होगा।

७ * १० ग्राम पिसी हुई हल्‍दी ५० से १०० ग्राम दही में मिलाकर पीने से पीलिया कुछ ही दिनों में चला जाता है।

८ * गाय के दूध की ताजा छाछ या १० तोले मटठे में आधा तोला हल्‍दी मिलाकर सुबह शाम पीने से पीलिया खत्‍म हो जाता है।

पीपल (Pipal)


पीपल

- यह 24 घंटे ऑक्सीजन देता है |

- इसके पत्तों से जो दूध निकलता है उसे आँख में लगाने से आँख का दर्द ठीक हो जाता है|

- पीपल की ताज़ी डंडी दातून के लिए बहुत अच्छी है |

- पीपल के ताज़े पत्तों का रस नाक में टपकाने से नकसीर में आराम मिलता है |

- हाथ -पाँव फटने पर पीपल के पत्तों का रस या दूध लगाए |

- पीपल की छाल को घिसकर लगाने से फोड़े फुंसी और घाव और जलने से हुए घाव भी ठीक हो जाते है|

- सांप काटने पर अगर चिकित्सक उपलब्ध ना हो तो पीपल के पत्तों का रस 2-2 चम्मच ३-४ बार पिलायें .विष का प्रभाव कम होगा |

- इसके फलों का चूर्ण लेने से बांझपन दूर होता है और पौरुष में वृद्धि होती है |

- पीलिया होने पर इसके ३-४ नए पत्तों के रस का मिश्री मिलाकर शरबत पिलायें .३-५ दिन तक दिन में दो बार दे |
- इसके पके फलों के चूर्ण का शहद के साथ सेवन करने से हकलाहट दूर होती है और वाणी में सुधार होता है |

- इसके फलों का चूर्ण और छाल सम भाग में लेने से दमा में लाभ होता है |

- इसके फल और पत्तों का रस मृदु विरेचक है और बद्धकोष्ठता को दूर करता है |

- यह रक्त पित्त नाशक , रक्त शोधक , सूजन मिटाने वाला ,शीतल और रंग निखारने वाला है |

हाइपो- थायरायडिज्म -- Hypothyroidism

हाइपो- थायरायडिज्म -- Hypothyroidism :

मोटापे, बाल झडने और कई समस्याओं का कर्ण हो सकता है - हाइपो- थायरायडिज्म

प्रारम्भिक लक्षण :

- मांसपेशियों की धीमी गतिविधि (पेशी हाइपोटोनिया)

- थकान

- सर्दी को सहन करने की क्षमता में कमी, सर्दी के लिए बहुत अधिक संवेदनशीलता

- डिप्रेशन या अवसाद

- मांसपेशियों में अकड़न और जोड़ों में दर्द

- कार्पल टनल सिंड्रोम (Carpal Tunnel Syndrome)

- गलगंड (Goiter)

- अंगुलियों के नाखुन पतले और भंगुर

- पतले, भंगुर बाल

- पीलापन

- पसीना कम आना

- शुष्क, खुजली वाली त्वचा

- वजन का बढ़ जाना और पानी का अधिग्रहण

- ब्रेडीकार्डिया (Bradycardia) (ह्रदय दर कम होना-प्रति मिनट साठ धड़कन से कम)

- कब्ज

- महिलाओं में अधिक माहवारी आना ।

- बच्चे पैदा न होना ।

- यानि आप को भूख लगती नहीं , कुछ खाना खाते नहीं , फिर भी वज़न बढ़ता जा रहा है तो समझ लीजिये
आपको यह प्रोब्लम हो सकती है ।

- सेक्स की बिलकुल भी इच्छा न होना क्या hypotyroidism के कारण हो सकता है

बाद में दिखाई देने वाले लक्षण :

- धीमी आवाज और एक कर्कश, टूटती हुई आवाज-आवाज में गहराई भी देखी जा सकती है।

- शुष्क फूली हुई त्वचा, विशेष रूप से चेहरे पर.

- भौहों के बाहरी तीसरे हिस्से का पतला होना, (हेर्टोघ (Hertoghe) का चिन्ह)

- असामान्य मासिक चक्र

- शरीर के आधारभूत तापमान में कमी

कम सामान्य लक्षण :

- याददाश्त कमजोर होना

- ज्ञानात्माक गतिविधि (सोचने-समझने की क्षमता) का कमजोर होना (दिमाग में धुंधलापन) और असावधानी

- ECG (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम) में परिवर्तनों के साथ ह्रदय दर का धीमा होना, जिसमें कम वोल्टेज के संकेत शामिल हैं। कार्डियक आउटपुट का कम होना और संकुचन में कमी.

- प्रतिक्रियाशील (या खाने के बाद) हाइपो ग्लाईसिमिया

- रिफ्लेक्स (प्रतिवर्ती क्रिया) का धीमा और सुस्त होना.

- बालों का झड़ना.

- अनुपयुक्त हीमोग्लोबिन संश्लेषण के कारण एनीमिया (रक्ताल्पता) (EPO के स्तर में कमी), आंतों में लौह तत्व या फोलेट का अनुपयुक्त अवशोषण या B 12 की कमी, पर्निशियस एनीमिया (प्राणाशी रक्ताल्पता) के कारण.

- निगलने में कठिनाई

- सांस का छोटा होना और एक उथला और धीमा श्वसन प्रतिरूप.

- सोने की जरुरत का बढ़ना

- चिड़चिड़ापन और मूड अस्थिर रहना

- बीटा-कैरोटिन के विटामिन A में ठीक प्रकार से रूपांतरित न होने के कारण त्वचा का पीला पड़ना.

- वृक्क के असामान्य कार्य और GFR में कमी

- सीरम कोलेस्ट्रॉल के स्तर का बढ़ना

- तीव्र मानसिकता (मिक्सेडेमा मेडनेस (myxedema madness)) हाइपोथायरायडिज्म का एक दुर्लभ रूप है।

- वृषण से कम मात्रा में टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन के कारण कामेच्छा में कमी.

- स्वाद और गंध की संवेदना में कमी (एनोस्मिया)

- फूला हुआ चेहरा, हाथ और पैर (देर से प्रकट होने वाले, कम सामान्य लक्षण)

गाइनेकोमेस्टिया
नैदानिक परीक्षण :
प्राथमिक हाइपोथायरायडिज्म के निदान के लिए, कई डॉक्टर पीयूष ग्रंथि के द्वारा उत्पन्न साधारण रूप से थायरॉयड उद्दीपक हॉर्मोन (TSH) का माप करते हैं।
TSH के उच्च स्तर इंगित करते हैं कि थायरॉयड ग्रंथि थायरॉयड हॉर्मोन का पर्याप्त उत्पादन नहीं कर रही है (मुख्य रूप से थायरोक्सिन (T4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3)) की कम मात्रा.
हालांकि, TSH का मापन द्वितीयक और तृतीयक हाइपोथायरायडिज्म का पता लगाने में असफल रहता है.
इस प्रकार से यदि TSH सामान्य है और फिर भी हाइपोथायरायडिज्म का संदेह है तो निम्न परीक्षणों की सलाह दी जाती है :
मुक्त ट्राईआयोडोथायरोनिन (fT3)
मुक्त लेवोथायरोक्सिन (fT4)
कुल T3
कुल T4
इसके अतिरिक्त, निम्नलिखित मापन की आवश्यकता भी हो सकती है:
24 घंटे यूरीन मुक्त T3 एंटीथायरॉयड प्रतिरक्षी-स्व प्रतिरोधी रोगों के प्रमाण के लिए जो संभवतया थायरॉयड ग्रंथि को क्षति पहुंचा रहें हैं।
सीरम कोलेस्ट्रॉल - जिसकी मात्रा हाइपोथायरायडिज्म में बढ़ सकती है।
प्रोलेक्टिन -पीयूष के कार्य के लिए व्यापक रूप से उपलब्ध परीक्षण के रूप में.
एनीमिया के लिए परीक्षण, फेरीटिन सहित
शरीर का आधारभूत तापमान
एक बार निदान हो गया और दवा शुरू कर दी गई तो अक्सर जीवन भर खानी पड़ सकती है । क्योंकि अक्सर यह रोग थायरायड ग्रंथि के स्थायी तौर पर नष्ट होने की वज़ह से होता है । यह autoimmunity की वज़ह से होता है ।

उपचार :

इस रोग का एलोपेथी में कोई उपचार नहीं है. लेकिन हॉर्मोन की कमी को पूरा करने के लिए हॉर्मोन को दवा के रूप में दिया जाता है । यानि इलाज़ बस रिप्लेसमेंट के रूप में होता है । फिर भी दवा लेते रहने से सामान्य जिंदगी गुजारी जा सकती है ।

दवा :

-थाय्रोक्सिन की गोली जो २५ , ५० , १०० माइक्रोग्राम में आती है , रोज सुबह नाश्ते से पहले खाली पेट लेनी होती है । इसकी सही डोज़ तो डॉक्टर ही निर्धारित करते हैं , लेकिन आम तौर पर एक व्यस्क के लिए ७५ से १२५ माइक्रोग्राम काफी रहती है ।

फोलोअप :

आरम्भ में हर महीने डॉक्टर से मिलना पड़ेगा । लेकिन एक बार डोज़ निर्धारित होने पर ६ महीने या एक साल में एक बार डॉक्टर से मिलना काफी है ।
फोलोअप में सिर्फ टी एस एच का टैस्ट कराना काफी है ।

गर्भवती महिला :

इन महिलाओं को विशेष ध्यान रखना चाहिए । गर्भ के दौरान डोज़ बढ़ानी पड़ती है क्योंकि गर्भ में पल रहे बच्चे को भी इसकी ज़रुरत होती है । यदि ऐसा नहीं किया गया तो बच्चे को हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है।
बच्चे :
बच्चों में इस हॉर्मोन की कमी बहुत घातक सिद्ध हो सकती है । इससे विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ता है जिससे बच्चा अल्पविकसित रह सकता है -शारीरिक और मानसिक तौर पर । इन्हें क्रमश : ड्वारफिज्म और क्रेटीनिजम कहते हैं ।

बच्चों में दवा की डोज़ अक्सर ज्यादा रहती है ।
यह रोग महिलाओं में ज्यादा पाया जाता है । यदि मां को हो तो संतान में होने की सम्भावना काफी बढ़ जाती है । लेकिन याद रखिये --समय पर निदान होने से कई तरह की मुश्किलों से बचा जा सकता है ।

मोटापा एवं अनेक रोगों से मुक्त होने का अचूक उपाय...!

मेथी दाना -250 ग्राम ,
अजवाइन-100 ग्राम ,
काली जीरा-50 ग्राम ।

उपरोक्त तीनो चीज़ों को साफ़ करके हल्का सा सेंक लें ,फिर तीनों को मिलाकर मिक्सर मेंइसका पॉवडरबना लें और कांच की किसी शीशी में भर कर रख लें । रात को सोते समय 1/2 चम्मच पॉवडर एक गिलास कुनकुने पानी के साथ नित्य लें ,इसके बाद कुछ भी खाना या पीना नहीं है ।इसे सभी उम्र के लोग ले सकते हैं

फायदा पूर्ण रूप से 80-90 दिन में हो जायेगा ।

लाभ :-

इस चूर्ण को नित्य लेने से शरीर के कोने -कोने में जमा पड़ी सभी गंदगी (कचरा )मल और पेशाब द्वारा निकलजाता है ,
फ़ालतू चर्बी गल जाती है ,
चमड़ी की झुर्रियां अपने आप दूर हो जाती है ,
और शरीर तेजस्वी और फुर्तीला होजाता है ।
अन्य लाभ इस प्रकार हैं ----------

1. गठिया जैसा ज़िद्दी रोग दूर हो जाताहै ।

2. शरीर की रोग प्रतिकारक शक्ति को बढ़ाता है ।

3. पुरानी कब्ज़ से हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाती है ।

4. रक्त -संचार शरीर में ठीक से होने लगता है ,शरीर की रक्त -नलिकाएं शुद्ध हो जाती हैं ,रक्त में सफाई और शुद्धता की वृद्धि होती है ।

5. ह्रदय की कार्य क्षमता में वृद्धिहोती है ,कोलेस्ट्रोलकम होता है ,जिस से हार्ट अटैक का खतरा नहीं रहता |

6. हड्डियां मजबूत होती हैं ,कार्य करने की शक्तिबढ़ती हैं ,स्मरण शक्ति में भी वृद्धि होतीहै ।थकान नहीं होती है ।

7. आँखों का तेज़ बढ़ता है ,बहरापन दूर होता है ,बालों का भी विकास होता है,दांत मजबूत होते हैं ।

8. भूतकाल में सेवन की गयी एलोपैथिकदवाओं के साइड -इफेक्ट्स से मुक्ति मिलतीहै ।

9. खाना भारी मात्रा में या ज्यादाखाने के बाद भी पच जाता है (इसका मतलब ये नहीं है कि आप जानबूझ कर ज्यादा खा ले) ।

10. स्त्रियों का शरीर शादी के बादबेडौल नहीं होता ,शेप में रहता है ,,शादी के बाद होने वालीतकलीफें दूर होती हैं ।

11. चमड़ी के रंग में निखार आता है ,चमड़ी सूख जाना ,झुर्रियां पड़ना आदि चमड़ी के रोगों से शरीर मुक्त रहता है ।

12. शरीर पानी ,हवा ,धूपऔर तापमान द्वारा होने वाले रोगों से मुक्त रहता है

13. डाइबिटीज़ काबू में रहती है ,चाहें तोइसकी दवा ज़ारी रख सकते हैं।

14. कफ से मुक्ति मिलती है ,नपुंसकता दूर होती है,,व्यक्ति का तेज़ इस से बढ़ता है ,जल्दी बुढ़ापा नहीं आता ,। उम्र बढ़ जाती है |

15. कोई भी व्यक्ति ,किसी भी उम्र का हो ,इस चूर्ण का सेवन कर सकता
है,मात्रा का ध्यान रखें ।

मोटापा कम करने के प्राकृतिक उपचार

अपने दिन की शुरुआत नींबू पानी से करें। हर रोज सुबह गुनगुने पानी में नींबू का रस और थोड़ा सा नमक मिला कर सेवन करने से वजन कम करने में मदद मिलती है।

त्रिफला (१० ग्राम) चूर्ण को एक गिलास पानी में दस मिनट तक उबालें। इस मिश्रण को छानकर रोज सुबह इसका सेवन करें।

रोज सुबह करेले के रस में नींबू रस मिलाकर पीने से भी शरीर की चर्बी कम होती है।
सुबह उठकर १-२ टमाटर खाने से भी मोटापा नियंत्रित होता है।

दिन मे दो बार गुग्गुल गोंद को हल्का गुनगुना करके सेवन करना मोटापा नियंत्रित करने में सहायक है।

कच्चा या पकाया हुआ पत्तागोभी खाना मोटापे को कम करने में आश्चर्यजनक रूप से सहायक है।

रोज़ाना ग्रीन टी का सेवन करना न सिर्फ वज़न नियंत्रित करता है, बल्कि शरीर के लिये भी फायदेमंद है। उत्तम गुणवत्ता की ग्रीन टी की पत्तियों को उबले पानी में डालकर ५ -१० मिनट ढककर रखें। इसे दिन में २-३ बार पीयें।


बराबर मात्रा में आंवले व हल्दी का चूर्ण छाछ के साथ पीने से पेट की अतिरिक्त चर्बी कम होती है।


रोज सुबह छोटी पीपल का चूर्ण (३ ग्राम) छाछ के साथ सेवन करने से वजन कम करने में मदद मिलती है।


छाछ मे काला नमक व अजवाइन मिला कर दोपहर के भोजन के बाद पीये।

आधा चम्मच सौंफ को एक कप उबलते पानी में डालें व १० मिनिट तक इसे ढककर रखें। ठंडा होने पर इस पानी को पिएं।

दिन भर में ३-४ लीटर पानी पीने से शरीर के विषैले तत्व बाहर निकलते है व पेट की चर्बी भी कम होती है।

ध्यान रखें-

भारी, गरिष्ठ, तले, चटपटे खाद्य पदार्थ ना खायें। अपने आहार में खूब फल और हरी सब्जियां शामिल करें। रेशेदार खाद्य पदार्थ का सेवन अधिक से अधिक करें। कम चर्बी वाले दूध का सेवन करें। नमक व शक्कर का सेवन कम करे। जल्दबाजी में कभी भोजन ना करें। शरीर के वजन को संतुलित रखने के लिए सुबह नियमित रूप से घूमने जाये। एरोबिक्स, जॉगिंग, साइकिलिंग, योगासन, रस्सी कूदना, आदि व्यायाम भी वजन संतुलित रखने में सहायक है।

प्राचीन मान्यताओं की कुछ ऐसी बातें जो भोजन के समय ध्यान रखना चाहिए...

खाना खाते समय यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो स्वास्थ्य लाभ के साथ ही देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त की जा सकती है। यहां जानिए प्राचीन मान्यताओं की कुछ ऐसी बातें जो भोजन के समय ध्यान रखना चाहिए...

1. इस उपाय से बढ़ती है आयु

खाना खाने से पूर्व पांच अंगों (दोनों हाथ, दोनों पैर और मुख) को अच्छी तरह से धो लेना चाहिए। इसके बाद ही भोजन करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि भीगे हुए पैरों के साथ भोजन ग्रहण करना बहुत शुभ माना जाता है। भीगे हुए पैर शरीर के तापमान को नियंत्रित करते हैं, इससे हमारे पाचनतंत्र की समस्त ऊर्जा भोजन को पचाने में लगती है। पैर भिगोने से शरीर की अतिरिक्त गर्माहट कम होती है, जो गैस और एसिडिटी की संभावनाओं को समाप्त कर देती है। इससे स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होते हैं। इससे आयु में वृद्धि होती है।

2. खाना खाते समय दिशाओं का ध्यान रखें

पूर्व और उत्तर दिशा की ओर मुंह करके खाना ग्रहण करना चाहिए। इस उपाय से हमारे शरीर को भोजन से मिलने वाली ऊर्जा पूर्ण रूप से प्राप्त होती है।
दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके भोजन ग्रहण करना अशुभ माना गया है।
पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके भोजन करने से रोगों की वृद्धि होती है।

3. इस स्थिति में भोजन नहीं करना चाहिए

कभी भी बिस्तर पर बैठकर भोजन नहीं करना चाहिए।
खाने की थाली को हाथ में लेकर भोजन नहीं करना चाहिए।
भोजन बैठकर ग्रहण करना चाहिए।
थाली को किसी बाजोट या लकड़ी की पाटे पर रखकर भोजन करना चाहिए।
खाने बर्तन साफ होने चाहिए। टूटे-फूटे बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए।

4. खाने से पहले ये उपाय भी करें

भोजन ग्रहण करने से पहले अन्न देवता, अन्नपूर्णा माता का स्मरण करना चाहिए।


देवी-देवताओं को भोजन के धन्यवाद देते हुए खाना ग्रहण करें। साथ ही, भगवान से ये प्रार्थना भी करें कि सभी भूखों को भोजन प्राप्त हो जाए। कभी भी परोसे हुए भोजन की निंदा नहीं करना चाहिए। इससे अन्न का अपमान होता है।

5. भोजन बनाने वाले व्यक्ति को ध्यान रखनी चाहिए ये बातें

भोजन बनने वाले व्यक्ति को स्नान करके और पूरी तरह से पवित्र होकर भी भोजन बनाना चाहिए। खाना बनाते समय मन शांत रखना चाहिए। साथ ही, इस दौरान किसी की बुराई भी ना करें। शुद्ध मन से भोजन बनाएंगे तो खाना स्वादिष्ट बनेगा और अन्न की कमी भी नहीं होगी। भोजन बनाना प्रारंभ करने से पहले इष्टदेव का ध्यान करना चाहिए। किसी देवी-देवता के मंत्र का जप भी किया जा सकता है।

कुछ सूत्र जो याद रक्खे...!

 कुछ सूत्र जो याद रक्खे.....!
 एक साथ नहीं खानी चाहिए

चाय के साथ कोई भी नमकीन चीज नहीं खानी चाहिए।दूध और नमक का संयोग सफ़ेद दाग या किसी भी स्किन डीजीज को जन्म दे सकता है, बाल असमय सफ़ेद होना या बाल झड़ना भी स्किन डीजीज ही है।
सर्व प्रथम यह जान लीजिये कि कोई भी आयुर्वेदिक दवा खाली पेट खाई जाती है और दवा खाने से आधे घंटे के अंदर कुछ खाना अति आवश्यक होता है, नहीं तो दवा की गरमी आपको बेचैन कर देगी।
दूध या दूध की बनी किसी भी चीज के साथ दही ,नमक, इमली, खरबूजा,बेल, नारियल, मूली, तोरई,तिल ,तेल, कुल्थी, सत्तू, खटाई, नहीं खानी चाहिए।


    दही के साथ खरबूजा, पनीर, दूध और खीर नहीं खानी चाहिए।
    गर्म जल के साथ शहद कभी नही लेना चाहिए।
    ठंडे जल के साथ घी, तेल, खरबूज, अमरूद, ककड़ी, खीरा, जामुन ,मूंगफली कभी नहीं।
    शहद के साथ मूली , अंगूर, गरम खाद्य या गर्म जल कभी नहीं।
    खीर के साथ सत्तू, शराब, खटाई, खिचड़ी ,कटहल कभी नहीं।
    घी के साथ बराबर मात्र1 में शहद भूल कर भी नहीं खाना चाहिए ये तुरंत जहर का काम करेगा।
    तरबूज के साथ पुदीना या ठंडा पानी कभी नहीं।
    चावल के साथ सिरका कभी नहीं।
    चाय के साथ ककड़ी खीरा भी कभी मत खाएं।
    खरबूज के साथ दूध, दही, लहसून और मूली कभी नहीं।

कुछ चीजों को एक साथ खाना अमृत का काम करता है जैसे-

    खरबूजे के साथ चीनी
    इमली के साथ गुड
    गाजर और मेथी का साग
    बथुआ और दही का रायता
    मकई के साथ मट्ठा
    अमरुद के साथ सौंफ
    तरबूज के साथ गुड
    मूली और मूली के पत्ते
    अनाज या दाल के साथ दूध या दही
    आम के साथ गाय का दूध
    चावल के साथ दही
    खजूर के साथ दूध
    चावल के साथ नारियल की गिरी
    केले के साथ इलायची

कभी कभी कुछ चीजें बहुत पसंद होने के कारण हम ज्यादा बहुत ज्यादा खा लेते हैं। ऎसी चीजो के बारे में बताते हैं जो अगर आपने ज्यादा खा ली हैं तो कैसे पचाई जाएँ ----

    केले की अधिकता में दो छोटी इलायची
    आम पचाने के लिए आधा चम्म्च सोंठ का चूर्ण और गुड
    जामुन ज्यादा खा लिया तो ३-४ चुटकी नमक
    सेब ज्यादा हो जाए तो दालचीनी का चूर्ण एक ग्राम
    खरबूज के लिए आधा कप चीनी का शरबत
    तरबूज के लिए सिर्फ एक लौंग
    अमरूद के लिए सौंफ
    नींबू के लिए नमक
    बेर के लिए सिरका
    गन्ना ज्यादा चूस लिया हो तो ३-४ बेर खा लीजिये
    चावल ज्यादा खा लिया है तो आधा चम्म्च अजवाइन पानी से निगल लीजिये
    बैगन के लिए सरसो का तेल एक चम्म्च
    मूली ज्यादा खा ली हो तो एक चम्म्च काला तिल चबा लीजिये
    बेसन ज्यादा खाया हो तो मूली के पत्ते चबाएं
    खाना ज्यादा खा लिया है तो थोड़ी दही खाइये
    मटर ज्यादा खाई हो तो अदरक चबाएं
    इमली या उड़द की दाल या मूंगफली या शकरकंद या जिमीकंद ज्यादा खा लीजिये तो फिर गुड खाइये
    मुंग या चने की दाल ज्यादा खाये हों तो एक चम्म्च सिरका पी लीजिये
    मकई ज्यादा खा गये हो तो मट्ठा पीजिये
    घी या खीर ज्यादा खा गये हों तो काली मिर्च चबाएं
    खुरमानी ज्यादा हो जाए तोठंडा पानी पीयें
    पूरी कचौड़ी ज्यादा हो जाए तो गर्म पानी पीजिये

अगर सम्भव हो तो भोजन के साथ दो नींबू का रस आपको जरूर ले लेना चाहिए या पानी में मिला कर पीजिये या भोजन में निचोड़ लीजिये ,८०% बीमारियों से बचे रहेंगे।

Sunday 27 September 2015

तिल्ली एवं जिगर और तिल्ली, दोनों के बढ़ने पर

पुराना गुड़ डेढ़ ग्राम और बड़ी (पिली) हरड़ के छिल्के का चुर्ण बराबर वजन मिलाकर एक गोली दिन में दो बार प्रातः सायं हल्के गर्म पानी के साथ एक महीने तक लें। इससे जिगर और तिल्ली, यदि दोनों ही बढ़े हुए हों, तो भी ठीक हो जाते हैं।
इसके तीन दिन के प्रयोग से अम्लपित्त का भी नाश होता है।


बालों का गिरना रोकना 

बालों के झङने या टूटने पर सिर में नींबू के रस में दो गूना नारियल का तेल मिलाकर उंगलियों की अग्रिम पोरों से धीरे-धीरे केशों की जङों में मालिश करने से आपके बाल झङने बन्द हो जाएंगे।


साथ ही बाल मुलायम व सीकरी मुक्त हो जाएंगे तथा बालों से सम्बन्धित अन्य सभी रोग भी दूर हो जाएंगे।

खोपङी की खुश्की-रूसी की दशा में नारियल के तेल में नींबू का रस मिलाकर रात को खोपङी में मलें और सुबह गुनगुने पानी और रीठे के पानी से सिर धो ङालें। दो-चार करने से ही सिर की खुश्की और रूसी नष्ट हो जाती है।